अनुवाद की परिभाषा क्या है | अनुवाद की प्रक्रिया और प्रकार जीव विज्ञान महत्व translation in hindi in biology
translation in hindi in biology types अनुवाद की परिभाषा क्या है | अनुवाद की प्रक्रिया और प्रकार जीव विज्ञान महत्व ?
अनुवाद (Translation)
उत्छ। पर उपलब्ध आनुवंशिक सूचनाओं की भाषा (न्यूक्लिक अम्लों द्वारा) को प्रोटीन की भाषा में बदलने को अनुवाद (translation) कहते हैं। mRNA पर उपस्थित न्यूक्लियोटाइड के क्रम का अमीनो अम्ल (।।) के क्रम में बदलना अनुवाद (Translation) कहलाता है। यह अनुलेखन की अपेक्षा जटिल प्रक्रिया होती है एवं निम्न तीन पदों में सम्पूर्ण होता है।
(1) अमीनो अम्लों का सक्रियकरण (Activation of amino acids),
(2) अमीनों एसिड का ज-त्छ। पर स्थानान्तरण (Transfer of AA to t-RNA),
(3) अनुवाद-पोलीपेप्टाइड श्रृंखला का बनना (Translation formation of polypeptide chain).
पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का निर्माण रू निम्नलिखित चरणों मे सम्पूर्ण होती है-
(।) श्रृंखला समारंभ (Chain initiation)
(ठ) श्रृंखला दीर्धीकरण (Chain elongation)
(ब्) श्रृंखला समापन (Chain termination)
(1) अमीनो अम्लों का सक्रियकरण (Activation of amino acids)
चूहे की यकृत कोशिकाओं पर अध्ययन करते हुए पी. जैमेनिक व साथियों (PZ-amenikaet-al) ने पाया कि कोशिका द्रव्य में अमीनो अम्ल (।।) निष्क्रिय अवस्था में मिलते हैं इनका सक्रियकरण (activation) एटीपी के द्वारा होता है जो ।। के साथ संयुक्त होकर अमीना ऐसाइल एडेनाइलेट बनाते हैं। इस प्रतिक्रिया (reaction) का उत्प्रेरक (catalyst) एक एन्जाइम अमीनो ऐसाइल सिन्थेटेज (aminoacyl synthetas) है जो इस प्रतिक्रिया को सम्पन्न करने के लिए आवश्यक एन्जाइम है। यह प्रतिक्रिया निम्न समीकरणों (equation) द्वारा समझी जा सकती है
AA ़ ़ATp~ ़ E;i) → – (AA~AMP) E;i) ़ ़ PP
(अमीनो अम्ल) (एन्जाइम) (अमीनो एसिल) AMP फॉस्फेट
अमीनो अम्ल तथा एटीपी अमीनो एसाइल सिन्थेटेज नामक एन्जाइम की उपस्थिति में क्रिया करके अमीनो एसिल एएमपी एन्जाइम सम्मिश्र बना लेते हैं। प्रत्येक अमीनों अम्ल के लिए विशेष प्रकार के अमीनो एसाइल सिन्थेटेज होते हैं जो विशिष्ट प्रकार के अमीनों अम्लों का ही चयन करते हैं। प्रत्येक एन्जाइम अपने अनुकूल प्रथम चरण में (I) विशिष्ट प्रकार का अमीनो अम्ल तथा दूसरे चरण में (II) विशिष्ट प्रकार के ही tRNA का चयन कर पाता है जो अमीनो अम्ल को tRNA में स्थानान्तरित करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
अमीनों अम्ल एसाइल सिन्थेटेज से तब तक जुड़ा रहता है जब तक कि उस अमीनो अम्ल के जत्छ। का चयन नहीं कर लेता। चयन करने के पश्चात् यह एन्जाइम अमीनो अम्ल को rRNA के आखिरी एडिनाइलिक अवशेष (adynylic residue) पर स्थानान्तरित (transfer) कर देता है।
