(vaporization या vaporisation in hindi) वाष्पन क्या है , वाष्पीकरण की परिभाषा , उदाहरण , किसे कहते है : जब किसी द्रव को गर्म किया जाता है अर्थात ताप दिया जाता है तो यह तत्व या यौगिक अपनी द्रव अवस्था से वाष्प अवस्था में बदल जाता है , द्रव का वाष्प अवस्था परिवर्तन को वाष्पन कहते है। वाष्पीकरण के कारण द्रव का ताप कम होता है तथा जब किसी द्रव को दिया जाने वाला ताप का मान बढाया जाता है तो वाष्पीकरण का मान भी बढ़ता जाता है।
वाष्पन या वाष्पीकरण का कारण
जब किसी द्रव को ऊष्मा या ताप दिया जाता है तो द्रव को ताप मिलने के कारण इसके कणों में उपस्थित गतिज ऊर्जा का मान बढ़ता है , और जब ताप को बढाया जाता है तो कणों या अणुओं की गतिज ऊर्जा का मान बढ़ता जाता है और गतिज ऊर्जा का मान बहुत अधिक बढ़ जाने पर द्रव के कण वाष्प की अवस्था में द्रव को छोड़कर वातावरण में गति करने लग जाते है , द्रव का वाष्प बनकर वातावरण में गति करना ही वाष्पन कहलाता है।
वाष्पन या वाष्पीकरण का कारण को प्रभावित करने वाले कारक
किसी पदार्थ या द्रव का क्वथनांक का मान जितना कम होता है उस पदार्थ का वाष्पन का मान उतना ही अधिक होता है।
इसी प्रकार वाष्पन का मान ताप पर भी निर्भर करता है , किसी द्रव का ताप जितना अधिक बढाया जाता है उस द्रव का वाष्पन भी उतना ही अधिक बढ़ता जाता है।
वाष्पन का मान क्षेत्रफल पर भी निर्भर करता है , जिस पात्र में द्रव को ताप दिया जा रहा है , उस पात्र का खुला भाग का क्षेत्रफल का मान जितना अधिक होता है वाष्पन का मान भी उतना ही अधिक होता है।
द्रव के पृष्ठ पर वायु का दाब जितना कम होता है , वाष्पन का मान उतना ही अधिक होता है , इसी प्रकार जब द्रव के ऊपर की वायु लगातार बदल रही हो तो भी वाष्पन की क्रिया तेजी से होती है , यही कारण होता है कि यदि खुले में वाष्पन अधिक तेजी से हो सकता है क्योंकि यहाँ वायु लगातार बह रही है जिससे पात्र के ऊपर वायु बदलती रहती है लेकिन बंद कमरे में वाष्पन की क्रिया धीरे धीरे संपन्न हो सकती है।
जब द्रव के पृष्ठ पर दाब का मान बढाया जाता है वाष्पन की दर घटती जाती है।
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