Treaty of Versailles in hindi , वर्साय की सन्धि सम्पन्न हुई थी , किसके मध्य हुई , क्या वर्साय संधि एक आरोपित संधि थी
जानेंगे Treaty of Versailles in hindi वर्साय की सन्धि सम्पन्न हुई थी , किसके मध्य हुई , क्या वर्साय संधि एक आरोपित संधि थी ?
प्रश्न: “वर्साय की सन्धि में प्रादेशिक, क्षतिपूर्ति एवं निःशस्त्रीकरण की धाराओं के द्वारा जर्मनी को पंगु हीबना दिया। विवेचना कीजिए।
उत्तर: प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् पेरिस शांति सम्मेलन में 6 मई, 1919 को संधि का मसविदा तैयार हुआ, 17 मई, 1919 को जर्मन प्रतिनिधियों को सौंप दिया। 28 जून, 1919 को वर्साय के राजमहल में जर्मनी की ओर से हर्मन मूलर आर जोहानसबेल ने संधि पर हस्ताक्षर किये। पेरिस के शांति सम्मेलन के फलस्वरूप ही वर्साइ की संधि हुई। संधि के इसे 3 भाग थे –
(1) सीमा व्यवस्था (2) क्षतिपूर्ति (3) निशस्त्रीकरण।
A. प्रादेशिक व्यवस्थाएं
(1) अल्सास व लारेन फ्रांस को दे दिये गये।
(2) सार बेसिन (Sar Basin) 15 वर्ष के लिए क्षतिपूर्ति के लिए फ्रांस को दिया गया। यह जर्मनी का वह इलाका था जो खनिज संपदा से भरपूर था। 15 वर्ष के बाद जनमत होगा कि जनता क्या चाहती है। 15 वर्ष बाद 1935 में – जनमत के आधार पर हिटलर ने जर्मनी में यह बेसिन मिलाया।
(5) जर्मनी के अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह, रेलवे और सकड़ यातायात पर नियंत्रण रखने के लिए राइन आयोग का गठन किया गया।
(6) लक्जेम्बर्ग को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया गया तथा उसकी तटस्थता स्थापित की गई।
(7) बेल्जियम को यूपेन (म्नचमद), मोर्सनेट (Moresnet) तथा नैल्मेडी (Nalnady) राज्य दिये गये।
(8) पोलैण्ड को जर्मनी का पोसेन (Posen) तथा पश्चिमी प्रशा दिये गये। ऑस्ट्रिया ने गलेशिया (Golacia) का राज्य पोलैण्ड को दिया। पोलैण्ड को समुद्र तक पहुँचने के लिए एक गलियारा दिया गया। जिसे पॉलिश गलियारा (Polish Corridor) कहा जाता है।
(9) विस्तुला (Vistula) नदी पर डेन्जिग (Dazing) शहर को स्वतंत्र नगर के रूप में स्थापित किया गया। इसे पोलैण्ड के नियंत्रण में
रखा गया।
(10) ऑस्ट्रिया को स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया गया तथा उसकी सीमा को कम कर दिया गया।
(11) हंगरी को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया गया।
(12) चेकोस्लोवाकिया नामक एक नया राज्य स्थापित किया गया। बोहिमिया, मारेविया व स्लोवाकिया को मिलाकर जर्मनी का स्यूडेटनलैंड
(Sudetenland) चेकोस्लोवाकिया को दे दिया गया यह एक जर्मन बहुल क्षेत्र था।
(13) यूगोस्लाविया नामक नया राज्य स्थापित किया गया। सर्बिया, बोस्निया, हर्जेगोबिना, मोन्टेनिग्रो, क्रोशिया, स्वीरिया, डेल्मालिया को
मिलाकर यूगोस्लाविया बनाया गया।
(14) इटली को टायरोल (Tyrol) दिया गया।
(15) डेनमार्क को उत्तरी श्लेसविग, चेकोस्लोवाकिया को ऊपरी साइलेशिया तथा मेमल का बन्दरगाह लिथुआनिया को मिला।
जर्मनी के उपनिवेशों की व्यवस्था
1. जापान को क्याओ-चाओ और शाटुंग प्रान्त दिया गया।
