super heavy elements in hindi , heaviest elements in the world , अति भारी तत्व कौन सा है नाम
super heavy elements in hindi , heaviest elements in the world , आवर्त सारणी में अति भारी तत्व कौन सा है नाम ?
ऐक्टिनाइडों के पृथक्करण हेतु नाभिकीय ईंधन तत्वों को सर्वप्रथम पानी के एक बड़े तालाब में डुबा देते हैं जिससे यह ठंडा हो जाता है तथा जैसे कम स्थायी प्रबल रेडियोधर्मी प्रजातियाँ अपनी सक्रियता खो देते हैं। ईंधन में अपरिवर्तित यूरेनियम से Np, Pu तथा Am के पृथक्करण हेतु बहुत विधियाँ काम में ली जाती हैं जिनमें से प्रमुख चार का वर्णन नीचे किया गया है-
- फ्लुओराइड विधि – पदार्थ को 7M HNO3 में घोलकर विलयन को SO2 द्वारा अपचयित कर लेते हैं | Np, Pu तथा Am तो अपचयित होकर निम्नतर ऑक्सीकरण अवस्था में आ जाते हैं लेकिन यूरेनियम की +6 ऑक्सीकरण अवस्था सर्वाधिक स्थाई होने के कारण यह अपचयित नहीं होता है तथा विलयन में यूरेनायल नाइट्रेट, UO2 (NO3)2 के रूप में उपस्थित रहता है। HF डालने पर Np, Pu, Am ` तथा विखण्डन उत्पाद (वि.उ.) के फ्लुओराइड अवक्षेपित हो जाते हैं जिन्हें छानकर UO2 (NO3)2 विलयन से अलग कर लेते हैं। फ्लुओराइडों को H2SO4 में विलेय करके कक्षीय ताप पर ब्रोमेट द्वारा ऑक्सीकृत करते हैं जिससे नेप्टूनियम +6 अवस्था में आ जाता है, जबकि अन्य आयन, जो निम्नतर अवस्था में होते हैं, फ्लुओराइड के रूप में अवक्षेपित करके पृथक कर लिये जाते हैं । अवक्षेप को पुनः विलेय कर परसल्फेट जैसे प्रबल ऑक्सीकारक (Ag+ की उत्प्रेरक के रूप में उपस्थिति) द्वारा प्लुटोनियम को +6 अवस्था में परिवर्तित कर लिया जाता है जो फ्लुओराइड के रूप में अवक्षेपित नहीं होता है, जबकि Am तथा अन्य विखण्डन उत्पाद + 3 अवस्था में रहने के कारण अवक्षेपित हो जाते हैं । अवक्षेप को अब विलेय करके आयन विनिमय विधि द्वारा ऐमेरेशियम को अलग कर लिया जाता है। पृथक्करण की इस विधि को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है-
- विलायक निष्कर्षण – उपर्युक्त अवक्षेपण विधि की तुलना में यह विधि अधिक सरल एवं उत्तम है । इस विधि में भी ईंधन उत्पाद को नाइट्रिक अम्ल में घोलकर SO2 द्वारा अपचयित किया जाता है जिससे यूरेनियम +6 अवस्था में ही रहता है लेकिन Np व Pu + 4 अवस्था में तथा Am + 3 अवस्था में आ जाते हैं। U तथा Pu के नाइट्रेट कार्बनिक विलायकों में अधिक विलेय हैं । अतः किरासन में ट्राइब्यूटिल फॉस्फेट (TBP) के 20% विलयन के द्वारा इन धातुओं को कार्बनिक सतह में निष्कर्षित कर लिया जाता है जबकि Np(IV) तथा Am(III) जलीय प्रावस्था में ही रहते हैं। कार्बनिक प्रावस्था में Pu (IV) को Pu(lum) में अपचयित कर जल द्वारा अलग कर लेते हैं क्योंकि U(VI) अत्यधिक स्थाई है तथा अपचयित न होने के कारण कार्बनिक सतह में बना रहता है
जलीय विलयन में उपयुक्त ऑक्सीकारक डाला जाता है जिससे नेप्टूनियम +6 अवस्था में आ जाता है तथा Am +3 अवस्था में ही बना रहता है। कार्बनिक विलायक द्वारा Np(VI) को निष्कर्षित कर लिया जाता है। जलीय विलयन से Am(III) को आयन विनिमय विधि द्वारा पृथक कर लेते हैं । सम्पूर्ण विधि को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है :
