VIBRATIONS OF A CIRCULAR MEMBRANE in hindi वृत्तीय झिल्ली में कम्पन सूत्र क्या है परिभाषा
वृत्तीय झिल्ली में कम्पन सूत्र क्या है परिभाषा VIBRATIONS OF A CIRCULAR MEMBRANE in hindi ?
वृतीय झिल्ली में कम्पन (VIBRATIONS OF A CIRCULAR MEMBRANE) बेलनाकार निर्देशांकों में परिसीमा मान समस्या के दूसरे उदाहरण के रूप में, एक तनी हुई a त्रिज्या की वृताकार झिल्ली जो X-Y तल या z = 0 में स्थित है जैसा कि चित्र ( 8.11 – 1 ) में दर्शाया गया है, के ऊर्ध्वाधर कम्पनों का अध्ययन करते हैं।
सुविधा के लिए निम्न अभिधारणा मानते हैं। (i) झिल्ली आदर्श लचीली (flexible ) है एवं इसमें दुर्नम्यता (stiffness) नहीं है। (ii) झिल्ली में तनाव ( tension) प्रति लम्बाई T तथा घनत्व एकसमान है।
(iii) स्थिरावस्था में झिल्ली समतल है परंतु विक्षेपित होने पर तल के लम्बवत दिशा में कम्पन कर सकती है।
झिल्ली में उत्पन्न द्विविमीय कम्पनों की गति को निम्न द्विविमीय तरंग समीकरण द्वारा समझाया जा सकता है-
यहाँ m झिल्ली का द्रव्यमान प्रति एकांक क्षेत्रफल तथा v कम्पनों का वेग है। चूंकि झिल्ली वृताकार है इसलिये लॉप्लासियन संकारक 2 को बेलनाकार निर्देशांकों (p, (0) में व्यक्त करते हैं-
यदि मूल बिंदु (झिल्ली का केंद्र) के चारों ओर झिल्ली के कम्पन सममित हों तो उस स्थिति में कम्पन p पर निर्भर नहीं करता है तथा कम्पनों का विस्थापन केवल p वt पर निर्भर करेगा। अतः
में केवल प्रथम पद का ही योगदान होता है इसलिये
चूंकि p व t स्वतंत्र चर राशियाँ है । अत: समीकरण ( 3 ) का हल एकल चर फलनों R(p) व T(t) के गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। अतः
इस समीकरण को समीकरण ( 3 ) में रखकर R(p) T(t) से भाग देने पर,
चूंकि इस समीकरण के दोनो तरफ स्वतंत्र चर pandt के स्वतंत्र फलन है। अतः वे दोनो के मान किसी एक नियतांक के बराबर होने चाहिए। माना यह नियतांक ( – 02 /v2) के बराबर है। अतः
यह एक साधारण अवकल समीकरण है अतः इसका हल निम्न होगा।
यहं समीकरण शून्य कोटि का बेसल समीकरण है तथा इसका हल होगा-
प्रथम तथा द्वितीय प्रकार के शून्य कोटि के बेसल फलन है। हम जानते है कि No(kp) का मान अंनत की ओर अग्रसर होता है जब p शून्य के निकट आता है परंतु p = 0 पर झिल्ली का विस्थापन परिमित होता है। अतः यह प्रतिबंध वैध रहे इसके लिये यह आवश्यक है कि गुणांक D शून्य के बराबर हो । अतः
समीकरण (5) and (6) को समीकरण (4) में रखने पर,
या A1 = AC तथा B1 = BC अन्य नियतांक है जिनके मान झिल्ली के परिसीमा प्रतिबंधों से ज्ञात कर सकते हैं।
(i) सम्भावित कम्पन आवृतियाँ चूंकि झिल्ली के किनारों अर्थात p = a पर कम्पन का विस्थापन शून्य होता है इसलिये इस परिसीमा प्रतिबंध को समीकरण (7) पर आरोपित करने पर,
शून्य कोटि का बेसल फलन एक आवृतिक फलन है इसलिये समीकरण (8) के कई हल होते है अर्थात आवृतियों के एक से अधिक मान होते है जिनके लिये समीकरण ( 8 ) वैध रहता है। उनमें से कुछ मान क्रमवार दिये गये हैं-
