कोणीय संवेग , जड़त्व आघूर्ण व कोणीय वेग में सम्बन्ध , बलाघूर्ण , कोणीय संवेग व कोणीय त्वरण में सम्बन्ध
relation between angular momentum and moment of inertia of a rigid body in hindi , कोणीय संवेग , जड़त्व आघूर्ण व कोणीय वेग में सम्बन्ध , बलाघूर्ण , कोणीय संवेग व कोणीय त्वरण में सम्बन्ध :-
कोणीय विस्थापन (θ) : वृताकार पथ पर घूर्णन गति कर रहे किसी कण के द्वारा केंद्र के सापेक्ष तय की गयी दूरी कोणीय विस्थापन कहलाता है।
वृताकार पथ पर गति कर रहे किसी कण के द्वारा केन्द्र पर अन्तरित कोण का मान कोणीय विस्थापन कहलाता है।
कोणीय विस्थापन = Θ2 – θ1
△θ = θ2 – θ1
कोण = चाप/त्रिज्या
△θ = △S/r
कोणीय विस्थापन का मात्रक रेडियन होता है।
वामावर्त दिशा में धनात्मक होता है।
दक्षिणावर्त दिशा में ऋणात्मक होता है।
प्रश्न : एक धावक किसी वृत्ताकार पथ के चक्कर लगाता है तो उसका कोणीय विस्थापन ज्ञात करो ?
उत्तर : एक चक्र में केंद्र पर अंतरित कोण = 2π रेडियन
4 चक्करों में अंतरित कोण = 4 x 2π = 8π रेडियन
कोणीय वेग : कोणीय विस्थापन में परिवर्तन की दर को कोणीय वेग कहते है।
कोणीय वेग = कोणीय विस्थापन में परिवर्तन/समयान्तराल
W = (θ2 – θ1)/(t2 – t1)
W = △θ/△t
कोणीय वेग का मात्रक = रेडियन/सेकंड
यदि समयान्तराल बहुत अल्प हो तो कोणीय वेग तात्क्षणिक कोणीय वेग होगा।
तात्क्षणिक कोणीय वेग W = △t lim → 0 △θ/△t
W = dθ/dt
यदि कोई कण w नियत कोणीय वेग से गति करता है तथा एक चक्कर में T समय होता है तो –
W = 2π/T
चूँकि T = 1/n
w = 2πn
प्रश्न : पृथ्वी अपनी घूर्णन अक्ष पर एक चक्कर पूरा करता है तो उसका कोणीय वेग ज्ञात करो।
उत्तर : W = 2π/T
T = 24 घंटा = 24 x 3600 = 86400 sec
W = 2π/T = 2 x 3.14 /86400 = 0.0000726 रेडियन/सेकंड
कोणीय त्वरण : कोणीय वेग में परिवर्तन की दर को कोणीय त्वरण कहते है।
कोणीय त्वरण = कोणीय वेग में परिवर्तन/समयांतराल
α = w2 – w1/t2 – t1
α = △W/△t
यदि समयांतराल बहुत अल्प हो तो –
तात्क्षणिक कोणीय त्वरण –
α = △t lim → 0 △W/△t
α = dw/dt समीकरण-1
कोणीय त्वरण मात्रक = रेडियन/सेकंड2
चूँकि w = dθ/dt समीकरण-2
समीकरण-1 व समीकरण-2 से –
α = d/dt [dθ/dt]
α = d2θ/dt2
रेखीय वेग व कोणीय वेग में सम्बन्ध : माना कोई बिंदु पर स्थित है जो कि अपनी घूर्णन अक्ष 0 , 0 के सापेक्ष नियत कोणीय वेग w से घूर्णन कर रहा है तथा वृत्ताकार पथ की त्रिज्या r है।
अत:
रेखीय वेग v = rw समीकरण-1
त्रिभुज 0 , 0′ , P से
sinθ = लम्ब/कर्ण
sinθ = OP/O’P
sinθ = r/R
r = Rsinθ समीकरण-2
समीकरण-2 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
V = Rsinθ w
जड़त्व आघूर्ण : किसी पिण्ड का जडत्व आघूर्ण उसकी घूर्णन अक्ष के सापेक्ष द्रव्यमान के आघूर्ण का आघूर्ण होता है।
जड़त्व आघूर्ण एक सदिश राशि होता है।
जड़त्व आघूर्ण को I से व्यक्त करते है।
जड़त्व आघूर्ण का मात्रक Kg/m2 होता है।
जडत्व आघूर्ण पिण्ड की विराम अवस्था अथवा उसकी घूर्णन स्थिति में परिवर्तन का विरोध करता है।
यदि कोई पिण्ड विराम अवस्था में है तो वह विराम अवस्था में ही रहता है।
