thyroxine hormone in hindi , थायरोक्सिन हार्मोन के कार्य क्या है , थायरोक्सिन हार्मोन के संश्लेषण में किसका होना आवश्यक है
पढ़िए thyroxine hormone in hindi , थायरोक्सिन हार्मोन के कार्य क्या है , थायरोक्सिन हार्मोन के संश्लेषण में किसका होना आवश्यक है ?
जन्तु के आप-पास समय या संघर्ष की अवस्थाओं में त्वचा का पीला पड़ना, बालों को खड़ा होना, श्वास को तेज होना, हृदय की धड़कन बढ़ना, आँखे के क्रोध के कारण हो जाना हॉरमोन्स प्रभाव के कारण होता है।
अधिवृक्क मध्यांश की अपसामान्य अवस्था (Abnormal condition of adrenal medulla )मनुष्य मे यह अवस्था अधिवृक्क मध्याँश में अबुर्द (tumor) उत्पन्न होने के कारण हो सकती है। ये अबुर्द फीओक्रोमासाइटोमा (pheochromocytoma) कहलाते हैं। इस अवस्था में यह ग्रन्थि अति लक्षण उत्पन्न करती है।
थाइरॉइड ग्रन्थि (Thyoid gland)
सभी कशेरुकी जंतुओं में अवटु अथवा थायरॉइड ग्रन्थि पायी जाती है। प्रोटोकॉर्डेट्स में एन्डोस्टाइल को इस ग्रन्थि का समजात (homologohs) अंग माना गया है। इसी प्रकृति के अनेक अंग अन्य जंतुओं में पाये जाते हैं। साइक्लोस्टोमेटा समूह के जंतुओं में थायरॉइड पुटक ग्रसनी के फर्श पर तंतुकी ऊत्तक में धँसे पाये जाते हैं। इलास्मोब्रेक मछलियों में यह अधर धमनी काण्ड पर ब्रेकियल धमनियों के विभाजन स्थन पर संपुटिक (encapsulated) अवस्था में स्थित होतें हैं। टीलीओस्ट मछलियों में थायरॉइड के पुटक अधर धमनी काण्ड के निकट फैले रहते हैं। एम्फीबिया जंतुओं में यह युग्मितं, सरीसृपों (reptiles) में एकल रचना के रूप में हृदय के आगे स्थित होते हैं। पक्षियों में भी एक युग्म रचनाओं के रूप में उपस्थित होते हैं। स्तनि मनुष्य में यह द्विपालित (bilobed) ग्रन्थि कण्ठ ( larynx) के नीचे श्वसनिका (trachea ) के दोनों ओर थायरॉइड (thyroid) एवं क्रिकॉयड ( cricoid) उपास्थियों के पार्श्व भागों पर फैली हुई H आकृति की संरचना के रूप में पायी जाती है।
थायरॉइड ग्रन्थि का परिवर्धन (Development of thyroid gland)
यह ग्रसनी (pharynax) भाग से उद्वर्ध (outgrowth) के रूप में विकसित होना आरम्भ करती है। जीभ के आधार पर एक प्रवर्ध बनकर खोखली हाइपोग्लोसल नलिका (hypoglossal duct) के रूप में वृद्धि करता है जिसके समाप्त हो जाने पर इसका ग्रन्थिल भाग जीभ से पृथक् हो जाता है । अतः यह भ्रूणीय एण्डोर्डम से विकसित संरचना होती है।
संरचना (Structure)
मनुष्य के ग्रीवा भाग में श्वसन नलिका (trachea ) के दोनों ओर 2, 3 तथा 4 ट्रेकियल रिंग (tracheal ring) के सामने कंठ के नीचे यह द्विपालिका गुलाबी रंग की ग्रन्थि के रूप में उपस्थित होती है। इसकी दोनों पालियाँ इस्थमस ( isthmus) नामक संकरी पट्टी के द्वारा जुड़ी रहती है। मादा में यह नर के अपेक्षा बड़ी होती है। मनुष्य में पूर्ण विकसित ग्रन्थि का भार 25-30 ग्राम होता है।
