रामकृष्ण मिशन क्या है Ramakrishna Mission in hindi रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने की थी
रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने की थी और कब की ? रामकृष्ण मिशन क्या है Ramakrishna Mission in hindi ?
रामकृष्ण मिशन की स्थापना (Founding of Ramakrishna Mission)
आप यह जानना चाहेंगे कि रामकृष्ण मिशन की स्थापना कैसे और कब हुई, किसने इसकी स्थापना की, तथा किस तरह से धीरे-धीरे इसका प्रचार-प्रसार हुआ।
शुरुआत (Beginning)
श्री रामकृष्ण, बंगाल के एक गृहस्थ संत थे। उनका जन्म 1836 में कामरपुकुर में हुआ था। 16 अगस्त, 1886 की सुबह उनकी मृत्यु हो गई थी।
उनकी मृत्यु के तुरंत बाद ही, 1886 में श्री रामकृष्ण के नाम पर एक मठवादी व्यवस्था का गठन किया गया, जो कि कोलकाता के उत्तर में करीब तीन कि.मी. की दूरी पर बारानागौर में है। यह मठवादी व्यवस्था उनके सन्यासी शिष्यों द्वारा स्वामी विवेकानन्द के नेतृत्व में गठित की गई।
वास्तव में उन्होंने ही इस व्यवस्था की नींव रखी थी। गुरु रामकृष्ण ने स्वयं ही अपनी बीमारी के दौरान इसे स्थापित कर दिया था। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द को इस आशय के निर्देश दिये थे कि इस व्यवस्था का गठन पवं संचालन किस तरह से किया जाना है।
श्री रामकृष्ण और श्री शारदा देवी
माँ श्री शारदा देवी, जो कि श्री रामकृष्ण की पत्नी थी, मठ और मिशन स्थापित करने के पीछे महान् आध्यात्मिक प्रेरणा उन्हीं ही की थी।
1899 में, मठ को कोलकाता के उत्तर के लगभग 6 कि.मी. की दूरी पर गंगा के उस पार बेलूर में स्थित मौजूदा स्थल पर ले. जाया गया।
स्वामी विवेकानन्द
1897 के साल का मई का महीना, भारत में आधुनिक धार्मिक आन्दोलनों के इतिहास में दर्ज रहेगा, जब कि स्वामी विवेकानन्द तथा उनके मुट्ठीभर सहयोगियों ने रामकृष्ण मिशन की शुरुआत की थी। 4 मई, 1909 को 1860 के अधिनियम, ग्ग्प्, पंजीकरण संख्या 1917 आफ 1909-10 के साथ रामकृष्ण मिशन के नाम से यह पंजीकृत हुआ। स्वामी विवेकानन्द और रामकृष्ण के बीच संबंधों के बारे में जानने के लिए बॉक्स सं. 27.01 देखें।
बॉक्स 27.01
1880 तक श्री रामकृष्ण के गिने चुने अनुयायी ही थे। वे स्वयं, शुरू में दक्षिणेश्वर मंदिर के पुजारी रहे थे, किन्तु वे पुजारी की भूमिका से कहीं आगे निकल गये और एक योगी तथा सन्यासी के लक्षण उनके भीतर प्रतिबिम्बित हुए। यद्यपि शारदा देवी से उनका, विवाह हुआ था किन्तु वे दोनों कभी भी पति-पत्नी की तरह नहीं रहे। रामकृष्ण की नजर में सभी धर्मों का ईश्वर, एक ही था, भले ही उसकी पूजा, उन धर्मों द्वारा