विधवा पुनर्विवाह कानून कब बना और विधवा पुनर्विवाह किसने लागू किया widow remarriage act was passed by which governor general
widow remarriage act was passed by which governor general in hindi विधवा पुनर्विवाह कानून कब बना और विधवा पुनर्विवाह किसने लागू किया ?
विधवा-पुनर्विवाह
1850 के दशक में पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने, पंडित मृत्युजय की ही भाँति, शास्त्रों से सिद्ध किया कि किसी विधवा का पुनर्विवाह स्वीकृत है। उन्होंने रूढ़िवादी पंडितों के साथ तर्क-वितर्क और तत्कालीन हिन्दू-समाज के कुछ स्तंभों द्वारा उपहास के बीच से एक लम्बी, कठिन यात्रा तय की। वर्नाक्यूलर (बंगाली) प्रैस समर्थन में और विरुद्ध दोनों ही प्रकार के स्तुति-गान और व्यंग्यों से भर गई। इस प्रकार के पद्य-छंद बुने हुए कपड़ों के डिजायनों पर दिखाई पड़ते थे। इन्होंने समाज में उथल-पुथल पैदा कर दी। विद्यासागर ने 1855 में गवर्नर-जनरल के पास एक याचिका दायर की।
सन् 1871 में मद्रास में एक विधवा पुनर्विवाह परिषद् बनी, पर ज्यादा चली नहीं। 1879 में, वीरसालिंगम ने मुख्यतः विधवा पुनर्विवाह पर संकेन्द्रित राजमुन्द्री समाज-सुधार परिषद् शुरू की। 1892 में, यंग मद्रास पार्टी या हिन्दू समाज-सुधार परिषद् प्रारंभ की गई। आर्यन ब्रदरहुड कान्फ्रेंस, जिसके रानाडे व एन.एम. जोशी सदस्य थे, ने एक बाद अपनी एक सभा में घोषणा की, “हमें इस अनुरक्त विश्वास के साथ रूपाली पुलाव बनाते और अधिक नहीं रहना है कि चूंकि हम अब तक ख्याली पुलाव बनाते और अधिक नहीं रहना है कि चूंकि हम अब तक उत्तरजीविता कायम रखने में सफल रहे हैं अपनी वर्तमान सामाजिक व्यवस्था के रहते, हम हमेशा इसे कायम रख सकेंगे।
अधिनियम पास किए जाने से लेकर कोई चालीस वर्षों में मात्र 500 विधवाओं के पुनर्विवाह हुए, यद्यपि इस सिद्धांत की हिमायत करते समाज-सुधार संगठन देश भार में कुकरमुत्तों की तरह फैले थे। उनमें से अधिकांश थीं बाल अथवा अक्षत विधवाएँ। उच्च जाति की विधवाएँ, जो अक्षत नहीं थीं, न तो पुनर्विवाह कर सकती थीं। न ही उन्होंने किया।
बोध प्रश्न 1
नोट: क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए रिक्त स्थान का प्रयोग करें।
ख) अपने उत्तरों की जाँच इकाई के अन्त में दिए गए आदर्श उत्तरों से करें।
1) उन्नीसवीं सदी को क्यों महिलाओं का युग कहा जा सकता है?
2) विधवा-पुनर्विवाह को लागू करने के विभिन्न प्रवासों के विषय में आय क्या जानते हैं?
3) दयानन्द सरस्वती का समाज सुधार में क्या योगदान था?
बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) इसको इस प्रकार इसलिए पुकारा जाता था क्योंकि महिलाओं की स्थिति सुधारने हेतु सामाजिक सुधारों को आरंभ करने के प्रयास इसी काल में किए गए। वे बुराइयाँ जिनका उन्मूलन किए जाने के प्रयास किए जाने थे, में शामिल थे – सती-प्रथा, बाल-विवाह, विधवा-पुनर्विवाह पर पाबन्दी, पर्दा-प्रथा, इत्यादि।
2) पंडित ईश्वरचन्द्र विद्यासागर और पंडित मृत्युजय ने सिद्ध कर दिया कि शास्त्र विधवा-पुनर्विवाह की स्वीकृति देते हैं, विधवा-पुनर्विवाह संस्थाएँ बनाई गईं और विधवा-पुनर्विवाह नियम बनाए गए।
3) उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की जिसने जाति-प्रथा, बहुविवाह-परम्परा, बाल-विवाह, तथा संस्कृत व अंग्रेजी की अनिवार्य शिक्षा हेतु संघर्ष करने का प्रयास किया।
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