सूक्ष्मदर्शिक अध्ययन के अनुसार यह ग्रन्थि अनेक 15-150 व्यास के गोल या अण्ड थैलीनुमा पुटिकाओं (follicles) या छल्लों से रचित होती है। ये पुटिकाएँ शिथिल ( loose) संयोजी ऊत्तक में वितरित रहती है जिसे स्ट्रोमा (stroma) कहे है। कोशिकाएँ या “C” कोशिकाएँ Abrachial pouch) निर्मित अल्टीम्रोब्रेंकियल कॉर्यो ( ultimobranchial bodies) की अवशेष होती है। (parafollicular or “C” cells) कहते हैं। ये रचनाएँ मूलरूप में भ्रूण के पंचम ग्रसनी क्लोम कोष (Sth स्टोमा भाग में रक्त केशिकाओं का सघन जालं पाया जाता है। पुटकों की भित्ति कणिकीय घनाकार (cuboidal ) ग्रन्थिल कोशिकाओं के इकहरे स्तर से बनी होती है जो पुटकों की अवकाशिका या गुहा में पीला जैसी समाना आयोडीन युक्त कोलॉयडल ग्लाइकोप्रोटीन (coolidal glycoprotein) थायरोग्लोब्युलिन (thyroglobulin) नामक पदार्थ भरा रहता है। इन पुटकों की संख्या चूहे का थायरॉइड में लगभग 100.000 होती है। प्रत्येक पटक, ग्रन्थि की इकाई के रूप में कार्य करता है। ये विभिन्न आमाप के एवं भिन्न घनत्व वाले कोलायड़ युक्त होते हैं। बड़े पुटक ग्रन्थि के परिधि पर एवं छोटे केन्द्र में स्थित होते हैं। यह अधो एवं अधि थायरॉइड धमनियों द्वारा रक्त सम्भरण प्राप्त करती है। यह सिम्पैथेटिक तथा पेरासिम्पैलिथैटिक तंत्रिकाओं द्वारा जुड़ी रहती है।
थायरॉइड ग्रन्थि का स्रवण (Secretions of thyroid gland)
थायरोक्सिन (Thyroxine)
थायरॉइड ग्रन्थि मोनो, डाइ, ट्राई एवं ट्रेटा आयोडोथायरोनीन नामक हॉरमोन का संश्लेषण करती है। ट्रेटा आयोडोथरोनीन को थायरोक्सिन (thyroxine) भी कहते हैं। T3 एवं T4 परिपक्व हॉरमोन है। T3 अर्थात् ट्राइआयोडोथायरोनीन अर्थात् टेट्राओयाडोथायरोनीन की अपेक्षा अधिक सक्रिय होता है. किन्तु इसकी सक्रियता स्थिर नहीं होती है अत: T4 अर्थात् थायरोक्सीन ( thyroxine) जो कि 65- 80% भाग बनाता है। यदि अधिक उपयोगी होता है।
ई.सी.केण्डाल (E.C. Kendall; 1914) ने सर्वप्रथम थायरोक्सीन हॉरमोन को क्रिस्टलीय अवस्था में प्राप्त किया किन्तु इसकी आण्विक संरचना का अध्ययन हैरिंगटन एवं बाजार (Harrington and Barger; 1977) ने किया, इनके अनुसा इसमें लगभग 65% आयोडीन उपस्थित होती है।
थायरोक्सीन का संश्लेषण (Synthesis of thyroxine)
