मरुद्भिद और समोद्भिद क्या है ? xerophytes and mesophytes in hindi meaning definition किसे कहते है ?
(xerophytes and mesophytes in hindi meaning definition) मरुद्भिद और समोद्भिद क्या है ? मरुदभिद व समोदभिद किसे कहते है ? उदाहरण लिखिए ?
आवास में विविधता (diversity of habitat) : अन्य पहलुओं की भाँती आवृतबीजी पौधे अपनी आवासीय प्रवृत्ति में भी पर्याप्त विविधता परिलक्षित करते है। विभिन्न जीवधारियों का अध्ययन करने के पश्चात् यहाँ कहा जा सकता है कि किसी भी सजीव इकाई के प्राकृतिक परिवेश अथवा घर को आवास कहते है। विभिन्न पौधों के आवासीय स्थानों को मुख्यतया दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है –
(1) जलीय आवास (aquatic habitat)
(2) स्थलीय आवास (terrestrial habitat)
(1) जलीय आवास (aquatic habitat)
समुद्र और महासागर , तालाब , खारे पानी की झीले , मीठे पानी की झीलें , पोखर , कुण्ड , नाले , नहरें और नदियाँ विभिन्न प्रकार के जलीय आवासों के उदाहरण है। इनमें से समुद्र और महासागरों में केवल एक आवृतबीजी पादप जोस्टेरा ही पाया जाता है। विभिन्न प्रकार के लवण रहित जलीय आवासों में पाए जाने वाले प्रमुख आवृतबीजी सदस्यों में हार्रड्रिल , पोटामोजीटोन , निम्फिया , ट्रापा और निलम्बो के नाम उल्लेखनीय है। अनेक जलीय पौधों जैसे वोल्फिया और सिरेटोफिल्लम में जड़ें अनुपस्थित होती है। समुद्र तटीय दलदलों में मेरग्रोव वनस्पति जैसे राइजोफोरा , साल्सोला और एवीसीनिया आदि लवणोद्भिद प्रजातियाँ शामिल की जा सकती है।
(2) स्थलीय आवास (terrestrial habitat)
स्थलीय आवासों में पाए जाने वाले आवृतबीजियों को हम दो उपश्रेणियों में बाँट सकते है –
(i) मरुद्भिद (xerophytes)
(ii) समोद्भिद (mesophytes)
(i) मरुद्भिद (xerophytes) : ये शुष्क आवासों और मरूभूमि में पाए जाते है। कुछ मरुद्भिदीय पौधों का पादप शरीर जल और म्युसिलेज संग्रहण करने में सक्षम होता है , ऐसे पौधों को मांसल मरूदभिदीय पादप कहते है , उदाहरण –
नागफनी और घोटा थोर। कुछ अन्य मरूदभिद पौधों में विशेष प्रकार के रूपांतरण पाए जाते है , जिनकी वजह से इनको जानवरों द्वारा चराई से सुरक्षा प्राप्त होती है और इनके द्वारा वाष्पोत्सर्जन की दर में भी गिरावट आ जाती है जैसे ऑस्ट्रेलियन बबूल में पर्णाभ स्तम्भ का रुपान्तरण , जवासा में शुलों , बेर और बबूल में कंटकों की और बडबीना में कंटिकाओं की उपस्थिति , इसी प्रकार के रूपान्तरण के उपयुक्त उदाहरण है।
(ii) समोद्भिद (mesophytes) : ये पादप क्योंकि जल की पर्याप्त उपलब्धता वाले आवासों में रहते है अत: इनमें सघन वृद्धि होती है। सामान्यतया मध्योदभिद पादप वनों अथवा घास के मैदानों में पाए जाते है। ये सघन वन भी कई प्रकार के होते है , जैसे – सदाबहार वन जहाँ विभिन्न पौधों में पतझड़ का कोई निश्चित समय नहीं होता अथवा पर्णपाती वन जहाँ उगने वाले वृक्षों में पतझड़ का कोई निश्चित मौसम होता है। क्षेत्रीय भौगोलिक स्थिति के अनुसार भी जंगलों को अलग अलग वर्गों में रखा जा सकता है , जैसे – उष्णकटिबंधीय वन , उपोष्ण वन अथवा शीतोष्ण वन आदि।
