जीवद्रव्य किसे कहते हैं ? कोशिका भित्ति रहित तथा प्लाज्मा झिल्ली युक्त कोशिका जीवद्रव्य protoplast in hindi
protoplast in hindi meaning definition जीवद्रव्य किसे कहते हैं ? कोशिका भित्ति रहित तथा प्लाज्मा झिल्ली युक्त कोशिका जीवद्रव्य क्या है ?
जीवद्रव्य संवर्धन व कायिक संकरण
(Protoplast Culture and Somatic Hybridçation)
परिचय (Introduction)
पादप कोशिका पूर्णशक्त होती है अतः संवर्धन माध्यम पर उचित पोष पदार्थ देकर पादपक निक किया जा सकता है। पादप कोशिका दृढ़ कोशिका भित्ति से आबद्ध रहती है अतः ऐसे कई ऐसे प्रयोग हैं जो नहीं किये जा सकते हैं। इस समस्या को कोशिका भित्ति हटाकर दूर किया जा सकता है जिगर प्रोटोप्लास्ट अलग हो जाता है। यह कार्य एन्जाइम अथवा यांत्रिक विधि द्वारा किया जा सकता है। कोशिका भित्ति रहित तथा प्लाज्मा झिल्ली युक्त कोशिका जीवद्रव्य (protoplast) कहलाती है।
प्रोटोप्लास्ट एक क्रियाशील कोशिका होती है जिसे संवर्धन माध्यम पर रखा जाता है तब इसमें भित्ति का पुनर्निमाण हो जाता है तथा इसमें कोशिका विभाजन व विभेदन की क्षमता उत्पन्न हो जाती है जिससे यह पूर्ण पादपक बनाने में सक्षम हो जाती है।
प्रोटोप्लास्ट का इतिहास
क्र.सं. वर्ष वैज्ञानिक कार्य
1. 1982 क्लेरकल जीवद्रव्यकुंचित कोशिकाओं को तेजधार युक्त ब्लेड से काट कर प्रोटोप्लास्ट विलगित करने का प्रयास
2. 1927 ई. कुस्टर पके टमाटर के गूदे की कोशिकाओं से प्रोटोप्लास्ट अलग करने का प्रयत्न किया।
3. 1960 ई.सी. कॉकिंग सर्वप्रथम एन्जाइमेटिक विधि द्वारा टमाटर की मूल कोशिकाओं से प्रोटोप्लास्ट पृथक किया।
4. 1968 आइ. तकाबेव सहयोगी सैल्यूलोज व मैक्रोजाइम द्वारा निकोटिआना की पर्णमध्योतक का प्रोटोप्लास्ट अलग किया तथा 1971 में पुनर्जनन द्वारा पूरा पादप प्राप्त किया।
5. 1971 पी. एस. कार्लसन निकोटिआना ग्लाका व नि. लौंगसडोर्फी का अन्तरजातीय कायिक संकर निर्मित करने में सफलता प्राप्त की।
6. 1977 लरकिन व काडो ई.कोलाई जीवाणु के प्लास्मिड (pBR 313) का प्रोटोप्लास्ट में स्थानान्तरित किया।
7. 1978 मेलचर व सहयोगी प्रथम अन्तरवंशीय संकर आल व टमाटर के प्रोटोप्लास्ट संलग्न से प्राप्त किया व उसे पोमेटो कहा।
8. 1978 जीलर व सहयोगी निकोटियाना सिल्वेस्ट्रिस के साधारण प्रोटोप्लास्ट व नि. टैबेकम ग-किरणों से किरणित नर बन्ध्य प्रोटोप्लास्ट के संगलन द्वारा प्रथम अन्तरजातिय संकर विकसित किया।
9. 1980 डेबी व सहयोगी प्लास्डिम डीएनए में उपस्थित गुणों की अभिव्यक्ति को पादप कोशिका में दर्शाया ।
10. 1981 जिमरमैन व श्यूरिच प्रोटोप्लास्ट के विद्युत संगलन विधि को विकसित किया।
।
प्रोटोप्लास्ट का विलगन
पादप कोशिका का प्रोटोप्लास्ट प्राप्त करने हेतु दो मुख्य विधियां उपयोग में लाई जाती हैं