- अजलीय विधियाँ – उपर्युक्त विधियों की दो प्रमुख कमियाँ हैं। प्रथम, पदार्थो की रेडियोसक्रियता घटाने के लिए तालाबों में बहुत लम्बे समय के लिए ईंधन पदार्थ को रखना तथा द्वितीय, अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न रेडियोसक्रिय विखण्डन उत्पाद का निपटारा (disposal) करना। अतः बहुत सी अजलीय (या शुष्क पृथक्करण विधियाँ काम में ली जाती हैं जिनमें से दो निम्न हैं:
(i) तापधातुकर्म विधि (Pyrometallurgical procedure) – थोड़े शीतलन समय के पश्चात् धात्विक ईंधन को तापसह्य (refractory) पदार्थ ZrO2 की बनी क्रूसीबल में पिघलाया जाता है तथा कुछ घंटों के लिए गलित पदार्थ को 1400°C पर रखा जाता है। अधिक वाष्पशील विखण्डन उत्पाद निकल जाते हैं, जबकि अधिक आसानी से ऑक्सीकृत हो सकने वाले विखण्डन उत्पाद (उदाहरणार्थ, Sr, Ba तथा दुर्लभ – मृदा) क्रूसीबल पदार्थ द्वारा ऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाते हैं। शेष बचे द्रवित पदार्थ में U तथा Pu उपस्थित होते हैं।
(ii) वाष्पशीलता विधि (Volatility method)-यह विधि U तथा Pu के हेक्साफ्लुओराइडों के इस गुण पर आधारित है कि वे निम्न तापक्रम (65°C से कम) पर वाष्पित हो जाते हैं, जबकि अधिकांश विखण्डन उत्पाद तत्वों के फ्लुओराइडों के लिए अधिक उच्च तापक्रम की आवश्यकता होती है। ईंधन पदार्थ के सभी फ्लुओराइड्रों को सामान्य ताप पर गर्म करने से निकली वाष्प (Ud Pu फ्लुओराइड) को इकट्ठा करके संघनित कर लेते हैं। इस मिश्रण को 150°C से अधिक ताप पर गर्म करने से PuF6 अपघटित हो जाता है जबकि UF6 अप्रभावित रहता है :
PuF 6 → » PuF4 + F2
अति भारी तत्व ( Super heavy elements)
प्रकृति में पाया जाने वाला सबसे भारी तत्व यूरेनियम (Z= 92) 1940 तक ज्ञात तत्वों में अन्तिम तत्व भी था। बाद के दो दशकों ( 1940-1961 ) में विभिन्न प्रयोगशालाओं में नाभिकीय अभिक्रियाओं द्वारा कृत्रिम रूप से 11 तत्वों (Z= 93 – 103 ) के संश्लेषण से ऐक्टिनाइड श्रृंखला पूर्ण की गई। ये तत्व अपने अस्थायी नाभिकों के कारण रेडियोधर्मी हैं, अर्थात् इनकी नाभियाँ अपघटित होती रहती हैं। संश्लेषित तत्वों की इस ऐक्टिनाइड श्रृंखला में आरम्भिक तत्व अपेक्षाकृत काफी स्थायी हैं तथा इनके सर्वाधिक स्थायी समस्थानिकों (isotopes) की अर्ध आयु (half life) हजारों वर्षों में पाई जाती है। लेकिन परमाणु संख्या बढ़ने पर अस्थायित्व तेजी से बढ़ने लगता है तथा अन्तिम तत्व Lr (Z = 103) के लिए अर्धायु मात्र सैकण्डों में रह जाती है। अभी तक 118 परमाणु संख्या तक के तत्व बनाये जा चुके हैं जिनमें से Z = 113, 115 117 व 118 वाले तत्वों के अतिरिक्त शेष सभी तत्वों की अधिकारिक रूप से पुष्टि कर उन्हें आवर्त सारणी में स्थान दिया जा चुका है। लेकिन इन सभी तत्वों के स्थायित्व में कमी होने का पूर्ववर्ती क्रम जारी रहता है अर्थात् इनकी अर्धायु कम होती है तथा यह कम होते-होते सैकण्ड की भिन्न में ही रह जाती है, जिससे एक बार में अध्ययन हेतु इनके कुछ परमाणु (~10) ही एकत्रित किये जा सकते हैं। इस संदर्भ में ऐसा लगने लगता है, जैसे अन्य भारी तत्वों का निर्माण सम्भव ही नहीं हो सकेगा।
