इससे पहले के article मे रासायनिक क्रिया के basic को discuss किये है और उसके आलावा रासायनिक क्रिया के समीकरण को किस तरह से लिखा जाता है और रासायनिक क्रिया के महत्व को भी discuss किया है | अब इस article मे ,
रासायनिक क्रिया के प्रकार को discuss करेगे |
रासायनिक क्रिया के समय किसी एक तत्व का
परमाणु दूसरे
तत्व के परमाणु में नहीं बदलता है। न तो कोई परमाणु मिश्रण से बाहर जाता है और न ही बाहर से मिश्रण में आता है। वास्तव में, किसी रासायनिक अभिक्रिया परमाणुओं के आपसी आबंध के टूटने एवं जुड़ने से नए पदार्थों का निर्माण होता है। आगे के article मे परमाणुओं के बीच विभिन्न प्रकार के आबंध के बारे में discuss करेंगे।
रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार
1.संयोजन अभिक्रिया
जब दो या दो से अधिक पदार्थ (तत्व या यौगिक) संयोग करके एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं, ऐसी अभिक्रियाओं को संयोजन अभिक्रिया कहते हैं। अतः इसमें पदार्थ तत्व और यौगिक हो सकता है | और उत्पाद भी यौगिक होता है | इस अभिक्रिया के निन्म उदाहरनो को consider करेगे :-
1 – जब कैल्सियम ऑक्साइड को जल के साथ अभिकिया किया जाता है तब कैल्सियम ऑक्साइड जल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके बुझे हुए चूने (कैल्सियम हाइड्रोक्साइड) का निर्माण करके अधिक मात्र में ऊष्मा उत्पन्न करता है।
CaO(s) + H2O(l) ——> Ca(OH)2(aq) + Heat (1.13)
(बिना बुझा हुआ चूना) ( बुझा हुआ चूना)
इस अभिक्रिया में कैल्सियम ऑक्साइड तथा जल मिलकर single उत्पाद, कैल्सियम हाइड्रोक्साइड बनाते हैं। ऐसी अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं उसे संयोजन अभिक्रिया कहते हैं।
2.जब कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड वायु से अभिक्रिया करती है में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड के साथ धीमी गति से अभिक्रिया करके दीवारों पर कैल्सियम कार्बोनेट की एक पतली परत बना देता है। सप़ फ़ेदी करने के दो-तीन दिन बाद कैल्सियम कार्बोनेट का निर्माण होता है और इससे दीवारों पर चमक आ जाती है। रोचक बात यह है कि संगमरमर का रासायनिक सूत्र भी CaCO3(s) ही है।
Ca(OH)2(aq) + CO2(g) ——> CaCO3(s) + H2O(l)
(कैल्सियम हाइड्रोक्साइड) (कैल्सियम कार्बोनेट)
3.कोयले का दहन
जब किसि कार्बन को ऑक्सीजन से अभिक्रिया किया जाता है तब इस अभिक्रिया मे उत्पाद की तरह से कार्बन डाइऑक्साइड और H2O को बनता है |
C(s) + O2(g)——> CO2(g)
4.जल का निर्माण
H2 तथा O2 से जल का निर्माण किया जा सकता है इसका रासायनिक अभिक्रिया निन्म है |
2H2(g) + O2(g)——–> 2H2O(l)
संयोजन अभिक्रिया भी दो प्रकार की होती है :-
ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया :
इस अभिक्रिया मे उत्पाद की तरह ऊष्मा भी generate होती है | इस अभिक्रिया मे मिश्रण गर्म हो जाता है। जिन अभिक्रियाओं में उत्पाद के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा भी उत्पन्न होती है उन्हें ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं। इसका उदाहरन निन्म है :
1.प्राकृतिक गैस का दहनः
इस उदाहरन मे प्राकृतिक गैस यानि मीथेन गैस को ऑक्सीजन की उपस्थिति मे जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड और H2O के साथ ऊष्मा भी प्राप्त होती है | इसकी रासायनिक अभिक्रिया निन्म है |
CH4(g) + 2O2 (g) ———> CO2 (g) + 2H2O (g) ऊष्मा
2.जीवित रहने के लिए हमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा हमें भोजन से प्राप्त होती है। पाचन क्रिया के समय खाद्य पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं। जैसे चावल, आलू तथा ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट होता है। इन
