इकाई योजना और पाठ योजना के बीच अंतर बताइए unit plan and lesson plan difference in hindi
unit plan and lesson plan difference in hindi इकाई योजना और पाठ योजना के बीच अंतर बताइए ?
प्रश्न . इकाई योजना क्या है ? स्पष्ट कीजिए।
Explain what is unit Planning ?
उत्तर-इकाई की अवधारणा (Concept of unit)- यदि शिक्षा शब्द कोषों में इकाई शब्द का अर्थ देखें तो ज्ञात होता है कि “पाठों के समुच्चय को इकाई” कहा जाता है। शिक्षण में ‘‘इकाई” शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम मॉरीसन (Morrison) ने किया था। मॉरीसन ने इस शब्द का उपयोग शिक्षण के पांरगति उपागम (Mastery approach) के अन्तर्गत किया। इस उपागम के अनुसार इकाई शिक्षण का एक प्रमुख अंग है। किसी स्तर पर विद्यार्थी पारंगत तभी बन सकता है जब उसको विषय वस्तु का पूर्ण ज्ञान हो और इसके लिए आवश्यक है कि विषय वस्तु को योजनाबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया जाए। मॉरीसन के अनुसार प्रत्येक विषय को इकाइयों में विभक्त किया जाता है।
एन. एल. बोसिंग के अनुसार, “इकाई योजना पूर्ण क्रियाओं की वह व्यापक श्रृंखला है जो विकसित होकर बालकों के उद्देश्यों की पूर्ति करती है जिसके कारण बालक महत्त्वपूर्ण शैक्षिक अनुभव प्राप्त करके अपने व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाते हैं।‘‘
सी. वी. गुड के अनुसार, “इकाई शिक्षक के नेतृत्व में छात्रों के समूह द्वारा सहकारिता से किसी केन्द्रीय विचार, समस्या या प्रायोजन को केन्द्र मानकर विभिन्न क्रियाकलापों, अनुभवों व अनुभव-प्रकारों के संगठन को विकसित करना है जिसमें नियोजन, योजना का कार्यान्वयन व परिणामों का पल्यांकन निहित होता है।‘‘
प्रेस्ट के अनुसार, “इकाई विषय वस्तु से सम्बन्धित तथ्यों का विशाल भण्डार है जिसे छात्रों को सीखना है।‘‘
हेरप के अनुसार, “इकाई किसी विषय का एक बड़ा उप भाग होता है जिसका कोई मूलभूत प्रकरण होता है। इस सिद्धान्त के अनुसार ही छात्र क्रियाओं का इस प्रकार नियोजन किया जाता है कि उन्हें महत्त्वपूर्ण अनुभव प्राप्त हो सके।”
हैनरो सी मोरिसन के अनुसार, “इकाई संगठित विज्ञान तथा कला के वातावरण का विस्तृत व महत्त्वपूर्ण पहलू है जिसको सीख लेने से व्यक्तित्व में अनुकूलता आती है।‘‘
प्रश्न 3. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-इकाई और पाठयोजना में अन्तर।
Write short note on ffDierence between xnit and Lesson plan.
उत्तर- एकाई योजना और पाठ योजना में अंतर-
क्र.स. इकाई योजना पाठ योजना
1. इकाई योजना सम्पूर्ण इकाई या अध्याय को ध्यान में रखकर बनाइ जाती है। अध्याय के किसी एक शीर्षक अथवा खण्ड को पढ़ाने के लिए निर्धारित कालांश के अनुसार बनाई जाती है।
2. इकाई योजना में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि सम्पूर्ण इकाई को कितने शीर्षकों, कालाशों तथा दिनों में पढ़ाया जाएगा। इसके अतिरिक्त क्या-क्या सहायक सामग्री प्रयक्त की जाएगी। अध्यापक क्रियाएं, छात्र क्रियाएँ क्या होगी एवं मूल्यांकन एवं शिक्षण विधि कौन-कौन सी प्रयुक्त की जाएगी। योजना में केवल एक 30 या 40 मिनट के कालांश के शिक्षण की व्यवस्था की जाती है।
3. इकाई योजना उद्देश्य पर आधारित अथवा रुचि पर आधारित अथवा आवश्यकता पर आधारित हो सकती है।
पाठ योजना में सभी तथ्यों का समावेश होता है ।
4. इकाई योजना अनेक पाठ योजनाओं का संक्षिप्तीकरण होती है। पाठ योजना विस्तृत होती है।
5. इकाई योजना में पाठ्यवस्तु के संगठन को महत्व दिया जाता है। पाठ योजना में पाठ्यवस्तु के प्रस्तुतीकरण को महत्व दिया जाता है।
6. इकाई योजना का स्वरूप विषय वस्तु की प्रकृति तथा शिक्षण के उद्देश्यों पर आधारित होता है। पाठ योजना का स्वरूप शीर्षक पर आधारित होता है।
7. इकाई योजना का एक छोटा अंश ही पाठ योजना होती है।
कई पाठ योजनाओं का क्रमबद्ध रूप इकाई योजना है।
8. इकाई योजना में किसी कौशल की प्राप्ति नहीं होती है। पाठ योजना से शिक्षण कौशल का विकास संभव है।
9. इकाई योजना विषय वस्तु को मनोवैज्ञानिक रूप से प्रस्तुत नहीं करती है। पाठ योजना विषय वस्तु को मनोवैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत कर सकती है।
10. इकाई योजना के अनुसार अध्यापन करने से छात्र में वातावरण के साथ समायोजन स्थापित करने की योग्यता विकसित हो जाती है। पाठ योजना से यह सम्भव नही है।
11. इकाई योजना अध्यापन से पूर्व बनाई जाती है।
पाठ योजना इकाई योजना के बाद बनाई जाती है।
12. इकाई योजना बनाने का कार्य अधिक जटिल एवं श्रम साध्य है। इकाई योजना बन जाने के पश्चात पाठ योजना आसानी से बन जाती है।
प्रश्न 4. पाठ योजना से आप क्या समझते हैं ? रसायन शिक्षण में इसकी क्या आवश्यकता है।
What do you mean by lesson planning \ Write the need of lesson planning in chemistry teaching ?
