rna polymerase in hindi , आरएनए पोलीमरेज़ के कार्य क्या है , पॉलीमरेज किसे कहते हैं , खोज किसने की
लिखिए rna polymerase in hindi , आरएनए पोलीमरेज़ के कार्य क्या है , पॉलीमरेज किसे कहते हैं , खोज किसने की ?
आरएनए पॉलीमरेज (RNA Polymerase)
आरएनए पॉलिमरेज एक एन्जाइम है जिसे RNAP भी कहते हैं। यह प्राथमिक अनुलेख आरएनए (primary transcript RNA ) निर्मित करता है। यह आरएनए पॉलीमरेज डीएनए जीन्स को टेम्पलेट की तरह प्रयोग करके आरएनए श्रृंखला का संश्लेषण एक प्रक्रिया अनुलेखन (transcription) द्वारा करता है। यह एन्जाइम लगभग सभी जीवों व वायरस में पाये जाते हैं तथा जीवन के लिये आवश्यक हैं। रासायनिक रूप से यह वास्तव में न्यूक्लियोटाइडिल ट्रान्सफरेज (nucleotidyl transferase) हैं जो अनुलेखित आरएनए (RNA transcript) के 3′ सिरे पर राइबोन्यूक्लियोटाइड को बहुलिकरण (पॉलिमराइज ) द्वारा जोड़ते जाते हैं और बहुलक बनाकर श्रृंखला निर्मित करते हैं।
आरएनए पॉलिमरेज की खोज सर्वप्रथम चार्ल्स लोई, ऑद्रे स्टीवन्स तथा जेरार्ड हर्विट्ज (Charles Loe, Audrey Stevens and Jerard Hurwitz) ने 1960 में की थी। सन 2006 में रोजर डी, कार्नबर्ग को आरएनए पॉलिमरेज की अनुलेखन के दौरान आण्विक तस्वीरों (molecular images) ) तैयार करने के लिये नोबल पुरस्कार दिया गया।
यूकेरियोट में आरएनए पॉलिमरेज निम्न तीन प्रकार के मिलते हैं जो विभिन्न भागों में सक्रिय रहकर इनके लिये निर्धारित विशिष्ट प्रकार्यों में संलग्न रहते हैं-
- आरएनए पॉलिमरेज I ( RNA Polymerase I) : आरएनए पॉलिमरेज I नामक एन्जाइम कोशिका के केन्द्रिक (nucleolus) में सक्रिय रहता है। यह मुख्यतः राइबोजोमल आरएनए जीन्स का अनुलेखन करते हैं जो टेन्डम रिपीट में उपस्थित रहते हैं। इनके अनुलेखन से बड़े आकार का 45 पूववर्ती r-आरएनए बनता है। अन्य [-आरएनए जीन्स जैसे 285, 18S एवं 5.8S को अनुलेखित करने का कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त 50-70% कोशिका के आरएनए का संश्लेषण में भी आरएनए पॉलिमरेज I भाग लेता है। यह कवक अमेनिटा द्वारा प्राप्त एन्जाइम ० एमेनिटीन के प्रति असंवेदनशील होता है।
- आरएनए पॉलिमरेज II ( RNA Polymerase II) : एन्जाइम आरएनए पॉलिमरेज II केन्द्रक द्रव्य में सक्रिय रहता है। यह डीएनए के अनुलेखन को उत्प्रेरित ( catalyse) करते हैं जिससे m-आरएनए का पूर्ववर्ती का संश्लेषण हो सके। इसका प्रमुख कार्य m – आरएनए प्रोटीन कोडिंग जीन्स एवं लघु केन्द्रक आरएनए (sn RNA ) जीन्स को अनुलेखन करना है। यह m – आरएन की प्रक्रिया में भी सक्रिय रहता है। यह एन्जाइम – एमेनिटीन के प्रति अति संवेदनशील है। इसकी उपस्थिति में अनुलेखन रूक जाता है। आरएनए पॉलिमरेज II प्रोटीन कोडिंग जीन्स का अनुलेखित करते हैं जिससे m-आरएनए निर्मित होता है।
- आरएनए पॉलिमरेज III (RNA Polymerase III) : एन्जाइम आरएनए पॉलिमरेज III का कार्य स्थल केन्द्रक है। पॉल III विशिष्ट तौर पर t आरएनए (transfer RNA ) को अनुलेखित करता है। यह सबसे छोटे राइबोसोमल आरएनए 5S के लिये भी जीन्स को कोड करता है।