2. अमीनो एसिड का t-RNA पर स्थानान्तरण (Transfer of AA to t-RNA)
इस प्रावस्था में (phase) सक्रिय अमीनो अम्ल (।।) अणु कम अणुभार वाले tRNA अणुओं पर स्थानान्तरित हो जाते हैं। यह अणु कोशिका द्रव में स्वतन्त्र विचरण करते हैं तथा tRNA कहलाते हैं। यह अण प्रत्येक ।। के लिए विशिष्ट (specific) होते हैं। tRNA पर सक्रिय ।। के स्थानान्तरण के पश्चात् सक्रियण एन्जाइम तथा एएमपी मुक्त हो जाते हैं। अमीनो अम्ल का जत्छ। पर स्थानान्तरण निम्न समीकरण द्वारा समझा जा सकता है-
(AA ~AMP) E;i) ़ tRNA & Mg़़ AA~tRNA ़ AMp~ ़ E;i)
एमीनो एसाइल RNA एमीनो एसाइल tRNA AMP सिंथटेज एन्जाइम
सिंथटेज सम्मिश्र सम्मिश्र (i)
इस प्रतिक्रिया में अमीनो एसिल एएमपी एन्जाइम सम्मिश्र जो प्रथम समीकरण (equation) में बना था इस द्वितीय चरण में tRNA के साथ क्रिया करके इसके अमीनो एसिल अम्ल को जत्छ। पर स्थानान्तरित (transfer) करके AA~tRNA का निर्माण करता है। इस क्रिया के लिए मेग्नीशियम तथा एन्जाइम अमीनो एसाइल आरएनए सिंथेटज की उपस्थिति आवश्यक है।
RNA, mRNA पर एक विशिष्ट (special) स्थल पर जुड़ा रहता है। tRNA के अणुओं में एन्टीकोडोन उपस्थित होता है जो mRNA में कोडोन (codon) के रूप में संकेती (codit) संदेशों का अनुवाद करता है। tRNA को अडेप्टर अणु (adaptor melecule) भी कहा जाता है। अमीनो एसाइल tRNA के आइसोटोपिक लेबल युक्त AA (isotopically labelled AA) के प्रयोग से क्रिक तथा होगलैंड (Crick and Hoagland) द्वारा प्रतिपादित यह तथ्य सिद्ध हो गया कि tRNA एक आणविक अडैपटर है जिस पर AA को जोड़ा जाता है।
(3) अनुवाद-पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला का बनना
(Translation-formation of polypeptide chain)
पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला का निर्माण निम्न तीन चरणों में सम्पन्न होता हैं
(।) पोलीपेप्टाइड शृंखला का समारंभ (Initiation of Polypeptide Chain)
पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला सदैव मिथियोनीन (Methionine) नामक अमीनो अम्ल से समारम्भ (initiate) होती है। यह प्रारम्भिक कोडोन (codon)AUG द्वारा कोड (code) की जाती है।
प्रोकेरियोट में प्रोटीन संश्लेषण का समारम्भन
(Initiation of protein synthesis in prokaryotes)
ई. कालाई (E.k~ coli) बेक्टीरिया में दो tRNA मिथियोनीन नामक एक अमीनो अम्ल को कोड करते हैं। यह tRNA Met तथा tRNA met – िकहलाते है। tRNAf es मिथियोनीन अणुओं का फॉर्मिलिकरण (formylation) नहीं होता है।
आधुनिक शोध कार्यों से यह बात सिद्ध हो चुकी है कि ई. कोलाई में tRNA met मिथओनीन को प्रथम अमीनो अम्ल के रूप में सिरों पर विक्षेपित करता है परन्तु जत्छ।उ उमज मात्र अन्तर्वेशी बीच क स्थलों पर मिथियोनीन का निक्षेपण करते हैं। प्रोटीन संश्लेषण का आरम्भ प्रोकेरयोट्स में जत्छ। t-met तथा यूकेरयोट्स में tRNA Met के द्वारा कोशिकीय द्रव में होता है। ई. कोलाई में दो अलग-अलग जत्छ। मिथियोनीन को ग्रहण करते हैं।
