reason for high and low quantum yield in hindi उच्च एवं अल्प क्वांटम दक्षता के कारण
उच्च एवं अल्प क्वांटम दक्षता के कारण क्या होते है reason for high and low quantum yield in hindi लिखिए ?
उच्च एवं अल्प क्वांटम दक्षता के कारण (Reasons for High and Low Quantum Yield)
पूर्ण रूप से पालन करती है अर्थात् एक फोटान के ऐसी अभिक्रियाऐं जो आइन्सटाइन नियम का अवशोषण पर एक अणु अपघटित होता है उस अभिक्रिया के लिए क्वांटम दक्षता ¢ का मान 1 होता है। लेकिन जब एक फोटान के अवशोषण से दो या तीन या इससे अधिक अणु अपघटित होते हैं तो ¢ > 1 अर्थात् ऐसी अभिक्रिया के लिए क्वांटम दक्षता का मान उच्च (high quantum yield) होगा इसी प्रकार यदि एक फोटान के अवशोषण से एक से कम या बहुत कम अणु अपघटित होते हैं तो <1 अर्थात् का मान 1 से कम (low quantum yield) होगा ।
उच्च क्वांटम दक्षता के कारण (Reasons for High quantum yield)
जब एक फोटॉन एक से अधिक अणुओं को अपघटित करता है या बनाता है (p> 1) तब क्वाटम दक्षता उच्च होगी। इसके कारण निम्न है।
(i) एक अणु प्रकाश ऊर्जा का एक फोटॉन या क्वांटम का अवशोषण कर प्राथमिक प्रक्रम में एक अणु का वियोजन करता है तथा उत्तेजित (excited) अणु द्वितीयक प्रक्रम में एक अणु का और वियोजन करता है।
इस प्रकार एक फोटॉन दो अणु का वियोजन करता है अतः 4 = 2
(ii) श्रृंखला अभिक्रिया जिसमें एक फोटॉन के अवशोषण से कई अणुओं का निर्माण होता है- एक अणु द्वारा प्रकाश ऊर्जा के एक फोटॉन या क्वांटम का अवशोषण कर प्राथमिक चरण में अणु यदि मुक्त मूलक या परमाणुओं में अपघटित हो जाता है तो श्रंखला क्रिया प्रारंभ हो सकती है। द्वितीयक प्रक्रम तथा श्रृंखला क्रियाविधि द्वारा अनेक अणुओं का रासायनिक परिवर्तन हो सकता है। अतः इस अभिक्रिया में एक फोटॉन के अवशोषण से अनेक अणु रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेंगे।
इससे तृतीय पद में वापस A का निर्माण होता है तथा दो अणु AB के बनाता है। यह A फिर अभिक्रिया कर AB का निर्माण करेगा। इस प्रकार एक फोटॉन का अवशोषण करने पर कई AB का निर्माण होगा जिससे 0 > 1 |
(iii) अभिक्रिया में मध्यवर्ती उत्पाद ऐसा हो जो उत्प्रेरक का कार्य करे तब एक क्वांटम के अवशोषण पर भी कई अणु रासायनिक परिवर्तन में भाग लेंगे।
(iv) प्रकाश ऊर्जा के अवशोषण से रासायनिक अभिक्रिया में ऊष्मा का उत्सर्जन (exothermic) होता हो तथा यह उत्सर्जित ऊष्मा अन्य अणुओं को सक्रियित कर देती है। जिससे कई अणु बिना अतिरिक्त अवशोषण के अपघटित हो जाते हैं। अतः ऐसी प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं की क्वांटम लब्धि (दक्षता) 0 > 1 |
(v) प्राथमिक चरण में क्वांटम अवशोषण से सक्रियित अणु निष्क्रिय अणु के साथ टकराकर (collide) उसे भी सक्रियित कर देते हैं तथा यह सक्रियित अणु पुनः अन्य निष्क्रिय अणु को सक्रियत
कर सकता है इस प्रकार का मान बढ़ेगा।
अल्प क्वांटम लब्धि के कारण (Reasons for Low quantum yield)
अल्प क्वांटम लब्धि के मुख्य कारण निम्न है-
(i) प्राथमिक चरण में प्रकाश ऊर्जा के फोटॉन के अवशोषण से प्राप्त सक्रियित अणु रासायनिक अभिक्रिया द्वारा उत्पाद में रूपान्तरित हो उसके पहले ही किन्ही प्रक्रमों द्वारा विसक्रियित (deactivation) हो जाते हैं।
(i) सक्रियित अणु जब असक्रियित (निष्क्रिय) अणु से टकराकर (collision) अपनी ऊर्जा खो देता है ।
(iii) सक्रियित अणुओं में से कुछ अणुओं को इतनी पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती है कि वे उत्पाद में रूपान्तरित हों।
(iv) प्राथमिक प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया पुनः प्रतीप होने लगे। उदाहरणार्थ इसमें पहले A, A2 परिवर्तित होता है लेकिन A2 का वापस A में परिवर्तन होने लगे तब 0 <1 !
