प्रतिरोध ताप गुणांक क्या है temperature coefficient of resistance in hindi प्रतिरोध के ताप गुणांक का मात्रक क्या है
temperature coefficient of resistance in hindi प्रतिरोध ताप गुणांक क्या है किसे कहते है परिभाषा प्रतिरोध के ताप गुणांक का मात्रक क्या है अर्थ मतलब बताइए ?
प्रश्न : प्रतिरोध के ताप गुणांक से आप क्या समझते हो?
उत्तर- यदि किसी तार का 0°C पर प्रतिरोध I ओम हो तो इसका ताप 1°C बढ़ाने पर उसके प्रतिरोध में होने वाली वृद्धि को तार के पदार्थ का प्रतिरोध ताप गुणांक कहते है।
प्रश्न 25. प्रतिरोध के ताप गुणांक का मात्रक क्या है ?
उत्तर- प्रति °C
प्रश्न 16. प्रतिरोध बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रतिरोध किस प्रकार जोड़ने चाहिए ?
उत्तर- श्रेणी क्रम में
प्रश्न 17. क्या किसी प्रतिरोध तार को खींचने से उनका प्रतिरोध बदलेगा ?
उत्तर- हाँ (बढ़ेगा)।
प्रश्न 18. किस पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध न्यूनतम होता है ?
उत्तर- चांदी का।
प्रश्न 19. संयोजी तार तांबे के क्यों होते हैं ?
उत्तर- क्योंकि तांबे का विशिष्ट प्रतिरोध बहुत कम होता है। यद्यपि चादी का विशिष्ट प्रतिरोध और भी कम होता है परन्तु यह बहुत मूल्यवान धातु है।
प्रश्न 20. संयोजी तार पतला लेना पसन्द करोगे अथवा मोटा, लम्बा लेना पसन्द करोगे अथवा छोटा।
उत्तर- मोटा व छोटा
प्रश्न 21. ओम के नियम के प्रायोगिक तार को काटकर छोटा कर दें तो अमीटर एवं वोल्टमीटर के पाठयांक पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर- प्रतिरोध के कम हो जाने से अमीटर का पाठयांक बढ़ जायेगा। परंतु तार के सिरों पर विभवान्तर कम हो जायेगा अतः वोल्टमीटर का पाठयांक इस प्रकार परिवर्तित होगा कि टध्प् का मान पहले से कम हो।
प्रश्न 22. किसी तार का प्रतिरोध R है। यदि इसे खींचकर इसकी लम्बाई दुगुनी कर दी जाये तो प्रतिरोध कितने गुना हो जायेगा ?
उत्तर- चार गुना। लम्बाई दुगुनी होने पर अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल आधा रह जायेगा।
प्रश्न 23. यदि तार को मोड़कर दोहरा कर दिया जायें तो प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर- मोड़ने पर लम्बाई आधी व अनुपस्थ काट का क्षेत्रफल दुगुना हो जायेगा। अतः प्रतिरोध एक चैथाई रह जायेगा।
प्रश्न 26. ओमीय (ohmic) तथा अन-ओमीय (Non-ohmic) प्रतिरोधों में क्या अन्तर है ?
उत्तर- किसी चालक का ताप तथा अन्य भौतिक अवस्थायें न बदलने पर यदि चालक का प्रतिरोध नियत रहें चाहे चालक के सिरों के बीच कितना ही विभवान्तर हो, तब उसे ओमीय प्रतिरोध कहते है। यदि प्रतिरोध आरोपित विभवान्तर के बदलने पर बदल जाये तब उसे अन-ओमीय प्रतिरोध कहते है।
प्रश्न 27. अमीटर एवं वोल्टमीटर के प्रतिरोध कम या अधिक में से किस प्रकार के होने चाहिए?
उत्तर- अमीटर का प्रतिरोध अल्प तथा वोल्टमीटर का प्रतिरोध उच्च होना चाहिए।
प्रश्न 28. प्रतिरोध तार में उच्च मान की धारा प्रवाहित करने से क्यों बचना चाहिए?
उत्तर- ताकि प्रवाहित धारा के कारण तार गर्म नहीं हो जाए अन्यथा उसका प्रतिरोध बढ़ जायेगा तथा ट-प् ग्राफ एक सीधी रेखा प्राप्त नहीं होगा।
प्रश्न 29. प्रतिरोध एवं प्रतिरोधकता में से तार की ज्यामिति पर कौन निर्भर करता है?
