ठोस पदार्थ की आकृति और आयतन निश्चित क्यों होते हैं why solid have definite volume in hindi ठोस का आयतन निश्चित क्यों होता है ?
प्रश्न 1 : ठोसों की कठोरता का क्या कारण है ?
उत्तर : ठोसो में अवयवी कण प्रबल अन्तराणुविक बलों द्वारा अधिक निकट आ जाते है तथा एक संकुलित सघन संरचना बना लेते है , यह ही कठोरता का कारण है।
प्रश्न 2 : ठोसों का आयतन निश्चित क्यों होता है।
उत्तर : ठोसों में अवयवीकण प्रबल अंतराणुविक बलों द्वारा एक दुसरे के निकट आते है जबकि उष्मीय ऊर्जा अवयवी कणों को दूर ले जाने का प्रयास करती है लेकिन निम्न ताप पर ऊष्मीय ऊर्जा निम्न होती है। अत: अवयवी कण अधिक निकट आ जाते है तथा एक दुसरे के साथ अनुलग्नित हो जाते है। इसलिए अत्यधिक दाब लगाने पर भी इनका आयतन परिवर्तित नहीं होता , अत: आयतन निश्चित होता है।
प्रश्न 2 : ठोस कितने प्रकार के होते है ?
उत्तर : ठोस दो प्रकार के होते है क्रिस्टलीय ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोस।
प्रश्न 3 : निम्नलिखित को क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय ठोसों में वर्गीकृत कीजिये।
पोटेशियम नाइट्रेट , बेन्जोइक अम्ल , नेफ्थलीन , सीजियम ब्रोमाइड , पोलीविनाइल क्लोराइड , काँच क्वार्टज़ , प्लास्टिक , ग्रेफाईट।
उत्तर : क्रिस्टलीय ठोस – सोडियम नाइट्रेट , ऑक्सेलिजक अम्ल , केल्सियम ब्रोमाइड , हीरा।
अक्रिस्टलीय ठोस – रबर , क्वार्ट्ज काँच , रेजिन , पोली विनाइल क्लोराइड।
प्रश्न 4 : अतिशीतित द्रव अथवा आभासी ठोस क्या है ?
उत्तर : अक्रिस्टलीय ठोसों को अतिशीतित द्रव अथवा आभासी ठोस (स्यूडो ठोस) कहा जाता है।
प्रश्न 5 : क्रिस्टलीय ठोसों के शीतलन वक्र असतत होते है , क्यों ?
उत्तर : क्रिस्टल के दौरान अवयवी कणों के निकट आने पर ऊष्मा के रूप में ऊर्जा मुक्त होती है , परिणामस्वरूप ताप में कमी नहीं हो पाती तथा क्रिस्टलन पूर्ण होने तक ताप लगभग स्थिर रहता है।
प्रश्न 6 : कांच को अधिशीतित द्रव क्यों माना जाता है ?
उत्तर : काँच अक्रिस्टलीय यौगिक है। अत: यह अतिशीतित द्रव कहलाता है , इसमें बहने (प्रवाह) की प्रकृति होती है। इसका प्रमाण पुरानी इमारतों में लगे काँच है जिनका नीचे के भाग की मोटाई कुछ अधिक पायी जाती है।
प्रश्न 7 : ग्रेफाइट , क्वार्ट्ज , काँच में से कौन विदलन गुण प्रदर्शित करेगा ?
उत्तर : ग्रेफाइट क्रिस्टलीय ठोस होने के कारण विदलन गुण प्रदर्शित करेगा।
प्रश्न 8 : एक ठोस का अपवर्तनांक सभी दिशाओं से असमान प्राप्त होता है। इस ठोस की प्रकृति क्या होगी ?
उत्तर : यदि अपवर्तनांक सभी दिशाओं से असमान प्राप्त होता है तो यह ठोस विषमदैशिकता दर्शाता है। चूँकि विषमदैशिकता , क्रिस्टलीय ठोस प्रदर्शित करते है अत: ठोस क्रिस्टलीय ठोस होगा।
प्रश्न 9 : विषमदैशिकता किसे कहते है ? इसका कारण बताइए।
उत्तर : क्रिस्टलीय ठोसों के कुछ गुण जैसे विद्युत चालकता , अपवर्तनांक आदि के मान भिन्न भिन्न दिशाओं से ज्ञात करने पर भिन्न भिन्न प्राप्त होते है। क्रिस्टलीय ठोसों का यह गुण विषम दैशिकता कहलाता है।
क्रिस्टलीय ठोसों में अवयवी कण पूर्ण रूप से व्यवस्थित होते है तथा उनकी व्यवस्था नियमित होती है। अत: ठोस पर डाला गए प्रकाश की किरणें भिन्न भिन्न अवयवी कणों से अन्योन्य क्रिया करती है परिणामस्वरूप अपवर्तनांक के भिन्न भिन्न मान प्राप्त होते है।
प्रश्न 10 : एक ठोस की विद्युतीय प्रतिरोधकता के सभी दिशाओं से मान समान प्राप्त होते है। इस ठोस की प्रकृति क्या होगी ?