समारंभ सम्मिश्र (Initiation Complex)
समारंभ सम्मिश्र का बनना तथा जीवाणुओं में प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया विधि निम्न प्रकार से होती हैं-
प्रोकेरियोटिक व यूकेरियोटिक जीवों की प्रोटीन संश्लेषण में प्रक्रिया अंतर
लक्षण प्राकेरियोट (Prokaryote) यूकेरियोट (Eukaryote)
पूर्व एमआरएनए
(Pre-mRNA) (प) m-आरएनए से पहले पूर्व m आरएनए नहीं बनता।
(पप) इसमें एक्सॉन् व इन्ट्रॉन नहीं पाये जाते।
(पपप) स्पलाइसिंग प्रक्रिया अनुपस्थित (प) उ-आरएनए से पहले पर्व उ-आरएनए (pre-mRNA) निर्मित होता है।
(पप) इसमें पुनरावर्ती अनुक्रम के कारण पूर्व एमआरएन में एक्सान (सक्रिय जीन) व इन्ट्रॉन (नॉन कोडित जीन) उपस्थित।
(पपप) स्पलाइसिंग प्रक्रिया द्वारा लम्बा पूर्व उ-आरएनए इन्ट्रॉन से अलग होकर छोटा m-आरएनए जिसमें लगातार एक्सॉन उपस्थित रहते हैं, निर्मित होता है।
एमआरएनए
(m-RNA) (प) बहुसमपारी (Polycistronic)
(पप) अल्पजीवी
(पपप) एक m-आरएनए एक या एक से अधिक प्रोटीन कोडित करते हैं।
(पअ) निश्चित प्रक्रिया अनुपस्थित
(अ) पॉली-A पुच्छ अनुपस्थित
(अप) पुनरावर्ती क्रम (repetative sequence) अनुपस्थित (प) एकसमपारी (monocistronic)
(पप) दीर्घजीवी
(पपप) एक m-आरएनए मात्र एक ही प्रोटीन को कोडित करते हैं।
(पअ) एक निश्चित प्रक्रिया द्वारा सम्पन्न
(अ) 50-100 एडिमीन 3‘ सिरे पर पॉली A पुच्छ उपस्थित
(अप) पुनरावर्ती क्रम उपस्थित
आरएनएनए
(r-RNA) (प) राइबोसोम कोशिकाद्रव्य में स्वतंत्र रूप से उपस्थित
(पप)70S आकार जिसमें 50 S तथा
30 S के mi,dd मिलते हैं।
(पपप)r-आरएनए.16S (30S mi,dd) 5S (50S mi,dd) आकार के उपस्थित (प) राइबोस अंर्तप्रद्रव्यी जालिका में संलग्न
(पप) 80S आकार के जिसमें 60S व 40s के mi,dd होते हैं।
(पपप)r-आरएनए 18S (40S एवं, 7S तथा 5S (60S mi,dd) आकार के उपस्थित
एन्जाइम
(eæymes) (प) m-आरएनए पॉलीमरेज
(पप) t-आरएनए fmet द्वारा प्रारम्भन स्थल पर फॉर्मिल मिथियोनीन का समावेश (प) m-आरएनए पॉलिमरेज II
(पप)r-आरएनए fmet द्वारा प्रारम्भन स्थल
(initiation site) पर मिथियोनीन का समावेश
अनुदन
(Translation) अनुदन व अनुलेखन (transcription) साथ-साथ सम्पन्न उआरएनए जब गुणसूत्र के साथ सलग्न रहता है। तब अनुदन शुरू हो जाता है। m-आरएनए का प्रारम्भन स्थल होता है। पहले राइबोसोम फिर t-आरएनए fmet से आबद्ध जो जाता है। अनुदन आरएनए का केन्द्रक से कोशिका द्रव्य मे प्रवेश के साथ ही शुरू हो जाता है। t-आरएनए उिमज राइबोज तत्पश्चात m आरएनए राइबोजोम के साथ आबद्ध होता है।
कोड शब्द आइसोल्यूसीन, एयूजी (AUG) कोडोन द्वारा कोडित होती है। इसका प्रयोग आइसो ल्यूसीन को कोड करने के लिये नहीं होता, यह ए यू ए AUA द्वारा कोडित होता है।