(v) जब वियोजित खण्ड (dissociated fragments) पुन: संयोजन द्वारा संयुक्त होकर क्रियाकारकों में परिवर्तित हो सकते हैं।
उच्च एवं अल्प क्वांटम दक्षता वाली प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं के उदारहरण
प्रकाश-संवेदन अभिक्रियायें (Photosensitized Reactions)
कई प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं में क्रियाकारी पदार्थ प्रकाश ऊर्जा या फोटॉन का सीधे अवशोषण नहीं करते अतः अभिक्रिया सम्भव नहीं है। लेकिन क्रियाकारी पदार्थ में कुछ ऐसे बाह्य पदार्थ की मात्रा मिलायी जाए जो बिना अभिक्रिया में भाग लिए प्रकाश का अवशोषण करके प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया को प्रेरित कर सके। अतः ऐसे मिलाये गये बाह्य पदार्थ को प्रकाश संवेदक (Photo sensitizer) कहते हैं। अतः संवेदक प्रकाश ऊर्जा कर अवशोषण कर उस ऊर्जा को क्रियाकारी पदार्थ को स्थानतरित कर देता है। इस प्रक्रिया को प्रकाश संवेदन (Photo senstization) तथा अभिक्रिया को प्रकाश संवेदन अभिक्रिया (Photo sensitizer reaction) कहते हैं। मरकरी व केडमीयम की वाष्प सामान्य प्रकाश संवेदक के रूप में कई प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया में काम में लेते हैं।
अतः संवेदक प्रकाश अभिक्रिया में भाग नहीं लेते व ऊर्जा के वाहक की भूमिका निभाते हैं।
(iv) प्रकाश-संश्लेषण की प्रकाश-रासायनिक अभिक्रिया वस्तुतः प्रकाश संवेदन अभिक्रिया ही है।
प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया में ऊर्जा का स्थानान्तरण (Energy Transfer in Photochemical Reactions) प्रकाश संवेदक अभिक्रिया में परमाण्वीय संवेदक के रूप में मरकरी, केडमीयम या जिंक तथा आणविक संवेदक के रूप में बेन्जोफिनोन, सल्फरडाई ऑक्साइड आदि काम में लेते हैं। संवेदक प्रकाश अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं बल्कि वे ऊर्जा के वाहक की भूमिका निभाते हैं।
हम दाता ग्राही (donar acceptor) तंत्र को लेते हैं जो चित्र 7.7 में दिखाया गया है। जिसमें सिर्फ दाता अणु D संवेदक है जो मूल अवस्था So (ID) में चला जाता है तथा यहां अब अन्तर तल लघंन प्रक्रम (ISC) द्वारा त्रिक उत्तेजित अवस्था T1 (3D) में चला जाता है। अब त्रिक उत्तेजित अवस्था में दाता अणु (संवेदक) क्रियाकारी पदार्थ ग्रहण करने वाले अणु A के मूल अवस्था अणु से टक्कर होती है तथा क्रियाकारक की त्रिक उत्तेजित अवस्था एक संवेदक की मूल अवस्था प्राप्त होती है तथा त्रिक अवस्था में क्रियाकारी अणु इच्छित उत्पाद देता है। संवेदक व उत्प्ररेक दोनों सर्वथा भिन्न है। उत्प्रेरक तो पहले से हो रही अभिक्रिया की गति को बढ़ाता है जबकि संवेदक के बिना अभिक्रिया प्रारम्भ ही नहीं होती जबकि दोनों अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं।
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