उत्तर : ठोस सदैशिकता दर्शाता है अत: ठोस अक्रिस्टलीय होगा।
प्रश्न 11 : क्रिस्टलीय ठोस तथा अक्रिस्टलीय ठोसों में दो अन्तर लिखिए।
उत्तर : (i) क्रिस्टलीय ठोसों के शीतलन वक्र असतत होते है एवं अक्रिस्टलीय ठोसों के शीतलन वक्र सतत होते है।
(ii) क्रिस्टलीय ठोस विषमदैशिकता और अक्रिस्टलीय ठोस समदैशिकता होते है।
प्रश्न 12 : क्रिस्टलीय ठोसों व अक्रिस्टलीय ठोसों की गलन ऊष्मा की प्रकृति लिखिए।
उत्तर : क्रिस्टलीय ठोसों की गलन ऊष्मा निश्चित व अभिलाक्षणिक होती है। अक्रिस्टलीय ठोसों की गलन ऊष्मा निश्चित नहीं होती है।
प्रश्न 13 : वास्तविक और आभासी ठोस क्या होते है ?
उत्तर : क्रिस्टलीय ठोसों को वास्तविक ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोसों को आभासी ठोस कहते है।
प्रश्न 1 : ठोस कठोर क्यों होते है ?
उत्तर : ठोसों में अवयवी कण प्रबल अंतराणुविक बलों द्वारा अधिक निकट आ जाते है एवं एक दुसरे के साथ अनुलग्नित हो जाते है। इस प्रकार एक संकुलित सघन संरचना बनती है। इसलिए असंपीड्य एवं कठोर हो जाते है।
प्रश्न 3 : निम्नलिखित को अक्रिस्टलीय एवं क्रिस्टलीय ठोसों में वर्गीकृत कीजिये।
पोली यूरेथेन , नेफ्थैलिन , बेन्जोइक अम्ल , टेफ्लोन , पोटेशियम नाइट्रेट , सेलोफेन पोली विनाइल क्लोराइड , रेशाकाँच , तांबा।
उत्तर : अक्रिस्टलीय ठोस – पोलीयूरेथेन , टेफ़लोन , सेलोफेन , पोली विनाइल क्लोराइड रेशा काँच।
क्रिस्टलीय ठोस – नेफ्थैलीन , बेंजोइक अम्ल , पोटेशियम नाइट्रेट , तांबा।
प्रश्न 4 : काँच को अतिशीतित द्रव क्यों माना जाता है ?
उत्तर : द्रवों के सदृश कांच में अवयवी कणों की अनियमित व्यवस्था होती है। द्रवों के समान ही इसमें बहने (प्रवाह) की प्रकृति होती है। इसका प्रमाण पुरानी इमारतों की खिडकियों में लगे काँच है , जिनके नीचे के भाग की मोटाई कुछ अधिक पायी जाती है।
प्रश्न 5 : एक ठोस के अपवर्तनांक का सभी दिशाओं में मान समान प्रेक्षित होता है। इस ठोस की प्रकृति पर टिप्पणी कीजिये। क्या यह विदलन गुण प्रदर्शित करेगा ?
उत्तर : यह ठोस समदैशिकता गुण दर्शाता है , अत: यह अक्रिस्टलीय ठोस है। यह ठोस विदलन गुण नहीं दर्शाता है। अर्थात तेज धार वाले औजार से काटने पर यह अनियमित सतहों वाले टुकड़ों में कटेगा।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: अक्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है –
(अ) ग्रेफाइट
(ब) एकनताक्ष गंधक
(स) टिन
(द) काँच
उत्तर : (द) काँच
प्रश्न 2 : निम्नलिखित में से कौनसा गुण क्रिस्टलीय ठोस का गुण नहीं है ?
(अ) तीक्ष्ण गलनांक
(ब) समदैशिकता
(स) निश्चित ज्यामिति
(द) प्रबल अन्तराणविक बल
उत्तर : (ब) समदैशिकता
प्रश्न 3 : विषमदैशिकता प्रकृति कौन दर्शाता है ?
(अ) आभासी ठोस
(ब) क्रिस्टलीय ठोस
(स) अक्रिस्टलीय ठोस
(द) अतिशीतित द्रव
उत्तर : (ब) क्रिस्टलीय ठोस
प्रश्न 4 : कौनसा पदार्थ क्रिस्टलीय ठोस नहीं है ?
(अ) नमक
(ब) रबड़
(स) चीनी
(द) विषम लम्बाक्ष गंधक
उत्तर : (ब) रबड़
प्रश्न 5 : क्रिस्टलीय ठोसों का गुणधर्म नहीं है –
(अ) विषम दैशिकता
(ब) तीक्ष्ण गलनांक
(स) सतत शीतलन वक्र
(द) निश्चित गलन ऊष्मा
उत्तर : (स) सतत शीतलन वक्र