(प) कैम्फर व उनके सहयोगियों (Kaempfer et al) ने बताया कि पोलीपेप्टाइड श्रृंखला आरम्भ होने से पूर्व 70S राइबोसोम
50S़30S सब युनिट में अलग रहते हैं व बाद में जुड़कर 70S राइबोसोम निर्मित करते रहते हैं। यह क्रिया इसलिए आवश्यक है क्योंकि mRNA तथा अमीनो एसाइल tRNA 70S RNA से सीधे (directly) ही नहीं जुड़ सकते, यह पहले 30S के साथ,संयुक्त होते हैं। आधुनिक शोध यह सिद्ध करते हैं कि यह सरल ना होकर जटिल क्रिया होती है जिसमें कई चरण (multistep) होते हैं व इसमें 3 विशिष्ट समारभ प्रोटीन कारक (intiating protein factors) यथा IF-1, IF-2, IF-3 होते हैं। यह कारक 30S सबयुनिट के साथ ढीले रूप में संयुक्त रहते हैं तथा निरन्तर अलग होते व जुड़ते रहते हैं।
(पप) राइबोसोम का 30S सबयुनिट, f-Met-tRNA व उत्छ। से जुड़ता है। mRNA के 5श्सिरे से से संयुक्त होकर
mRNA के प्रथम कोडोन AUG के साथ समारम्भ सम्मिश्र 30S-mRNA निर्मित कर लेता है। f-Met-tRNAf इस
समिम्श्र के साथ मिलकर 30SS mRNA-f-Met-tRNA िबनता है।
युकरयोट्स में पोलीपेप्टाइड श्रृंखला का संमारभ
(Initiation of polypeptide chain in Eukaryotes)
इसमें Met-tRNA श्रृंखला का समांरभ करता है। इसमें भी छोटा राइबोसोम सबयुनिट ढीले रूप में संयुक्त GTP तथा तीन प्रोटीन कारक IF. 1, IE. 2, IE. 3 पोलीपेप्टाइड शृंखला के निर्माण के आरम्भ मे भाग लेते हैं अमीनो एसाइल tRNA (AA-tRNA) ग्राही स्थल से एवं पेप्टाइड शृंखला को बढ़ाने वाला tRNA पेप्टीडल स्थल (p~ site) या दाता स्थल से जुड़ता है।
(ठ) पोलीपेप्टाइड शृंखला का दीर्धीकरण
(Elongation of polypeptide chain)
70S mRNA F-Met-t RNA सम्मिश्र बनाने के पश्चात् AA निरन्तर निम्न प्रकार से जुड़कर पोलीपेप्टाइड शृंखला का दीर्धीकरण करते हैं- F-Met-tRNAf tc P-पेप्टीडल स्थल (p~ site) से संयुक्त होता है तब ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो GTP के अणु से प्राप्त होती है। दूसरा अमीनो एसाइल tRNA पूर्ण क्रियाशील 70S रिक्त पड़े । स्थल पर सम्मिश्र के साथ जुड़ता है। इस प्रक्रिया के दौरान अराइबोसोमी (non-ribosomal) कोशिका द्रव्यी प्रोटीन जो दीपीकरण कारक T (EF-T) कहलाती है अमीनो एसाइल tRNA से जुड़ जाती है। दीर्धीकरण कारक T (Elongation factor T-fE-T) में दो उप एकक इकाई (sub&units) (प) fE-R,Ts तथा fE-Tu उपस्थित होती है। EF-T, GTR के साथ जुड़कर EF-Tu-GTP सम्मिश्र निर्मित करती है व EF-Ts को निर्मुक्त (release) कर देती है यह सम्मिश्र अमीनों एसाइल -tRNA के साथ मिलकर EF-Tu-GTP अमीनो एसाइल निर्मित करता है जो राइबोसोम के A स्थल पर संयुक्त हो जाता है। इसी दौरान GTP, GTD व Pi में एन्जायम ट्रासलोकेज की उपस्थिति में जल अपघटित (hydrolysed) हो जाता है। GDP राइबोसोम से EF-tu-GDP समिम्श्र के रूप में अलग हो जाता है। इस क्रिया विधि के द्वारा AA का सही स्थल जुड़ना काफी परिशुद्ध (accurate) होता है।