2. न्यूजीलैण्ड को सेवाओं द्वीप मिला।
3. इंग्लैण्ड को पश्चिमी अफ्रीका का जर्मन भाग और केमरून दिया गया।
4. फ्रांस को टोगोलैण्ड दिया गया।
5. दक्षिण अफ्रीका को द.प. अफ्रीका मिला।
6. जर्मनी के रूसी प्रदेश से लैटविया, एस्टोनिया और लिथुआनिया स्वतंत्र राज्यों की स्थापना की गई।
7. समुद्र पार की जर्मनी की व जर्मन नागरिकों की सम्पत्ति पर अधिकार।
(B) क्षतिपूर्ति की व्यवस्था
(1) युद्ध के समय सिविल संपत्ति के नुकसान का हर्जाना जर्मनी को देना होगा।
(2) जर्मनी द्वारा युद्ध के बाद होने वाली विधवाओं को पेन्शन देनी होगी।
(3) जर्मनी द्वारा दी जाने वाली राशि का निर्णय क्षतिपूर्ति आयोग के द्वारा किया जाएगा।
(4) जर्मनी फ्रांस की कोयले की मांग पूरी करेगा।
(6) सार बेसिन 15 वर्ष के लिए फ्रांस को दिया गया।
(7) ऑस्ट्रिया, हंगरी आदि देशों द्वारा दी जाने वाली राशि भी क्षतिपूर्ति आयोग तय करेगा।
(8) युद्ध में नष्ट हुए प्रदेशों के पनिर्माण के लिए जर्मनी के आर्थिक साधनों का प्रयोग किया जाना तय हुआ।
C. सैनिक व्यवस्थाएं (निःशस्त्रीकरण) ,
1. जर्मनी की अनिवार्य सैनिक सेवा समाप्त कर दी गई।
2. अधिकारियों सहित स्थल सेना एक लाख निश्चित की गई।
3. वायु सेना का निषेध किया गया।
4. कील नहर क्षेत्र का असैन्यीकरण किया गया अर्थात् जर्मनी वहां अपनी सेना नहीं रखेगा तथा उसकी तटस्थताता स्थापित की गई।
5. राइन प्रदेश फ्रांस व जर्मनी के बीच का क्षेत्र का असैन्यीकरण किया गया अर्थात् जर्मनी सेना नहीं रखेगा तथ उसकी तटस्था स्थापित की गई।
6. अधिकारियों सहित नौ-सेना की संख्या 15 हजार कर दी गई।
7. किलेबन्दी से वंचित तथा पश्चिमी तट का विसैन्यीकरण कर दिया।
8. 16 सौ टन से अधिक भार के जहाज जर्मनी समर्पित करेगा।
9. जर्मनी द्वारा हथियार निर्माण पर नियंत्रण स्थापित किया गया।
10. जर्मनी के सेना के अधिकारियों के अधिकार कम किये गये।
11. जर्मनी ने अपनी सभी पनडुब्बियों का समर्पण किया।
12. ऑस्ट्रिया की सेना को 30 हजार तक सीमित कर दिया गया।
13. हंगरी की सेना को 35 हजार तक सीमित कर दिया गया।
14. बलगेरिया की सेना 20 हजार तक सीमित कर दिया गया।
D. अन्य व्यवस्थाएं …
1. प्रमुख नदियां – एल्व, ओडर, नीमन और डेन्यूब अन्तर्राष्ट्रीय नदी घोषित व अन्तर्राष्ट्रीय आयोग के अधिकार में (राइन नदी)।
2. कील नहर व प्रमुख बन्दरगाह सभी राष्ट्रों के लिए खोले।
3. कैसर विलियम द्वितीय को नीदरलैंण्ड सरकार ने संरक्षण दिया। इसीलिए मुकदमा नहीं चला।
प्रश्न: वर्साय की सन्धि एक आरोपित सन्धि थी, जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के बीज निहित थे। व्याख्या कीजिए।
उत्तर: वर्साय की संधि आरोपित संधि
वर्साय संधि का आधार दो पक्षों के बीच विचारों का आदान-प्रदान न होकर विजयी राष्ट्रों द्वारा एक विजित राष्ट्र पर जबरदस्ती व धमकी देकर पूर्ति लादी गई। जर्मनी को इस संधि पर विचार करने के लिए अवसर ही नहीं दिया और न ही इसके प्रारूप को एक बार भी भेजा। इसकी शर्तों में संशोधन का अधिकार उसे नहीं दिया। विल्सन के 14 सूत्रों की बात जब जर्मनी ने कही तो उसे युद्ध की धमकी दी गई। इसलिए प्रारम्भ से ही जर्मनी के नेता इस संधि को श्आरोपित सधिंश् की संज्ञा देने लगे।
