तारागढ़ का किला किसने बनवाया | तारागढ़ का किला कहां स्थित है | taragarh fort was built by in hindi
taragarh fort was built by in hindi तारागढ़ का किला किसने बनवाया | तारागढ़ का किला कहां स्थित है ? निर्माण किसने किया था ?
प्रश्न: तारागढ़ का किला [RAS Main’s 1997]
उत्तर: गिरि दुर्ग का उत्कृष्ट उदाहरण बूंदी का तारागढ़ का किला पर्वत की ऊँची चोटी पर स्थित होने के फलस्वरूप धरती से आकाश के तारे के समान दिखलाई पड़ने के कारण तारागढ़ के नाम से प्रसिद्ध है। इस किले का निर्माण चैदहवीं शताब्दी (1334 ई.) में राव बरसिंह ने मेवाड़, मालवा और गुजरात की ओर से संभावित आक्रमणों से बूंदी की रक्षा करने के लिए करवाया था। लगभग 1426 फीट ऊँचे पर्वत शिखर पर बना यह किला पांच मील के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह दुर्ग चारों ओर से तिहरे परकोटे से सुरक्षित है।
किले के भीतर बने महल अपनी शिल्पकला एवं भित्तिचित्रों के कारण अद्वितीय है। इन महलों में छत्र-महल, अनिरुद्ध महल, रतन-महल, बादल-महल और फूल महल प्रमुख हैं। चैरासी खम्भों की छतरी, शिकार बुर्ज तथा फूल-सागर और नवल सागर सरोवर व गर्भ-गुंजन तोप बूंदी के वैभव को दर्शाते हैं।
प्रश्न: भटनेर का दुर्ग [RAS Main’s, 1996, 1999, 2007]
उत्तर: हनुमानगढ़ में स्थित धान्वन कोटि का भटनेर दुर्ग का निर्माण भाटी राजा भूपत द्वारा किया गया है। भाटियों की वीरता का साक्षी, महमूद गजनवी, तैमूरलंग व कामरान का अभियान, एकमात्र दुर्ग जिसमें मुस्लिम स्त्रियों ने भी जौहर किया, उत्तरभड किवाड़, सीमान्त प्रहरी नाम से प्रसिद्ध आदि।
प्रश्न: दुर्गों के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: शुक्रनीति में दुर्ग स्थापत्य के नौ प्रकार बताये गये हैं जो इस प्रकार हैं –
एरण दुर्ग – खाई, कांटों तथा पत्थरों से जिसका मार्ग दुर्गम हो जैसे मेवास
पारिख दुर्ग – जिसके चारों और बहुत बड़ी खाई हो जैसे भरतपुर दुर्ग
पारिध दुर्ग – विशाल दीवारों का परकोटा युक्त दुर्ग जैसे बीकानेर दुर्ग
औदिक दुर्ग – पानी के मध्य स्थित हो जैसे गागरोन दुर्ग
धान्वन दुर्ग – रेगिस्तान में निर्मित हो जैसे जैसलमेर व भटनेर दुर्ग
वन दुर्ग – कांटेदार वन प्रदेश में स्थित जैसे रणथम्भौर बयाना
गिरि दुर्ग – पहाड़ी पर स्थित जैसे चित्तौड़गढ़
सैन्य दुर्ग – चतुर वीरों से सुरक्षित जैसे कुम्भलगढ़
सहाय दुर्ग – शूर तथा सदा अनुकूल रहने वाले बांधव रहते हो। शुक्र ने इनमें से सैन्य दुर्ग को सर्वश्रेष्ठ बताया है।
प्रश्न: मध्यकालीन राजस्थान का दुर्ग स्थापत्य
उत्तर: राजस्थान के शासक वर्ग ने अपने निवास, सुरक्षा एवं सामग्री संग्रह के लिए, आक्रमण के समय अपनी प्रजा एवं पशुधन को बचाने के लिए और सम्पत्ति को छिपाने के लिए दुर्ग बनवाये। दुर्ग निर्माण में शास्त्रीय सिद्धान्तों का ध्यान रखा गया। इस काल में ऊँची-ऊँची व समतल पहाड़ियों पर जिनमें खेती व सिंचाई के साधन हो दुर्गीकरण के उपयोग में लाई गई। दुर्ग के अन्दर राजप्रासाद, जलाशयों, मंदिरों, बावड़ियों, बस्तियों का निर्माण किया गया तथा समतल भूमि खेती के लिए रखी गई। लगभग सभी दुर्गों में ये लक्षण देखे जा सकते हैं।
प्रश्न: चित्तौड़गढ़ दुर्ग का ऐतिहासिक एवं स्थापत्य महत्व समझाइये।
उत्तर: गिरि दुर्गों में राजस्थान का गौरव चित्तौडगढ़ सबसे प्राचीन व प्रमुख है जिसका निर्माण चित्रांगद मौर्य ने किया तथा कुंभा ने परिवर्धन किया। चित्तौडगढ़ दुर्ग पर इतिहास के प्रसिद्ध तीन शाके हुए। मातृभूमि और स्वाभिमान की रक्षा के लिए वीरता और बलिदान की जो रोमांचक गाथाएं चित्तौडगढ़ के साथ जुडी है, वे अन्यत्र दुर्लभ हैं। यह रानी पद्मिनी का जौहर, गोरा, बादल व जयमल फत्ता के पराक्रम का साक्षी रहा है। यहाँ विजयस्तम्भ, कीर्तिस्तम्भ, पद्मिनी महल, कुंभश्याम मंदिर आदि अनेक स्मारक इसकी गौरव गाथा के साक्षी हैं।
प्रश्न: कुंभलगढ़ दुर्ग का सैन्य महत्व समझाइए।
उत्तर: राजसमंद में स्थित कुम्भलगढ़ दुर्ग राजस्थान का चित्तौड़गढ़ के बाद दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण दुर्ग है। महाराणा कुंभा ने कुम्भलगढ़ का दुर्ग बनवाया। जो सैनिक उपयोगिता और निवास की आवश्यकता की पूर्ति करता था। इसका प्रमुख शिल्पी मुण्डन था। कुम्भलगढ़ दुर्ग 36 किलोमीटर लम्बे परकोटे से सुरक्षित घिरा हुआ है इसकी सुरक्षा दीवार इतनी चैड़ी है कि एक साथ आठ घुड़सवार चल सकते है। कर्नल टॉड ने कुम्भलगढ़ की तुलना सुदृढ़ प्राचीरों, बुजों, कँगूरों के विचारों से ‘एस्टूकन‘ से की है।
दुर्ग के अन्दर की ओर 960. के लगभग मन्दिर बने हुए हैं। दुर्ग के कैम्पस में झालीबाव बावड़ी, कुम्भस्वामी विष्णु मंदिर, मामादेव तालाब, उड़ना राजकुमार की छतरी (पृथ्वीराज राठौड़) आदि अन्य प्रसिद्ध स्मारक बने हुए हैं। पन्नाधाय ने अपने पुत्र चन्दन का बलिदान देकर अपने स्वामी उदयसिंह के प्राण इसी दुर्ग में बचाये। इसके ऊपरी छोर पर राणा कुंभा का निवास है, जिसे ‘कटारगढ़‘ कहते हैं।
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