परन्तु नाभिकों के सैद्धान्तिक अध्ययन से कुछ और ही सम्भावनाएँ सामने आती हैं। जिस प्रकार 2, 10, 18, 36, 54 व 86 इलेक्ट्रॉन वाले परमाणुओं (उत्कृष्ट गैस विन्यास) में इलेक्ट्रॉनों के स्थायी कोश पाये जाते हैं, उसी प्रकार प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉनों के पृथक-पृथक स्थायी कोश पाये जाते हैं। गणना से पता चलता है कि 2, 8, 20, 28, 50 तथा 82 प्रोटॉनों वाली नाभियाँ अन्य नाभिकों की तुलना में अधिक स्थायी कोश वाली होती है। इसी प्रकार 2, 8, 20, 28, 50, 82 तथा 126 न्यूट्रॉन भी स्थायी कोशों का निर्माण करते हैं। इन संख्याओं को स्थायी संख्या (magic number) कहते हैं। जिन नाभिकों में प्रोट्रॉन तथा न्यूट्रॉन दोनों ही स्थायी संख्या में उपस्थित होते हैं, वे दोहरी (dual) स्थायी संख्या वाली नाभियाँ कहलाती है। ऐसी नाभियाँ अत्यधिक स्थायी होती हैं। उदाहरणार्थ, 24He, 816O व 82208Pb सर्वाधिक स्थायी नाभिकों में से हैं। सैद्धान्तिक रूप से 114 प्रोटॉनों वाला नामिक भी अत्यधिक स्थायी अपेक्षित हैं । वास्तव में, यह तत्व जिसे फ्लेरोबियम (Flerovium) Fl नाम दिया गया है अपने पड़ौसी तत्व Z = 113 व 115 से अधिक स्थाई है। परमाणु संख्या 114 तथा इसके आस-पास के तत्व सामूहिक रूप से अपनी अत्यधिक परमाणु संख्या तथा भार के कारण अति भारी तत्व ( super heavy elements) कहे जाते हैं।
ऊपर बताया जा चुका है कि यूरेनियम के बाद में आने वाले तत्वों की नाभिकों का स्थायित्व परमाणु संख्या बढ़ने पर लगातार घटता जाता है, लेकिन आगे बढ़ने पर जिस बिन्दु से नाभिक का स्थायित्व कम होने के स्थान पर पुनः बढ़ने लगे वहाँ से अति भारी तत्वों की श्रृंखला की शुरूआत मानी जा सकती 9&Z= 110 पहला अति भारी तत्व है। इसके पश्चात् के नाभिकों में 114 सर्वाधिक स्थायी नाभिक हैं। इसके बाद स्थायित्व घटता जायेगा व अन्ततः ट्रॉन्सऐक्टिनाइड तत्वों की भाँति अस्थायी नाभिक प्राप्त होंगे। न्यूट्रॉनों की भाँति प्रोटॉनों के लिए भी 126 स्थायी संख्या हो सकती है। बाद की गणनाओं से Z के लिए 164 तथा N (न्यूटॉन) के लिए 184 भी स्थाई संख्या पाई गई हैं। अतः अति भारी तत्वों की अन्य शृखला 164 वें तत्व के निकट आरम्भ होनी चाहिए ।
इन अति भारी तत्वों का निर्माण भविष्य में कब हो सकेगा तथा ये कितने स्थायी होंगे, यह तो समय ही बतायेगा लेकिन वैज्ञानिकों ने 184 परमाणु संख्या तक के तत्वों का न केवल नामकरण कर दिया है अपितु वर्तमान आवर्त सारणी का विस्तार करके उसमें उनका स्थान निर्धारित कर सम्भावित इलेक्ट्रॉनक विन्यास, आयनन विभव, इलेक्ट्रॉन बंधुता, गलनांक, क्वथनांक, घनत्व, क्रिस्टल संरचना, विभिन्न त्रिज्याएँ, अपचयन विभव आदि गुणों की भविष्यवाणी भी कर दी है।
अतिभारी तत्वों की नामकरण पद्धति (Nomenclature of super heavy elements)
सोवियत वैज्ञानिक फ्लेरोव (Flerov) तथा उसके सहयोगियों ने 1964 में नये तत्व Z = 104 के निर्माण की सर्वप्रथम घोषणा की तथा इसका नाम कुर्चाटोवियम (Kurchatovium) रखा। अमेरिकी वैज्ञानिक घियोर्सो (A.Ghiorso) एवं साथियों ने सोवियत वैज्ञानिकों के प्रयोगों को दोहरा कर उनके दावे को भ्रामक बताया तथा स्वयं अपने प्रयोगों द्वारा इस तत्व (104) का निर्माण कर इसका नाम रुदरफोर्डियम रखा। इसके बाद के तत्व (105) में भी सोवियत वैज्ञानिकों ने इसकी खोज की पहल लेते हुए इसका नाम नील्सबोरियम रखा लेकिन अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसे भी भ्रामक बताते हुए बाद में अपने प्रयोगों द्वारा इस तत्व के निर्माण के पुष्ट प्रमाण दिये तथा इसका नाम हॉनियम रखा