स्वयं ही प्रस्तावित, अलग-अलग तरीकों से की जा सकती थी। श्री रामकृष्ण का संदेश यही था कि ईश्वर की प्राप्ति ‘‘औरत तथा स्वर्ण‘‘ का त्याग करके ही संभव हो सकती है। रामकृष्ण के एकतावाद ने अन्य सभी विचारों व मार्गों को सत्य की एकता के अनुभव के रूप में घटाकर रख दिया। श्री रामकृष्ण मिशन ने स्वामी विवेकानन्द को सत्य के अनेक अनुभव प्रदान करके उन्हें अपने विचारों में ढाल दिया।
रामकृष्ण मिशन की विचारधारा (Ideology of the Ramakrishna Mission)
रामकृष्ण मिशन की स्थापना, कुछ मौलिक विचारों को ध्यान में रखकर की गई थी। नीचे हम उन पर विचार करेंगे।
विचारधारा एवं उद्देश्य (Ideology and Objects)
रामकृष्ण मिशन की विचारधारा एवं उद्देश्य निम्नलिखित थे:
प) वेदान्त के अध्ययन को प्रकट तथा प्रोत्साहित करना तथा इसके सिद्धान्तों को रामकृष्ण मिशन द्वारा प्रतिपादित तथा स्वयं उनके जीवन में साकार हुई व्याख्या को प्रोत्साहन देना तथा व्यापक रूप से तुलनात्मक धर्मशास्त्रों के अध्ययन को प्रकट व प्रोत्साहित करना । वेदान्त एक हिन्दू दर्शन है जो कि सभी प्रकार के सत्य की एकरूपता की शिक्षा देता है। यह कि सभी की उत्पत्ति सत्य से हुई है और सत्य तक ही सभी को वापस पहुंचना है। अतः सत्य को ध्यान में रखते हुए किये गये कामों के बगैर सभी दिखावे भ्रामक हैं।
पप) कलाओं, विज्ञान तथा उद्योग के अध्ययन को प्रकट करना तथा प्रोत्साहन देना।
पपप) उपर्युक्त उल्लिखित ज्ञान की सभी शाखाओं में शिक्षकों को प्रशिक्षण देना तथा उन्हें जनता तक पहुंचाने में सक्षम बनाना।
पअ) जनता के बीच शिक्षा के काम को जारी रखना।
अ) स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, अनाथालयों, कारखानों, प्रयोगशालाओं, अस्पतालों,: डिस्पैन्सरियों की स्थापना करना, कमजोर, अपंग एवं असहाय लोगों के लिए घर, अकाल राहत कार्य तथा इसी तरह के अन्य शैक्षिक/अथवा परोपकारी कामों व संस्थाओं को स्थापित करना, उनका रख-रखाव करना तथा उन्हें संचालित करना व सहायता प्रदान करना।
अप) उन पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों अथवा पर्यों का मुद्रण तथा प्रकाशन, बिक्री अथवा वितरण निशुल्क अथवा दाम सहित करना, जिन्हें अपने उद्देश्यों का प्रसार करने के लिए एसोसिएशन द्वारा जरूरी समझा जाये।
अपप)पूर्व उल्लिखित किसी भी उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से अनुमान लगाते हुए किसी भी अन्य कार्य को जारी रखना, जिसे एसोसिएशन आसानी से संचालित कर पाने में सक्षम महसूस करता हो।
आप रामकृष्ण मिशन के इन विचारों को निम्नलिखित शीर्षकों के तहत रख सकते हैं: .
