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परिसंचरण तंत्र कितने प्रकार के होते हैं ? रक्त परिसंचरण का प्रकार के होते हैं types of circulatory system in hindi

types of circulatory system in hindi परिसंचरण तंत्र कितने प्रकार के होते हैं ? रक्त परिसंचरण का प्रकार के होते हैं ?

परिसंचरण का प्रकार

  1. अन्त:कोशिकीय परिसंचरण : यह एक कोशिकीय जीवों में होता है | उदाहरण – पैरामिशियम और प्रायोगिक रूप से सभी जीवित कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में जो प्रवाह रूपी गतियाँ होती है | कोशिकाद्रव्य की इस प्रकार की गति साइक्लोसिस कही जाती है | साइक्लोसिस कुछ प्रोटोजोआन में अमीबीय गति में मदद करती है | यह पदार्थों के वितरण में भी सहायक होती है |
  2. बाह्यकोशिकीय परिसंचरण : यह कोशिका के बाहर पाया जाता है और बहुकोशिकीय प्राणियों में होता है | यह अनेक प्रकार का होता है –
  • जल परिसंचरण : स्पंज और हाइड्रा गुहाओं द्वारा जल को शरीर में चारों तरफ परिसंचरित करते हैं | हाइड्रा में शरीर गुहा को गैस्ट्रोवेस्कुलर गुहा कहा जाता है | यह मुँह द्वारा बाहर की तरफ खुलती है | अन्दर आने वाला पानी विभिन्न कोशिकाओं के लिए पोषण और ऑक्सीजन लाता है और बाह्य जलप्रवाह व्यर्थ पदार्थ और कार्बन डाई ऑक्साइड ले जाता है |
  • पैरेनकाइमल परिसंचरण : चपटे कृमियों में शरीर भित्ति और आंतरिक अंगों के मध्य का स्थान parenchyma उत्तकों द्वारा भरा होता है जिसे पैरेनकाइमा कहते है | पैरेनकाइमा की कोशिकाओं में अनियंत्रित प्रवर्ध होते है जो द्रव से भरे अन्त:कोशिकीय स्थान के साथ ढीला नेटवर्क बनाता है | ये कोशिकाएँ पचित भोजन का परिवहन करती है जो कि आंत्र से विसरित होता है |
  • शरीर गुहा परिसंचरण : गोलकृमियों की शरीर गुहा स्यूडोसील कहलाती है | यह स्यूडोसील स्यूडोसिलोमिक द्रव द्वारा भरी होती है | यह द्रव पोषण का परिवहन करता है जिसका आंत से विसरण होता है |
  • रक्त परिसंचरण तंत्र : उच्च इनवर्टीब्रेट में एनेलिडा से इकाइनोडर्मेटा तक और सभी कार्डेट में एक सुविकसित रक्त परिसंचरण तंत्र उपस्थित होता है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि –
  • इनमें शरीर से जल के वाष्पीकरण को रोकने के लिए मोटी शरीर भित्ति होती है जिससे विसरण द्वारा शरीर कोशिकाओं और वातावरण के मध्य पदार्थों का आदान प्रदान संभव नहीं होता |
  • इनमें उपापचयी क्रियाएँ उच्च होती है और ऑक्सीजन और पोषकों की आपूर्ति की अधिक आवश्यकता होती है और व्यर्थ पदार्थ और कार्बन डाई ऑक्साइड तेजी से बाहर निकलते हैं |

एनेलिड्स प्रथम मेटाजोअन्स प्राणी हैं जिनमें सुविकसित परिसंचरण तंत्र पाया जाता है |