ऊँची ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं में पायी जाने वाली आवृतबीजी वनस्पति को एल्पाइन वनस्पति कहते है। अधिक ऊंचाई वाले इन स्थानों अथवा पर्वतीय श्रृंखलाओं पर जहाँ सामान्यतया वृक्ष नहीं पाए जाते है , इसे काष्ठ रेखा कहते है। उष्णकटिबंधीय वन प्राय: भूमध्य रेखीय क्षेत्रों और इसके आस पास बहुतायत से पाए जाते है। इन क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा का औसत बहुत अधिक होता है , इसलिए ऐसे वनों को उष्णकटिबंधीय वर्षा वन अथवा सदाहरित वन भी कहते है। इन वन्य क्षेत्रों में अधिपादपीय प्रजातियाँ और कठलतायें बहुतायत से पाए जाते है।
मृदा की विशेषता और जल की उपलब्धता के आधार पर विभिन्न प्रकार के पौधों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जा सकता है –
1. अम्लोद्भिद (oxylophytes) : ये पौधे अम्लीय मृदा में पाए जाते है जिसकी pH 7 से कम सामान्यतया 4 अथवा 5 होती है। इस प्रकार की मृदा में कैल्शियम (Ca) का अभाव पाया जाता है , जैसे रोडोडेन्ड्रोन , बिच्छूबूटी और रूमेक्स आदि।
2. बालुकोद्भिद (psammophytes) : इस प्रकार के पौधे सामान्यतया मरुस्थलीय बालुई मिट्टी में पाए जाते है जैसे कैलीगोनम , लेप्टाडीनिया और मोल्यूगो आदि।
3. लवणोद्भिद (halophytes) : ये पादप जो खारे पानी की झीलों , समुद्री जल अथवा लवणयुक्त मृदा में पाए जाते है , लवणोदभिद कहलाते है , जैसे : साल्सोला , स्युडा और टेमेरिक्स आदि। इसके अतिरिक्त कुछ लवणोद्भिद पादप समुद्री किनारों के पास दलदली स्थानों में पाए जाते है ऐसे पौधों को मैन्ग्रोव पादप कहते है , जैसे राइजोफोरा एवीसीनिया आदि।
4. शैलोद्भिद (lithophytes): इस श्रेणी के पौधे , अनावृत चट्टानों , शिलाखण्डो अथवा पथरीली भूमि पर पाए जाते है , जैसे बारलेरिया , लेपिडागेथिस और थोर आदि।
5. शितोद्भिद (psychrophytes) : ये पादप निम्न तापक्रम वाले स्थानों जैसे पहाड़ों की बर्फीली चोटियों और अल्पाइन प्रदेशों में पाए जाते है जैसे थेलिक्ट्रम।
6. चट्टानों की दरारों में पाए जाने वाले पादप (chasmophytes) : इन पौधों की उपयुक्त वृद्धि के लिए चट्टानों की दरारों में मौजूद अल्प मात्रा में मृदा ही पर्याप्त रहती है जैसे एकाइरेंथस।
7. अधिपादप (epiphytes) : इस प्रकार के पौधे दुसरे पादप शरीरों पर अपना जीवनयापन करते है लेकिन ये स्वपोषी होते है। ये अधिपादप इन पौधों से जल , खनिज अथवा भोज्य पदार्थो का अवशोषण नहीं करते है। इसी कारण इनको स्थली परजीवी कहा जाता है , जैसे आर्किड्स।
अधिपादपीय आर्किड्स में आर्द्रताग्राही जड़ें पाई जाती है , जिनके बाह्यवल्कुटीय क्षेत्रों में एक विशेष प्रकार की उत्तक पर्त वेलामन मौजूद होती है। इसके द्वारा जड़ें वातावरण से नमी का अवशोषण कर अपनी जल सम्बन्धी आवश्यकता की पूर्ति करती है।
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