Solubility of gas in liquid in hindi गैस की द्रव में विलेयता तथा प्रभावित करने वाले कारक
गैस की द्रव में विलेयता : प्रत्येक गैस द्रव में कुछ मात्रा में अवश्य विलेय रहती है।
गैस की द्रव में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक
- गैस तथा द्रव की प्रकृति
जो गैस द्रव से क्रिया कर लेती है या द्रव में आयनित हो जाती है , वे द्रव में आसानी से विलेय हो जाती है जैसे NH3 , CO2 आदि।
NH3 + H2O → NH4OH
CO2 + H2O → H2CO3
नोट : HCL गैस जल में आयनित हो जाती है अतः जल में विलेय है।
नोट : रक्त में O3 आसानी से घुल जाती है क्योंकि रक्त में उपस्थित Hb से क्रिया करके ऑक्सी हीमोग्लोबिन बनाती है।
- ताप
जब कोई गैस द्रव में घुलती है तो ऊष्मा बाहर निकलती है अर्थात गैस का द्रव में घुलना ऊष्मा क्षेपी अभिक्रिया है।
गैस + द्रव → गैस-द्रव + ऊष्मा
ला – शातैलिये के नियम से :
ताप बढ़ाने पर अभिक्रिया उस दिशा में जाती है जिधर ताप में कमी हो जाए , अतः ताप बढ़ाने से अभिक्रिया पश्च दिशा में जाती है , अर्थात ताप बढ़ाने से गैसों की द्रव में विलेयता कम हो जाती है।
नोट : ताप बढ़ाने पर गैस के अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है , गैस के अणु द्रव से बाहर निकलने के लिए प्रयाश करते है।
अतः ताप बढ़ाने पर गैस की द्रव में विलेयता कम हो जाती है।
- द्रव विलयन में अन्य पदार्थो की उपस्थिति :
द्रव में अन्य पदार्थो की उपस्थिति से गैसों की विलेयता कम हो जाती है , जैसे शीतल पेय पदार्थो की बोतल में नमक डालने पर उसमे उपस्थित कार्बन डाई ऑक्साइड गैस बाहर निकल जाती है।
- दाब
- दाब बढ़ाने से गैस के अणु पास पास में आते है , तथा द्रव की सतह पर अधिक प्रहार करते है जिससे गैस की द्रव में विलेयता अधिक हो जाती है , इसे हेनरी नियम द्वारा परिभाषित किया जाता है।
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