usanovich concept in hindi of acid and base यूसेनोविच धारणा क्या है अम्ल-क्षार सिद्धांत
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लुइस सिद्धान्त (Lewis theory)
उपर्युक्त सिद्धान्तों में हमने देखा है कि अम्ल तथा क्षारकों को किसी विशेष आयन (H+, O2-आदि) कम लेने या देने की क्षमता के आधार पर परिभाषित किया गया है। उपर्युक्त अम्ल या क्षारकों के इलेक्ट्रॉनिक – विन्यासों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि सामान्य अम्ल इलेक्ट्रॉन न्यून हैं जबकि क्षारकों में त्यो इलेक्ट्रॉनों का आधिक्य होता है। अम्ल तथा क्षारक आचरण का सम्बन्ध इलेक्ट्रॉन के स्थानान्तरण से बताते हुए जी. एन. लुइस (GN. Lewis) ने 1923 में सुझाव दिया कि इलेक्ट्रॉन ग्राही पदार्थ अम्ल हैं तथा इलेक्ट्रॉन दाता पदार्थ क्षारक हैं। इस प्रकार, इलेक्ट्रॉन दाता तथा इलेक्ट्रॉन ग्राही के मध्य उपसहसंयोजक आबंध (coordinate bond) का निर्माण उदासीनीकरण अभिक्रिया है।
उपर्युक्त सिद्धान्तों के आधार पर अम्ल तथा क्षारकों की श्रेणी में विभिन्न पदार्थ शामिल किये गये है। लुइस सिद्धान्त की विशेषता यह है कि उपर्युक्त सभी पदार्थ इस एक परिभाषा के अन्तर्गत आ जाते हैं। इनके अतिरिक्त योगात्मक यौगिक बनाने वाले पदार्थ भी अम्ल या क्षारक होंगे। सारणी 9.5 में लुइस सिद्धान्त को प्रदर्शित करने के लिए कुछ उदाहरण दिये गये हैं :
सारणी 6.5 से स्पष्ट है कि विभिन्न सिद्धान्तों के अन्तर्गत सम्मिलित प्रत्येक अम्ल तथा क्षारक लुइस सिद्धान्त द्वारा आसानी से परिभाषित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यह भी सुस्पष्ट है कि अम्ल-क्षारक आचरण यहां किसी एक तत्व पर, किन्हीं विशेष तत्वों के संयोग पर, किसी आयन की उपस्थिति पर या किसी विलायक की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर निर्भर नहीं है। यह लुइस सिद्धान्त के पक्ष में एक महत्वपूर्ण बिन्दु है ।
लुइस अम्लों को सामान्यतः निम्न तीन भागों में विभाजित किया जाता है :
(i) धनायन- सभी धनायन लुइस अम्ल हैं क्योंकि इलेक्ट्रॉन न्यून होने के कारण ये इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं :
Ag++ 2CN- [Ag(CN)2]–
Fe2+ + -6H2O : [Fe(H2O)6]2+
(ii) इलेक्ट्रॉन न्यून या रिक्त d कक्षक युक्त यौगिक – इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक तथा ऐसे यौगिक जिनमें केन्द्रीय परमाणु आवश्यकतानुसार अपने संयोजकता कोश का विस्तार कर सकते हों, इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं। SnCl4, BF 3, SbF3 इत्यादि इस प्रकार के उदाहरण हैं।
AIF3 + 3F- → [AIF6]3-
BF3 + F – [BF4]–
SbF3 + 2F – [SbF5]2-
SnCI4 + 2CI – [Sn CI6]2-
(iii) बहुबंध युक्त यौगिक- सल्फर ट्राइऑक्साइड तथा कार्बनडाइऑक्साइड जैसे यौगिकों में केन्द्रीय परमाणु एक या अधिक बहुबंध बनाये हुए होते हैं। केन्द्रीय परमाणु कम विद्युतऋणीय होने से उन पर आंशिक धन आवेश होता है जिससे यह लुइस अम्ल की भांति कार्य करता है जैसा कि नीचे दर्शाया गया है :
(iv)8 से कम इलेक्ट्रॉन युक्त परमाणु वाले यौगिक : जिन परमाणुओं के 8 से कम इलेक्ट्रॉन होते हैं वे इलेक्ट्रॉन न्यून होते हैं उदाहरण के लिए O तथा S परमाणुओं में 6 संयोजकता इलेक्ट्रॉन होते हैं। अतः ये एक इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण कर अपना अष्टक पूर्ण कर लेते हैं। उदाहरण के लिए पिरिडीन के ऑक्सीकरण से पिरिडीन ऑक्साइड बनता है जिसमें पिरिडीन का N परमाणु अपना इलेक्ट्रॉन युग्म O के साथ सहभाजित कर उपसहसंयोजन बंध बना देता है। लुइस परिभाषा के अनुसार पिरिडीन एक क्षारक का कार्य करता है। अभिक्रिया निम्न प्रकार लिखी जा सकती है-