उत्छ। की 5′-3′ श्दिशा में राइबोसोम विस्थापित होता है तथा उस पर उपस्थित समारंभ बिन्दु निर्मुक्त होकर अन्य राइबोसोम के साथ समारंभ सम्मिश्र बनाने के लिए प्रयुक्त हो जाता है। इस तरह एक ही mRNA अणु से कई राइबोसोम जुड़ते रहते हैं व एक पॉलीराइबोसोम सम्मिश्र बन जाता है। यह देखा गया है कि हर राइबोसोम पर एक पोलीपेप्टाइड श्रृंखला निर्मित होती रहती है किन्तु अलग-अलग राइबोसोम पर इन शृंखलाओं का परिमाण व आकार अलग होता है।
(ब्) पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का समापन (Termination of polypeptide chain)
जब कोशिका प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया को रोकना चाहती है तब ऐसे कोडोन निर्मित होते हैं जो विशिष्ट रूप से यह संकेत देने के लिए होते हैं कि यह क्रिया अब रुक जानी चाहिए। इसके लिए fr~ कारक बनता है जो श्रृंखला समापन संकेत को समझ सकते है। mRNA के अंतिम सिरे पर उपस्थित टर्मिनल कोडोन UAA, UAGUGA (पेप्टीडल tRNA सहित) के पहुंचने के उपरान्त श्रृंखला का समापन हो जाता है जो यह सिद्ध करता है कि पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला पूर्ण रूप से बन चुकी है।
कैसकी व कैपची (Caskey and Capeche) ने ई. कोलाई से तीन विशिष्ट मोचक कारक विलग (isolate) कि जो विशिष्ट रूप से त्रिक कोडो के लिए होते हैं।
RF-1-UAA, UAG
RF-2-UAA- UGA
RF-3 यह केवल RF व RF, की क्रियाशीलता को बढ़ाता है।
लिपमान (Lipmann 1973) के मतानुसार मोचक कारक (releasing factor) टर्मिनल कोडोन के साथ एक सम्मिश्र (complex) बनाता है जिसके द्वारा पोलीपेप्टाइड श्रृंखला (polypeptide chain) के समापन (termination) तथा मोचन को उत्प्रेरित (catalyse) करने हेतु विकर पेप्टीडल ट्रांसफीरेज (eæyme peptidal transferase) को बनाने में सहायता प्रदान करता है।
निर्मुक्त पोलीपेप्टाइड श्रृंखला का बदलाव
(Changes in the released polypeptide chain)
पोलीपेप्टाइड श्रृंखला जब निर्मुक्त हो जाती है उसके पश्चात् उसके प्रथम ।। मिथयोनिन से विकर फॉर्मीलेजस (eæyme formylases) फॉर्मिल समूह को अलग कर देता है। विकर एक्सोपेप्टीडेजिस (eæyme exopeptidases) श्रृंखला के छ टर्मिलन के अथवा दोनों टर्मिनल के कुछ AA को अलग कर देते हैं। पॉलीपेप्टाइड शृंखला अब कोशिका की जरूरत के अनुसार प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक अथवा चतुष्क रूप ग्रहण कर लेती है।
आरएनए प्राइमर (RNA Primer)
प्राइमर, आरएनए अथवा डीएनए के छोटे खण्ड होते हैं जो एकसूत्री डीएनए के टेम्पलेट के साथ संलग्न होते हैं। यह जुड़ना 3श्व्भ् सिरे से प्रारम्भ होता है जहां से डीएनए पॉलिमरेज डीएनए का एक नया सूत्र निर्मित करके डूप्लेक्स (द्विसूत्री) डीएनए बनाता है।
इस आरएनए प्राइमर की आवश्यकता डीएनए पॉलिमरेज को डीएनए संश्लेषण (synthesis) को प्रारम्भ करने के लिए पड़ती है बिना आरएनए प्राइमर (RNA primer) के यह डीएनए का संवर्धन आरम्भ नहीं कर सकता।