(प) यांत्रिक विधि
(पप) विकर द्वारा।
वर्तमान में केवल विकर द्वारा ही प्रोटोप्लास्ट विलग किये जाते हैं। प्रोटोप्लास्ट निम्न स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है-
प्रोटोप्लास्ट पृथक्करण
1. पादप ऊतक मूल, पर्ण, प्ररोह
2. पुष्पीय ऊतक दल, जनन अंग
3. कैलस कोशिकायें भंगुर (fragile) कैलस ऊतक
4. तरूण कैलस, निलंबन कोशिकायें माध्यम पर सक्रियता से वृद्धि करती कोशिकायें
5. निजर्मित पादपक मूल, पर्ण, प्ररोह
6. अंकुरित बीज बीजपत्र, बीजपत्राधार
पादप अंग जिससे प्रोटोप्लास्ट किया जायेगा उसे कोशिका भित्ति हटाने से पूर्व निर्जमित कर लेते हैं। इसके बाद पादप ऊतक को अधिक सान्द्रता युक्त 13ः मैनीटॉल अथवा सॉनीटॉल अथवा 2ः पॉलीविनायल पायरीलोडिन के विलयन में जीवद्रव्यकुंचन (plasmolysis) हेतु रखकर प्रोटोप्लास्ट को विलग कर लिया जाता है।
प्. प्रोटोप्लास्ट प्राप्त करने की एन्जायमेटिक विधि
प्रोटोप्लास्ट प्राप्त करने हेतु इस विधि का उपयोग अधिक इसलिये किया जाता है क्योंकि इसके द्वारा प्रोटोप्लास्ट क्षतिग्रस्त नहीं होता व इस विधि कोशिकाओं को जीवद्रव्यकुंचन के नुकसानदायक प्रभाव से बचाया जा सकता है। इस विधि के द्वारा काफी मात्रा में प्रोटोप्लास्ट प्राप्त करना संभव होता है। एन्जायमेटिक प्रक्रिया निम्न चरणों में पूर्ण होती है-
1. पर्ण का निर्जमीकरण
2. निचली बाह्यत्वचा हटाना
3. पर्ण के छोटे खण्ड करके एन्जाइमेटिक विलयन में रखना
4. प्रोटोप्लास्ट अलग करके साफ करना
1. पर्ण का निर्जमीकरण रू ग्रीन हाउस में लगे पादपों से स्वस्थ पर्ण लेकर उन्हें निर्जमित लिया जाता है इसके लिए उन्हें 70% अल्कोहल (2 उपद) से धोकर सोडियम हायपोक्लोरा में (2% विलयन) में 30 उपद तक रखने के बाद द्विआसुत जल से भली भांति धोकर पेट्रीप्लंेट या फिल्टर पेपर पर रख दिया जाता है।
2. निचली बाह्यत्वचा हटाना – निजीकृत पर्ण की निचली सतह पर निजीकृत चिमटी की सहायता से बाह्यत्वचा को हटा देते हैं । बाह्यत्वचा हटाने की पूरी प्रक्रिया के दौरान पर्ण को आसुत जल में डूबा रहना चाहिये। बाह्यत्वचा हटाने के पश्चात् 1cm2 के टुकड़ों में काटा जाता है।
3. एन्जाइयमेटिक विलयन का उपयार – आजकल कई विभिन्न विकर उपलब्ध है जिन कोशिका भित्ति तथा मध्यपटलिका विलग
हो जाती है। एन्जाइम जो कुछ उपयोग किये जा हैं निम्न हैं-
विकर नाम व स्रोत
विकर स्रोत
1 सैल्यूलोज विघटनकारी विकर
(प) सैल्यूलोज ओनोजुका
आर 10
(पप) ड्राइलेज
ट्राइकोडर्मा रिसी
इरपेक्स लैक्टिस
2 हैमीसैल्यूलोज विघटनकारी विकर
(प) हैमीसैल्यूलोज
(पप) राइजोजाइम एच.पी.
150 एस्पर्जिलस नाइगर
ए. नाइगर
3 पैक्टिन विघटनकारी विकर
(पप) पैक्टीनेज
(पप) मैसरोजाइम
(पपप) पेक्टीनॉल ए.सी.
(पअ) पैक्टिक एसिड
ऐसीटाइल ट्रांसफरेज ए. नाइगर
राइजोपस स्पी.
ए. नाइगर.