कार्बोहाइड्रेट के टूटने से ग्लूकोज प्राप्त होता है। यह ग्लूकोज हमारे शरीर की कोशिकाओं में उपस्थित ऑक्सीजन से मिलकर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। इस अभिक्रिया का विशेष नाम श्वसन है | इसका code निन्म है |
C6H12O6(aq) + 6O2(aq)———-> 6CO2(aq) + 6H2O(l) + ऊष्मा
3.शाक-सब्जियों (वनस्पति द्रव्य) का विघटित होकर कंपोस्ट बनना भी ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया का ही उदाहरण है।
4. वियोजन अभिक्रिया
वियोजन अभिक्रिया मे एक अभिकारक दो या दो से अधिक से छोटे छोटे उत्पाद मे वियोजित हो जाता है उदाहरन के लिए फ़ेरस सल्प़फ़ेट क्रिस्टल के हरे रंग में परिवर्तन हुआ है| सल्प़फ़र के दहन से उत्पन्न उस अभिलाक्षणिक (विशिष्ट) गंध को भी आप सूँघ सकते हैं।
2FeSO4(s) ———> Fe2O3(s) + SO2(g) + SO3(g)
गर्म करने पर प़ फ़ेरस सल्प़फ़ेट(2FeSO4) का क्रिस्टल जल त्याग देता है और क्रिस्टल का रंग बदल जाता है। इसके उपरांत यह प़फ़ेरिक ऑक्साइड (Fe2O3), सल्प़ फ़र डाइऑक्साइड (SO2) तथा सल्प़फ़र ट्राइऑक्साइड (SO3) में वियोजित हो जाता है। प़फ़ेरिक ऑक्साइड ठोस है जबकि SO3 तथा SO2 गैसें हैं।
ऊष्मा देने पर कैल्सियम कार्बोनेट का कैल्सियम ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड वियोजित होना एक प्रमुख वियोजन अभिक्रिया है जिसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में होता है। कैल्सियम ऑक्साइड को चूना या बिना बुझा हुआ चूना कहते हैं। इसके अनेक उपयोगों में से एक उपयोग सीमेंट के निर्माण में होता है। ऊष्मा के द्वारा की गई वियोजन अभिक्रिया को ऊष्मीय वियोजन कहते हैं।
CaCO3(s) ———-> CaO(s) + CO2(g)
(चूना पत्थर) (बुझा हुआ चूना)
लेड नाइट्रेट का तापन तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन परखनली पकड़ने वाला चिमटा क्वथन नली लेड नाइट्रेट बर्नर आप देखेंगे कि भूरे रंग का धुआँ उत्सर्जित होता है। यह नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (छव्2)का धुआँ है। यह अभिक्रिया इस प्रकार होती हैः
2Pb(NO3)2(s) ——–> 2PbO(s) + 4NO2(g) + O2(g)
(लेड नाइट्रेट) (लेड ऑक्साइड) (नाइट्रोजन ऑक्सीजन)
जल का वैद्युतअपघटन
एक प्लास्टिक का मग लीजिए। इसकी तली में दो छिद्र करके उनमें रबड़ का डाट लगा दीजिए। इन छिद्रों में कार्बन इलेक्ट्रोड डाल दीजिए | इन इलेक्ट्रोडों को 6 वोल्ट की बैटरी से जोड़ दीजिए। द मग में इतना जल डालिए कि इलेक्ट्रोड उसमें डूब जाए। जल में तनु सल्फ्ऱयूरिक अम्ल की कुछ बूँदें डाल दीजिए।
1.जल से भरी दो अंशांकित परखनलियों को दोनों कार्बन इलेक्ट्रोडों के ऊपर उलटा करके रख दीजिए।
2.अब विद्युत धारा प्रवाहित करके इस उपकरण को थोड़ी देर के लिए छोड़ दीजिए।
3. दोनों इलेक्ट्रोडों पर आप बुलबुले बनते हुए देखेंगे। ये बुलबुले अंशांकित नली से जल को विस्थापित कर देते हैं।
4. क्या दोनों परखनलियों में एकत्रित गैस का आयतन समान है?
5. जब दोनों परखनलियाँ गैस से भर जाएँ तब उन्हें सावधानीपूर्वक हटा लीजिए।
6. एक जलती हुई मोमबत्ती को दोनों परखनलियों के मुँह के ऊपर लाकर इन गैसों की जाँच कीजिए।
उपर दिए गये प्रयोग मे निन्म आउटपुट मिलता है |
एक नाली मे गैस की आयतन दुसरे नाली से दुगना होता है | अतः जिस नाली का आयतन दुगना है उसमे हाइड्रोजन गैस होती है और दूसरी नाली मे ऑक्सीजन गैस होती है |
जब जलती हुई मोमबती को हाइड्रोजन वाले नाली के उपर ले जाते है तब मोमबती बुझ जाती है | और जब जलती हुई मोमबती को ऑक्सीजन वाले नाली के उपर ले जाते है तब मोमबती और तेज़ी से जलती है |
इस article मे हमने अभिक्रिया के केवल दो ही प्रकार वियोजन अभिक्रिया और सयोजन अभिक्रिया को discuss किया है अब आगे के article मे और पराक्र को discussकरेगे |