औद्योगिक क्रांति के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव परिणाम समझाइये positive and negative effects of the industrial revolution in hindi
positive and negative effects of the industrial revolution in hindi औद्योगिक क्रांति के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव परिणाम समझाइये ?
प्रश्न: ‘औद्योगिक क्रांति के सकारात्मक एवं नकारात्म्क दोनों ही परिणाम निकलें।‘ विवेचना कीजिए।
उत्तर: प्रो. नोबेल्स के अनुसार, ‘क्रांति का परिणाम था – नई जनता, नये वर्ग, नई नीतियाँ, नयी समस्याएं और नये साम्राज्या‘।
सकारात्मक परिणाम
1. मशीनों द्वारा अधिक से अधिक उत्पादन किया गया।
2. व्यापार के अनुपात में वृद्धि।
3. शक्ति संचालित मशीनों का प्रयोग। इससे पूर्व मानव ही ऊर्जा का स्त्रोत था।
4. यातायात के साधनों का विकास।
5. हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ। रोजगार के क्षेत्र में वृद्धि।
6. बैंकिंग व्यवस्था का विकास।
7. सामाजिक जीवन स्तर में उन्नति।
8. कृषि के क्षेत्र में विकास आदि सकारात्मक परिणाम निकले।
दुष्परिणाम (Demerits)
1. अनियोजित नगरों का विकास। जहां-जहां कारखाने स्थापित हुए वहां लोग रहने लगे। लोग व मशीन एक ही स्थान पर स्थित थे। इससे ऐसे नगरों की स्थापना हुई जो प्रदूषित थे।
2. लोगों का पलायन। कृषि प्रधान दक्षिण इंग्लैण्ड से औद्योगिक उत्तर की ओर पलायन हुआ। इससे लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर को छोड़कर अन्य स्थानों की ओर पलायित हुए।
3. महिलाओं व बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक शोषण।
4. बेराजेगारी की समस्या।
5. पूंजीपति व श्रमिक वर्ग में असमानता। पूंजीवादी तथा श्रमिकों के बीच एक गहरी खाई बनती चली गई।
निबंधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न: ‘‘औद्योगिक क्रान्ति के दूसरे चरण की महत्वपूर्ण विशेषता थी तकनीकी क्षेत्र में विशेष विकास‘‘ जिसने संपूर्ण परिदृश्य को परिवर्तित कर दिया। विवेचना कीजिए।
उत्तर: औद्योगिक क्रांति का दूसरा चरण 1830 से 1870 तक माना जाता है। इस चरण की प्रमुख विशेषताएं हैं-
– औद्योगिक पूंजी में वृद्धि।
– नए तकनीकी वर्ग का उदय।
– वैज्ञानिक खोजें एवं आविष्कारों का क्षेत्र विस्तृत होना।
औद्योगिक पूंजी में वृद्धि
इस चरण में बड़े पैमाने पर सूती वस्त्रोद्योग स्थापित किये गये। किन्तु कालान्तर में मशीनें जटील एवं महंगी हो गयी। अतः अब एक व्यक्ति द्वारा बड़े उद्योग लगाना संभव नहीं था। व्यापार में उद्योग स्थापित करने के लिए सहयोग की आवश्यकता हुई। अधिक से अधिक लोगों ने अपनी पूंजी का बड़े उद्योगों में निवेश करना प्रारम्भ किया। इसी के परिणामस्वरूप कॉरपोरेशन एवं लिमिटेड कंपनियां स्थापित हुई। अतः व्यक्तिगत औद्योगिक स्वामित्व का स्थान बड़ी लिमिटेड कंपनियों ने ले लिया। इसी के परिणामस्वरूप औद्योगिक पूंजी में वृद्धि हुई और व्यापार का अनुपात बढ़ा। उदाहरणस्वरूप 1760 में इंग्लैण्ड 4 मिलियन पाउण्ड कपास का आयात करता था। 1815 में 100 मिलीयन पाउण्ड 1840 में 500 मिलियन पाउण्ड कपास का आयात करने लगा। 1835 में इंग्लैण्ड विश्व का 63 प्रतिशत सूती वस्त्र उद्योग का उत्पादन करने लगा।
नये तकनीकी वर्ग का उदय
