Transfer of Amino Acid to tRNA in hindi , अमीनो एसिड का t – आरएनए पर स्थानांतरण क्या है
जानिये Transfer of Amino Acid to tRNA in hindi , अमीनो एसिड का t – आरएनए पर स्थानांतरण क्या है ?
अनुवाद (Translation)
अनुवाद : परिचय (Translation: Introduction )
अनुवाद वह प्रक्रिया है जिसमें m-आरएनए पर कोड के रूप में अंकित आनुवंशिक सूचना (त्रिकूट कोडोन क्षार अनुक्रम) को राइबोजोमल आरएनए तथा t-आरएनए प्रतिकोडोन (पूरक क्षार 1) के रूप में ग्रहण (read) करते हैं तथा यह त्रिकूट प्रतिकोडोन अपने विशिष्ट अमीनो अम्ल को राइबोजोम में ले जाकर पॉलिपेप्टाइड में जोड़ कर प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं। इस दौरान m- आरएनए पर अंकित आनुवंशिक सूचना कोडोन के रूप में 1- आरएनए द्वारा पढ़ी ( reading ) जाती है। m – आरएनए पर अंकित सूचना अमीनो अम्ल के 20 अक्षर कोड के रूप में अनुवाद की जा सकती है (देखें चित्र) जो प्रोटीन के आधारभूत स्तम्भ हैं। 20 अक्षर कोड 20 अमीनो अम्ल के लिए कोड करते हैं।
आनुवंशिक कोड न्यूक्लियोटाइड के 3 अक्षर से बने कोडोन कहलाते हैं। प्रत्येक 3 विशिष्ट अमीनो अम्ल के लिए कोड करते हैं। अनुवाद प्रारम्भ करने के लिए प्रारम्भन कोडोन AUG होता है। इनके अलावा अनुवाद की प्रक्रिया रोकने के लिए स्टॉप (stop) कोडोन होता है यह UAA, UAG व UGA हैं।
m-आरएनए पर उपलब्ध आनुवंशिक सूचनाओं की भाषा ( न्यूक्लिक अम्लों द्वारा) को प्रोटीन की भाषा में बदलने को अनुवाद (translation) कहते हैं । m-आरएनए पर उपस्थित न्यूक्लियोटाइड के क्रम का अमीनो अम्ल (AA) के क्रम में बदलना अनुवाद (translation) कहलाता है। यह अनुलेखन की अपेक्षा जटिल प्रक्रिया होती है एवं निम्न तीन पदों में सम्पूर्ण होता है-
(I) अमीनो अम्लों का सक्रियकरण (Activation of Amino Acids),
(II) अमीनों एसिड का t-आरएनए पर स्थानान्तरण (Transfer of AA to t-RNA),
(II) अनुवाद-पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का निर्माण (Translation-formation of polypeptide chain)
पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का निर्माण : निम्नलिखित चरणों मे सम्पूर्ण होती है—
(1) श्रृंखला समारंभ (Chain Initiation),
(2) शृंखला दीर्धीकरण (Chain Elongation),
(3) शृंखला समापन (Chain Termination).
