WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

ऊत्तक तंत्र क्या है , परिभाषा , प्रकार , उदाहरण , Tissue system in hindi

ऊत्तक तंत्र (Tissue system ) : पौधे के विभिन्न भागों में स्थित ऊत्तक संरचना व कार्य की दृष्टि से एक दूसरे से भिन्न होते है।  परन्तु ये ऊत्तक एक इकाई के रूप में कार्य करते है।  ऊत्तको के ऐसे समूह (इकाई) की ऊत्तक तंत्र कहते है।  पौधों में तीन प्रकार के ऊत्तक तंत्र पाये जाते है।

1. बाह्यत्वचीय ऊत्तक तन्त्र : यह पौधों का सबसे बाहरी आवरण बनाता है , इसके तीन घटक होते है।

  • बाह्य त्वचा (ePidermis ) : यह पौधे की बाहरी त्वचा है , इसकी कोशिकाएँ लम्बी सटी हुई , पेरेन्काइमी परन्तु जीव द्रव्य कम होता है। बाह्य त्वचा एकल व अखण्ड सतह बनाती है।  कोशिका में एक बड़ी रसधानी होती है।  बाह्य त्वचा की बाहरी सतह पर मोम के समान परत पायी जाती है , जिसे क्यूटिकल कहते है।  यह पानी की हानि को रोकते है।  मूल में क्यूटिकल का अभाव होता है।
  • कोशिका रन्ध्र : रन्ध्र पत्तियों व तने की बाह्य त्वचा पर पाये जाते है , प्रत्येक रंध्र में सेम के बीज के आकार की दो कोशिकाएँ होती है जिन्हें द्वार कोशिकाएं कहते है। घास में  द्वार कोशिकाएँ डबलाकार होती है। द्वार कोशिकाओ की बाहरी भित्ति पतली व आन्तरिक भित्ति मोटी होती है।  द्वार कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट पाया जाता है जो जो रन्ध्र के खुलने व बंद होने से सहायक होता है।  द्वार कोशिकाओ के चारों ओर विभिन्न आमाप व आकृति की विशिष्ट कोशिका होती है , जिन्हें सहायक कोशिकाएँ कहते है।  रन्ध्र वाष्पोत्सर्जन व गैस विनिमय में सहायक होते है।
  • रोम (Trichomes) : पौधे की बाह्य त्वचा की कोशिकाएँ अतिवृद्धि करके रोम बनाती है।  मूल की बाह्यत्वचा एक कोशिकीय मूलरोम बनाती है , मूल रोम खनिज लवण व जल का अवशोषण करते है।  तने की बाह्यत्वचा बहु कोशिकीय त्वचा रोम बनाती है , ये शाखित , अशाखित , नरम या कठोर होते है।  त्वचा रोम वाष्पोत्सर्जन को कम करते है।

(2) भरण उत्तक तंत्र : बाह्य त्वचा व संवहन उत्तकों को छोड़कर पादप शरीर का मुख्य भाग भरण उत्तक से बना होता है।  इसमें सरल उत्तक जैसे पैरेन्काइम , कोलेन्काइम व स्केलेरेन्काइम होते है।

जड़ो व तनों में भरण उत्तक निम्न भागो में विभेदित होता है –
  • तत्कुल
  • परिरम्न
  • मज्जा
  • मज्जाकिरणें

पर्णमध्योत्तक (मिजोफिल) : पत्तियों में भरण ऊत्तक क्लोरोप्लास्ट युक्त होता है , जिसे पर्णमध्योत्तक कहते है।

(3) संवहन उत्तक तंत्र : संवहन उत्तक तंत्र जाइलम व फ्लोएम से बनता है।  द्विबीजपत्री पादपों में संवहन बंडल जाइलम , फ्लोएम व कैम्बियम से बनता है जबकि एकबीजपत्री पादपों में जाइलम व फ्लोएम से ही बनता है।
कैम्बियम की उपस्थिति व अनुपस्थिति के आधार पर संवहन बण्डल दो प्रकार का होता है –
  • खुला संवहन बंडल : ऐसा संवहन बंडल जिसमे कैम्बियम उपस्थित होता है।  उदाहरण – द्विबीजपत्री
  • बंद संवहन बंडल : ऐसे संवहन बण्डल जिसमे कैम्बियम का अभाव होता है , बंद संवहन बंडल कहलाता है।  उदाहरण – एकबीजपत्री पादप

जाइलम व फ्लोएम की स्थिति के आधार पर संवहन बण्डल

  • अरीय संवहन बंडल : जब जाइलम व फ्लोएम अलग अलग त्रिज्याओं पर तथा एकांतर क्रम में हो तो इसे अरीय संवहन बंडल कहते है।  उदाहरण – मूल में
  • संयुक्त संवहन बंडल : जब जाइलम व फ्लोएम अलग अलग त्रिज्याओं पर न होकर एक त्रिज्या पर तथा एकान्तर क्रम न हो तो उसे संयुक्त संवहन बण्डल कहते है।