who is editor of tarun rajasthan newspaper in hindi तरुण राजस्थान समाचार पत्र के संपादक कौन थे | तरुण राजस्थान अखबार के सम्पादक का नाम ?
उत्तर : जय नारायण व्यास तरुण राजस्थान समाचार पत्र के संपादक बने थे |
कब बने ?
वर्ष 1927 ई. में राजस्थान के महान क्रांतिकारियों में से एक रहे जयनारायण व्यास ” तरुण राजस्थान पत्र ” के प्रधान सम्पादक बने थे।
प्रश्न : माणिक्यलाल वर्मा के बारे में जानकारी दीजिये।
उत्तर : बिजौलिया किसान आन्दोलन और मेवाड़ प्रजामंडल के मुख्य कार्यकर्त्ता माणिक्यलाल वर्मा ने मेवाड़ अंचल में लोक जागरण , स्वतंत्रता संग्राम , शैक्षिक चेतना और सामाजिक आर्थिक सुधारों के लिए जीवनपर्यन्त संघर्ष किया। इन्होने जीवन भर प्रजा की भलाई करने , विचारों की स्वतंत्र संस्थाएँ बनाने , लेख और गीत लिखकर जनजागृति करने और नशाखोरी और बेगार समाप्ति आदि कार्य किये। मेवाड़ प्रजामण्डल के माध्यम से नागरिकों के अधिकारों की बहाली और उत्तरदायी शासन की स्थापना करवाई। 1949 ईस्वीं में वे संयुक्त राजस्थान के प्रधानमंत्री बने तथा अपने प्रयत्नों से देश के एकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस प्रकार उन्होंने आजन्म देश सेवा के व्रत की पालना की।
प्रश्न : बलवन्तसिंह मेहता कौन थे ?
उत्तर : भारतीय संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य रहे मास्टर बलवंत सिंह मेहता ने 1927 ईस्वीं में राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन और 1931 के कराची अधिवेशन में उदयपुर का प्रतिनिधित्व किया। बाद में 1938 ईस्वीं में उन्हीं के नेतृत्व में मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना कर मेवाड़ में नागरिक अधिकारों की स्थापना और उत्तरदायी शासन के लिए राजनितिक आन्दोलन चलाया गया। इन्होने सामाजिक सुधारों और रचनात्मक कार्यों के लिए अपने आपको समर्पित किया। आजादी के आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल भी गए। बाद में मेहता जी केन्द्रीय विधानपरिषद् सहित कई अन्य संस्थाओं से जुड़े रहे। जनवरी 2003 ईस्वीं में इस महान स्वतंत्रता सेनानी का निधन हो गया।
प्रश्न : जयनारायण व्यास के बारे में जानकारी लिखिए।
उत्तर : राजस्थान विधानसभा के गठन से पहले तथा बाद में मुख्यमंत्री बने लोकनायक जयनारायण व्यास का समूचा जीवन अन्याय , अत्याचार , शोषण , उत्पीडन तथा परतंत्रता के विरुद्ध संघर्ष करने में ही बीता। मारवाड़ में जनजागृति के अग्रदूत , प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी , समाजसेवा तथा गांधीवादी नेता जयनारायण व्यास ने ‘मारवाड़ सेवा संघ’ और ‘मारवाड़ लोक परिषद’ के जरिये जोधपुर में निरंकुश शासन समाप्त कर संवैधानिक और उत्तरदायी शासन की स्थापना कर मुख्यमंत्री बने। अनेक राजनितिक पदों को सुशोभित करने वाले व्यास जी निर्विवाद रूप से एक नेता होने के साथ साथ प्रखर पत्रकार , संगीत तथा नृत्य के मर्मज्ञ तथा ओजस्वी कवि भी थे।
प्रश्न : जानकी देवी कौन है ?
उत्तर : बिजौलिया आंदोलन के प्रणेता विजय सिंह पथिक की पत्नी। 24 फरवरी 1930 को विजयसिंह पथिक से विवाहोपरान्त ही श्रीमती जानकी देवी का संघर्षमय जीवन आरम्भ हो गया था। अपने पति के निरंतर साहस , धैर्य तथा आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा पाकर ये भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ी तथा बलिदान हो गयी।
प्रश्न : सीता देवी कौन थी बताइए ?
उत्तर : राजस्थान में किसान आन्दोलन के दौरान अलवर रियासत के नीमूचणा गाँव के किसान रघुनाथ की बेटी सीता देवी ने भी आन्दोलन में भाग लिया जब अंग्रेज सिपाहियों ने नीमूचणा गाँव में गोलियां बरसानी शुरू की तो सीतादेवी किसानों को ललकार रही थी।
प्रश्न : इन्दुमती गोयनका ?
उत्तर : जोधपुर की 15 वर्षीय इंदुमती का त्याग अपूर्व था। ये धनी परिवार की बड़े लाड़ प्यार में पर्दे में पली हुई थी लेकिन विवाह के 6 माह बाद ही माता-पिता , पति , सास ससुर का मोह छोड़कर उनका विरोध करके हँसते हँसते जेल चली गयी। इन्होने मारवाड़ी समुदाय की विदेशी कपडे की दुकानों पर पिकेटिंग की , कुछ महिलाओं को लेकर “राष्ट्रीय महिला समिति ” की स्थापना 1930 ईस्वीं में की।
प्रश्न : रमा देवी के बारे में लिखिए ?
उत्तर : बिजौलिया आंदोलन के समय पंडित लादूलाल जोशी की पत्नी रमा देवी 1931 ईस्वीं में बिजौलिया गयी , जहाँ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें वहां से निकल जाने को कहा लेकिन उनका जवाब था , ‘जब तक किसानों पर अत्याचार बंद नहीं होंगे , वे यहाँ आती रहेंगी’ इन्हें वहाँ के कोतवाल ने अपमानित किया , पिटाई की लेकिन वे दृढ़ रही। 1930 ईस्वीं और 1932 ईस्वीं में सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आन्दोलन में उन्होंने भाग लिया तथा जेल भी गयी।
प्रश्न : श्रीमती लक्ष्मीदेवी आचार्य का इतिहास क्या है ?
उत्तर : ये बीकानेर की श्रीराम आचार्य की पत्नी थी। इनके जीवन का अधिकांश समय कलकत्ता में बीता। 1930-31 में इन्होने कलकत्ता में विदेशी कपड़ों के बहिष्कार आन्दोलन में भाग लिया। 1932 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन में दोनों बार इन्हें 6-6 माह की सजा हुई। जेल से मुक्ति के बाद वे बंगाली संस्था की अध्यक्षा निर्वाचित हुई। ये बीकानेर प्रजामण्डल की संस्थापकों में एक थी। बीकानेर के जन आन्दोलन के पक्ष में मारवाड़ी समाज में लोकमत जागृत किया। 1940 ईस्वीं के बाद वे व्यक्तिगत सत्याग्रह में गिरफ्तार हुई और जेल में ही इनकी मृत्यु हुई।