(I) अमीनो अम्लों का सक्रियकरण (Activation of Amino Acids)
चूहे की यकृत कोशिकाओं पर अध्ययन करते हुए पी. जैमेनिक व साथियों (P. Zamenika eral) ने पाया कि कोशिका द्रव्य में अमीनो अम्ल (AA) निष्क्रिय अवस्था में मिलते हैं इनका सक्रियकरण (activation) एटीपी के द्वारा होता है जो AA के साथ संयुक्त होकर अमीनो ऐसाइल एडेनाइलेट बनाते हैं। इस प्रतिक्रिया (reaction) का उत्प्रेरक (catalyst) एक एन्जाइम अमीनो ऐसाइल सिन्थेटेज (aminoacy| synthetase) है जो इस प्रतिक्रिया को सम्पन्न करने के लिए आवश्यक एन्जाइम है। यह प्रतिक्रिया निम्न समीकरणों (equation) द्वारा समझी जा सकती है-
अमीनो अम्ल तथा एटीपी अमीनो एसाइल सिन्थेटेज नामक एन्जाइम की उपस्थिति में क्रिया करके अमीनो एसिल एएमपी एन्जाइम सम्मिश्र बना लेते हैं। प्रत्येक अमीनों अम्ल के लिए विशेष प्रकार अमीनो एसाइल सिन्थेटेज होते हैं जो विशिष्ट प्रकार के अमीनों अम्लों का ही चयन करते हैं। प्रत्येक एन्जाइम अपने अनुकूल प्रथम चरण में (i) विशिष्ट प्रकार का अमीनो अम्ल तथा दूसरे चरण में (ii) विशिष्ट प्रकार के ही t-आरएनए का चयन कर पाता है जो अमीनो अम्ल को t-आरएनए में स्थानान्तरित करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं ।
अमीनों अम्ल एसाइल सिन्थेटेज से तब तक जुड़ा रहता है जब तक कि उस अमीनो अम्ल के आरएनए का चयन नहीं कर लेता। चयन करने के पश्चात् यह एन्जाइम अमीनो अम्ल को r-आरएनए के आखिरी एडिनाइलिक अवशेष (adynylic residue) पर स्थानान्तरित (transfer) कर देता है।
(II) अमीनो एसिड का t – आरएनए पर स्थानान्तरण (Transfer of Amino Acid to t-RNA)
इस प्रावस्था में (phase) सक्रिय अमीनो अम्ल (AA) अणु कम अणुभार वाले -आरएनए अणुओं पर स्थानान्तरित हो जाते हैं। यह अणु कोशिका द्रव में स्वतन्त्र विचरण करते हैं तथा t-आरएनए कहलाते हैं। यह अणु प्रत्येक AA के लिए विशिष्ट (specific) i c) होते हैं। t-आरएनए पर सक्रिय AA के स्थानान्तरण के पश्चात् सक्रियण एन्जाइम तथा एएमपी मुक्त हो जाते हैं। अमीनो अम्ल का -आरएनए पर स्थानान्तरण निम्न समीकरण द्वारा समझा जा सकता है-
इस प्रतिक्रिया में अमीनो एसिल एएमपी एन्जाइम सम्मिश्र जो प्रथम समीकरण ( equation) में बना था इस द्वितीय चरण में t – आरएनए के साथ क्रिया करके इसके अमीनो एसिल अम्ल को tRNA पर स्थानान्तरित (transfer) करके AA~t – आरएनए का निर्माण करता है। इस क्रिया के लिए मेग्नीशियम तथा एन्जाइम अमीनो एसाइल आरएनए सिंथेटज की उपस्थिति आवश्यक है।
आरएनए, m-आरएनए पर एक विशिष्ट (special) स्थल पर जुड़ा रहता है । t-आरएनए के अणुओं में एन्टीकोडोन उपस्थित होता है जो m-आरएनए में कोडोन (codon) के रूप में संकेती (codit) संदेशों का अनुवाद करता है। t-आरएनए को अडेप्टर अणु ( adaptor melecule) भी कहा जाता है। अमीनो एसाइल tRNA के आइसोटोपिक लेबल युक्त AA (isotopically labelled AA) के प्रयोग से क्रिक तथा होगलैंड (Crick and Hoagland) द्वारा प्रतिपादित यह तथ्य सिद्ध हो गया कि t-आरएनए एक आणविक अडैपटर है जिस पर AA को जोड़ा जाता है ।
(III) अनुवाद-पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला का बनना (Translation-Formation of Polypeptide Chain) पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला का निर्माण निम्न तीन चरणों में सम्पन्न होता हैं-
अनुवाद प्रक्रिया (Translation Process)