प) आदर्श: आत्मा की मुक्ति तथा मानवता की सेवा,
पप) उद्देश्य: सनातन धर्म की दीक्षा देना तथा उस पर अमल करना, जो कि श्री रामकृष्ण तथा स्वामी विवेकानन्द के जीवन तथा शिक्षाओं में एक शाश्वत धर्म के रूप में रचा बसा था,
पप) ध्येय: त्याग एवं सेवा, सभी धर्मों के बीच सद्भावय
पअ) विधि: काम एवं पूजा।
मिशन की गतिविधियाँ (Activities of the Mission)
मिशन के विभिन्न व्यवहारों पर आधारित विचार प्रदान करते हुए इसकी विस्तृत गतिविधियों का ब्यौरा इस प्रकार है,
प) पूजा: इसके तहत मठ के अनुयायियों का विशेष प्रशिक्षण तथा धार्मिक उपदेश शामिल है।
पप) एक सदाचारी एवं आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के साथ सामान्य एवं तकनीकी शिक्षा, अन्य सामान्य सेवाओं में शामिल है,
पपप) चिकित्सीय सेवाएंः
पअ) अकाल एवं विपत्ति राहत कार्य,
अ) ग्राम उत्थानय
अप) सभी वर्गों के श्रमजीवी लोगों के बीच काम करना, तथा
अपप) अन्य सांस्कृतिक गतिविधियाँ,
अब, जबकि हमने रामकृष्ण मिशन की विभिन्न गतिविधियों को सूचीबद्ध कर दिया है, अब आप यह जानना चाहेंगे कि मिशन की इन विभिन्न गतिविधियों को किस तरह से संगठित किया जाता है। इस सूची से यह स्पष्ट है कि मिशन के पास भी मीमांसात्मक से लेकर व्यावहारिक गतिविधियों की एक बोधशील योजना मौजूद है।
बॉक्स 27.02
इस कोष्ठक में यह दर्शाया गया है कि महापुरुष (श्री रामकृष्ण) तथा उनके अनुयायी ही थे, जिन्होंने मिशन को साकार बनाया। रामकृष्ण ने इस मिशन के लिए आन्दोलन को प्रेरणा दी और उनके साथी व शिष्यों ने इसकी स्थापना की और इसकी शिक्षाओं का प्रचार किया।
श्री रामकृष्ण की मृत्यु 1886 में हुई, उन्होंने अपनी मृत्यु से पूर्व स्वामी विवेकानन्द को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। रामकृष्ण के जीवन काल में भक्ति प्रमुख अनुष्ठान रही थी। काली पूजा के साथ-साथ रामकृष्ण की पूजा को भी जोड़ दिया गया। इस तरह भक्त-गण, गुरू तथा काली दोनों के प्रति समर्पित थे। विवेकानन्द ने इसे पसन्द नहीं किया और उनके वं अधिकांश शिष्यों के बीच मतभेद पैदा हो गये। जिन सिद्धान्तों पर विवेकानन्द ने अपने विश्वासों को आधारित किया, वे थे एकततवाद, मठवाद, सार्वभौमिकतावाद, सहिष्णुता, उदारतावाद, मानवतावाद, प्रगति तथा वैज्ञानिक विश्व व्यापी दृष्टिकोण। विवेकानन्द का मानना था कि वेदान्त ही एकमात्र वैज्ञानिक धर्म है तथा यह विज्ञान के साथ पूरे तौर पर समकक्षता रखता है।
रामकृष्ण मिशन का सांगठनिक ढांचा (Organisational Structure of Ramakrishna Mission)
रामकृष्ण मिशन की विभिन्न गतिविधियों को संगठित तथा नियोजित करने के लिए व्यापक सांगठनिक ढांचा मौजूद है।
मठ और मिशन (Math and Mission)
आइये, अब हम इसकी व्याख्या करें। निम्नलिखित रेखाचित्र सांगठनिक ढांचे पर प्रकाश डालता है,
रेखाचित्र 1
रामकृष्ण मठ रामकृष्ण मिशन
यह समझना जरूरी है कि रामकृष्ण मिशन तथा रामकृष्ण मठ निम्नलिखित ढंग से सन्निकट है,
प) दोनों का मुख्यालय कोलकाता में बेलूर मठ में स्थित है।
पप) मिशन की गवर्निंग बॉडी, मठ के ट्रस्टियों से मिलकर बनी है।
पपप) मिशन का प्रशासनिक कार्य रामकृष्ण मठ के भिक्षुओं द्वारा संचालित किया जाता है।