उत्तर- प्रतिरोध, प्रतिरोधकता केवल तार के पदार्थ एवं ताप पर निर्भर करती है।
प्रयोग संख्या 1
Experiment No. 1
उद्देश्य (Object)
विभवान्तर एवं धारा में ग्राफ खींचकर एक दिए गए तार का प्रति सेमी प्रतिरोध ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus): .
अमीटर, वोल्टमीटर, धारा नियंत्रक, प्रायोगिक प्रतिरोध तार संचायक सेल, कुंजी एवं संयोजक तार आदि।
परिपथ चित्र (Circuit Diagram):
सिद्धान्त (Theory):
ओम के नियम से “किसी चालक की स्थिर भौतिक अवस्थाओं (जैसे ताप, दाब, आदि) में, इसमें प्रवाहित धार इसके सिरों पर आरोपित विभवान्तर के समानुपाती होती है अर्थात्
I ∝ V या V ∝ I
या V= I R
जहां, R1 समानुपातिक नियतांक है जो कि चालक के प्रतिरोध को व्यक्त करता है।
अतः चालक का प्रतिरोध Ùj V/I ओम
अतः यदि चालक के सिरों पर आरोपित विभवान्तर ट को ग्-अक्ष पर एवं चालक में प्रवाहित धारा को Y-अक्ष पर लेकर ग्राफ
खींचे तो यह एक सरल रेखा प्राप्त होती है तथा उस सरल रेखा के ढाल का व्युत्क्रम (1/tan θ या cot θ) चालक के प्रतिरोध को व्यक्त करता है।
यदि चालक तार की लम्बाई स सेमी. है तो चालक तार का प्रति सेमी. प्रतिरोध
r = R/l ओम/सेमी,
प्रयोग विधि (Method):
1. सर्वप्रथम दिए गए प्रायोगिक तार की लम्बाई, मीटर स्केल से सेमी. में नाप लेते हैं तार की लम्बाई नोट कर समय ध्यान रहना चाहिए कि तार पूर्णतः सीधा हो तथा तार का जितना भाग संयोजन में प्रयुक्त हो, उस भाग की लम्बाई नहीं मापनी चाहिए।
2. अब हम दिए गए वोल्टमीटर एवं अमीटर के अल्पतमांक नोट करते हैं तथा देखते हैं कि अमीटर एवं वोल्टमीटर में शून्यांकी त्रुटि तो नहीं है, यदि है ता पेंचकस की सहायता से इनके संकेतक को शून्य पर व्यवस्थित के शून्यांकी त्रुटि दूर कर लेते हैं।
3. अब चित्र में दिए गए प्रायोगिक व्यवस्था आरेख के अनुसार परिपथ संयोजन करते हैं जिसमें अमीटर, प्रतिरोध तार, धारा नियंत्रक एवं कुंजी को बैटरी के साथ श्रेणीक्रम में तथा प्रतिरोध तार के समान्तर क्रम में वोल्टमीटर को संयोजित करते हैं। परिपथ संयोजन करते समय ध्यान रहे कि कुंजी की डॉट बाहर निकली रहनी चाहिए तथा अमीटर एवं वोल्टमीटर के धन टर्मिनल, बैटरी के धन टर्मिनल की ओर ही संयोजत हो।
4. परिपथ पूर्ण होने के पश्चात् हम कुंजी की डॉट लगाकर परिपथ में धारा प्रवाहित करते हैं तथा अमीटर एवं वोल्टमीटर के विक्षेप को धारा नियंत्रक की सहायता से पूर्ण विभाग पर व्यवस्थित करते हैं।
5. अमीटर तथा वोल्टमीटर के विक्षेपित विभागों की संख्या नोट कर लेते हैं। ध्यान रहे पाठयांक नोट करते समय हमारी आंख संकेतक के लम्बवत् होनी चाहिए।
6. अब धारा नियंत्रक की सहायता से वोल्टमीटर का पाठ्यांक बढ़ाते हुए प्रत्येक बार अमीटर का संगत पाठयांक नोट करते है। यह क्रिया 5 बार दोहराते हैं तथा प्रेक्षणों को सारणी में नोट कर लेते हैं।
प्रेक्षण (Observations):
प्रतिरोध तार की लम्बाई l = ….. सेमी.
