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विद्युत का सबसे अच्छा चालक कौन सा है | विधुत सुचालक बताइए which is best conductor of electricity gold or silver

which is best conductor of electricity gold or silver in hindi विद्युत का सबसे अच्छा चालक कौन सा है | विधुत सुचालक बताइए धातु ?

उत्तर : चाँदी (सिल्वर) को विद्युत का सबसे अच्छा चालक माना जाता है | चाँदी के बाद तांबा अच्छा सुचालक है और ताम्बे के बाद सोना और इसके बाद प्लेटिनम को विधुत का चालक माना जा सकता है |

ठोसों के विद्युतीय गुण (electrical properties of solids) : विद्युत चालकता के आधार पर ठोसों को तीन भागों में बाँटा गया है –

(1) चालक (conductors) : इन ठोसों में विद्युत की चालकता बहुत अधिक होती है। चालकता की परास 104 से 107 ohm-1 m-1 के मध्य होती है। धातु चालक में चालकता की कोटि 107 ohm-1 m-1 होती है अर्थात ये उत्तम चालक होते है।
धातुओं की चालकता ताप बढाने से घटती है। उदाहरण के लिए Cu , Ag , Au , Al आदि।
कुछ आयनिक ठोस यद्यपि ठोस अवस्था में विद्युत का चालन नहीं करते लेकिन गलित अवस्था (पिघली अवस्था) में विद्युत का चालन करते है। इन्हें विद्युत अपघटनी चालक कहा जाता है।
कुछ आयनिक ठोसों में उत्पन्न दोषों के कारण विद्युत चालकता पायी जाती है। इनकी चालकता ताप बढ़ने पर बढती है। उदाहरण के लिए NaCl , KCl आदि।
(2) विद्युतरोधी या कुचालक (non conductor or insulator) : इन ठोसों में विद्युत धारा का प्रवाह बहुत कम अथवा नहीं होता है। इसमें चालकता की परास 10-20 ohm-1 m-1 से 10-10 ohm-1 m-1 होती है।
उदाहरण के लिए गंधक , फास्फोरस , लकड़ी , प्लास्टिक , रबड़ आदि।
(3) अर्द्ध चालक (semiconductors) : इन ठोसों की चालकता चालकों तथा कुचालकों की मध्यवर्ती होती है। इनकी चालकता की परास 10-6 से 104 ohm-1 m-1 के मध्य होती है। O K (शून्य केल्विन) पर इनकी चालकता शून्य होती है लेकिन ताप बढाने पर बढती है।

धातुओं में विद्युत चालन (electricity in transition metals)

धातुओं में विद्युत का चालन इलेक्ट्रॉनों के गमन के कारण होता है। धातु ठोस तथा गलित दोनों अवस्थाओं में विधुत का चालन करती है।
धातुओं में चालकता को बैण्ड सिद्धान्त (बैंड थ्योरी) द्वारा समझाया जा सकता है।
धातु परमाणुओं में उपस्थित संयोजकता कोष के परमाणुविक कक्षक आपस में मिलकर आण्विक कक्षक बनाते है , जिनकी ऊर्जा में अंतर बहुत कम होता है अत: वे एक बैण्ड का निर्माण करते है जिसे संयोजकता बैंड कहते है। यदि संयोजकता बैण्ड पूरा भरा हुआ नहीं है या एक उच्च ऊर्जा वाले रिक्त बैण्ड के साथ अति व्यापन करता है तो विद्युत क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन सरलता से इस बैण्ड में प्रवाहित हो सकते है। यह बैण्ड चालकता बैण्ड कहलाता है। चित्र में धातु , चालक , अचालक तथा अर्द्ध चालक के बैंडों को दर्शाया गया है।
अचालकों में चालकता बैण्ड तथा पूरित बैण्ड की उर्जाओं में अंतर अधिक होने के कारण इलेक्ट्रॉन उसमें नहीं जा सकते। अत: विद्युत का चालन नहीं हो पाता।