यदि कोई पिण्ड नियत कोणीय वेग से घूर्णन कर रहा है।
तो वह घूर्णन करता रहता है जब तक की उसके ऊपर कोई बाह्य घूर्णन आरोपित नहीं किया जावे।
जड़त्व आघूर्ण का मान पिण्ड के सभी कणों के द्रव्यमानों के लम्बवत दूरी के वर्ग के गुणनफल के योग के बराबर होता है।
माना पिण्ड में n कण उपस्थित है जिनके द्रव्यमान m1 , m2 , m3 . . . . . mn है , इनकी घूर्णन अक्ष से लम्बवत दूरियां क्रमशः r1 , r2 , r3 . . . . . rn है।
जड़त्व आघूर्ण = द्रव्यमान x लम्बवत दूरी
m1 कण का जड़त्व आघूर्ण –
I1 = m1 r12
m2 कण का जड़त्व आघूर्ण –
I2 = m2 r22
m3 कण का जड़त्व आघूर्ण –
I3 = m3 r32
n वें कण का जड़त्व आघूर्ण –
In = mn rn2
पिण्ड का सम्पूर्ण जड़त्व आघूर्ण –
I = I1 + I2 + I3 + . . . . . In
I = m1 r12 + m2 r22 + m3 r32 + mn rn2
विशेष बिंदु :
जड़त्व आघूर्ण का मान घूर्णन अक्ष की स्थिति पर निर्भर करता है।
रेखीय गति या स्थानान्तरिय में रेखीय का जो महत्व होता है वही महत्व घूर्णन में जड़त्व आघूर्ण का होता है। किसी पिंड का नियत घूर्णन अक्ष के सापेक्ष जडत्व द्रव्यमान आकार व आकृति पर निर्भर करता है।
बलाघूर्ण , कोणीय संवेग व कोणीय त्वरण में सम्बन्ध :
माना दृढ पिण्ड में n कण उपस्थित है , जिनके द्रव्यमान m1 , m2 , m3 . . . . . mn है , इनकी घूर्णन अक्ष से लम्बवत दूरियां क्रमशः r1 , r2 , r3 . . . . . rn है तथा इनके रेखीय त्वरण a1 , a2 , a3 . . . . . an है व कोणीय त्वरण है।
m1 कण पर लगने वाला बल –
F1 = m1a1
चूँकि a1 = r1 α
F1 = m1 r1 α
m1 कण पर लगने वाला बलाघूर्ण –
T1 = r1F1
T1 = r1m1 r1 α
T1 = m1r12α
m2 कण पर लगने वाला बलाघूर्ण –
T2 = m2r22α
m3 कण पर लगने वाला बलाघूर्ण –
T3 = m3r32α
n वें कण पर लगने वाला बलाघूर्ण –
Tn = mnrn2α
सम्पूर्ण बलाघूर्ण –
T = T1 + T2 + T3 + . . . . . . + Tn
T = m1r12α + m2r22α + m3r32α + . . . . . + mnrn2α
T = α [m1r12 + m2r22 + m3r32 + . . . . . + mnrn2]
चूँकि I = m1r12 + m2r22 + m3r32 + . . . . . + mnrn2
T = Iα
यदि α = 1 रेडियन/Sec2 हो तो –
t = I
एक रेडियन/Sec2 कोणीय त्वरण उत्पन्न करने के लिए आवश्यक बलाघूर्ण जड़त्व आघूर्ण के तुल्य होता है।
कोणीय संवेग , जड़त्व आघूर्ण व कोणीय वेग में सम्बन्ध : माना दृढ पिण्ड में n कण उपस्थित है , जिनके द्रव्यमान m1 , m2 , m3 . . . . . mn है , इनकी घूर्णन अक्ष से लम्बवत दूरियां क्रमशः r1 , r2 , r3 . . . . . rn है तथा इनके रेखीय वेग V1 , v2 , v3 . . . vn है तथा नियत कोणीय वेग w से घूर्णन कर रहा है।
अत:
m1 कण का कोणीय संवेग –
J1 = r1P1
चूँकि P1 = m1v1
J1 = r1m1v1
चूँकि V1 = r1w
J1 = r1m1 r1w
J1 = m1 r12w
m2 कण का कोणीय संवेग –
J2 = m2 r22w
m3 कण का कोणीय संवेग –
J3 = m3 r32w
n वें कण का कोणीय संवेग –
Jn = mn rn2w
सम्पूर्ण या कुल कोणीय संवेग –
J = J1 + J2 + J3 + . . . . .. Jn
J = m1 r12w + m2 r22w + m3 r32w + . . .. + mn rn2w
J = w[m1 r12 + m2 r22 + m3 r32 + . . .. + mn rn2]
चूँकि I = m1r12 + m2r22 + m3r32 + . . . . . + mnrn2
J = wI
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