ए. जेपोनिकस
उपरोक्त विकर में से 0.5% मैसरोजाइम, 2% सैल्यूलोज सान्द्रता का अलग-अलग अथवा मिलाकर प्रयोग किया जाता है। इन विकरों के विलयन में कोशिका रखने पर प्रोटोप्लास्ट फटता नहीं है। अधिकतर इस विकर युक्त विलयन में 7 मि. मोलर CaCl2 (कैल्शियम क्लोराइड) मिश्रित कर देते हैं जिससे प्लाज्मा झिल्ली के स्थायित्व में बढ़ोतरी हो जाती है। कोशिका को एन्जाइयमेटिक उपचार निम्न प्रकार से दिया जा सकता है-
(प) मिश्रित एन्जायमेटिक अथवा एकचरण विधि
इस प्रक्रिया के दौरान पर्ण के छोटे टुकड़ों को सैल्यूलोज तथा पैक्टीनेज के सॉर्बिटॉल अथवा मैनीटॉल के विलयन में रख कर चभ् 5.5 पर स्थिर किया जाता है। विलयन युक्त पादप पदार्थ को पेट्रीप्लेट (या कोनिकल फ्लास्क) में 24-26°C पर 16-18 घंटे के लिए हलित्र पर रखते हैं। हलित्र की गति सीमा को केवल 10-20 rpm के मध्य रखने पर विकर पादप पदार्थ के सम्पर्क में भली भांति आ जाते हैं तथा काफी मात्रा में प्रोटोप्लास्ट प्राप्त हो जाते हैं
(पप) अनुक्रमिक अथवा द्विचरण प्रक्रिया
इस प्रक्रिया के दौरान पैक्टीनेज तथा सैल्यूलोज विकर का एक के बाद एक करके प्रयोग किया जाता है। यह निम्न प्रकार से किया जाता है-
(ं) पर्ण खण्ड को 0.5% पेक्टीनेज, 0.3% पौटेशियम डेकस्ट्रेन तथा 13% नीटॉल के विलयन में 15 उपद तक गर्म करते हैं।
(इ) मिश्रण का अपकेन्द्रण (centrifugation) किया जाता है जिससे कोशिकायें विलगित हो जाती है।
(ब) दूसरे चरण में इन कोशिकाओं को 2% सैल्यूलोज व 13% मैनीटॉल के मिश्रण में रखा जाता है। विलयन का चभ् 5.5 पर स्थिर
रखा जाता है तथा इस विलयन को 1.30 घण्टे तक 30 तक गर्म किया जाता है।
;d) इस मिश्रण का अपकेन्द्रण कर लिया जाता है।
कैलस एवं कोशिका संवर्धन से प्रोटोप्लास्ट विलग करना
संवर्धन माध्यम में वृद्धि कर रहे ऊतक पूर्णतया निजर्मित अवस्था में होते हैं अतः इन्हें सीधे ही मोटोप्लास्ट प्राप्त करने हेतु उपयोग में ला सकते हैं। सक्रियता से वद्धि कर रहे कैलस की कोशिकाओं को एन्जाइम के विलयन में रखने पर प्रोटोप्लास्ट प्राप्त किया जा सकता है। रूटा ग्रविओलेन्स के कैलस से पाप्त प्रोटोप्लास्ट को पैराफिल्म से बन्द करके (10-20 rpm हलित्र) पर 4-12 घंटे के लिए रखते हैं जससे अधिक संख्या में प्रोटोप्लास्ट प्राप्त हो सकें।
कोशिका निलम्बन संवर्धन से प्रोटोप्लास्ट की प्राप्ति
ऐसा निलम्बन संवर्धन माध्यम जो सक्रियता की अवस्था में हो उससे प्रोटोप्लास्ट आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। निलम्बन संवर्धन माध्यम से कोशिकाओं को पृथक करके उन्हें 2% सैल्यूलोज, 1% हैमीसैल्यूलोज व 10% मैनीटॉल के विलयन में रखते हैं। pH 5.5 पर स्थिर कर देते हैं तत्पश्चात् इस विलयन को हलित्र पर रखकर उसका तचउ 10-20 स्थिर कर देते हैं। हलित्र में 4 घंटे तक विलयन रहता है तब उसमें प्रोटोप्लास्ट पृथक हो जाते हैं। इस विलयन का CPWW 215 के घोल में धीमे से अपकेन्द्रण करने से ऊपर प्रोटाप्लास्ट आ जाते हैं जिन्हें पिपेट की मदद से अलग कर लिया जाता है।