अनुवाद भी m-आरएनए के 5′ सिरे से 3′ की ओर सम्पन्न होता है। अनुवाद के समय जो पॉलिपेप्टाइड की श्रृंखला (प्रोटीन) का निर्माण होता है उसमें सबसे पहले जो अमीनो अम्ल जुड़ता उसका एमीनो (-NH,) समूह स्वतंत्र रहता है परन्तु श्रृंखला के आखिरी में स्थित अमीनो अम्ल के अन्तिम सिरे पर कार्बोक्सिल (-COOH) समूह स्वतंत्र होता है जो क्रमश: N-सिरा व C – सिरा कहलते हैं। प्रत्येक पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला का निर्माण पहले अमीनो अम्ल के सिरे से आखिरी अमीनो अम्ल के सिरे के मध्य होता है। अनुवाद निम्न तीन चरणों में सम्पन्न होता है-
- पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला का प्रारम्भन ( Initiation of Polypetide Chain)
पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला सदैव मिथियोनिन नामक अमीनो अम्ल से प्रारम्भ (initiate) होती है प्रारम्भन कोडोन (codon ) AUG द्वारा कोड की जाती है।
अनुवाद हेतु पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला के निर्माण से पहले की सभी प्रक्रियायें प्रारम्भन (initiation) से सम्बन्धित होती है। यह एक धीमी प्रक्रिया है जिसमें अनेक प्रारम्भन घटक भी भाग लेते हैं: प्रारम्भन संकुल (initiation complex) बनाते हैं।
- प्रोकेरियोट में अनुवाद का प्रारम्भन (Initiation of Translation in Prokaryotes)
प्रोकेरियोटिक जीवों में ई.कोलाई में अनुवाद का प्रारम्भन विस्तार पूर्वक समझाया गया है। (i) कैम्फर व उनके सहयोगियों (Kaempfer eral) ने बताया कि पोलीपेप्टाइड श्रृंखला आरम्भ होने से पूर्व 70S राइबोसोम 50 S + 30S सब युनिट में अलग रहते हैं व बाद में जुड़कर 70S राइबोसोम निर्मित करते रहते हैं। यह क्रिया इसलिए आवश्यक है क्योंकि m-आरएनए तथा अमीनो एसाइल t-आरएनए 70S आरएनए से सीधे (directly) ही नहीं जुड़ सकते, यह पहले 30S के साथ, संयुक्त होते हैं। आधुनिक शोध यह सिद्ध करते हैं कि यह सरल ना होकर जटिल क्रिया होती है जिसमें कई चरण (multistep) होते हैं व इसमें 3 विशिष्ट प्रारम्भन प्रोटीन कारक (intiating protein factors) यथा IF–1, IF–2, IF–3 होते हैं। यह कारक 30S सबयुनिट के साथ ढीले रूप में संयुक्त रहते हैं तथा निरन्तर अलग होते व जुड़ते रहते हैं ।
(B) एक राइबोसोम पर विभिन्न सक्रिय स्थल
(ii) राइबोसोम का 30S सबयुनिट, f- Met-t-आरएनए व -आरएनए से जुड़ता है। m-आरएनए के 5 सिरे से संयुक्त होकर m-आरएनए के प्रथम कोडोन AUG के साथ समारम्भ सम्मिश्र 30S – m – आरएनए निर्मित कर लेता है। f-Met-tRNA’ इस समिश्र के साथ मिलकर 30S…m-RNA-f-Met-tRNA’ बनता है।
प्रारम्भन सकुल का निर्माण (Formation of Inition Complex)
इसके अनुवाद में प्रारम्भन संकुल के निर्माण में तीन प्रारम्भन कारक (1F) भाग लेते हैं जो 1F1 IF तथा 1F3 कहलाते हैं। यह पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के निर्माण के प्रारम्भन में भाग लेते हैं। यह प्रारम्भन संकुल को स्थिर करने में सहायक है।
प्रोकेरियोट में अनुवाद के प्रारम्भन में राइबोजोमल की उपइकाईयाँ 50 S तथा 30 S भाग लेते हैं। जिसका आनुवंशिक सूचना का अनुवाद होना है वह m-आरएनए पर त्रिकूट के रूप में उपस्थित होते हैं, जिन्हें कोडोन कहते हैं। गुवानोसिन ट्राइफॉस्फेट (GTP) ऊर्जा के स्रोत के रूप में आवश्यक है। इनके साथ प्रोकेरियोटिक दीर्घीकरण कारक (elongation factor) EP-P भी जरूरी है।