रक्त परिवहन तंत्र तीन घटकों से मिलकर बनता है –

  • ह्यदय : यह मोटा पेशीय , स्वत: स्पन्दक और संकुचनशील अंग है जो कि रक्त वाहिनियों द्वारा शरीर के विभिन्न भागों को रूधिर पम्प करता है | नेरीज और एम्फीओक्सस में कोई ह्रदय नहीं पाया जाता है |
  • रक्त वाहिनियाँ : ये खोखली नलिकाकार वाहिनियाँ है जो कि रक्त को ह्रदय में शरीर उत्तकों में और उत्तकों से ह्रदय में लाती और ले जाती है | ये रक्त वाहिनियाँ तीन प्रकार की होती है –
  • धमनी : ये मोटी भित्ति युक्त रक्त वाहिनियाँ है जो रक्त को हमेशा ह्रदय से दूर शरीर के विभिन्न अंगों तक ले जाती है | ये इलास्टिक प्रकृति की होती है और इनकी गुहिका संकरी होती है और ये शरीर भागों में गहराई में स्थित होती है और इनमें कोई कपाट नहीं होता | इनमें रक्त दबाव के साथ बहता है | इनमें सामान्यतया ऑक्सीकृत रूधिर ही बहता है , पल्मोनरी धमनी को छोड़कर | जो अनोक्सीकृत रक्त फेफड़ों में ले जाती है |
  • शिरा : ये पतली भित्ति युक्त वाहिनियाँ है जो कि हमेशा रक्त को शरीर के विभिन्न भागों से ह्रदय में लाती है | ये हल्की सी इलास्टिक होती है और सतह के नीचे स्थित होती है | इनमें रक्त के विपरीत प्रवाह को रोकने के लिए कपाट होते है | इनमें रक्त कम दबाव से बहता है | ये सामान्यतया अनओक्सीकृत रक्त ले जाती है अपवाद – पल्मोनरी शिरा , यह ऑक्सीकृत रूधिर बाएँ आलिन्द में ले जाती है | बड़ी शिराओं और धमनियों में स्वयं की भित्ति में वाहिनियाँ होती है जिन्हें vasa vasorum कहते है | ये इन रक्त वाहिनियों को पोषण और ऑक्सीजन की आपूर्ति करती है |
  • केशिकाएं : धमनियां आगे पतली शाखाओं में विभाजित हो जाती है | जिन्हें अंगों में धमनिकाएं कहते है | धमनिकाएं और आगे छोटी वाहिनियों में विभाजित होती हैं जिन्हें meta arteriole कहते है जो कि बाद में कोशिकाओं में विभाजित होती है |

केशिकाएँ सबसे पतली रूधिर केशिकाएँ हैं , प्रत्येक केशिका चपटी केशिकाओं की एक परत से बनी होती है जिसे एंडोथीलियम कहते है | यह एन्डोथीलियम कुछ पदार्थो जैसे पोषण , श्वसन गैसें , व्यर्थ पदार्थ , हार्मोन्स आदि का रक्त और चारों तरफ की उत्तक कोशिकाओं के मध्य आदान प्रदान करती है | केशिकाएँ पुन: जुड़कर venous capillaries बनाती हैं जो कि आगे फिर से जुड़कर venules बनाती है और ये अन्त में जुड़कर शिरा और बड़ी शिराएँ बनाती है |

  • रक्त : रक्त लाल संवहनी संयोजी उत्तक है जो कि कुछ वाहक अणुओं युक्त होता है |

रक्त वाहिनियों की औतिकी : एक रक्त वाहिका तीन स्तरों से बनी होती है –

  • ट्यूनिका इन्टरना : यह सबसे आंतरिक होती है और दो भागों से बनी होती है –
  • एन्डोथीलियम : यह चपटी एन्डोथीलियम कोशिकाओं की सबसे अन्दर की परत है जो किनारे से किनारें जुडी होती है , एन्डोथीलियम कोशिकाएँ शिरा की तुलना में धमनी में अधिक लम्बी होती है |
  • इलास्टिक झिल्ली : यह बाहरी परत है और पीले तंतुमय उत्तकों से बनी होती है | यह धमनियों से अधिक विकसित होती है |
  • ट्यूनिका मिडिया : यह मध्यम परत है जो कि चिकने गोलाकार पेशी तंतुओं से और इलास्टिक तंतुओं के नेटवर्क से बनी होती है |
  • ट्यूनिका एक्सटर्ना : यह सबसे बाहरी परत है और कोलेजन युक्त संयोजी उत्तकों से बनी होती है | कोलेजन रेशे रक्त वाहिनियों को मजबूती देते है | यह शिराओं में अधिक विकसित होती है |