विलगित प्रोटोप्लास्ट को शुद्ध करना
एन्जायमेटिक विधि द्वारा प्रोटोप्लास्ट में कोशिका के अपशिष्ट भी उपस्थित रहते हैं अतः प्रोटोप्लास्ट की शुद्धिकरण परमावश्यक होता है। इससे पहले कि उसे संवर्धन माध्यम पर रखा जाये शुद्धिकरण की प्रक्रिया निम्न प्रकार से की जाती है
(प) उत्पलावन रू इस प्रक्रिया में घनत्व का सिद्धान्त कार्य करता है। प्रोटोप्लास्ट का घनत्व कम व कोशिकीय अपशिष्ट का
अधिक होता है। इस प्रक्रिया में अशुद्ध प्रोटोप्लास्ट में मैनीटॉल, सॉर्बिटाल, सुक्रोज का विलयन मिला कर हिलाते हैं तत्पश्चात् स्थिर होने पर प्रोटोप्लास्ट चूंकि हल्का होता है अतः वह विलयन की सतह के ऊपर से तैरने लगता है जिसे
पिपेट से पृथक करके संवर्धन माध्यम पर रख दिया जाता है।
(पप) तलछटीकरण रू इस प्रक्रिया में ऊतक तथा विकर मिश्रण को 50-100 माइक्रोमीटर की नायलोन की चलनी (sieve) से छान कर अपशिष्ट अलग कर लेते हैं। उसके पश्चात् मिश्रण का अपकेन्द्रण किया जाता है जिससे प्रोटोप्लास्ट आधार पर
रह जाता है तथा जो कुछ भी अपशिष्ट बचता है व ऊपर की ओर सतह पर तैरने लगता है। ऊपर आये अपशिष्ट को
पिपेट से अलग कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया को तीन चार बार दोहराने पर शुद्ध प्रोटोप्लास्ट प्राप्त कर लिया जाता है।
उपरोक्त किसी भी विधि से प्रोटोप्लास्ट प्राप्त करने के पश्चात् इसे CPW 13 M (cell and protoplast washimg medium) में स्थानान्तरित कर देते हैं।
CPW माध्यम
रसायन प्रतिशत
1 KNO3 101mg/L
2 Ki~ 0.16mg/L
3 KH2PO4 27.2mg/L
4 CuSO4.5H2o~ 0.025mg/L
5 CaCl2-2H2o~ 1480mg/L
6 MgSO4.7H2o~ 246mg/L
7 Mannitol 13%
उपरोक्त मिश्रण का विलयन 5.8 तक स्थिर रखा जाता है।
पोटोप्लास्ट पृथक्करण को प्रभावित करने वाले कारक
प्रोटोप्लास्ट प्राप्त करने की पहली मूलभूत आवश्यता सक्रियता से वृद्धि करता हुआ तरूण स्वस्थ तक है। पादप की स्वस्थ तरूण पर्ण अथवा अंकुरित बीज (बीजपत्र, बीजपत्राधार) उपयुक्त स्रोत है। क बार स्रोत से कोशिका प्राप्त कर लेने के पश्चात् ऐसे एन्जाइम का चयन किया जाता है जो कोशिका मित्ति एवं मध्य पटलिका का विघटन कर सके अतः प्रोटोप्लाज्म विलगन में एन्जाइम मुख्य कारक की भूमिका निभाता है। कोशिका भित्ति को आपस में संयुक्त रखने वाले जीन प्ररूपी कारक भी अप्रत्यक्ष रूप रो प्रोटोप्लास्ट विलगन को प्रभावित करते हैं। कोशिका भित्ति पुनः निर्मित करने वाले तथा कोशिका विभाजन व विभेदन करने वाले जीन प्ररूप भी प्रोटोप्लास्ट पृथक्करण को प्रभावित करते हैं। यह सभी जीन प्ररूप पादपों की विशिष्ट जाति, वंश आदि पर निर्भर करते हैं। वह संवर्धन माध्यम जिससे प्रोटोप्लास्ट प्राप्त किया जाता है व जिस पर उसे पुनः संवर्धित किया जाता है वह भी एक कारक है क्योंकि संवर्धन माध्यम की कार्यिकीय अवस्था, सक्रिय, वृद्धि आदि भी प्रोटोप्लास्ट उत्पादन उसकी जीवन क्षमता तथा उसकी पुनर्जनन क्षमता को प्रभावित करते हैं।
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