यह तीनों प्रकार के पॉलिमरेज यीस्ट के है । यह 5 उपइकाई से निर्मित होते हैं। इनमें प्रोकेरियोट के ई. कोलाई आरएनए पॉलिमरेज की 5 उपइकाई B, B’, ∝ तथा √ से समानता पाई जाती है।
प्रत्येक जीन एक विशिष्ट गुण का संचालक वाहक (carrier) होता है। इसकी सामान्य क्रिया से माता-पिता से संतति को वह विशिष्ट गुण प्राप्त होता है। प्रत्येक जीव में जीन्स की संख्या निश्चित होती है मगर चयन (selection ) व उत्परिवर्तन (mutation) द्वारा यह संख्या घट या बढ़ सकती हैं।
आज जीन्स का कृत्रिम संश्लेषण भी किया जा चुका है। होले (Holley) ने वर्ष 1965 में t-RNA की आण्विक संरचना को खोजा। बाद में खुराना (Khorana, 1970) ने इसकी कृत्रिम रचना की ।
जीन वास्तव में कोशिका में जीनोम के अनुक्रम हैं जो आरएनए व प्रोटीन के लिए कोड करते हैं। जीन में डीएनए का लम्बा स्ट्रेण्ड होता है जिस पर (i) प्रमोटर उपस्थित रहता है जो जीन की सक्रियता को नियंत्रित करता है तथा (ii) कोडिंग व नॉन कोडिंग अनुक्रम जो जीन नियमन की स्थिति को नियमित करता है। जब कोई जीन सक्रिय होता है तब कोडिंग व नॉन कोडिंग अनुक्रम अनुलेखन (transcription) द्वारा आरएनए पर कॉपी हो जाते हैं। यह m-आरएनए प्रोटीन के संश्लेषण हेतु आनुवंशिक त्रिकूट (triplet) द्वारा निर्देश देता है। अतः आरएनए व प्रोटीन को जीन उत्पाद (gene product) कहते हैं।
जीन में ऐसे भाग भी होते हैं जो किसी भी उत्पाद m-आरएनए / प्रोटीन के लिए कोड नहीं करते मगर जीन नियमन को नियत्रित (regulate) करते हैं।
यूकेरियोटिक जीवों के ऐसे भाग इन्ट्रॉन कहलाते हैं जो m-आरएनए पर अनुलेखित (transcribed ) नहीं होते हैं तथा स्प्लाइसिंग (splicing) द्वारा अलग हट जाते हैं। वह भाग जो जीन उत्पाद के लिए कोड करता है, एक्जॉन कहलाता है। यूकेरियोट में एक जीन अनेक प्रोटीन के लिए कोड कर सकता है। ऐसा विभिन्न एक्जॉन के पुर्नस्थापना ( rearrangement) के द्वारा वैकल्पिक स्लाइसिंग (alternative splicing) द्वारा होता है।
डीएनए पुनरावृत्ति की प्रक्रिया (Process of DNA Replication)
ई. कोलाई जीवाणु में डीएनए पुनरावृत्ति निम्नलिखित प्रक्रिया द्वारा सम्पन्न होती है-
- डीऑक्सीराइबोन्यूक्लियोटाइडस की सक्रियता (Activation of deoxyribonucleotides) :
डीएनए के संश्लेषण के लिये केन्द्रकीय द्रव्य न्यूक्लियर सेप में उपस्थित चार प्रकार के डीऑक्सीराइबोन्यूक्लियोसाइड एकल फोस्फेट (Monophosphate) की आवश्यकता होती है। इनमें प्रमुख डीऑक्सीएडेनोसिन मोनो फोस्फेट (de AMP), डीऑक्सी गुवानोसिन मोनो फॉस्फेट (de GMP), डीऑक्सीसायटिडीन मोनोफोस्फेट (deCMP) तथा डीऑक्सीथायमिडीन मोनोफोस्फेट (de CTP) है। यह सभी न्यूक्लियोटाइड एटीपी ( ATP ) से जुड़ने के पश्चात् सक्रिय होते हैं इसे फास्फोरिलेशन (Phosphorylation) कहते हैं जो फास्फोरिलेज (Phosphorylase) एन्जाइम द्वारा उपापचयित होता है। यह क्रमश: डीऑक्सीराइबोन्यूक्लियोसाइड ट्राईफास्फेट जैसे deATP, deGTP, deCTP तथा deTTP का उत्पादन करते हैं।
- उद्गम स्थल की पहचान तथा डीएनए का विकुण्डलन (Recognition of Initial point and unwinding of DNA)
