प्रेट द्वारा प्रतिपादित पृथ्वी के भू-संतुलन की व्याख्या क्या है , pratt’s hypothesis of isostasy in hindi
pratt’s hypothesis of isostasy in hindi प्रेट द्वारा प्रतिपादित पृथ्वी के भू-संतुलन की व्याख्या क्या है ?
प्राट की धारणा
(Pratt’s Concept)
उपरोक्त तथ्य की जानकारी के बाद प्राट का मत था कि ऊँचे हिमालय के निचले भाग में शैल कम घनत्व की है तथा मैदान व दक्षिण प्रायद्वीप के तलों में शैल अधिक घनत्व की है। इसी कारण हिमालय द्वारा आकर्षण कम था व साहुल का झुकाव अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुआ। जो भूखण्ड अधिक ऊँचे हैं वे माल्के पदार्थों से बने हैं जो कम ऊँचे हैं वे भारी पदार्थों से बने हैं।
इस मत को स्पष्ट करने के लिये प्राट ने विभिन्न धातुओं के भिन्न-भिन्न आकार के टुकड़े, जिनका भार समान था, एक पारे के बर्तन में डुबोये। सभी टुकड़े समान गहराई तक पारे में डूबे, किन्तु छोटे-बड़े होने के कारण पारे के ऊपर इनकी ऊँचाइयाँ भिन्न-भिन्न होंगी। प्राट ने निर्णय दिया कि पर्वत, पठार, मैदान, समुद्र तली में लगभग इसी प्रकार का संबंध पाया जायेगा।
प्राट ने क्षतिपूर्ति तल की संभावना व्यक्त की। यद्यपि उसने समस्थिति (Isostacy) शब्द का प्रयोग नहीं किया था।