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Synapse and synaptic transmission in hindi सिनेप्स और सिनेष्टिक प्रेषण क्या है , सिनैप्स के क्रियात्मक लक्षण

सिनेप्स और सिनेष्टिक प्रेषण क्या है , सिनैप्स के क्रियात्मक लक्षण Synapse and synaptic transmission in hindi ?

सिनैप्स एवं सिनैष्टिक प्रेषण (Synapse and synaptic transmission)

सिनैप्स (Synapse) : तंत्रिका तंत्र में न्यूरॉन्स सदैव रेखीय (linear) या शाखित (branched ) में पाये जाते हैं। दो लगातार पाये जाने वाले न्यूरॉल्स के मध्य की सन्धि को सिनैप्स अनुक्रम ( synapse) कहते हैं। “सिनैप्स” नाम को सर्वप्रथम सर चार्ल्स शैरिगंटन (Sir Charles Sherrington) ने प्रस्तुत किया था। इनके अनुसार सिनैप्स एक ऐसी रचना है जो किसी तंत्रिका एक्सॉन के अन्तिम सिरे को अन्य किसी न्यूरॉन से जोड़ती है। सिनैप्स एक ऐसा स्थान है जहाँ पर एक न्यूरॉन समाप्त होता है तथा दूसरा न्यूरॉन प्रारम्भ होता है अर्थात् सिनैप्स एक ऐसी जगह है जहाँ दो न्यूरॉन्स एक दूसरे से क्रियात्मक रूप से जुड़े रहते हैं। शरीर में उपस्थित अधिकांश सिनैप्स एक न्यूरॉन के एक्सॉन तथा अलग न्यूरॉन के डेण्ड्राइट के मध्य उपस्थित रहते हैं।

न्यूरॉन के एक्सॉन सिरे अर्थात् प्रिसिनैप्टिक सिरे या बटन (presynaptic knob or button) के रूप में समाप्त होते हैं। इस प्रकार एक्सॉन के अन्तिम सिरे की झिल्ली को ग्रिसिनैप्टिक झिल्ली (presynapitc membrane) कहते हैं तथा सिनैप्स के दूरी ओर स्थित न्यूरॉन के डेन्ड्राइट या साइटोन की झिल्ली को पोस्टसिनैप्टिक झिल्ली (postsynaptic membrance) कहते हैं। दोनों झिल्लीयाँ एक दूसरे से सिनैप्टिक विदर (synaptic cieft) द्वारा अलग रहती है। यह लगभग 200 – 400 A दूरी का स्थान होता है जिसमें ऊतकीय द्रव (tissue fluid) भरा रहता है। सिनैप्टिक घुण्डी का आकार लगभग 0.5 से 2.0 p होता है। प्रिसिनैप्टिक घुण्टी में अनेक सिनैप्टिक आशय (synaptic vesicles) पाये जाते हैं जिनमें मुख्यतया एमीटाइल कोलीन (acetylcholine) नामक रासायनिक पदार्थ होता है जो रासायनिक प्रेषी पदार्थ (chemical neuro-transmitter) की तरह कार्य करता है। इससे तंत्रिका आवेग एक न्यूरॉन से दूसरे के ऊपर प्रेषित की जाती है। ऐसा माना जाता है कि एसीटाइलकोलीन के आशय तंत्रिका कोशिका के एक्सॉन भाग में उपस्थित माइटोकॉण्ड्रिया द्वारा संश्लेषित किये जाते हैं। एसीटाइल कोलीन का संश्लेषण, कोलीनएसीटाइलेज (cholineacetylase) एन्जाइम की मदद से होता है।

संयुग्मन की प्रकृति के अनुसार, सिनैप्स निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं :

(i) एक्सो-सोमेटिक सिनैप्स (Axo-somatic synapse) : ये सिनैप्स, एक्सॉन के अन्तिम सिरे तथा दूसरे न्यूरॉन की सोमा (soma) या साइटॉन (cyton) भाग के मध्य पाये जाते हैं। ये सिनैप्स मस्तिष्क के सेरेबेलम (cerebellum) भाग में उपस्थित बॉस्केट कोशिकाओं (basket cells) के एक्सॉन तथा पुर्किन्जे कोशिकाओं (purkinje cells) के सोमा भाग के मध्य पाये जाते हैं।

