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pterobranchia characteristics class in hindi , टेरोब्रेकिया वर्ग के लक्षण क्या है वर्णन कीजिये

पढेंगे pterobranchia characteristics class in hindi , टेरोब्रेकिया वर्ग के लक्षण क्या है वर्णन कीजिये ?

हैमिकॉर्डेटा के प्रमुख लक्षण (Salient features of Hamichordata)

हैमिकार्डेटा संघ को कुछ वर्षों तक संघ कॉर्डेटा के अन्तर्गत वर्गीकृत किया जाता था। इसे अन्य कशेरुकियों के साथ प्रोटोकार्डेट माना जाता था । इस भ्रम का कारण यह था कि इस संघ के सदस्यों में एक ऐसी संरचना देखी गई जिसे कुछ प्राणिविज्ञानियों ने पृष्ठ रज्जु या नाटोकोर्ड (notochord) मान लिया। इन जन्तुओं की ग्रसनी (pharynx) में क्लोम विदर या गिल खांचें (gill slits) भी पाई जाती हैं। यह भी कॉर्डेट जन्तुओं का एक विशिष्ट लक्षण है। इस आधार पर हैमिकॉर्डेटा के जन्तुओं को कॉर्बेट माना गया परन्तु पूर्णत: कॉर्डेट लक्षण न मिलने के कारण इन्हें हैमिकॉर्डेटा अर्थात् अर्द्ध कॉर्डेटा (Greek work hemi= half + chorde = string) नाम दिया गया। बाद में यह ज्ञात हुआ कि जिसे पृष्ठरज्जु समझा जा रहा था वह आंत्र का मुखीय – अन्धवर्ध (buccal diverticulum) था। इन जन्तुओं के अन्य सभी लक्षण अरज्जुकी (non-chordates) या एकाइनोडर्म जीवों के समान है। सिर्फ गिल खांचों की उपस्थिति कॉर्डेटा से समानता रखती अतः इन्हें कॉर्डेटा कहना उपयुक्त नहीं होगा। इनके जीवन की भ्रूणीय अवस्थाएं एकाइनोडर्मेटा संघ के जन्तुओं की तरह होती है। इनका प्रारम्भिक टोर्नेरिया (Tornaria) लारवा इकाइनोडर्मों के एस्टेरॉइड बाइपिन्नेरिया (bipinnaria) लारवा से बहुत समानता रखता है। इन तथ्यों से प्रतीत होता है कि हैमिकॉर्डेटा का कॉर्डेटा की अपेक्षा एकाइनोडर्मेटा से अधिक समीप का सम्बन्ध है। ऐसा प्रतीत होता है कि उद्विकास की जिस दिशा में हैमिकॉर्डेटा का विकास हुआ उसी पर आगे चलकर कॉर्डेटा का उद्भव हुआ होगा ।

प्रमुख लक्षण (Main Characteristics)

  1. हैमिकॉर्डेट जन्तु त्रिजनस्तरीय (triploblastic), द्विपार्श्वसममित (bilaterally symmetrical) देहगुहीय (coelomate) जन्तु हैं।
  2. ये कृमिरूपी जीव समुद्री आवास (marine habitat) में पाये जाते हैं ।
  3. अधिकांशतः ये स्थानबद्ध (sessile) होते हैं तथा समुद्र के अवपंकी भाग में बिल बना कर रहते हैं।
  4. शरीर तीन भागों में बंटा होता है – प्रोबोसिस (proboscis), कॉलर (collar) व धड़ (trunk)।
  5. बाह्य कंकाल का अभाव होता है।
  6. उपांग अनुपस्थित होते हैं।
  7. इनकी ग्रसनी के अग्र भाग में एक छड़ समान दृढ़ रचना पाई जाती है जिसे स्टोमोकार्ड (stomochord) कहा जाता है। पहले इसे पृष्ठरज्जु का समजात (homologous) माना जाता था।
  8. इनमें पोषण निस्यन्दी (filter-beeder ) या सड़े-गले ( detritus) पदार्थों से होता है।
  9. अनेक जोड़ी गिल खांचे पायी जाती हैं।
  10. गैसीय विनियम देह सतह व गिल खांचों से होता है।
  11. खुला परिसंचरण तंत्र पाया जाता है जिसमें संकुचनशील पृष्ठ व अधर वाहिकाएँ मिलती है।
  12. उत्सर्जी पदार्थों का विसर्जन व जल सन्तुलन देह सतह या ग्लोमेरुलस द्वारा होता है ।
  13. प्रजनन लैंगिक (एन्टेरोन्यूस्टा वर्ग) तथा अलैंगिक प्रकार का होता है । निषेचन बाह्य होता है। जीवन-चक्र में टोर्नेरिया लार्वा पाया जाता है।
  14. इनका शरीर विखण्डित ( segmented ) नहीं होता है परन्तु देह में तीन क्षेत्र पहचाने जा सकते हैं जिन्हें क्रमश: प्रोसोम (prosome), मीजोसोम (mesosome) तथा मेटोसोम (metasome) कहते हैं।
  15. शरीर में मध्य-पृष्ठ व मध्य अधर तंत्रिका रज्जु पाये जाते हैं।