उत्तर-पाठ योजना का अर्थ-उप-इकाई के लिए निर्मित कार्य योजना ही पाठ-योजना है। इसकी अवधारणा और डिजाइन के लिए हर्बर्ट, जॉन डीवी, किल्पैट्रिक को प्रमुखता दी जाती है। वर्तमान पाठ-योजना के स्वरूप का निर्धारण ब्लूम, प्याजे, बूनर के विकास सोपानों एवं गैनी के अधिगम स्तरों, प्रजातांत्रिक शिक्षा दर्शन, शिक्षा एवं अधिगम के लिए समान अवसरों की मान्यता जैसे सिद्धान्तों ने किया हैं। पाठ-योजना का अर्थ इसकी निम्नलिखित परिभाषाओं से भी स्पष्ट हैं-
बिनिंग और बिनिंग (Binning and Binning) के अनुसार, “दैनिक पाठ-योजना में उद्देश्यों, विषय-वस्तु की व्यवस्थित रूपरेखा और विधियों का उल्लेख होता है।”
स्टैण्ड्स (Stands), “पाठ-योजना वास्तव में एक कार्य-योजना है। इससे शिक्षक का जीवन-दर्शन, उसका ज्ञान, शिक्षक का शिक्षार्थियों के सम्बन्ध में अभिज्ञान, उसके उद्देश्यों का ज्ञान, विषय-ज्ञान को प्रस्तुत करने की विधियों का ज्ञान प्रतिबिम्बित होते हैं।‘‘
बोसिंग (Bossing) के अनुसार, “पाठ-योजग उन कथनों का विवरण है जो एक कालांश में कक्षा में विभिन्न क्रियाओं के द्वारा विषय-वस्तु की उपलब्धि के लिए किये गय हो ।”
रसायन शिक्षण में पाठ योजना की आवश्यकता-रसायन शिक्षण में पाठ योजना का आवश्यकता निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट है….
1. पाठ के उद्देश्य के निर्धारण के लिए–पाठ-योजना बनाने से पाठ का उद्देश्य निश्चित हो जाता है।
2. पूर्व ज्ञान से सम्बन्ध स्थापित करने के लिए-पाठ-योजना तैयार करने से पूर्व पाठ का नये पाठ के साथ सम्बन्ध स्थापित हो जाता है।
3. शिक्षण विधि का चयन करने के लिए-पाठ-योजना द्वारा अध्यापक को उचित शिक्षण विधि चयन करने में सुविधा हो जाती है।
4. सफल शिक्षण के लिए-पाठ योजना तैयार करने से यह ज्ञात हो जाता है कि शिक्षक का शिक्षण सफल हुआ अथवा नहीं। इससे शिक्षक को सफल शिक्षण के लिए पर्व विचार एवं चिंतन का अवसर मिलता है।
5. सहायक सामग्री के चयन के लिए-पाठ-योजना के द्वारा शिक्षक उचित सहायक सामग्री का चयन कर लेता है।
6. आत्मविश्वास के लिए-पाठ-योजना बनाने से शिक्षक में आत्म-विश्वास उत्पन्न हो जाता है।
7. स्थाई ज्ञान की प्राप्ति छात्रों को इससे स्थाई ज्ञान की प्राप्ति होती है।
8. रुचिकर शिक्षण के लिए-पाठ-योजना द्वारा शिक्षण रोचक व रुचिकर बनता है।
9. छात्र-अध्यापक क्रियाओं के नियमबद्ध निरूपण के लिए-पाठ-योजना के द्वारा पाठ के शिक्षण में अध्यापक क्रम और नियम से कार्य करने में समर्थ हो जाता है।
10. श्रम व समय की बचत के लिए-पाठ योजना के द्वारा श्रम व समय की बचत होती है।
11. मनोवैज्ञानिक शिक्षण के लिए–पाठ योजना के द्वारा शिक्षण मनोवैज्ञानिक हो जाता
12. पूछे गए प्रश्नों का पूर्व निर्धारण-पाठ-योजना के द्वारा अध्यापक पूछे जाने वाले प्रश्नों का पहले से ही निर्धारण कर लेता है।
13. छात्रों के ज्ञान में वृद्धि-पाठ-योजना के द्वारा व्यवस्थित शिक्षण होता है इसमें छात्रों के ज्ञान में वृद्धि होती है।
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