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विलेयता , ठोसो की द्रवों में विलेयता , प्रभावित करने वाले कारक , गैसों की द्रवों में विलेयता , फोर्मलता (F) formality in hindi

नॉर्मलता (normality) : एक लीटर विलयन में घुले हुए विलेय के ग्राम तुल्यांको की संख्या उस विलयन की नॉरमलता कहलाती है।

नॉर्मलता (N) =  (WB x 1000)/(विलेय का ग्राम तुल्यांकी भार x Vml )

फोर्मलता (F) : एक लीटर विलयन में घुले हुए विलेय के ग्राम सूत्र भारो की संख्या उस विलयन की फॉर्मलता कहलाती है।

फॉर्मलता = (WB x 1000)/(विलेय का ग्राम सूत्र भार x Vml )

प्रश्न 1 : 98 ग्राम H2SO4 को जल में घोलकर 500 ml विलयन बनाया गया , इस विलयन की मोलरता व नॉर्मलता ज्ञात कीजिये।

उत्तर : विलेय का द्रव्यमान = 98 gm

विलयन का आयतन = 500 ml

H2SO4 का ग्राम अणु भार = 2 + 32 + 64 = 98

मोलरता = (WB x 1000)/(विलेय का ग्राम अणुभार x Vml )

H2SO4 का ग्राम तुल्यांकी भार = अणुभार/H+या OH– की संख्या

H2SO4 का ग्राम तुल्यांकी भार = 98/2 = 49 gm

मोलरता (M) = 2

नॉर्मलता (N) =  (WB x 1000)/(विलेय का ग्राम तुल्यांकी भार x Vml )

नॉर्मलता (N) = 4

सांद्रता इकाईयो पर ताप का प्रभाव

मोलरता , नोर्मलता , फोर्मलता , आयतन प्रतिशत , द्रव्यमान आयतन प्रतिशत आदि इकाइयां ताप से प्रभावित होती है क्योंकि इनमे विलयन को आयतन मात्रक के रूप में लेते है और आयतन ताप से प्रभावित होता है।
ताप बढ़ाने पर विलयन का आयतन बढ़ता है अत: सांद्रता घटती है।
मोललता , मोल भिन्न , w/w% , पीपीएम व पीपीबी इकाइयों ताप से प्रभावित नहीं होती है क्योंकि इनमे विलयन को द्रव्यमान मात्रक के रूप में लेते है और द्रव्यमान ताप से प्रभावित नहीं होता है।

विलेयता (solubility in hindi)

1. ठोसो की द्रवों में विलेयता : एक निश्चित ताप पर 100 gm द्रव विलायक में घुली हुई विलेय ठोस की ग्रामो में अधिकतम मात्रा ही ठोस की द्रव में विलेयता कहलाती है।
इस अवस्था में विलयन संतृप्त होता है।
ठोसो की द्रवों में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक :- यह कारक निम्न है –
(i) विलेय व विलायक की प्रकृति : समान समान को घोलता है।  के अनुसार अध्रुवीय , अध्रुविय विलायको में अधिक घुलनशील है जैसे : I2 , S2 ठोस का CCl4 या CS2 में घुलना।
तथा ध्रुवीय ठोस या आयनिक ठोस ध्रुवीय विलायको में अधिक घुलनशील होता है।
जैसे : NaCl , KCl का जल में घुलना।
आयनिक ठोसो की जल में विलेयता भिन्न भिन्न होती है।  जालक ऊर्जा का मान कम व जल योजन ऊर्जा का मान अधिक होने पर इनकी जल में विलेयता बढती है।
(ii) ताप का प्रभाव : ला-सातेलीय के अनुसार यदि विलयन के लिए △H > 0 हो अर्थात विलेय ठोस को द्रव विलायक में घुलने पर ऊष्मा का अवशोषण होता है तो ताप बढ़ाने पर ठोसो की द्रवों में विलेयता बढती है।
उदाहरण : NH4Cl , KCl , AgNO3 , KNO3 , KI की जल में विलेयता ताप बढ़ाने पर बढती है।
यदि विलयन के लिए △H < 0 हो अर्थात विलेय ठोस को द्रव विलायक में घोलने पर ऊष्मा का उत्सर्जन होता है तो ताप बढ़ाने पर ठोसो की द्रव में विलेयता घटती है।
NaOH , Li2SO4 , (CH3COO)2Ca की जल में विलेयता ताप बढ़ाने पर घटती है।
अपवाद : ग्लोबर लवण (Na2SO4.10H2O) की जल में विलेयता 32.4 डिग्री सेल्सियस ताप तक बढती है तथा इससे अधिक ताप पर इसकी जल में विलेयता घटती है क्योंकि इससे अधिक ताप पर इसमें उपस्थित सभी क्रिस्टलीय जल के अणु पृथक हो जाते है अर्थात निर्जल लवण बनता है।  इस कारण इसकी विलेयता घटती है।