किसी तत्व का सर्वमान्य नामकरण अन्ततः IUPAC द्वारा ही किया जाता है। लेकिन किसी तत्व का नामकरण तथा उसका संकेताक्षर तभी निर्धारित किया जाता है जब उस तत्व का निर्माण निर्विवाद हो जाये। जैसा कि ऊपर बताया गया है, तत्व का निर्माण सर्वमान्य होने से पूर्व भ्रामक स्थिति बनी रह सकती है ।
तत्वों के नामकरण पर असहमति को देखते हुए IUPAC ने 1977 में 100 से अधिक परमाणु क्रमांक वाले तत्वों के कामचलाऊ नामकरण के लिए एक नयी पद्धति का सुझाव दिया जिसके मुख्य बिन्दु निम्न प्रकार हैं-
(i) किसी तत्व का सूत्र तीन अक्षरों का बना होना चाहिए ।
(ii) तत्व के परमाणु क्रमांक के संख्यात्मक मूलों (numerical roots) को निम्न प्रकार प्रदर्शित करके प्राप्त शब्द के अन्त में -ium जोड़कर तत्व का नाम प्राप्त किया जा सकता है-
यदि नाम में अन्त में enn आता है तो अन्तिम n हटा कर तथा यदि bi अथवा tri आता हो तो हटा कर ium जोड़ दिया जाता है
(iii) तत्व का सूत्र नाम में प्रयुक्त होने वाले तीनों संख्यात्मक मूलों के प्रथम अक्षरों को क्रम से एक साथ रखने पर प्राप्त होता है।
प्रश्नावली (Exercises)
(A) अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
- ट्रान्सयूरेनिक तत्व क्या हैं ?
What are transuranic elements?
- लैन्थेनाइडों की तुलना में ऐक्टिनाइडों के यौगिकों में सहसंयोजक लक्षण अधिक क्यों होते हैं ? कारण बताइये ।
In comparision to lanthanides, actinide compounds have greater covalent character. Give reasons.
- कौन से ऐक्टिनाइड तत्व प्रकृति में पाये जाते हैं ?
Which actinides occur in nature?
- पहले चार ट्रांसयूरेनिक तत्वों के नाम लिखिए ।
Write the names of the first four transurenic elements.
- त्रिसंयोजकीय Np, Pu तथा Am के स्थायित्व का क्रम दीजिए ।
Give the order of stability of trivalent Np, Pu and Am.
- अन्तिम चार ट्रांसयूरेनिक तत्वों के नाम लिखिए ।
Give the names of last four transurenic elements.
- ट्रान्स युरेनिक तत्व क्या होते हैं ?
What are transurenic elements?
- तत्व संख्या 108 का IUPAC नाम एवं प्रतीक लिखिए ।
Write the IUPAC name and symbol of the element having atomic number 108.
- प्रकृति में उपलब्ध सबसे भारी तत्व का नाम लिखिए ।
Write name of the heaviest element occuring in nature.
10 परमाणु क्रमांक बढने से ऐक्टिनाइड की त्रिज्या क्यों घटती है ?
Why there is decrease in size of actinides as atomic number increases.
- परमाणु संख्या 100 व 101 तत्वों के नाम लिखिए ।
Name the elements with atomic number 100 and 101.
- अतिभारी तत्वों से क्या तात्पर्य है ?
What is meant by super heavy elements?
- ऐक्टिनाइडों में नोबोलियम ही +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है, समझाइये |
Among actinides, only nobelium exhibits +2 oxidation state. Explain.
- स्थायी संख्या क्या है ?
What is magic number?
- पहला अति भारी तत्व कौनसा है ?
Which is the first super heavy element ?
