साबुन तथा अपमार्जक , साबुन की क्रियाविधि , मिसेल का निर्माण , अपमार्जक और साबुन में अंतर
लवण ( C17H35COOK) होते हैं। साबुनीकरण की क्रिया में वनस्पति तेल या वसा एवं
कास्टिक सोडा के जलीय घोल को गर्म करके रासायनिक
अभिक्रिया के द्वारा साबुन का निर्माण होता है। साधारण तापमान पर साबुन ठोस एवं अवाष्पशील
पदार्थ है। यह साबुन जल में घुलकर झाग
उत्पन्न करता है। इसका जलीय विलयन लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है
के लिए हम एक क्रियाकलाप करंगे
लेंगे जिसमे पानी मिला हुआ होगा दोनों परखनली में एक-एक बूँद तेल की डालेंगे तथा उन्हें A एवं B नाम दीजिए।
परखनलियों में आप तेल एवं जल की परतों को अलग-अलग देख सकते है
लंबी शंृखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम एवं पोटैशियम लवण होते हैं।
साबुन का आयनिक भाग (Na,K) जल से जबकि कार्बन शृंखला (C17H35) तेल से पारस्परिक
क्रिया करती है। इस प्रकार से साबुन एक मिसेल का निर्माण करते है जहाँ पर अणु का
एक सिरा तेल कण की ओर तथा आयनिक सिरा बाहर की ओर होता है। इससे पानी में इमल्शन का
निर्माण होता है। साबुन का मिसेल मैल को पानी से बाहर निकलने में मदद करता है और
कपड़े साफ़ हो जाते है।
हाते है
सिरा हाइड्रोकार्बन में विलेय होता है जिसे जलविरागी कहते हैं।
व्यवस्थित कर लेते हैं कि इसका आयनिक सिरा (जलरागी) जल के अदंर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन पुंछ (जलविरागी) जल के बाहर
होता है। जल के अंदर इन साबुन के अणुओं की
एक विशेष व्यवस्था होती है जिसके कारण इसका हाइड्रोकार्बन सिरा(जलविरागी) जल के
बाहर बना होता है। इस तरह अणुऔ का एक बड़ा गुच्छा बन जाता है जिसमे आयनिक सिरा
गुच्छे की
संरचना को मिसेल कहते है
में किया जाता है जब किसी साबुन को जल में घोलते है तो वहा पर मिसेल का निर्माण
होता है जहा पर मिसेल के केंद्र में तैलीय
मैल जमा हो जाते है मिसेल का विलयन कोलॉइड के रूप में होता है जहा पर मिसेल के आयन
तैलीय मैल के आयन को अपने से दूर करने की
कोशिश करता है इस्सी प्रकार मिसेल निर्माण से तैलीय मैल को आसानी से दूर कर सकते
है
घोल बादल जैसा दिखायी देता है।
लवणों से अभिक्रिया करता है। जो की जल के साथ झाग मुश्किल से बनता है और झाग बनाने
के लिए बहुत अधिक साबुन की ज़रुरत होती है इस problem को दूर करने के लिए हम
अपमार्ज़क का उपयोग करेंगे
कार्बन शृंखला वाले अमोनियम लवण होते हैं जो क्लोराइड या बोमाइड आयनों के साथ बनते
हैं। अपमार्जक का आवेशित सिरा (So4,NH4) कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम एवं
मैग्नीशियम आयनों के साथ अभिक्रिया कर
घुलनशील पदार्थ बनाता हैं। इस प्रकार अपमार्जक कठोर जल में भी झाग बनाते हैं। अपमार्जकों
का उपयोग शैंपू एवं कपड़े धोने के लिए होता है। अपमार्जक में मिसेल का निर्माण नहीं
होता है
लवण होते है
सफेद व चिकना अधुलनशील अवक्षेप बनाता हैं।
होता है।
में जाकर किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं करती, क्योंकि ये जैव निम्नकरणीय पदार्थ है।
कार्बोक्सिलिक अम्ल के सल्फ़ोनिक तथा अमोनियम लवण होते हैं
में जाकर प्रदूषण करती है, क्योंकि यह जैव निम्नकरणीय नहीं है।
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