2. गैसों की द्रवों में विलेयता

गैसे द्रव में एक निश्चित सीमा तक घुल जाती है इसे द्रव द्वारा गैस का अवशोषण कहते है , इसे अवशोषण गुणांक से भी दर्शाते है।
अवशोषण गुणांक : एक निश्चित ताप व एक वायुमण्डलीय दाब पर द्रव विलायक के इकाई आयतन में घुली हुई गैस की NTP पर मात्रा उस गैस का अवशोषण गुणांक कहलाती है।
गैसो की द्रवों में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक :-
(i) द्रव विलायक की प्रकृति : ध्रुवीय गैसे ध्रुवीय विलायक में अधिक घुलनशील होती है जबकि अध्रुवीय गैसे अध्रुवीय विलायक में अधिक घुलनशील होती है।
जैसे : HCl गैस बेंजीन की अपेक्षा जल में अधिक घुलनशील है।
कारण : HCl गैस ध्रुवीय गैस है और जल भी ध्रुवीय विलायक है।
(ii) गैस की प्रकृति : ऐसी गैसे जो द्रव विलायक के साथ क्रिया कर लेती है वो द्रव में अधिक घुलनशील होती है।
जैसे : NH3 + HOH → NH4(OH)
तथा ऐसी गैसे जो आसानी से द्रवित हो जाती है तथा जिन गैसों के अवशोषण गुणांक का मान अधिक होता है वो वो द्रव विलायक में अधिक घुलनशील होती है।
जैसे : निम्नलिखित गैसों की जल में विलेयता का घटता क्रम इस प्रकार है
NH3 > HCl > SO2 > CO2 > C2H2 > O2 > N2
अवशोषण गुणांक का घटताक्रम।
(iii) ताप का प्रभाव : ताप बढ़ाने से गैसों की द्रवों में विलेयता घटती है क्योंकि ताप बढ़ाने पर गैस के कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है इसलिए गैसे द्रव विलायक से बाहर निकलने लगती है।
अपवाद : H2 व He गैसों की द्रव में विलेयता ताप बढ़ाने पर बढती है क्योंकि इसमें ऊष्मा का अवशोषण होता है।
प्रश्न 1 : जलीय जीव गर्म जल की अपेक्षा ठण्डे जल में रहना अधिक पसंद करते है , क्यों ?
उत्तर : जलीय जीव श्वसन के लिए जल में घुली ऑक्सीजन का उपयोग करते है अत: गर्म जल की अपेक्षा ठंडे जल में ऑक्सीजन गैस की विलेयता अधिक होगी इसलिए जलीय जीवो का ठन्डे जल में रहना अधिक आरामदायक होता है।
(iv) दाब का प्रभाव : स्थिर ताप पर दाब बढ़ाने से गैसों की द्रवों में विलेयता बढती है। गैसों की द्रवों में विलेयता पर दाब के प्रभाव का अध्ययन हेनरी नामक वैज्ञानिक ने किया।