मनुष्य द्वारा प्रति सप्ताह 1 मि.ग्रा. आयोडीन भोजन के साथ ग्रहण की जाती है जो कि आयडीन लवणों के रूप में होती है। भोजन के अवशोषण के दौरान रक्त में से थायरॉइड की कोशिकाओं द्वारा आयोडीन सक्रिय परिवहन (active transport) द्वारा प्राप्त कर ली जाती है। परऑक्सीडेज (peroxidase) नामक एंजाइम द्वारा ऑक्सीकरण किये जाने के उपरान्त आयोडीन (I) ) थायरोक्सीन संश्लेषण के उपयोग किये जाने योग्य होती है। थायरॉइड ग्रन्थि में रक्त की अपेक्षा 25-30 गुना आयोडीन संग्रहित रहती है। आयोडीन टायरोसीन ( tyrosine) नामक अमीनों अम्ल या थायरोग्लोबुलिन किण्वकों की उपस्थिति में क्रिया कर मोनो, डाई, ट्राई एवं टेट्राआयोडोथयरोनीन नामक यौगिक बनाती है। मनुष्य में प्रतिदिन लगभग 200 mg. थायरोक्सीन का संश्लेषण होता है। इस ग्लाइकोप्रोटीन प्रकृति के हॉरमोन का अणुभार 6,75,000 होता है।
कैल्सिटोनिन (Calcitonin) — कैल्सिटोनिन या थायरोकैल्सिटोनिन नामक हारमोन्स इस ग्रन्थि की परिपुटकीय कोशिकाओं (parafollicular cells) के द्वारा स्रवित किया जाता है। इस हॉरमोन के प्रभाव से रक्त में कैल्शियम (C++) तथा फॉस्फेट (PO) की मात्रा का नियम करता है यह पॉलीपेप्टाइड प्रकृति का हारमोन है जो 32 अमीनों अम्लों से बना होता है। यह हॉरमोन पेराथोरमोन के विपरीत दिशा में कार्य करता है। यह रक्तीय Ca++ में कमी पर अधः कैल्शियमता (hypocalcemia) एवं रक्तीय फॅस्फेट में कमी कर अध: फॅस्फेरसता (hypophohatemia) प्रकट करता है।
थायरॉइड ग्रंथि का नियंत्रण (Control of thyroid gland)
थायरोक्सीन हारमोन के संश्लेषण एवं मोचन ( release) पर पीयूषिका के एडीनोहाइपोफाइसिस भाग का नियंत्रण होता है । इस अग्र पिण्ड से स्रवित TSH अर्थात् थायरॉइड उद्दीपक हॉरमोन का कार्य है। इसकी अनुपस्थिति में थायरॉइड ग्रन्थि स्रवण कार्य बन्द कर देती है एवं क्षीण हो जाती है। थायरोक्सीन हॉरमोन का स्वतः परिसंचरण में मोचन से पूर्व प्रोटीनेजेज (proteinases) एंजाइम्स द्वारा पाचन किया जाता है, अतः यह थायरोग्लोबुलिन (thyroglobulin) से पृथक् होकर प्लाज्मा प्रोटीन के साथ जुड़कर देह के ऊतक तक जाता है। थॉयरोक्सिन हार्मोन लक्ष्य अंगों पर अपना प्रभावं दर्शाता है।
हाइपोथैलेमस से स्रवित TRF थायरोक्सीन मोचन कारक पीयूष ग्रन्थि के एडीनोहाइपोफाइसिस भाग पर नियंत्रण रखते हैं अत: थायरोक्तसीन की स्रावित मात्रा जो थायरॉइड ग्रन्थि से प्रतिदिन निकलती है अपरोक्ष रूप से हाइपोथैलेमस द्वारा नियमित की जाती है।
हाइपोथैलेमस-पीयूषिका एवं थायरॉइड ग्रन्थि के सही प्रकार से कार्य करने हेतु रक्त में उपस्थित थायरोक्सीन की मात्रा से ऋणात्मक पुनर्भरण पद्धति द्वारा नियंत्रण होता है। शीत के कारण देह में ऊष्मा की आवश्यकता बढ़ने पर उपापचय की दर में वृद्धि हो जाती है अतः थायरोक्सीन के उपयोग के उपयोग में वृद्धि होती है जिसके लिये TSH की मात्रा में वृद्धि आपेक्षित होती है।
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