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पीडक प्रतिरोधकता एवं रोग प्रतिरोधकता सूक्ष्मजीव का महत्व

पीडक प्रतिरोधकता एवं रोग प्रतिरोधकता सूक्ष्मजीव का महत्व/जैव उत्पन्न करने में नियंत्रण में सूक्ष्मजीवों का महत्व:-

सूक्ष्मजीवों की क्रिया द्वारा पीडक प्रतिरोधकता एवं रोधप्रतिरोधकता उत्पन्न करने की क्रिया जैव नियंत्रण कहलाती है।

पीडकों को नष्ट करने के लिए पीडकनाषी की आवष्यकता होती है तथा पीडकनाषी के प्रयोग से निम्न हानि होती है।

1 कृषि की लागत बढती है।

2 साग-सब्जीयों फलों, फसलों आदि के लिए हानिकारक अन्य जीवों के लिए हानिकारक।

3 अन्य जीवों के लिए हानिकारक।

4 मनुष्य के स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव।

5 पर्यावरण प्रदूषण मुख्य- वायु, जल, मृदा

6 जैव आवर्धन DDT

7 लक्ष्य जीवों के साथ-साथ अलक्ष्य लाभप्रद जीव भी नष्ट हो जाते है।

8 अलाभप्रद जीवों को मारना भी अवाँछनीय है क्योकि वे अनेक लाभप्रद जीवों के आहार है।

उदाहरण:-

1 प्राकृतिक परभक्षण के सिद्धान्त को अपनाना

2 बीटल भृंग- लाल व काल धारी:- ऐफिड

3 पतंग ड्रेगनफ्लाई:- मच्छर

4 बेसिलस यूरेनिटेन्सिस जीवाणु:- बालकृतिम, मुकुलकृमि बटरफ्लाई केटरपिलर

 बैक्यूलोवायरस:- न्यूक्लिओंपोलिहाइड्रोसिस वायरेसिस:- संधिक वाद आर्थोपोडा कीट

 पादप रोग उपचार में:- ट्राइकोडर्मा कवक

जैव उर्वरक उत्पादन:- सूक्ष्मजीवों का उपयोग मृदा की पोषकता बढाने में उर्वरक किया जाये तो उन्हें जैव उर्वरक कहते है।

जीवाणु:- सहजीवी-राइजोबियम लैग्यूम कूल के पादप की जडों पर

मुक्त जीवी:- 1-एजोबैक्टर   2- एजोस्पाइलिरिम

 महत्व:- 1- नाइट्रोजन स्थिरीकरण  2-मृदा में पोषकता बढाना

 कवक:-माइकोरइजा- कवक $ उच्च पादप की जड सहजीवी

 लाभ:- 1 पोधों को फाॅस्फोरस अवषोषण बढाना 2 खनिज उपलब्ध कराना।

2- मृदावातोढ रोगा के प्रति सहनषीलता बढना।

3-सूखा व लवणीयता के प्रति सहनषीलता में वृद्धि

 साइनोबैक्टिरिया:-

(नील हरित षैवाल) एनाबीना नास्टाक धान के खेतों में ओसिटोलेटेरिया