(ii) एक्सो-डेन्ड्रिटिक सिनैप्स (Axo – dendritic synapse) : ये सिनैप्स एक न्यूरॉन के एक्सॉन के अन्तिम सिरे तथा अगले न्यूरॉन के डेन्ड्राइट के प्रारम्भिक भाग के मध्य पाये जाते हैं। ये सिनैप्स भी मस्तिष्क के सेरेबेलम एक्सॉन तथा पुर्किन्जे कोशिकाओं (purkinje cells) के डेन्ड्राइट्स के मध्य पाये जाते हैं।

(iii) एक्सो-एक्सोनिक सिनैप्स (Axo-axonic synapse) : ये सिनैप्स, दो न्यूरॉन्स के एक्सोन सिरों के मध्य पाये जाते हैं।

सिनैप्स के क्रियात्मक लक्षण (Functional properties of synapse)

  1. सामान्यतया सिनैप्स द्वारा आवेग एक ही दिशा में प्रसारित किया जाता है। यह दिशा एक न्यूरॉन के एक्सॉन से अगले न्यूरॉन के डेड्राइट की ओर होती है। यह अप्रवालकता का नियम (law of forward conduction) कहलाता है। यद्यपि कुछ सिनैप्स द्विदिशी (bidirectional) भी होते हैं।
  2. सिनैप्स में आवेगों के संकलन (summation) तथा संदमन (inhibition) का गुण होता है। 3. सिनैप्स तंत्रिका आवेगों के अभिसरण (convergence) एवं अपसरण ( divergence) का भी कार्य करते हैं।
  3. यह तंत्रिका आवेग के पथ को एक तंत्रिका तन्तु की अपेक्षा काफी अधिक कम कर देते हैं। इसकी वजह से एक तंत्रिका आवेग को प्रिसिनैप्टिक तन्तु से पोस्टसिनैप्टिक तन्तु पर जाने से सिनैप्टिक विलम्ब (synaptic delay) देखा जाता है।
  4. यह एक ऐसी जगह है जहाँ पर तंत्रिका आवेग को ग्रहण करके पुनः प्रसारित किया जाता है। सिप्स एक प्रसारण केन्द्र की तरह ही कार्य नहीं करते हैं बल्कि यह समाकलक (integrator) भी होते हैं।
  5. सिनैप्स कार्यिकी की दृष्टि से एक ” श्रान्ति स्थल” (seat of fatigue) की तरह भी कार्य करते हैं। सिनैप्टिक श्रांति की स्थिति संभवतया तीव्र गति से, प्रिसिनैप्टिक न्यूरॉन में प्राप्त संवेदन के कारण होती है जिससे सिनेप्टिक आशय में उपस्थित रासायनिक प्रेषी पदार्थ शीघ्र ही समाप्त हो जाता है तथा यह तंत्रिका आवेग को अगले न्यूरॉन तक प्रेषित नहीं कर पाता है।
  6. सिनैप्स पर विभिन्न रासायनिक पदार्थों की क्रियाशीलता भिन्न-भिन्न प्रकार से होती है। कुछ पदार्थ सिनेप्स की कार्य क्षमता को कम करते हैं जबकि अन्य इसे बढ़ा देते हैं।

सिनैप्टिक प्रेषण (Synaptic transmission)

सिनैप्टिक प्रेषण की क्रिया-विधि को रासायनिक (chemical) एवं विद्युत (electrical) संचरण द्वारा समझाया जा सकता है।

  1. रासायनिक संचरण (Chemical transmission) : इस क्रिया विधि को सर्वप्रथम हेनरी डाले (Henery dale) ने खोजा था इन्होंने यह बताया कि प्रिसिनैप्टिक न्यूरॉन के एक्सॉन भाग अन्तिम सिरे को सिनैप्टिक घुण्डी (Synaptic cleft) कहते हैं। इनमें अनेक माइटोकॉण्ड्रिया तथा छोटे कणों के रूप में सिनैप्टि आशय पाये जाते हैं जो रासायनिक प्रेषी पदार्थों से भरे रहते हैं। ये पदार्थ तंत्रिका आवेग को पोस्टसिनैप्टक न्यूरॉन को प्रेषित करने का कार्य करते हैं।