उपर्युक्त उदाहरणों में Oव S परमाणु लुइस अम्ल हैं जो पिरिडीन तथा SOŽ– आयनों से अभिक्रिया कर योगात्मक यौगिक बनाते हैं।
लुइस क्षारक भी निम्न तीन श्रेणियों में विभाजित किये जा सकते हैं :
(i) ऋणायन- ऋणायनों पर इलेक्ट्रॉन अधिक संख्या में होने के कारण ये इलेक्ट्रॉन दाता का कार्य करते हैं।
BF3 + F:- [BF3←F]–
(ii) एकल इलेक्ट्रॉन युग्म युक्त अणु – NH3, H2O, ROH, O (C2 H5)2 इत्यादि यौगिकों के केन्द्रीय विद्युतऋणीय परमाणु पर एक या अधिक इलेक्ट्रॉन युग्म विद्यमान रहते हैं जिसके कारण ऐसे अणु क्षारक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
(iii) असंतृप्त कार्बनिक यौगिक- ऐल्कीन तथा ऐल्काइन अपने – इलेक्ट्रॉन युग्म का उपयोग कर धातु आयनों के साथ उपसहसंयोजक बंध बना सकते हैं। इस प्रकार के उदाहरण नीचे दिये गये है:
अम्ल-क्षारक की उपर्युक्त व्याख्या के बहुत से स्पष्ट लाभ होने के बावजूद इस सिद्धान्त की कुछ कमियां भी हैं। सबसे बड़ी कमी तो यह है कि यह परिभाषा इतनी विस्तृत है कि बहुत असम्बन्धित अभिक्रियाएँ भी उदासीनीकरण अभिक्रिया की श्रेणी में आ जाती है। इसका अनुमान इसी बात से लगाया. जा सकता है कि उपसहसंयोजक आबंध का निर्माण मात्र ही अम्ल-क्षार अभिक्रिया है। इसके अतिरिक्त, अम्ल तथा क्षारकों की प्रबलता जानने के लिए लुइस सिद्धान्त की भांति कोई मापक्रम भी प्राप्त नहीं होता है।
यूसानोविच धारणा (Osanovich concept)
बहुत से अम्ल-क्षार सिद्धान्तों के बारे में पीछे बताया गया है। तथापि, इनमें से कोई सा भी पूर्णत: सफल नहीं है। मिखाइल यूसानोविच ने 1938 में एक सिद्धान्त प्रस्तुत किया जो लुइस सिद्धान्त समेत सभी सिद्धान्तों से बहुत अधिक व्यापक है। यूसानोविच के अम्लों को अगल ही प्रकार से परिभाषित हुए सुझाव दिया कि अम्ल वे रासायनिक प्रजाति हैं जो किसी भी ऋणीय प्रजाति को ग्रहण करता है या धनीय प्रजाति को दे देता है तथा एक क्षारक अम्लों से विपरीत आचरण वाली प्रजाति होती है जो किसी भी धनीय प्रजाति को ग्रहण करते हैं या ऋणीय प्रजाति का त्याग कर देते हैं। दूसरे शब्दों में, एक अम्ल एक धनायन, ऋणायनों से संयुक्त होनेवाला धनायन दाता या इलेक्ट्रॉन ग्राही हैं जो एक क्षारक को उदासीन करके एक लवण बनाता है। इसके विपरीत, एक क्षारक वह रासायनिक प्रजाति है जो स्वयं एक ऋणायन हो, ऋणायन या इलेक्ट्रॉन दे सके जो धनायन से संयुक्त हो सके या अम्लों का उदासीनीकरण करते हुए लवण बना सके। विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस परिभाशा में इलेक्ट्रॉन ग्राही व दाता को अम्ल व क्षारक की श्रेणी में रखा गया है जो लूइस की परिभाषानुसार ही है। इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन के आदान-प्रदान रिडॉक्स अभिक्रिया में पाया जाता है जो यूसानोविच की धारणा से अम्ल-क्षारक अभिक्रिया होगी।
यूसोनोविच अम्ल-क्षारक अभिक्रिया के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं-
क्षारक अम्ल
Na2O + SO3 2Na+ + SO42- (O2 ऋणायन का स्थानान्तरण)
3(NH4)2S + Sb2S5 = 6NH4+ + 2SbS43- (S2- )ऋणायन का स्थानान्तरण)
2Na + Cl2 = 2Na + 2CI- (इलेक्ट्रॉन का स्थानान्तरण)
NH3 + HCI → NH4CI (H+ धनायन का स्थानान्तरण)
4CN- + Fe(CN)2→ [Fe(CN)6 ]4- (CN ऋणायन का स्थानान्तरण)
उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि यूसानोविच सिद्धान्त में पूर्ववर्ती समस्त अम्ल-क्षारक सिद्धान्तों के साथ-साथ ऑक्सीकरण अपचयन अभिक्रियाओं का समावेश होता है।
प्रश्नावली (Exercises)
(A) अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions )
- एक धनायन का नाम बताइये जो जलीय विलयन में अम्लीय हो ।
Write name of a cation which is acidic in aqueous solution.