सर्वप्रथम 1F3 राइबोजोम की 30S उप इकाई से जुड़ती है। IF के राइबोजोम के साथ संयुक्त होने के पश्चात् यह उपइकाई किसी भी 50 S उपइकाई से नहीं जुड़ सकती है। IF, जब 30 S से हट जाती है उसके पश्चात् ही 30S अपने दूसरी उपइकाई से जुड़ सकती है।
प्रारम्भन कारक 1F2 फोर्मिलमिथियोनिल t-RNA (Fmet-t-RNAf) से संलग्न होकर एक द्विअंगी संकुल (binary complex) निर्मित करता है।
राइबोजोम पर तीन सक्रिय स्थल E स्थल, P-स्थल तथा A स्थल उपस्थित रहते हैं। इनमें स्थल पर एमीनोएसाइल t-RNA आकर जुड़ता है। यह अमीनो अम्ल के अन्दर आने का स्थल है। यहां महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सबसे पहले जुड़ने वाला अमीनो एसिल t-RNA P-स्थल पर ही आकर जुड़ता है। इस P-स्थल पर पेप्टाइडल t- आरएनए राइबोजोम में निर्मित होता है। P-स्थल के बायीं तरफ E-स्थल होता है यह अनावेशित (uncharged) t-आरएनए के राइबोजोम से बाहर निकालने का स्थल है। t-आरएनए जब अपने साथ संलग्न अमीनो अम्ल को पेप्टाइड श्रृंखला के साथ जोड़ देता है तब यह राइबोसोम की उपइकाई को छोड़ देता है व बाहर निकल जाता है। क्रिया विधि के द्वारा अमीनो असाइल का t – आरएनए का सही स्थल पर जुड़ना काफी परिशुद्ध (accurate) होता है।
उपर्युक्त आवश्यक घटक अनुवाद के प्रारम्भन संकुल का निर्माण चरणबद्ध तरीके से इस प्रकार करते हैं –
(i).सर्वप्रथम राइबोजोम की छोटी उपइकाई 30S प्रारम्भन कारक 1F के साथ संलग्न होती है। यह बंधन प्रारम्भन के लिए जरूरी होता है। जैसे ही 1F3 30 S उपइकाई के साथ बंध बनाती है तब यह दूसरी राइबोजोमल उपइकाई 50 के साथ तब तक नहीं जुड़ सकती जब तक 1F3 से 30S से अलग नहीं होता ।
(ii) राइबोजोम की 30S उपइकाई + 1F3 m-आरएनए टेम्पलेट से प्यूरीन बहुल क्षेत्र (purine rich region) AUG प्रारम्भन स्थल से ऊर्ध्व प्रवाह से जुड़कर आबद्ध होती है। यह प्यूरीन बहुल क्षेत्र शाइन डालगन अनुक्रम ( Shine – Dalgarno sequence) कहलाता है। यह अनुक्रम 30S उपइकाई के 16S r- आरएनए के घटक (component ) पर स्थित पिरीमिडीन बहुल क्षेत्र की पूरक होती है। प्रारम्भन संकुल के निर्माण के समय न्यूक्लियोटाइड के यह पूरक अनुक्रम युग्म में स्थित होकर दो सूत्रीय आरएनए संरचना निर्मित करता है जो आरएनए को राइबोजोम से इस तरह जोड़ देता है कि जिससे प्रारम्भन कोडोन राइबोजोम की P स्थल पर स्थित हो जाये।
(iii) m-आरएनए + 30 S उपइकाई + 1F3 से एक अन्य प्रारम्भन कारक 1F संलग्न होकर m- आरएनए पर बने प्रारम्भन संकुल को स्थिर कर देता है।
(iv) फोर्मिलमिथियोनिल-t आरएनए (f met-tRNA) एक अन्य प्रारम्भन कारक 1F2 से संलग्न होकर एक द्विअंगी संकुल (binary complex) निर्मित करता है।
(v) fmet-t आरएनए +1F2 (द्विअंगी संकुल) ऊर्जा स्रोत GTP (गुआनोसिन ट्राइफोस्फेट) के साथ मिल कर 30 S उप इकाई ( + 1F, + 1F2 + m – आरएनए) के P स्थल पर स्थित प्रारम्भन कोड AUG से जुड़ जाता है। यहाँ मुख्य तथ्य यह है कि fmet-tआरएनए के अलावा कोई अन्य अमीनो एसिल t – आरएनए सीधे P – स्थल से नहीं जुड़ सकता है।
(vi) अब 1F2 तथा 1F3 आरम्भन संकुल से अलग हो जाते हैं। 1F3 के अलग होते ही राइबोजोम की उपइकाई 50 Sm-आरएनए से संलग्न 30S उपइकाई से जुड़ जाती है। इस प्रक्रिया में GTP (गुआनोसिन ट्राइफॉस्फेट) का जलीय अपघटन हो जाता है। राइबोसोम की दोनों उपइकाईयों के जुड़ने के साथ ही अनुवाद प्रारम्भन संकुल का निर्माण पूरा हो जाता है। इसमें A-स्थल स्वतंत्र रहता है व P-स्थल में f met-t आरएनए उपस्थित रहता है।
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