डीएनए पुनरावृत्ति 100-200 न्यूक्लियोटाइड के एक निश्चित अनुक्रम से प्रारम्भ होता है जिसे उद्गम स्थल (origin of replicationoric) कहते हैं। प्रोकेरियोट में एक मात्र उद्गम स्थल ( ई. कोलाई में 245 क्षार युग्म) प्रति गुणसूत्र उपस्थित होता है। इसमें रेप्लीकॉन भी एक ही होता है। यूकेरियोट में अनेक उद्गम स्थल उपस्थित रहते हैं। मानव जीनोम में 30,000 पुनरावृत्ति के उद्गम स्थल होते हैं यह 50-300kb की दूरी पर स्थित रहते हैं ।
ई.कोलाई में पुनरावृत्ति उद्गम स्थल में 245 क्षार युग्म उपस्थित रहते हैं जिसमें 13 क्षार युग्म (G AT C TATT TATTT) के तीन सेट (repeat) व 9 क्षार युग्म (TTATCCAC A) के चार सेट मौजूद रहते हैं जिन्हें क्रमश: 13 मर्स ( 13mers) तथा 9 मर्स (9mers) कहते हैं। पुनरावृत्ति प्रारम्भन प्रक्रिया में 9 प्रोटीन निम्न प्रकार से भाग लेते हैं-
सर्वप्रथम दो सूत्री श्रृंखला के एक सूत्र पर उपस्थित 9 मर्स के चारों सेट से विशिष्ट प्रारम्भिक प्रोटीन डीएनए A(initiator protein DNA) 30 अणु जुड़ जाने से उद्गम स्थल की पहचान होती है। डीएनए समिश्र जुड़ने से 13 मर्स के तीनों सेट (रिपीट ) विकृत होने शुरू हो जाते हैं।
सर्वप्रथम दो सूत्रीय कुण्डलित श्रृंखला के एक सूत्र पर 9 मर्स (TTATC CA CA) के चारों सेट से विशिष्ट प्रारम्भिक प्रोटीन डीएनए – ए ( Initiator protein DNA ) के 30 अणु सम्मिश्र (complex) के रूप में जुड़ कर उद्गम स्थल को चिन्हित करते हैं।
डीएनए – ए सम्मिश्र के जुड़ने से 13 क्षार युग्मों के (GATCTATTTATTT) के तीनों सेट (रिपीट) (13 मर्स) विकृत होने शुरू हो जाते हैं। इस प्रक्रिया के लिये एटीपी (ATP) तथा बैक्टीरिया हिस्टोन जैसे प्रोटीन (HV) की आवश्यकता होती है। लगभग 45 क्षारयुग्म विकृत होकर द्विकुण्डलित श्रृंखलाओं को खोल देते हैं। डीएनए का विकुण्डलन 5 प्रोटीन डीएनए-ए (DNA-A) डीएनए-बी (DNA B) डीएनए C (DNA-C) एसएस – बी (SSB) तथा गायरेज अथव टोपो आइसोमरेज (Gyrase topoisomerase) द्वारा सम्पन्न होता है।
सर्वप्रथम एन्जाइम हेलीकेज प्रोटीन डीएनए-बी ( DNA-B) के साथ प्रोटीन-ए (Protein – A ) के पास थोड़ी सी अकुण्डलित श्रृंखला से जुड़ता है। प्रत्येक डीएनए – बी (DNA B) डीएनए श्रृंखला पर 6 डीएनए-सी (DNA-C) की सहायता से जुड़ता है। प्रोटीन डीएनए-बी (DNA B) के दो अणु डीएनए का विकुण्डलन दो दिशा में प्रारम्भ करके दो सक्रिय पुनरावृत्ति फोर्क (replication fork) उत्पन्न करते हैं। टोपोआइसोमरेज एनजाइम जैसे गायरेज डीएनए के दो सूत्रीय श्रृंखला को अलग कर देती है। हैलीकेज एन्जाइम ऋणात्मक अतिकुण्डन को प्रेरित करता है। एकसूत्री श्रृंखला बन्ध प्रोटीन (SSB) दो अलग हुई श्रृंखलाओं को दोबारा जुड़ने से रोकता है तथा इन्हें स्थिर अवस्था में रखता है।
दोनों अलग हुई डीएनए श्रंखलायें डीएनए टेम्पलेट की भांति कार्य करती है जिस पर नया डीएए संश्लेषित होता है।
III. डीएनए की नयी श्रृंखला का संश्लेषण (Synthesis of New Strand of DNA)
डीएनए के टेम्पलेट के 5′ सिरे पर एक आरएनए का छोटी खण्ड निर्मित होता है जिसे आरएनए प्राइमर कहते हैं।