(B) लघुत्तरात्मक प्रश्न ( Short Answer Type Questions)
- ऐक्टिनाइड तत्वों की संकुल बनाने की प्रवृत्ति लैन्थेनाइडों से अधिक है, क्यों ?
Actinides have more tendency to form complexes than lanthanides.
- ऐक्टिनाइडों में संकुल बनाने की प्रवृत्ति की विवेचना कीजिए ।
Discuss the complexation tendency of actinides.
- अतिभारी तत्वों को स्पष्ट कीजिए ।
Explain super heavy elements.
- स्पष्ट कीजिए कि ऐक्टिनियम केवल +3 आक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
Actinium shows only + 3 oxidation state, explain.
- ऐक्टिनाइडों के नाम व प्रतीक लिखिए ।
Write names and symbols of actinides.
ऐक्टिनाइडों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए ।
Write electronic cofigurations of actinides.
- कारण देते हुए समझाइये कि लैन्थेनाइडों की तुलना में ऐक्टिनाइड अधिक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ क्यों प्रदर्शित करते हैं।
Give reasons why in comparison to lanthanides, actinides show more oxidation states?
- लैन्थेनाइडों व ऐक्टिनाइडों के रंग एवं अवशोषण स्पेक्ट्रा की तुलना कीजिए
Compare colour and absorption spectra of lanthanides and actinides.
- ऐक्टिनाइडों में संकुल बनाने की प्रवृति की विवेचना कीजिए ।
Discuss the complex formation tendency of actinides.
- स्पष्ट कीजिए कि ऐक्टिनम केवल + 3 ऑक्सीकरण अवस्था से ही यौगिक क्यों बनाता है।
Explain why actinum forms compounds in +3 oxidation state only
(C) दीर्घउत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)
- यूरेनियम से Np, Pu तथा Am के पृथक्करण का रसायन समझाइये।
Explain the chemistry of separation of Np, Pu and Am from urenium.
- ट्रान्सयूरेनियम तत्व क्या हैं ? किन्ही चार ऐसे तत्वों के नाम, परमाणु क्रमांक तथा इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए |
What are transurenic elements? Write names, atomic numbers and electronic configuration of four such elements.
- समझाइये-
(अ) ऐक्टिनाइड तत्वों में परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था क्यों पाई जाती है ?
(ब) लैन्थेनाइड तथा ऐक्टिनाइड तत्वों की विभिन्न गुणों के आधार पर तुलना कीजिए ।
Explain-
(a) Why actinide elements exhibit variable oxidation states?
(b) Compare lanthanides and actinides on the basis of various properties.
- ऐक्टिनाइड क्या हैं ? इनके क्रमवार नाम व परमाणु संख्या लिखिए। लैन्थेनाइडों की तुलना में ऐक्टिनाइडों की संकुल निर्माण प्रवृति अधिक क्यों होती है ?
What are actinides. Write their names and atomic numbers in sequence. Actinides have greater tendency to form complexes in comparision to lanthanides, why?
(अ) ट्रांसयूरेनिक तत्व क्या होते हैं ? इन्हें कैसे प्राप्त किया जाता है ? इन तत्वों के क्रमवार इलेक्ट्रानिक विन्यास लिखिए ।
(ब) लैन्थेनाइड तथा ऐक्टिनाइड तत्वों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए ।
(a ) What are transurenic elements? How are they obtained ? Write electronic configu- rations of these elements in sequence.
(b) Discuss comparative study of lanthanides and actinides.
(अ) (i) अति भारी तत्वों से क्या ताप्तर्य है ?
(ii) लैन्थेनाइडों व ऐक्टिनाइडों में चार अन्तर लिखिए ।
(a) (i) `What is meant by super heavy elements?
(ii) Write any four differences between lanthanides and actinides.
(ब) समझाइये क्यों –
(1) ऐक्टिनाइड तत्वों की संकुल बनाने की प्रवृति लैन्थेनाइड तत्वों से अधिक है ।
(ii) ऐक्टिनाइड तत्वों के यौगिकों में कुछ सहसंयोजी गुण उपस्थित होते हैं ।
(iii) ऐक्टिनाइड तत्वों में 5∫ कक्षकों की बन्धन ऊर्जा लैन्थेनाइडों के 4/ कक्षक से कम होती है ।
(b) Explain why-
(i) Complexation tendency of actinides is greater than that of lanthanides.
(ii) Some covalent characteristics are present in the compounds of actinides.
(iii) Binding energy of 5f orbitals in actinides is lower than that of 4f orbitals in lanthanides.
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