नई मशीनों के आविष्कार एवं नये उद्योग स्थापित करने के लिए एक नए तकनीकी वर्ग की आवश्यकता हई। इस नये तरी जिसे इंजीनियर कहा गया, का तकनीक क्षेत्र में दक्षता रखना आवश्यक हो गया। इसी के परिणामस्वरूप सिविल. मैकेनिकल, इलैक्ट्रीकल, मरीन, सड़क आदि क्षेत्रों में दक्ष इजिनियरों की आवश्यकता हुई। 1828 में इंग्लैण्ड में सिविल इंजीनियर्स सोसाइटी का गठन किया गया। इस प्रकार इंग्लैण्ड विश्व का कारखाना बन गया। इंग्लैण्ड ने विदेशों में दो स्थापित करने के लिए पूंजी का निवेश किया। इन इंजिनियर्स ने विदेशों में नये उद्योग स्थापित करने में सहयोग दिया और दूसरे देशों में रोजगार उपलब्ध करवाय
वैज्ञानिक खोजें एवं आविष्कार
यदि औद्योगिक क्रांति को आगे बढ़ाना है तो नये-नये आविष्कार करने अनिवार्य होंगे। डेवी ने जहरीली गैसों का खानों में पता लगाने हेतु शेफ्टी लैम्प का आविष्कार किया। फैराडे ने इलैक्ट्रोप्लेटिंग का नियम बताया। सीमेन (ैपमउमदश्े) ने डायनेमो, बुनसेन ने विद्युत, एडीसन ने बल्ब, तथा रोबर ने ड्रिल मशीन बनाई। नैस्मिथ ने चूड़िया निकालने की मशीन (ळतववअमे ब्नजपदह डंबीपदम) बनाई। केल्विन ने मेरीन केबल का आविष्कार किया। इंग्लैण्ड व अमेरीका के बीच मेरीन केबल डाली गई जिसे अटलांटिक केबल कहा गया।
हैरी बेसेमर (भ्मततल ठमेेमउमत) ने लोहे को स्टील में बदलने का तरीका बताया जिसे बेसेमर पद्धति कहा जाता है। विकसित चरण में यातायात के साधनों का भी विकास हुआ। 1830 में इंग्लैण्ड में 49 मील रेल लाइन का निर्माण किया गया। 1870 में 15300 किमी. लंबी रेल लाइन बिछा दी गई। क्यूनार्ड लाइन्स नामक बड़ी जहाज बनाने की कंपनी स्थापित हुई। सूती वस्त्रोद्योग के अतिरिक्त भवन निर्माण, चर्म उद्योग, फर्निचर, ब्रूइंग (मदिरा उत्पादन), डिब्बाबंद के क्षेत्र में नए-नए -आविष्कार हुए। इसके अतिरिक्त विद्युत व तापीय यंत्र का निर्माण हुआ। व्हीटस्टोन (ॅीमंजेजवदमे) व मोर्स (डवतेम) ने टेलिग्राफ का आविष्कार किया। इसके अतिरिक्त रबड् व पैट्रोलियम पदार्थ का उत्पादन बढ़ा। चार्ल्स गुडईयर ने वल्कनीकरण का सिद्धांत दिया जिससे रबर टायर बनने लगे। एक अमरीकी रीचर्ड गैटलिंग ने मशीनगन का आविष्कार किया जिसमें 1 मिनट में 250 कारतूसों का प्रयोग किया जा सका। इससे व्यापारिक माल की सुरक्षा भी बढ़ी साथ ही रक्षा उद्योग का तेजी से विस्तार हुआ।
प्रश्न: औद्योगिक क्रान्ति का प्रांरभ इंग्लैण्ड से ही क्यों हुआ ?
उत्तर: औद्योगिक क्रांति की शुरूआत 1760 के आसपास इंग्लैण्ड में हुई। जिसके कारण थे
1. इंग्लैण्ड के लोगों का जीवन स्तर अन्य देशों के लोगों से ऊँचा होना।
2. लोहे व कोयले की खानों का पास-पास होना।
3. विशाल औपनिवेशिक साम्राज्य।
4. समुद्री व्यापार पर एकाधिकार।
5. इंग्लैण्ड की भौगोलिक स्थिति का अनुकूल होना।
6. इंग्लैण्ड की व्यापारिक, राजनीतिक स्थिति का सुदृढ़ होना।
7. कृषिगत क्रांति का सूत्रपात इंग्लैण्ड से होना।
8. इंग्लैण्ड के पास विशाल पूँजी का होना।
9. बंगाल की लूट – रजनी पामदत्त ने ‘आज का भारत‘ में इस तत्व को उजागर किया है।
प्रश्न: यूरोप में औद्योगिक क्रांति के कारण क्या थे ?
उत्तर: यूरोप में औद्योगिक क्रान्ति के निम्नलिखित कारण थे –
1. जनसंख्या में वृद्धि।
2. जीवन स्तर का उन्नत होना।
3. यूरोपीय साम्राज्यवाद से नये क्षेत्रों पर अधिकार जिससे तैयार माल के लिए बाजार उपलब्ध हो गए एवं कच्चे माल के स्त्रोत मिल गए।
4. शिक्षा का प्रसार।
5. विज्ञान के प्रसार से नए-नए आविष्कार हुए।
6. पुनर्जागरण का प्रभाव।
7. व्यापारिक क्रांति से तैयार माल की मांग में बेहताशा वृद्धि हुई एवं पूंजी एकत्रित हुई।
8. वाणिज्यवाद से संचित धन।
9. व्यापारिक वर्ग का उदय।
10. नई खोजों एवं आविष्कारों का होना
11. फ्रांस की राज्य क्रांति एवं नेपोलियन की नीतियाँ भी उत्तरदायी रही।
12. राष्ट्रीयता की भावना का उदय।
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