- एक पदार्थ का नाम बताइये जो अम्ल व क्षार दोनों की भांति व्यवहार करता हो ।
Write name of a compound which acts as an acid as well as a base.
- एक अभिक्रिया लिखिए जिसमें जल-क्षार की भाँति व्यवहार करता हो ।
Write a reaction in which water acts as an acid.
- लुइस की अम्ल-क्षार संकल्पना क्या है ?
What is lewis acid-base concept?
- निम्न में लुइस अम्लों व लुइस क्षारों को पहचानिये-
Identify Lewis acids and Lewis bases in the followings-
BF3, NH3, Ag+, F, NH4+, AICI3, CO3 2-, SnCl4, ZnCl2, BeCl2
- यूसेनोविच संकल्पना की परिभाषा लिखिए ।
Write the definition of usanovitch concept.
- आर्रेनियस के अम्ल व क्षार का सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए ।
Explain Arrhenius theory of acid-base.
- म्यूरियेटिक अम्ल क्या है ?
What is mauriatic acid.
संकेत- HCI गैस का जलीय विलयन अर्थात् HCI अम्ल म्यूरियेटिक अम्ल कहलाता है।
- निम्नलिखित अम्लों को उनके घटते हुए अम्लीय सामर्थ्य के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
Arrange the following acids in decreasing order of their acidic stength.
CH4. NH3, H2O, HF
(B) लघुत्तरात्मक प्रश्न ( Short Answer Type Questions)
- यूसेनोविच की परिभाषा लिखिए ।
Write definition of Usanovtch concept.
[म. द. स. वि. 2009]
- निम्न को प्रोटॉन बन्धुकता के आधार पर बढ़ते हुए सामर्थ्य के क्रम में व्यवस्थित कीजिए ।
Arrange the followings in increasing oder of proton affinity-
HF, HBr, HI, HCI
- प्रोटॉन बन्धुकता को समझाइये ।
Explain proton affinity.
निम्न में से लूइस अम्ल व लूइस क्षार प्रथक कीजिए ।
Separate Lewis acids and Lewis bases from the followings
BF3, SnCl2, N, R3 N, Co3+, ROH, SF6
- अम्ल व क्षारों के आर्हिनियस सिद्धान्त को समझाइये एवं उनकी सीमाएं बताइये ।
Explain Arrhenius theory of acids and bases and its limitations.
- अम्ल क्षार की ब्रान्सटेड धारणा को समझाइये। इस धारणा की सीमाएँ बतलाइए ।
Explain Bronsted-Lowry concept of acids and bases, Give its limitations.
- OH- आयन एक प्रबल क्षार है जबकि CI- आयन एक दुर्बल क्षार है। समझाइये क्यों ?
Explain why OH— ion is a strong base and C- ion in a weak base.
- अम्ल क्षार की विलायक तन्त्र धारणा क्या है ? संक्षेप में समझाइये।
What is solvent system concept of acids and bases? Explain in brief.
- (i) निम्न में से कौन से लूइस अम्ल हैं-
Which of the followings are Lewis acids
NiCl2, PtCl2, Fe3+, PX3. FeCl3, NH4+
- निम्न में से कौन से लुइस क्षार हैं-
Which of the followings are lewis bases-
पिरिडीन; H2O, NH4Cl. NH2. CI PX5
- HNO3 जल में एक प्रबल अम्ल है परन्तु H2 SO4 विलायक में एक क्षार की भांति व्यवहार करता है। समझाइये।
Explain why HNO3 is a strong acid in water but behaves as a base in H2SO4 solvent system.