चित्र 6.10 : आवेग का सिनैप्टिक रासायनिक संचरण

रासायनिक संचरण के अनुसार जैसे ही तंत्रिका आवेग सिनैप्टिक घुण्डी (synaptic cleft) पर पहुँचते हैं वैसे ही अनेक कैल्शियम आयन (Ca2+ ) न्यूरॉन के बाहर स्थित ऊत्तकीय द्रव (tissue fluid) से सिनैप्टिक घुण्ड में प्रवेश कर जाते हैं। कैशियम ऑयन एक क्रिया में विमोचक (trigger) की तरह कार्य करते हैं जिससे अनेक सिनैप्टिक आशय घुण्डीका संगलन स्थल फट जाता है जिससे आशय के पदार्थ सिनैप्टिक विदर में उपस्थित द्रव में स्वतंत्र हो जाते हैं। रासायनिक प्रेषी पदार्थों को इसी कारण सामान्यतया न्यूरोहार्मोन (neurohormones) या न्यूराह्यूमर (neurohumors) कहा जाता है। इन पदार्थों की स्वतंत्र हुई कैल्शियम आयन अंतवाही (cat-ions influx) के समानुपाती होती है। ये पोस्टसिनैप्टिक न्यूरॉन की सतह पर उपस्थित ग्राही तलों (receptor sites) के द्वारा ग्रहण कर लिये जाते हैं। इससे पोस्टसिनैप्टिक न्यूरॉन की झिल्ली पर पारगम्यता में कुछ ऐसे परिवर्तन होते हैं जिससे उस पर तंत्रिका आवेग पुनर्योजित (regenerate) हो जता है । सिनैप्टिक संचारण एक बहु ही अल्प अवधि की घटना है जो मात्र 0.5 मिली सैकण्ड से पूर्ण होती है क्योंकि न्यूरोह्यूमर तुरन्त ही सिनैप्टिक विदर में उपस्थित द्रव में पाये जाने वाले एन्जाइम द्वारा जल अपघटित हो जाते हैं जिससे पोस्टसिनैप्टिक न्यूरॉन की झिल्ली में पुनः ध्रुवीयकरण की क्रिया शीघ्र समाप्त हो जाती है।

अनेक न्यूरोह्यूमर खोजे जा चुके हैं। एसीटाइल कोलीन (कोलीन का एसीटाइल एस्टर) सबसे अधिक सामान्य रासायनिक प्रेषी पदार्थ हैं। केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के अनेक प्रिसिनैप्टिक तन्तु, स्वचालित तंत्रिका तंत्र के सभी पूर्व गुच्छकीय चालक तन्तु (preganglionated motor fibres ) तथा स्वेद ग्रंथियों एवं गर्भाशय में उपस्थित अनुकम्पी पच्च गुच्छकीय चालक तन्तु (sympathetic post ganglionated motor libres ) अपने अन्तिम सिरों में सिनैप्स पर एसीटाइल कोलीन स्वतंत्र करते हैं। कोलीनर्जिक (cholinergic) कहलाते हैं। एसीटाइल कोलीन शीघ्र ही एसीटाइल कोलीन, एस्ट्रेज (acetylcholin esterease) एन्जाइम द्वारा अपघटित कर दिया जाता है। यह एन्जाइम काफी अधिक सान्द्रता में सिनैप्टिक द्रव में पाया जाता है। जब तक एसीटाइलकोलीन जल अपघटित नहीं होता है। तब तक अगला सिनैप्टिक प्रेषण नहीं हो सकता है। इस कारण इसे ‘सिनैप्टिक श्रांति’ (synaptic fatigue) का काल भी कहते हैं।

