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समरूप विद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विध्रुव पर बल एवं बलाघूर्ण , बलाघूर्ण (T) , बल आघूर्ण की परिभाषा , torque in hindi

समरूप विद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विध्रुव पर बल एवं बलाघूर्ण : माना एक समरूप विद्युत क्षेत्र “E” में एक एक विद्युत द्विध्रुव जिसके आवेश क्रमशः +q व -q तथा प्रभावकारी लम्बाई “2a” है , को θ कोण पर रखा गया है तो इस विद्युत द्विध्रुव के दोनों आवेशो पर लगने वाले विद्युत बल F = +qE तथा F = -qE परिमाण में समान व दिशा में एक दुसरे के विपरीत होने के कारण विद्युत द्विध्रुव पर लगने वाला परिणामी बल शून्य होता है परन्तु दोनों बलों की क्रियारेखा अलग अलग होने के कारण विद्युत द्विध्रुव में बलाघूर्ण उत्पन्न होता है।

अत: विद्युत द्विध्रुव पर लगने वाला बलाघूर्ण –

बलाघूर्ण (T) : एक बल का परिमाण x बलों की क्रिया-रेखा के बीच की लम्बवत रेखा।

T = F x 2asinθ

T =  qE x 2asinθ

चूँकि F = qE

T = q(2a)E sinθ

चूँकि q (2a) = P

T = PEsinθ

केस -I : यदि विद्युत द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र की दिशा में रखा जाए अर्थात θ = 0 हो तो –

T = 0

चूँकि sinθ = 0

केस -2 : यदि विद्युत द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र के विपरीत दिशा में रखा जाता है तो अर्थात θ = 180 डिग्री –

T = 0

चूँकि sinθ = 0

केस -3 : यदि विद्युत द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र की दिशा के लम्बवत रखा जाए तो अर्थात θ = 90 डिग्री।

T = PE (अधिकतम)

चूँकि sinθ = 1

T = -PE (न्यूनतम)

(जब θ = -90 डिग्री तो sin(-90) = -1 होगा। )

बलाघूर्ण का मात्रक “न्यूटन x मीटर या जूल” या ” किग्रा x मी2/सै2 ” होता है।

बलाघूर्ण की विमा [M L2 T-2] होती है।

बलाघूर्ण एक सदिश राशि है जिसकी दिशा द्विध्रुव आघूर्ण (P) तथा विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (E) से बने तल के लम्बवत अन्दर या बाहर की ओर होगी।

प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1 : निर्वात में स्थित दो बिन्दु आवेशो के मध्य F बल लग रहा है यदि इन आवेशों के मध्य पीतल की प्लेट रख दी जाए तब बल का मान क्या होगा ?
उत्तर : निर्वात में आवेशो पर कार्यरत बल = F
चूँकि आवेशों के मध्य पीतल रखते है।
चूँकि पीतल/धातु का पैरावैद्युतांक अनन्त होता है।
Fm = F/Er
Fm = F/ ∞ = 0
अत: Fm = 0 होगा।
प्रश्न 2 : आदर्श विद्युत द्विध्रुव की शर्त लिखिए।
उत्तर : आवेशो के मध्य की दूरी कम होनी चाहिए।
उच्च आवेश होने चाहिए।
प्रश्न 3 : एबोनाइट की छड को फर से रगड़ने पर एबोनाईट की छड ऋणावेशित क्यों हो जाती है ?
उत्तर : जब एबोनाइट की छड को फर से रगड़ते हो तो ऊष्मीय प्रभाव के कारण फर से इलेक्ट्रॉन निकलकर एबोनाइट की छड में जाते है जिससे एबोनाइट की छड ऋण आवेशित तथा फर धनावेशित हो जाती है क्योंकि फर में इलेक्ट्रॉन नाभिक से अधिक दूरी पर स्थित है जिससे इलेक्ट्रॉन आसानी से निकल जाते है तथा एबोनाइट में इलेक्ट्रॉन नाभिक के पास दृढ़ता से बंधे होते है जिससे एबोनाइट में इलेक्ट्रॉन प्रवेश करते है।
प्रश्न 3 : दो बिन्दु आवेशो के मध्य उन्हें मिलाने वाली रेखा के किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता शून्य है।  इससे आप आवेशो के बारे में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हो ?
उत्तर : यदि दो आवेशों को मिलाने वाली रेखा पर दोनों आवेशो के मध्य विद्युत क्षेत्र की तीव्रता शून्य है तो दोनों आवेशो की प्रकृति समान होगी परन्तु यदि दोनों आवेशो को मिलाने वाली रेखा पर दोनों आवेशो के बाहर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता शून्य है तो दोनों आवेशो की प्रकृति विपरीत होगी।
प्रश्न 4 : एक इकाई ऋण आवेशित आयन तथा एक इलेक्ट्रॉन विद्युत क्षेत्र E के प्रभाव में गतिमान है।  इन दोनों में से कौनसा कण तीव्र गति से चलेगा और क्यों ?
उत्तर : जब एक इकाई ऋणावेशित आयन अर्थात एक ऋण आवेशित आयन तथा एक इलेक्ट्रॉन को समरूप विद्युत क्षेत्र में रखा जाए तो इलेक्ट्रोन व आयन का आवेश समान होने के कारण दोनों विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में समान गति करेंगे परन्तु ऋण आवेशित आयन का द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान से बहुत अधिक होने के कारण ऋणावेशित आयन धीमी गति से तथा इलेक्ट्रोन तीव्र गति से गति करता है क्योंकि [a ∝ 1/m]
प्रश्न 5 : एक समान विद्युत क्षेत्र में एक विद्युत द्विध्रुव रखा जाता है , दिखाए की यह स्थानांतरित त्वरित गति नहीं करेगा ?
उत्तर : जब किसी विद्युत द्विध्रुव को एक समान विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है तो विद्युत द्विध्रुव के दोनों आवेशो पर विद्युत बल परिमाण में समान तथा दिशा में एक दुसरे के विपरीत होने के कारण विद्युत द्विध्रुव पर परिणामी बल शून्य होता है जिसके कारण विद्युत द्विध्रुव एक समान विद्युत क्षेत्र में स्थानान्तरित त्वरित गति नहीं करता है।