आरएनए प्राइमर वास्तव में छोटे आरएनए न्यूक्लियोटाइड खण्ड हैं जो यूकेरियोट में लगभग 10 न्यूक्लियोटाइड लम्बे होते हैं। यह डीएनए प्राइमेज एन्जाइम द्वारा राइबोन्यूक्लिोसाइड ट्राइफॉस्फेट से डीएनए के प्रतिकरण से पहले ही निर्मित हो जाता है।
प्रश्न (Questions)
(।) बहुविकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
1. अमीनो अम्ल संघनित होकर बनाते है
ं(ं) प्रोटीन (इ) शर्करा
(ब) लिपिड (क) सभी
By condensation of amino acids which is formed
(a) Protein (b) Sugar
(c) Lipid (d) All
2. सेन्ट्रल डोग्मा किसने प्रतिपादित किया ?
(ं) वाटसन (इ) क्रिक (ब) मार्गन (क) मुलर
Who proposed the ‘Central Dogma’?
(a) Watson (b) Crick
(c) Morgan (d) Muller
3. r-RNA संश्लेषण में भाग लेता है
(ं) आरएनए पॉलीमरेज I (इ) आरएनए पॉलीमरेज II
(ब) आरएनए पॉलीमरेज III (क) सभी
What participates in synthesis of r-RNA
(a) RNA polymerase i~ (b) RNA polymerase II
(c) RNA polymerase IIi~ (d) All
उत्तर (Answers)
1.(a), 2. (b) 3. (d)
(ठ) रिक्त स्थान भरिए (Fill In the Blanks)
1. …………. ही प्रोटीन संश्लेषण के स्थल होते हैं।
————- are sites for protein synthesis.
2. आरएनए ……….. सूत्री होता है।
RNA is ————-stranded-
3. कुछ आरएनए अणु एन्जाइम का कार्य करते हैं व …………… कहलाते हैं।
Few RNA atoms which act as eæyme are called————-
उत्तर (Answers)
. 1. राइबोसोम (Ribosomes), 2. एकल (single), 3. राइबोजाइम (Ribozymes)
(ब्) सत्य ध्असत्य (True or False),
1. जीवाणु के एन्जाइम आरएनए पॉलिमरेज एक ही प्रकार का होता है।
In bacteria eæyme RNA polymerase is of one type only-
2. यूकेरियोट में एन्जाइम आरएनए पॉलीमरेज तीन प्रकार का होता है।
In Eucaryotes eæyme RNA polymerase is of three types.
3. राइबोसोम का 30S सबयूनिट, F-Net-tRNA व r-RNA से जुड़ता है।
30S subunit of ribosome unites with F&met&tRNA and r&RNA-
उत्तर (Answers)
1. सत्य (True), 2. सत्य (True), 3. असत्य (False)
(क्) अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
1. अनुवाद की परिभाषा दीजिए।
Define translation-
2. अनुलेख की परिभाषा दीजिए।
Define transcription-
3. आनुवंशिक कोड की परिभाषा दीजए।
Define genetic code-
(म्) टिप्पणियां लिखिये (Write Short Notes)
1. केन्द्रीय डोगमा का सिद्धान्त
Principle of central dogma-
2. आरएनए प्रोसेसिंग
RNA processing-
3. पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का समारंभ
Initiation of polypeptide chain-
(थ्) निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
1. प्रोटीन संश्लेषण पर निबन्ध लिखिये।
Write an essay on protein synthesis-
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