नॉरएपिनेफ्रीन (norepinephrine) एक अन्य न्यूरोह्यूमर है। यह स्वेद ग्रंथियों एवं गर्भाशय में पाये जाने वाले जन्तुओं के अतिरिक्त अन्य सभी अनुकम्पी पश्च गुच्छकीय तन्तुओं के द्वारा स्त्रावित किया जाता है। ऐसे तन्तुओं को ऐड्रेनेर्जिक (adernergic) कहा जाता है। केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र में उपस्थित न्यूरॉन्स के तन्तु कुछ अन्य न्यूरोह्यूमर जैसे एपिनेफ्रीन (epinephrine), डोपामीन (dopamine) तथा सिरोटोनिन (serotonin) आदि का स्त्रावण करते हैं। मस्तिष्क में उपस्थित कुछ न्यूरॉन्स हिस्टामिन (istamine), पदार्थ ‘P’ (substance ‘P’) तथा सोमेस्टेटिन (somatostatin) आदि न्यूरोह्यूमर को स्त्रावित करते हैं।

कुछ पदार्थ संदमनी न्यूरोह्यूमेर ( inhibitory neurohumors) की तरह कार्य करते हैं जो पोस्टसिनैप्टिक न्यूरॉन की झिल्ली पर कार्य – विभव (action-potential) को पुर्नयोजित नहीं होने देते हैं। ये केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र में उपस्थित इन्टेरन्यूरॉन (interneurons ) द्वारा स्त्रावित किये जाते हैं। इन पदार्थों में ग्लाइसीन (glycine) एवं गामा अमीनों ब्यूटाइरिक अम्ल (GABA) प्रमुख है।

  1. विद्युत संचरण (Electrical transmission): ऐसा माना जाता है कि स्तनियों में सिनैप्स द्वारा तंत्रिका आवेग का संचारण प्रिसिनैप्टिक एवं पोस्ट सिनैप्टिक न्यूरॉल्स की प्लाज्मा के कारण होता है। इस प्रकार का विद्युत संचरण अनेक अकशेरूकियों में भी देखा जाता है। सिनैप्स से पहिले उपस्थित न्यूरॉन की प्रिसिनैप्टिक न्यूरॉन (presynaptic neuron) कहते हैं जो सिनैप्स में अपना एक्सॉन भाग सम्मिलित करता है। सिनैप्स के दूसरी ओर उपस्थित न्यूरॉन को पोस्ट सिनैप्टिक न्यूरॉन (post synaptic neuron) कहते हैं जो सिनैप्स में अपना डेन्ड्राइट भाग सम्मिलित करता है। पोस्टसिनैप्टिक न्यूरॉन की झिल्ली प्रिसिनैप्टिक न्यूरॉन से प्रभावित होती है। अब भी तंत्रिका आवेग या विध्रुवण की तरंग (wave of depolarization) प्रिसिनैप्टिक न्यूरॉन के द्वारा सिनैप्स पर पहुँचती है तब यह आवेग अन्तिम पोस्ट सिनैप्टिक न्यूरॉन के लिये एक संवेदन उद्दीपन की तरह कार्य करता है जिससे पोस्ट सिनैप्टिक न्यूरॉन के डेण्ड्राइट्स भाग में विध्रुवण की क्रिया होती है तथा तंत्रिका आवेग आगे संचरण कर जाता है। विद्युत सिनैप्स संरचनात्मक रूप में रासायनिक सिनैप्स से काफी कुछ भिन्नता रखता है। विद्युत सिनैप्स में प्रिसिनैप्टिक एवं पोस्ट सिनैप्टिक न्यूरॉन्स की झिल्लियों के मध्य उपस्थित स्थान काफी कम होता है तथा कभी-कभी ये दोनों झिल्लियाँ एक दूसरे से संगलित हो जाती हैं। इस प्रकार का संरचनात्मक रूपान्तरण अन्तरकोशिकीय प्रतिरोधकता को कम करा देता है जिससे पोस्ट सिनैप्टिक न्यरॉन में विध्रुवण हेतु पर्याप्त विद्युत धारा प्रवाह स्थापित हो जाता है।