हस्ताक्षर करने के बाद जर्मनी के प्रतिनिधि ने कहा – श्श्हमारे प्रति फैलायी गयी उग्र घणा की भावना से हम आज सपरिचित हैं। देश दबाव के कारण आत्म समर्पण कर रहा है, किन्तु जर्मनी यह कभी नहीं भूलेगा कि यह एक अन्याय पर्ण संधि है।श्श् अतः जर्मनी ने शुरू से ही यह स्पष्ट कर दिया कि वह वर्साय की संधि को एक आरोपित संधि मानता है। जो नैतिक रूप से बंधनकारी नहीं है।
वर्साय की संधि में द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज निहित थे
1020 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए वर्साय की संधि प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार थी। यह बिल्कुल स्वभाविक था। भविष्य में जर्मनी फिर युद्ध द्वारा अपने अपमान को धोने का प्रयास करे। 1919 में जर्मनी असहाय था सो चुपचाप । स्वीकार कर ली। जैसे-जैसे समय व्यतीत होता गया और शक्ति संचित करता गया वैसे ही संधि की शर्तों का उल्लघुन करने लगा। इसी कठोरता एवं अपमान जनक वातावरण में हिटलर का उदय हुआ। उसने 1932 में निःशस्त्रीकरण आ क्षतिपर्ति की व्यवस्थाओं को तोड़ा। जर्मन भू-भागों को पुनः लेने लगा। चोकोस्लोवाकिया को निगल गया। जब पालन गलियारे और डेन्जिंग बन्दरगाह को लेने का प्रयास करने लगा तो द्वितीय विश्व युद्ध प्रारम्भ हो गया। कुल मिलाकर, वस संधि की अन्यायपूर्ण व्यस्थाओं को तोड़ने के लिए हिटलर ने घटनाओं की वह शृंखला प्रारम्भ की जिनके कारण द्विता विश्व युद्ध का विस्फोट हुआ।
(7) ऑस्ट्रिया, हंगरी आदि देशों द्वारा दी जाने वाली राशि भी क्षतिपूर्ति आयोग तय करेगा।
(8) युद्ध में नष्ट हुए प्रदेशों के पुनिर्माण के लिए जर्मनी के आर्थिक साधनों का प्रयोग किया जाना तय हुआ।
C. सैनिक व्यवस्थाएं (निःशस्त्रीकरण)
1. जर्मनी की अनिवार्य सैनिक सेवा समाप्त कर दी गई।
2. अधिकारियों सहित स्थल सेना एक लाख निश्चित की गई।
3. वाय सेना का निषेध किया गया।
4. कील नहर क्षेत्र का असैन्यीकरण किया गया अर्थात् जर्मनी वहां अपनी सेना नहीं रखेगा तथा उसकी तटस्थता स्थापित की गई।
5. राइन प्रदेश फ्रांस व जर्मनी के बीच का क्षेत्र का असैन्यीकरण किया गया अर्थात् जर्मनी सेना नहीं रखेगा तथ उसकी – तटस्था स्थापित की गई।
6. अधिकारियों सहित नौ-सेना की संख्या 15 हजार कर दी गई।
7. किलेबन्दी से वंचित तथा पश्चिमी तट का विसैन्यीकरण कर दिया।
8. 16 सौ टन से अधिक भार के जहाज जर्मनी समर्पित करेगा।
9. जर्मनी द्वारा हथियार निर्माण पर नियंत्रण स्थापित किया गया।
10. जर्मनी के सेना के अधिकारियों के अधिकार कम किये गये।
11. जर्मनी ने अपनी सभी पनडुब्बियों का समर्पण किया।
12. ऑस्ट्रिया की सेना को 30 हजार तक सीमित कर दिया गया।
13. हंगरी की सेना को 35 हजार तक सीमित कर दिया गया।
14. बलगेरिया की सेना 20 हजार तक सीमित कर दिया गया।
D. अन्य व्यवस्थाएं
1. प्रमुख नदियां – एल्व, ओडर, नीमन और डेन्यूब अन्तर्राष्ट्रीय नदी घोषित व अन्तर्राष्ट्रीय आयोग के अधिकार में (राइन नदी)।