फिर भी, रामकृष्ण मिशन तथा रामकृष्ण मठ दोनों का अपना अलग कानूनी अस्तित्व है तथा उनकी अपनी शाखाएं हैं।
शायद आप यह जानना चाहेंगे कि किस तरह से मिशन तथा मठ का पृथक अस्तित्व है। दरअसल मठ तथा मिशन निम्नलिखित तौर पर प्रथम अस्तित्व वाली संस्थाएं हैंः
प) मठ का संगठन एक ट्रस्ट के अधीन स्थापित किया गया है, जिसके नियमों व प्रक्रियाओं को भली-भांति परिभाषित कर दिया गया है, मिशन एक पंजीकृत संस्था है।
पप) यद्यपि मठ तथा मिशन, दोनों ही सेवा एवं परोपकारवादी गतिविधियां करते हैं, फिर भी मठ धार्मिक पहलू तथा उपदेशों पर बल देता है, जबकि मिशन मुख्यतः अनेक तरह की कल्याणकारी सेवाओं के प्रति समर्पित है।
रेखाचित्र-प्प्
मठ तथा मिशन की गतिविधियां
(धर्मार्थ एवं परोपकारवादी)
मठ धार्मिक पहलू तथा मिशन मुख्यतः विभिन्न तरह की उपदेशों पर बल देता है। कल्याणकारी सेवाओं के प्रति समर्पित है, जैसे स्कूल व कॉलेज अस्पताल राहत परियोजना, सामाजिक जीवन से जुड़े मामलों में भाग लेता।
मठ तथा मिशन के बीच भेद करते हुए क्रिस्टोफर आइशरवुड ने बहुत सटीक ढंग से ‘चिंतनशील मठ‘ तथा ‘सामाजिक तौर पर सक्रिय मिशन‘ शब्दों का प्रयोग किया है। मठ चिंतन के जरिये धर्म तथा उपदेश की तरफ झुका हुआ है, जबकि मिशन विभिन्न तरह की सामाजिक कल्याण की गतिविधियों की तरफ उन्मुख है।
कार्यकलाप 1
अपने घर के निकट बने रामकृष्ण मठ में जाइए और वहां लोगों से ‘मठ‘ और ‘मिशन‘ के बीच के अंतर के बारे में पूछिए। प्राप्त जानकारी को अपनी नोटबुक में लिखिए।
इन मिशनों को उस रामकृष्ण मिशन के साथ जोड़ना नहीं है जिसका मुख्यालय बेलूर मठ में स्थित है। इन संगठनों की भी खासतौर पर बैरकपुर के रामकृष्ण विवेकानन्द मिशन की अनेक स्थानों पर शाखाएं मौजूद हैं तथा वे विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी सेवाओं के लिए समर्पित हैं, खासतौर पर ये गरीब, शोषित लोगों, अनाथ बच्चों तथा दुखी स्त्रियों की सामान्य शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा, रोजगार उन्मुख प्रशिक्षण, ग्राम विकास कार्य, चिकित्सा सेवाओं आदि के क्षेत्र में जाति व धर्म से ऊपर उठकर धर्म की सेवा को तत्पर रहते हुए कार्य कर रहे हैं।
रामकृष्ण मंठ तथा रामकृष्ण मिशन की भांति उन्होंने भी विवेकानन्द मठ तथा रामकृष्ण विवेकानन्द मिशन की स्थापना कर ली है और वे दोनों अटूट ढंग से परस्पर संबंधित हैं। विवेकानन्द मठ जहां आध्यात्मिक तैयारी का क्षेत्र उपलब्ध कराता है, वहीं रामकृष्ण विवेकानन्द मिशन ने जाति, वर्ण, धर्म तथा क्षेत्र का कोई भेदभाव किये बिना शोषित मानवता की निस्वार्थ सेवा के जरिये गुलामी से मुक्ति के लिए पृष्ठभूमि तैयार की है। रामकृष्ण विवेकानन्द मिशन एक पब्लिक चैरिटेबल संगठन है, जो कि नवम्बर, 1976 को पश्चिम बंगाल सोसाइटीज एक्ट, 1961 के अधीन पंजीकृत हुआ है। यह कानूनी तथा संवैधानिक तौर पर एक तरफ रामकृष्ण मठ तथा रामकृष्ण मिशन बेलूर के मुख्य संगठन से तथा दूसरी तरफ दक्षिणेश्वर स्थित शारदा मठ तथा रामकृष्ण शारदा मिशन से भिन्न है।
शासी निकाय (Governing Body)