वर्गीकरण (Classification)

इस संघ की लगभग 90 जातियाँ ज्ञात हैं। इस संघ को दो वर्गों में बाँटा गया है

  1. एन्टेरोन्यूस्टा (Enteropneusta)
  2. टेरोब्रेकिया (Pterobranchia)
  3. वर्ग एन्टेरोन्यूस्टा ( Class Enteropneusta)

इस वर्ग के जन्तु एकाकी (solitary) कृमि रूपी जीव होते हैं तथा समुद्र के अवपंकी धरातल में बिल बनाकर रहते हैं अर्थात् बिलकारी (burrowing) होते हैं। कुछ पत्थरों व चट्टानों के बीच रहते हैं। इन्हें एकॉर्नवर्म (acron worm) भी कहा जाता है क्योंकि जिन बिलों में यह रहते हैं उनसे अपना अग्र भाग ये बाहर निकाले रखते हैं। समुद्री सतह पर बिल से बाहर निकले ये भाग ओक वृक्ष के फल, एकॉर्न, जैसे दिखाई देते हे। ये आकार में 9 से 45 cm लम्बे होते हैं। ब्राजील की एक जाति बैलेनोग्लेसस जाइगेस (Balanoglossus gigas) 1.5 से 2 मीटर लम्बी होती है तथा इसका बिल 3 मीटर लम्बा होता है। कुछ जातियाँ सिर्फ 2 सेमी. की ही होती हैं।

इनका शरीर कोमल व बेलनाकार होता है तथा शुण्ड (proboscis ), कॉलर (collar) व धड़ (trunk ) में विभेदित किया जा सकता है।

धड़ क्षेत्र में आंत्र में अनेक गिल छिद्र पाये जाते हैं जो पोषण व श्वसन में सहायता करते हैं इसी कारण इन्हें ऐन्टेरोन्यूस्ट नाम दिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है आन्त्र से श्वसन करने वाले (Gr. enteron = intestine + pneustos = breathed ) । इस वर्ग के उदाहरण बैलेनोग्लॉस (Balanoglossus) व डोलिकोग्लॉसस (Dolichoglossus) हैं।

  1. वर्ग टेराबैंकिया ( Class: Pterobranchia)

इस वर्ग में वे हैमिकॉर्डेट वर्गीकृत किए गए हैं जो बिलकारी न होकर स्थानबद्ध (sessile) होते हैं तथा निबही (colonial) होते हैं। ये सामान्यतः अपने द्वारा स्रावित नालों में रहते हैं तथा आकार में छोटे (8mm से छोटे) होते हैं। इनमें गिल स्लिटों की संख्या दो होती है या ये अनुपस्थित होते हैं। श्वसन पूर्णतः गिल विदरों से नहीं होता है (Gr. pteron = wing + branchion = gil)। इनमें लोफोफोर जीवों की तरह कशाभी संस्पर्शक (tentacles) पाए जाते हैं जो भोजन ग्रहण करने में सहायक होते हैं। इस वर्ग के तीन वंश-रेब्डोप्लयूरा (Rhabdopleura), सिफेलोडिस्कस (Cephalodiscus) तथा एट्यूबेरिया (Atubaria) हैं।

लघुउत्तरात्मक प्रश्न

  1. संघ हैमिकॉर्डेटा के लक्षण बताइये ।
  2. संघ हैमिकॉर्डेटा का वर्गीकरण कीजिए ।
  3. हैमिकॉर्डेटा को कॉर्डेटा संघ में रखा जाना चाहिए या नहीं इस विषय पर अपनी राय व्यक्त कीजिए ।
  4. हेमिकॉर्डेटा के लारवा का नाम बताइये ।

दीर्घउत्तरात्मक प्रश्न

  1. संघ हैमिकॉर्डेटा के लक्षण बताते हुए इसका वर्गीकरण कीजिये ।