(1) प्राइमर का निर्माण : डीएनए की पुनरावृत्ति के लिये आरएनए प्राइमर का मौजूद होना आवश्यक है क्योंकि डीएनए पॉलिमरेज नयी डीएनए शृंखला के संश्लेषण को प्रारम्भ नहीं कर सकती परन्तु आरएनए प्राइमर की मौजूदगी में इसकी पूरक श्रृंखला का विस्तार कर सकता है। एक आरएनए प्राइमर फोर्क के अन्दर बनता है तथा दूसरा फोर्क के लीडिंग सूत्र के सिरे पर स्थित रहता है।
प्राइमेज एन्जाइम आरएनए के घटक A, U, G तथा C के पॉलीमराइजेशन को उत्प्रेरित (catalyse) करके प्राइमर का निर्माण करता है। यह प्राइमर पुनरावृत्ति समाप्त होने से पहले हट जाते हैं तथा इनका स्थान डीऑक्सीराइबोन्यूक्लियोटाइड ग्रहण करके डीएनए श्रृंखला को जोड़ देते हैं।
प्राइमेज एन्जाइम डीएनए की लीडिंग श्रृंखला पर उपस्थित प्राइमिंग अनुक्रम के साथ जुड़ते हैं तथा 10-60 न्यूक्लियोटाइड युक्त छोटा प्राइमर आरएनए खण्ड पुनरावृत्ति उद्गम स्थल पर संश्लेषित करता है। यह विकुण्डलित हुए डीएनए श्रृंखला के पूरक होते हैं।
(2) पूरक श्रृंखलाओं का जुड़ना (Joining of Complementary Strands ) : डीऑक्सीराइबोन्यूक्लियोटाइड ट्राइफॉस्फेट टेम्पलेट डीएनए श्रृंखला पर उपस्थित उपयुक्त नाइट्रोजन क्षार के साथ क्षार युग्म नियम के तहत युग्मित होकर जुड़ता जाता है।
जब डीऑक्सी राइबोन्यूक्लियोटाइड ट्राइफॉस्फेट अणु नाइट्रोजन क्षार के साथ संलग्न होता है तो पायरोफॉस्फेट (p-p) अणु मुक्त हो जाता है। एन्जाइम पायरोफॉस्फेटेज पायरोफॉस्फेट का अकार्बनिक फोस्फेट
समूह (pi) में जलअपघटन (hydrolysis) करके ऊर्जा उत्सर्जित (release) करता है।
(3) आरएनए प्राइमर पर नयी डीएनए श्रृंखला का निर्माण (Formation of New DNA Chain on RNA Primer by Polymerization of DNA ) : डीएनए श्रृंखला 5-3′ दिशा में डीएनए टेम्पलेट पर आरएनए प्राइमर के 3′ सिरे पर डीआक्सीराइबोन्यूक्लियोटाइड के जुड़ने से बनती है। अकार्बनिक फॉस्फेट समूह (pi) बनने के दौरान जो ऊर्जा निकलती है वह न्यूक्लियोटाइड को जोड़ कर पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला का निर्माण करने में सहायक होती है। इस प्रक्रिया को डीएनए पॉलिमरेज एन्जाइम मेग्नीज ( Mn++) तथा मेग्नीशियम (Mg++) आयन उपापचयित करते हैं। एक बार यह संश्लेषण शुरू होने पर लगातार तब तक चलता रहता है जब तक पुनरावृत्ति फोर्क पर जनक श्रृंखला का विकुण्डलन होता रहता है।
(4) आरएनए प्राइमर का विच्छेदन (Excision of RNA Primer)- एक बार छोटे ओकाजाकी खण्ड ं (Okazaki fragments) बनने के बाद आरएनए प्राइमर (RNA primer) के न्यूक्लियोटाइड्स एक-एक करके डीएनए पॉलीमरेज 1 (DNA polymerase 1) के 5′- 3′ एक्सोन्यूक्लिएज (5′ – 3′ exonuclease) द्वारा हटा दिए जाते हैं।
(5) ओकाजाकी खण्डों का योग (Joining of Okazaki Fragments)—- ओकाजाकी खण्डों के बीच के रिक्त स्थान (gaps ) डीएनए पॉलीमरेज-1 के पूरक डीऑक्सी राइबो न्यूक्लियोटाइड (complementary deoxyribonucleotide) अवशेषों (residues) के द्वारा कर दिए जाते हैं। अन्ततः डीएनए सूत्र के 5′ -3′ सिरे डीएनए लाइगेज (DNA ligase) एन्जाइम के द्वारा जुड़ जाते हैं।
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