- निम्न युग्मों में क्षार व अम्ल पहचानिए :
Identify the acids and bases in the following pairs:
(i) NH3, NH2_, (ii) BF3, NH3 (iii) AlCl3, NH3, (iv) NH3, NH4
- निम्न अम्ल क्षार के क्रमशः संयुग्मी क्षार तथा संयुग्मी अम्लों का सूत्र लिखिए ।
Write the formula of conjugate bases and conjugate acids of the following acids and bases respectively :-
(a) अम्ल (Acids) (i) HCI (ii) C2H5OH
(b) क्षार (bases) HCO3, C6H5N
(C) दीर्घउत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)
- (a) संयुग्मित अम्ल-क्षार युग्म में परस्पर क्या सम्बन्ध है ?
What is relationship between a conjugate acid-base pair?
(b) निम्न में से कौन सी अभिक्रियाएँ सम्पन्न होंगी और कौन सी नहीं ? कारण सहित समझाइये –
Explain with reasons which of the following reactions will occur?
(i) PH3 + NH4+ → PH4 + NH3
(i) N2H+ +H2 O→ N2+H3O+
(ii) H+H2O + H2 + OH–
(iv) H2O(g) + NH3(g) → NH4‘ +OH
(a) लूइस अम्ल क्षार अभिधारणा को परिभाषित कीजिए । अम्ल एवं क्षारों को लूइस का अवधारणा के आधार पर वर्गीकरण कीजिए
Define Lewis concept of acid and base. Give classification of acids and bases on the basis of Lewis concept.
(b) जल, द्रव अमोनिया तथा सल्फ्यूरिक अम्ल को क्रमशः विलायक लेते हुए ऐसीटिक अम्ल के व्यवहार की व्याख्या कीजिए ।
Explain behaviour of acetic acid in water, liquid ammonia and sulphuric acid taken as solvents.
(c) लक्स-फ्लड के अम्ल-क्षार सिद्धान्त को समझाइये |
Explain Lux-Flood theory of acid-base.
- (a) अम्ल क्षार की ब्रान्स्टेड धारणा को समझाइये यह धारणा आर्रेनियस धारणा से किस प्रकार श्रेष्ठ है ? इसकी सीमाएँ लिखिए ।
Explain Bronsted concept of acid and base. How is it superior to Arrhenius concept? write its limitation.
(b) अम्ल सामर्थ्य से क्या समझते है ? सम आयनन व विषम आयनन विलायक क्या होते हैं ?
What do you understand by acid strength? What are levelling and differentiating solvents?
- अम्ल क्षार के लक्स – फ्लड सिद्धान्त की विवेचना कीजिए । अम्लता मापक्रम के आधार पर अम्लीय, क्षारकीय तथा उभय धर्मी ऑक्साइडों के आचरण को समझाइये।
Discuss Lux-Flood theory of acid and base. On the basis of acidity scale explain the behaviour of acidic, basic and amphoteric oxides.
- (a) HNO3, HCl, H2SO4 व HCIO4 अम्लों को उनकी अम्ल सामर्थ्य के बढ़ते क्रम में लिखते हुए समझाइये इनकी आपेक्षिक सामर्थ्य के मान किस प्रकार निकाले जाते हैं ?
Write the acids HNO 3, HCI, H2SO4 and HCIO 4 in increasing order of their acid strength, discuss how their relative strenth is evaluated ?.
(b) समझाइये यदि प्रोटॉन बंधुकता का मान NH3 – 854, PH3 – 789 व (CH3)3P – 950kJ/mole हो तो निम्न अभिक्रियाओं में क्या उत्पाद बनेगें ।
If proton affinity for NH3 – 854, PH, – 789 and (CH3 ) 3 P-950kJ/mol then what will be product obtained from following reactions. Explain.
PH3 + NH4+
(CH3)3 P + NH4+ →
(c) प्रोटॉन बन्धुकता पर लिखते हुए विवेचना कीजिए कि ब्रान्स्टेड अम्ल व क्षार की प्रबलता को प्रोटॉन बन्धुकता के मानों से किस प्रकार ज्ञात किया जा सकता है ? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए ।
Writing about proton affinity discuss how the strength of Bronsted acids or bases can be evaluated from proton affinity data. Give one example for each.
- अम्ल एवं क्षारकों की ओसानोविच धारणा का विवेचन कीजिए ।
Discuss Osanovich concept of acids and bases.
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