2. कील नहर व प्रमुख बन्दरगाह सभी राष्ट्रों के लिए खोले।
3. कैसर विलियम द्वितीय को नीदरलैंण्ड सरकार ने संरक्षण दिया। इसीलिए मुकदमा नहीं चला।
प्रश्न: वर्साय की सन्धि में आरम्भ से ही नैतिक मान्यता का अभाव था। इसी का परिणाम था विश्वयुद्ध।
उत्तर: वर्साय की सन्धि जर्मनी के साथ की गई थी। मित्र राष्ट्रों द्वारा की गई सभी सन्धियों में यह महत्वपूर्ण थी। जर्मनी पर इस सन्धि को स्वीकार करने हेत दो सप्ताह का समय दिया गया। जर्मनी की आम-जनता. अखबार और राजनीतिज्ञ सन्धि का शर्तों से असन्तुष्ट थे। क्योंकि यह सन्धि कठोर एवं प्रतिशोधात्मक सन्धि थी। इस सन्धि में नैतिक मान्यताओं का अभाव था जिसका परिणाम द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत था। जर्मनी पर यह सन्धि लाद दी गई थी, प्रादेशिक क्षति, निःशस्त्रीकरण और आर्थिक उपबन्धों का फल उसे ही भुगतना पड़ा। इसके परिणामस्वरूप जर्मनी की सार्वभौमिकता विजयी राष्ट्रों के हाथ में चली गई।
वर्साय की सन्धि को श्आरोपित सन्धिश् की संज्ञा दी जाती है जिसको स्वीकार करने के अलावा जर्मनी के पास कोई चारा नहीं था। वर्साय की सन्धि द्वारा जर्मनी को छिन्न-भिन्न कर दिया गया था, उसके उपनिवेशों को छीन लिया गया, आर्थिक रूप से उसे पंग बना दिया गया, उसके आर्थिक संसाधनों पर दूसरे राष्ट्रों का स्वामित्व स्थापित कर दिया गया तथा सैनिक दृष्टि से उसे अपंग बना दिया गया। यह कठोर सन्धि किसी स्वाभिमानी राष्ट्र के लिए मान्य नहीं हो सकती थी।
इस सन्धि की शर्तों से यह स्पष्ट हो जाता है कि ये प्रतिशोधात्मक सन्धि थी। फ्रांस की जनता जर्मनी को कुचलने की माँग कर रही थी। जर्मनी पर जिस प्रकार कठोर शर्तों को लाद दिया गया, उनसे इंग्लैण्ड और फ्रांस की प्रतिशोधात्मक प्रवृत्ति का आभास मिलता है।
राष्ट्रों की सेनाएँ तैनात रहेंगी तथा जर्मनी किसी प्रकार की किलेबन्दी नहीं कर सकता था। सारे प्रदेश की व्यवस्था की जिम्मेदारी राष्ट्र संघ को सौंपी गई तथा उसकी खानों को फ्रांस के जिम्मे कर दिया गया। जर्मनी की पूर्वी सीमा डेन्जिंग पर न्छ का अधिकार स्थापित करके सीमित किया गया। सैनिक रूप से तीन से अधिकतम एक लाख सेना रखने की इजाजत दी गई। जर्मन सैनिक कार्यालय समाप्त कर दिया गया। ऐसे अनेकों सैनिक प्रतिबन्ध लगाये गए। उसे आर्थिक क्षतिपूर्ति के तौर पर पाँच अरब डॉलर देने की शर्त लाद दी गई।
कुल मिलाकर इस सन्धि में आरम्भ से ही नैतिक मान्यताओं का अभाव था। कोई भी स्वाभिमानी राष्ट्र एक लम्बे समय को बर्दाश्त नहीं कर सकता था। जर्मनी जैसे स्वाभिमानी राष्ट्र के लिए इस तरह की आरोपित सन्धि बाध्य नहीं हो सकती थी। इसलिए यह स्वाभाविक था भविष्य में युद्ध द्वारा इसका प्रतिशोध लेने का प्रयन्त करें। इसी का परिणाम रहा कि सन्धि के 20 वर्ष बाद ही जर्मनी इसके उपबन्धित समझौतों को तोड़कर (जैसे पोलिश तथा डेन्जिग गलियारों को) पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया तो द्वितीय विश्व युद्ध का प्रारंभ हो गया और सम्पूर्ण मानवता एक बार पुनः महाविनाश की ओर अग्रसर हुई।
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