सरकारिया आयोग क्या है | सरकारिया आयोग किससे संबंधित है की सिफारिशें sarkaria commission in hindi
sarkaria commission in hindi report सरकारिया आयोग क्या है | सरकारिया आयोग किससे संबंधित है की सिफारिशें ?
सरकारिया आयोग
सरकारिया आयोग से कहा गया कि केन्द्र-राज्यों के बीच विद्यमान व्यवस्थाओं पर पुनर्विचार वह उस सामाजिक-आर्थिक बदलाव को ध्यान में रखकर करे जो पिछले वर्षों में हुआ है। उसको संविधान की योजना तथा ढाँचे और देश की एकता एवं अखण्डता की आवश्यकता को भी ध्यान में रखते हुए करना है। आयोग ने बहुत-सी राज्य सरकारों, राजनीतिक दलों एवं रुचि रखने वाले तथा संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श करने के बाद 27 अक्टूबर, 1987 को अपनी रपट प्रस्तुत की।
राजनीति के क्षेत्र में प्रबल विखण्डित प्रवृत्तियों की प्रधानता हो जाने के कारण सरकारिया आयोग ने अपनी रपट में इसको राष्ट्रीय एकता के लिए एक गहरा खतरा माना और राष्ट्रीय अखण्डता की सुरक्षा हेतु एक मजबूत केन्द्र का पक्ष लिया। लेकिन आयोग ने केन्द्रीयकरण को मजबूत केन्द्र के समरूप नहीं समझा। वास्तव में उसने केन्द्रीयकरण को राष्ट्र की अखण्डता के लिए एक खतरा बताया। आयोग ने कहा, “बहुत बार केन्द्र की कार्यवाहियों, कुछ राज्यों के प्रति इसकी भेदभाव पूर्ण नीति, स्थानीय समस्याओं को समझ पाने में असमर्थता, घृणित भावनाएँ और राज्यों के प्रति सत्ता का खुला दुरुपयोग जैसे कार्यों ने इसको जनता से दूर किया।श् इसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय अखण्डता की प्रक्रिया विपरीत दिशा में चलने लगी और इस प्रकार के अदूरदर्शितापूर्ण दृष्टिकोण ने विभाजक प्रवृत्तियों को और मजबूत किया।
सरकारिया आयोग की सिफारिशों का मुख्य आधार था कि विद्यमान संवैधानिक सिद्धांत तथा व्यवस्थाएँ सुदृढ़ हों और इसके लिए आवश्यक है कि सामूहिक निर्णय की व्यवस्था को सुनिश्चित करने हेतु एक प्रणाली बनायी जाए। ये सिफारिशें मात्र प्रशासन से संबंधित थीं न कि राज्य-केन्द्र रिश्तों की राजनीति से। इसने 265 सिफारिशों को अनुमोदित किया जिनका 20 क्षेत्रों के अधीन वर्गीकरण किया गया है। भारतीय राजनीति को संघीय सिद्धांतों के अनुरूप विकसित होने देने के लिए इसने संविधान में संशोधनों पर भी बल दिया।
इसकी महत्त्वपूर्ण सिफारिशें राज्यपाल की नियुक्ति तथा कार्य करने, धारा 356 के प्रयोग और आर्थिक संसाधनों के विभाजन से संबंधित हैं। आयोग ने सिफारिश की है कि राज्य के राज्यपाल पद पर सत्यनिष्ठ लोगों को ही नियुक्त किया जाना चाहिए। उसके पद त्यागने के पश्चात् उसकी नियक्ति किसी दूसरे पद या लाभ वाले पद पर न की जाए। धारा 356 का प्रयोग एक अंतिम उपाय के रूप में उन विशिष्ट परिस्थितियों में किया जाना चाहिए जब सभी उपलब्ध विकल्प असफल हो जाएँ। धारा 356 में ऐसे सुरक्षा उपायों को शामिल किया जाए जिनके अनुसार राष्ट्रपति शासन के जारी रहने के विषय में संसद पुनर्विचार कर सकने में सक्षम हो।