चूंकि झिल्ली विभिन्न आवृतियों n (n = 1, 2, 3.. ) से कम्पन कर सकती है अत: समीकरण (1) का व्यापक हल होगा ।
(ii) सम्भावित कम्पन आयाम n झिल्ली के सम्भावित कम्पन आयाम ज्ञात करने के लिये, माना प्रारम्भ t = 0 पर झिल्ली का प्रारम्भिक विस्थापन (p, t) = Wo (p) है। इस प्रतिबंध को समीकरण (9) में रखने पर,
इस समीकरण के दोनों तरफ से गुणा करके तथा 0 व a के बीच p के सापेक्ष समाकलन करने पर,
बेसल फलन के लाम्बिकता गुण का उपयोग करने पर,
इसी प्रकार माना प्रारम्भ में t = 0 पर झिल्ली के विस्थापन का प्रारम्भिक वेग
इस प्रतिबंध को समीकरण (9) में रखने पर,
पहले स्थिति में उपयोग में लाये गये प्रक्रिया का अनुसरण करने पर गुणांक An को भी ज्ञात कर सकते हैं।
गुणांक An तथा Bn को समीकरण (9) रखने पर वृताकार झिल्ली के कम्पनों के विस्थापन का मान प्राप्त हो जाता है।
गोलीय निर्देशांकों में तरंग समीकरण (WAVE EQUATION IN SPHERICAL COORDINATES) निम्न त्रिविमीय तरंग समीकरण पर विचार करते हैं-
जहाँ v तरंग का वेग है तथा विस्थापन आकाशीय निर्देशांक तथा समय निर्देशांक t पर निर्भर करता है। माना तरंग समीकरण का हल है-
……………..(2)
इस समीकरण को समीकरण (1) में रख कर से भाग देने पर,
इस समीकरण के दोनो तरफ के पद स्वतंत्र चरों पर निर्भर करते है अतः वे किसी एक नियतांक के बराबर होंगे। माना यह नियतांक – k 2 है अत:
समीकरण (4) एक साधारण अवकल समीकरण है। अतः इसका निम्न हल होगा-
समीकरण (3) को गोलीय निर्देशांकों में लिखने पर,
चर पृथक्कीरण तकनीक द्वारा इसका हल ज्ञात करने के लिये अज्ञात फलन को
एकल चर फलन के गुणनफल के द्वारा व्यक्त कर सकते हैं-
समीकरण (7) को समीकरण (6) में रखकर भाग देने पर,
इस समीकरण का तीसरा पद केवल चर ) का फलन है इसलिये यह किसी नियतांक के बराबर होना चाहिये। सुविधा के लिये माना यह नियतांक -m2 के बराबर है। अतः
यह समीकरण सरल आर्वत दोलक का अवकल समीकरण है इसलिये इसका हल होगा-
अब समीकरण (8) के तीसरे पद को – m2 से प्रतिस्थापन करने पर
इस समीकरण के दोनो तरफ के पद स्वतंत्र चरों पर निर्भर करते हैं। अतः दोनो पद किसी नियतांक के बराबर होने चाहिये। माना यह नियतांक n(n+1 ) है –
समीकरण (12) को सरल करके पुनः लिखने पर,
यह समीकरण गोलीय निर्देशांक में सह-लेजेंडे अवकल समीकरण है । अत: इसका हल होगा-
…………………………(15)
समीकरण ( 13 ) को सरल करने पर,
यदि इस समीकरण में u = kr तथा R = P रखें तो
यदि इसमें P=Q√u रखें तो
यह समीकरण कोटि [n+(1/2)] के बेसल अवकल समीकरण का समीकरण है। अत: इसका हल होगा-
इसमें u, P, Q के मान रखने पर,
समीकरण (10), (15) तथा ( 17 ) का समीकरण ( 7 ) में रखने पर,
अब समीकरण (5) व (18) को समीकरण ( 2 ) में रखने पर तरंग समीकरण का हल होगा-
यहाँ तरंग समीकरण के हल को प्रसमान्यीकरण करने के लिये गुणांक Amno को लिखा है। चूंकि तरंग समीकरण का यह हल m, n. व @ के सभी मानों के लिये वैध है इसलिये गोलीय निर्देशांकों में तरंग समीकरण का व्यापक हल होगा-
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