वोल्टमीटर का अल्पतमंाक = परास/कुल विभागों की संख्या = X/N = ….. वोल्ट
अमीटर का अल्पतमांक = परास/कुल विभागों की संख्या = X/N = ….. एम्पियर
तार का प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए सारणी:
क्रम संख्या वोल्टमीटर का पाठ्यांक V अमीटर का पाठ्यांक I तार का प्रतिरोध R = V/I तार का मध्य प्रतिरोध R
विक्षेपित विभागों की संख्या n1 n1 × अल्पतमांक = V (वोल्ट) विक्षेपित विभागों की संख्या n2 n2 × अल्पतमांक = I (एम्पियर)
1. R1 =
2. R1 =
3. R1 =
4. R1 =
5. R1 =
गणना (Calculations):
प्रत्येक प्रेक्षण सेट से तार का प्रतिरोध R = V/I की गणना करते हैं।
इसके पश्चात् प्रतिरोध के प्राप्त मानों से तार का माध्य प्रतिरोध ज्ञात करते हैं।
माध्य प्रतिरोध R = R1 ़ R2 ़ R3 ़ R4 ़ R5 /k~ 5 = …… ओम
ओम माध्य प्रतिरोध त् में तार की लम्बाई स का भाग देकर, तार की इकाई लम्बाई का प्रतिरोध त्ध्स ज्ञात करते हैं।
r1 = r~ /l = …. ओम / सेमी.
अब चित्रानुसार विभवान्तर V को x-अक्ष पर तथा धारा I को Y-अक्ष पर उचित पैमाना मानकर लेते हैं तथा धारा I को विभवान्तर V के साथ आलेखित करते हैं, यह आरेख एक सीधी रेखा प्राप्त होता है।
अब आरेख पर दो बिन्दुओं का चयन कर सरल रेखा का ढाल जंद θ= ∆I/∆V ज्ञात करते हैं। तथा तार का प्रतिरोध R = V/l = ∆V/∆I= 1/k~ tan θ = cot θ द्वारा ज्ञात कर लेते हैं।
इस प्रकार प्राप्त प्रतिरोध के मान R में तार की लम्बाई. l का भाग देकर तार का प्रति सेमी. लम्बाई प्रतिरोध r2 = R/l ओम/सेमी., ज्ञात कर लेते हैं।
अब बिन्दु (3) एवं (6) में प्राप्त त्ध्स के मानों से माध्य ज्ञात कर लेते हैं अर्थात्
माध्य R/l = r1 ़ r2/2 = …. ओम/सेमी.
परिणाम (Result):
दिए गए तार का प्रति सेमी. प्रतिरोध …. ओम / सेमी. प्राप्त हुआ
सावधानियां तथा त्रुटि उद्गम (Precautions and Sources of error):
परिपथ में अमीटर को प्रायोगिक तार के श्रेणी क्रम में तथा वोल्टमीटर को समान्तर क्रम में जोड़ना चाहिए।
अमीटर तथा वोल्टमीटर को जोड़ते समय उनके धन सिरे बैटरी के धन इलेक्ट्रोड से तथा ऋण सिरे बैटरी के ऋण इलेक्ट्रोड से जोड़ने चाहिए।
तार में धारा केवल प्रेक्षण लेते समय ही प्रवाहित करनी चाहिए वरना तार गर्म हो जायेगा और उसका प्रतिरोध बदल जायेगा।
यह ध्यान रखना चाहिए कि सेल कभी भी लघुपथित (short circuit) नहीं होना चाहिए।
संयोजक तारों के सिरों को रेगमाल से साफ कर लेना चाहिए।
पेच में कसे भाग के तारों की लम्बाई को गणना में नहीं लेना चाहिए।
संयोजन कसे हुए होने चाहिए।
सम्भावित त्रुटियाँ:
कभी-कभी अमीटर अथवा वोल्टमीटर का संकेतक पूर्ण चिन्ह पर नहीं होता है, इससे पाठ्यांक में त्रुटि आ जाती है।
तार थोड़ा गर्म हो जाने से उसका प्रतिरोध बढ़ जाता है।
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