रामकृष्ण मिशन जो कि 1860 के सोसाइयटी पंजीकरण अधिनियम, ग्ग्प् के तहत 4 मई, 1909 को एक संघ के रूप में पंजीकृत हुआ था, उसका मुख्यालय बेलूर में था। बेलूर के मुख्यालय के संगठन के अलावा अब रामकृष्ण मिशन की करीब 127 शाखाएं समूचे विश्व में फैली हुई हैं, जैसे भारत, अर्जेन्टीना (दक्षिण अमेरिका), बंगलादेश, कनाडा, इंग्लैंड, फीजी, फ्रांस, जापान, मॉरीशस, सिंगापुर, श्रीलंका, स्विजरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका में।
यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसकी 31 मार्च, 1989 तक, 27 शाखाएं काम कर रही हैं। जिनमें 96 केन्द्र भारत में तथा 31 केन्द्र भारत के बाहर हैं। इन 127 शाखाओं में से 54 रामकृष्ण मिशन केन्द्र की हैं तथा 50 रामकृष्ण मठ केन्द्र व 23 मिशन व मठ दोनों के केन्द्र हैं।
भारत में, ये केन्द्र आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, उड़ीसा, राजस्थान, तमिलनाडु त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल के सुदूर क्षेत्रों तक फैले हुए हैं।
अकेले पश्चिम बंगाल में ही डेढ़ दर्जन से अधिक केन्द्र मौजूद हैं। भारत के लगभग सभी महत्वपूर्ण महानमर जैसे हैदराबाद, बंगलौर, मुम्बई, मद्रास, कानपुर, कोलकाता, जयपुर, चंडीगढ़ इत्यादि में रामकृष्ण मिशन की शाखाएं हैं।
रामकृष्ण मिशन के व्यापक सांगठनिक ढांचे को समझने में एक चित्रांकित संगठन चार्ट आपकी मदद कर सकता है। यह आधुनिक काल में एक धार्मिक आन्दोलन के तौर पर रामकृष्ण मिशन के प्रभाव के बारे में भी आपको जानकारी देगा।
हम आशा करते हैं कि आप दोनों के बीच भेद के इस बिंदु का ध्यान रखेंगे, हालांकि लोग अक्सर रामकृष्ण मिशन को मढ की गतिविधियों के साथ भी संबद्ध कर देते हैं।
आपके लिए उतना ही जरूरी है जितना कि इस बात को ध्यान में रखना है कि रामकृष्ण अथवा स्वामी विवेकानन्द के नाम पर चलने वाले किसी भी संस्थान का मतलब यह नहीं है कि वह भी रामकृष्ण मठ अथवा रामकृष्ण मिशन से संबद्ध हो जिनका मुख्यालय बेलूर मठ में है।
बोध प्रश्न 1
1) रामकृष्ण मठ तथा मिशन की स्थापना के पीछे तीन प्रमुख प्रेरणाएं क्या थीं?
क) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….
ख) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….
ग) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….
2) रामकृष्ण मिशन के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
क) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….
ख) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….
ग) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….
घ) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….
बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) क) श्री रामकृष्ण
ख) श्री शारदा देवी
ग) स्वामी विवेकानन्द
2) क) आत्मा की मुक्ति, मानवता की सेवा ।
ख) सनातन धर्म की शिक्षाएं एवं प्रचलन जिन्हें श्री रामकृष्ण, श्री शारदा देवी एवं स्वामी विवेकानन्द की जीवनियों ने चरितार्थ किया।
ग) त्याग, सेवा तथा सभी धर्मों के बीच सदभाव की दिशा पर बल दिया जाना चाहिए।
घ) श्रम तथा पूजा को एक समान मानना और अत्यधिक गंभीरता से किया जाना चाहिए।
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