आयोग ने कर एवं शुल्कों के लगाने के लिए कार्य करने के व्यवहारिक क्षेत्र, केन्द्र एवं राज्यों के बीच कॉरपोरेट कर के विभाजन हेतु संवैधानिक संशोधन, कर प्रणाली में सुधार और केन्द्र तथा राज्यों के बीच संसाधनों को गतिशील करने की क्षमता पर विचार करने जैसी सिफारिशों पर पुनर्विचार करने के लिए कहा। इसने यह भी सुझाया कि अंतर-राज्य नदी विवाद अधिनियम में इस प्रकार का संशोधन किया जाए कि किसी भी राज्य से आवेदन-पत्र प्राप्त होने के एक वर्ष के अंदर केन्द्र के लिए एक न्यायाधिकरण का गठन करना अनिवार्य हो और इस न्यायाधिकरण के निर्णय को पाँच वर्ष के अंदर लागू कर दिया जाना चाहिए।
आयोग ने सिफारिश की कि योजना प्रक्रिया के सभी स्तरों पर राज्यों के साथ प्रभावकारी सलाह करने के उद्देश्य से योजना आयोग और राष्ट्रीय विकास परिषद् में सुधार किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय विकास परिषद् का पुनर्गठन करते हुए उसका राष्ट्रीय आर्थिक विकास परिषद् नाम रख जाए। इसको और अधिक प्रभावकारी ढंग से कार्य करने वाला बनाया जाना चाहिए और देश के योजनाबद्ध विकास को दिशा प्रदान करने तथा महत्त्वपूर्ण बनाने हेतु उच्चतम राजनीतिक स्तर की एक अंतर-सरकारी संस्था के रूप में इसका उद्भव हो । संविधान की धारा 263 के अंतर्गत एक स्थायी अंतर-राज्य परिषद् गठित करने की सिफारिश भी इस आयोग ने की जिससे कि यह केन्द्र-राज्य की सामूहिक समस्याओं पर बहस करने के एक मंच के रूप में यह कार्य करे। केन्द्र में संविद सरकार में क्षेत्रीय दलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका के कारण निश्चय ही राज्यों के मामलों में केन्द्रीय सरकार हस्तक्षेप करने के लिए शक्तिशाली नहीं रह गई है। इसी के साथ राष्ट्रपति तथा न्यायपालिका की सक्रिय भूमिका ने केन्द्र की भेदपूर्ण नीति पर किसी सीमा तक रोक लगाने में सफलता प्राप्त की है। परन्तु अभी तक भी कोई संवैधानिक तथा ढाँचागत परिवर्तन नहीं किया गया है। कुलमिलाकर संघीय ढाँचा भारी दबाव के अधीन बना हुआ है।
बोध प्रश्न 3
नोट: क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए रिक्त स्थान का प्रयोग करें ।
ख) अपने उत्तरों की जाँच इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से करें ।
1) अनुदान के मुद्दे पर केन्द्र एवं राज्य सरकारों के बीच टकराव के कौन-से क्षेत्र हैं?
2) केन्द्र एवं राज्य के बीच ‘योजना‘ कैसे तनाव का क्षेत्र बन चुका है?
बोध प्रश्नों के उत्तर
बोध प्रश्न 3
1) अ) केन्द्र के राजस्व स्रोत राज्यों की अपेक्षा कहीं अधिक व्यापक एवं खर्चीले हैं
ब) द्वेषपूर्ण आधार पर राज्यों को अनुदान देना
स) वित्तीय आयोग की शक्तियों के एक भाग का अधिग्रहण योजना आयोग द्वारा करना
2) अ) राज्यों की आवश्यकताओं तथा जरूरतों की परवाह किए बगैर केन्द्र द्वारा अपनी योजना एवं कार्यक्रमों को थोपनाय
ब) केन्द्र द्वारा इसका इस्तेमाल राज्य के विषयों में कया गया हैय
स) यह केन्द्र को अनुदान प्रदान करने की व्यापक शक्तियाँ प्रदान करता है।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics