स्मॉग क्या है ? what is smog in hindi , स्मोग किसे कहते है , परिभाषा , कारण , निवारण के उपाय
(what is smog in hindi) स्मॉग क्या है ? स्मोग किसे कहते है , परिभाषा , कारण , निवारण के उपाय , रोकथाम , बनता क्यों है ?
स्मॉग (smog) : स्मोग का शाब्दिक अर्थ देखे तो यह ह्यूमस , धुएँ तथा कोहरे का विभिन्न अनुपातों में मिश्रण है। शहर जहाँ औद्योगिकीकरण चरम सीमा पर है , वहां सर्दियों में कोहरे का धुंए में मिल जाना आम है। लेकिन स्मोग तब बनता है है जब यह अनुपात इस तरह घटे अथवा बढे कि वह असामान्य हो जाए।
चौथे दशक में लॉस एंजिलिस में लोगो ने स्मॉग की वजह से वायु प्रदूषण अनुभव किया। जड़ से लेकर जीवितों तक सब पर इसके प्रदूषण प्रभाव दिखे। लोगों की आँखों में जलन , दृष्टि में एकदम कमी आने लगी। सामान्य पदार्थ जैसे रबर की बनी वस्तुएँ भी चटखने लगी। रबर की वस्तुओं का चटखना वैसे भी सामान्य नहीं है। लन्दन में जब गंधकयुक्त कोयला ईंधन के रूप में प्रयुक्त होता था , वहां पर स्मोग बहुत बनता था। बाद में किये गए अनुसंधानों से इसका पता चला। अब पता चला है कि वे शहर जहाँ वाहनों का प्रतिशत बहुत अधिक है , वहां स्मोग लॉस एंजिलिस में बने स्मोग से भिन्न है। रासायनिक दृष्टि से पहले वाले स्मोग ‘अवकारक’ थे , जबकि लॉस एंजिलिस का स्मोग ऑक्सीकारक। इस ऑक्सीकारक स्मोग में वातावरण की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए इसे और विशेष नाम दिया गया – फोटो केमिकल स्मोग।
फोटो केमिकल स्मोग का प्रदूषण अक्सर उन क्षेत्रों में देखा गया है जहाँ चारों तरफ पहाड़ियाँ हो तथा बीच में घाटियाँ हो। अभी तो यह सभी देशों की समस्या है। सौभाग्य से हमारे यहाँ औद्योगिकीकरण की यह चरम स्थिति अभी नहीं आई है कि यह हमारे यहाँ अधिक हो। महानगरों के साथ साथ तथा विकसित हो रहे नगरों में भी औद्योगिकीकरण के साथ स्मोग का बनना बढ़ता है। फिर इन दिनों बाजार में नयी मोटर बाइक गाड़ियों के आ जाने से वाहनों का प्रतिशत बहुत अधिक बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में यह नहीं कहा जा सकता है कि कब ये स्मोग हमारे लिए समस्या बन जाए।
रासायनिक संरचना
ऐसा वातावरण जहाँ हवा में ओजोन , हाइड्रोजन तथा दुसरे कार्बनिक परोक्साइड्रस हो , वहां फोटो केमिकल स्मोग का होना देखा गया है। जब वातावरण में पाए जाने वाले नाइट्रोजन सूर्य के प्रकाश में हाइड्रोकार्बन (ये मोटर साइकिलों तथा गाडियों के धुएँ में होते है।) से क्रिया करते है , तब यह विशेष स्मोग पैदा होते है। परोक्सी बेजॉयल नाइट्रेट , जो कि प्रदेषित वातावरण में आमतौर पर होते है , ही आँखों में जलन एवं आँसू लाते है।
किसी भी कारण से जब वातावरण में ओजोन बनने लगे तो फोटो केमिकल स्मोग की सम्भावना बढ़ने लगती है। जब एक घंटे में 0.15 पीपीएम (एक लाख पर एक भाग से अधिक) ओजोन या कोई अन्य ऑक्सीकारक बनता है , तो यह माना जाना चाहिए कि अब इस वातावरण में फोटो केमिकल स्मोग होने की सम्भावना लगभग निश्चित है।
निर्माण
नाइट्रोजन के ऑक्साइड सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में स्मोग के बनने में ख़ास योगदान देते है। गाडियों में धुंए में पाए जाने वाले हाइड्रोकार्बनों की जब वातावरण की ओजोन से क्रिया होती है , तब भी स्मोग बनता है।
वातावरण में सामान्यतया प्रदूषित होकर दोनों की तरह की हाइड्रोजन सल्फाइड तथा सल्फर डाइऑक्साइड गैसें आ जाती है। अगर ये वातावरण की सहन करने की सीमा को पार करती है , तो उनके परिणाम बहुत गंभीर होते है। अम्ल वर्षा , विभिन्न वस्तुओं का क्षरण , दृष्टि में अचानक कमी तथा स्वास्थ्य के लिए दुसरे कई गंभीर खतरे , इन्ही गैसों की देन है। ऐसा वातावरण जो पहले से प्रदूषित हो तथा यदि संयोग से वहां स्मोग भी हो , तो सल्फर डाइऑक्साइड एवं हाइड्रोजन सल्फाइड के असर बहुत तीव्र होते है। बहुत अधिक असर होने पर आसपास के पेड़ पौधों पर भी इनका असर होने लगता है।
यह देखना भी प्रासंगिक है कि स्मोग वातावरण में पाए जाने वाले विभिन्न रसायन जीवन को किस हद तक प्रभावित करते है। यह पहले ही बताया जा चूका है कि परोक्सी एसिटिल नाइट्रेट के कारण ही आँखों में जलन एवं दूसरी परेशानियाँ होने लगती है। दूसरी गैस ओजोन है जो वातावरण में होती है। यह मानव जीवन और वनस्पतियों को प्रभावित करती है। ओजोन का प्रभाव दोहरा असर करता है। यह हमारे जीवन को तो प्रभावित करता ही है , साथ साथ पेड़ पौधों पर अपना बुरा असर डालकर पर्यावरण को विश्व के लिए और खतरनाक बना देता है। नीचे दी गई तालिका से स्पष्ट है कि ओजोन हमारे लिए कितनी खतरनाक है।
ओजोन का मानव जीवन पर प्रभाव और वायुमंडल में ओजोन का अनुपात (एक लाख भागों में से एक के अनुपात में)
अनुपात | दुष्प्रभाव |
0.2 | कोई बुरा प्रभाव नहीं |
0.3 | नाक तथा गले में जलन |
1.0-3.0 | बहुत तेज थकान |
9.0 | फेंफड़ो में सुजन |
तम्बाकू की खेती में यदि ओजोन की हानिकारक मात्रा साढ़े पांच घंटे भी आ जाए तो फसल आधी रह जाती है। मूली एवं दूसरी जड़ों वाली सब्जियों की फसल को भी ओजोन से बहुत खतरे है।
रोकथाम
ओजोन तथा पी.ए.एन. तो स्मोग होने के बाद दुष्परिणामों में अपना योगदान देते है। मुख्य रूप से हाइड्रोकार्बन एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड की स्मोग रोकने के लिए कोई उपाय सोचने के लिए इन दोनों को रोकना जरुरी है। हाइड्रोकार्बनों का बढ़ना रोकने के लिए सामान्यतया चार तकनीकें प्रयुक्त होती है। इनसाइडेशन , अधिशोषण , अवशोषण एवं संघनन नामों से जानी जाने वाली ये तकनीकें अपने अपने ढंग से हाइड्रोकार्बन को रोकती है।
प्रदूषण नियंत्रण के क़ानूनी उपायों के अलावा वैज्ञानिक उपायों की खोज पर भी पर्याप्त बल दिया जाना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार पेड़ पौधे वायु प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदुषण के नियंत्रण में चमत्कारी परिणाम देते है। इसके मद्देनजर सड़कों के किनारे हरित पट्टियाँ बनाई जानी चाहिए। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की दुरुस्ती , उचित नगर नियोजन तथा लोगो की आवाजाही सिमित करने के दूरगामी उपाय भी किये जाने की आवश्यकता है।
भारतीय मानक संस्थान द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार “स्पार्क इग्निशन” इंजिन वाले वाहनों द्वारा छोड़े जाने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड का घनत्व अधिक नहीं होना चाहिए। लेकिन केन्द्रीय जल प्रदूषण निवारण और नियंत्रण बोर्ड द्वारा किये गए परिक्षण के अनुसार दिल्ली में सिर्फ 38% तिपहिया एवं 24% चौपहिया वाहन ही इन मानकों को पूरा करते है। मोटर वाहनों द्वारा मुख्यतः कार्बन मोनोऑक्साइड एवं सल्फर डाइऑक्साइड और सीसा सम्मिश्रित तत्व छोड़े जाते है। अनुमान है कि इस समय महानगरों में पेट्रोल से चलने वाले वाहन वायुमंडल में 80% नाइट्रोजन ऑक्साइड छोड़ते है। इनमे कार्बन मोनोऑक्साइड विशेष रूप से अधिक घातक है। यह गैस रंग एवं गंध रहित होती है तथा यह वायु में तेजी से मिलकर व्यक्ति को प्रभावित करती है। अमेरिका में किये गए अध्ययनों में पाया गया है कि व्यस्त यातायात मार्गों पर कार्बन मोनोऑक्साइड 50 से 100 पीपीएम होता है , जिसके फलस्वरूप व्यक्ति के शरीर में दिन में सिगरेट की एक डिब्बी के असर जितने विषाक्त तत्व प्रवेश कर जाते है।
जनवरी-फ़रवरी , 1997 से दिल्ली में कनाडा की वैज्ञानिक समूह के सलाह और सहयोग से CNG का उपयोग शुरू किया जा रहा है। यह गैस प्रोपेन होती है एवं पेट्रोल के मुकाबले यह 80% प्रदूषित रहित और 40% सस्ती है। इसलिए इसे पर्यावरणीय गैस या ग्रीन गैस का नाम भी दिया गया है।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics