WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

पर्ल हार्बर की घटना क्या है , पर्ल हार्बर पर कब और किसने आक्रमण किया pearl harbor in hindi

pearl harbor in hindi पर्ल हार्बर की घटना क्या है , पर्ल हार्बर पर कब और किसने आक्रमण किया ?

प्रश्न: पलहार्बर 
उत्तर: 7 दिसम्बर, 1941 को प्रातः काल, जापान ने पूर्व नियोजित योजना के अनुसार, बिना युद्ध की घोषणा किए, बिना किसी चेतावनी के, हवाई द्वीपसमूह में स्थित पर्लहार्बर पर, जहां अमेरिका के अधिकांश नौ-सैनिक जहाज एकत्रित थे, बम-वर्षक वायुयानों एवं पनडुब्बियों से आकस्मिक हमला कर दिया।

प्रश्न: द्वितीय विश्व के संदर्भ में निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए। 
A. ऑपरेशन सी लॉयन B. ऑपरेशन बारबरोसा
C. ऑपरेशन टॉर्च D. ऑपरेशन ओवरलार्ड
उत्तर: A. ऑपरेशन सी लॉयन : मित्र-राष्ट्रों द्वारा जर्मन समर्थित फ्रांस पर संयुक्त आक्रमण का सांकेतिक नाम
B. ऑपरेशन बारबरोसा : ब्रिटेन एवं यूएसए का जर्मनी पर संयुक्त आक्रमण का सांकेतिक नाम
C. ऑपरेशन टॉर्च : ब्रिटेन पर जर्मनी के आक्रमण का सांकेतिक नाम
D. ऑपरेशन  ओरलार्ड : रूस पर जर्मनी के आक्रमण का सांकेतिक नाम

पंचवर्षीय योजनाओं में विज्ञान और तकनिकी का विकास कैसे हुआ ?

गयारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012)ः विज्ञान और तकनीकी विभाग ने गयाहरवीं पंचवर्षीय योजना के अवधि में कुछ विशेष योजनाओं के क्रियान्वयन की योजना बनाई। विज्ञान और तकनीकी विभाग ने गयारहवीं योजना के अंतग्रत अपने कार्यों और योजनाओं में दीर्घकालिक प्रभाव वाले भारतीय विज्ञान और तकनीकी नींव को मजबूती देने के प्रयत्न किए हैं।
विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के अनुसार (दिसम्बर 2007 में), विजन-2025 के तहत् तकनीकी और नवीन आविष्कारों में अधिक निवेश के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा गयारहवीं पंचवर्षीय योजना में वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास के लिए किया गया प्रस्तावित अनुदान उसका तिगुना होगा तथा संबंधित सरकारी विभागों द्वारा इसे चलाया जाएगा।
प्रारूप योजना में यह भी जोड़ा गया है कि, विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में कम निवेश के कारण देश की तकनीकी और वैज्ञानिक समृद्धि की क्षमता को अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता। संक्षेप में योजना प्रस्तावित करती है
ऽ उद्यमियों के मध्य प्रतिस्प)ार् के प्रोत्साहन के लिए एक राष्ट्रीय नवीनीकरण नीति का गठन।
ऽ अनुसंधान व विकास संस्थान और शैक्षणिक क्षेत्र में उत्कृष्टता व प्रासंगिकता के निमित्त उद्योग संगत केंद्रों की स्थापना।
ऽ दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब और प. बंगाल में जैव-तकनीकी समूहों का निर्माण।
ऽ सभी जैव-तकनीकी उत्पादों के एकल खिड़की समाधान हेतु राष्ट्रीय जैव-तकनीकी नियामक प्राधिकरण की स्थापना।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए गयारहवीं योजना की प्रमुख प्राथमिकताएं थीं
ऽ नीतियों के निर्माण के लिए राष्ट्रीय स्तर के तंत्र की स्थापना करना और मूलभूत अनुसंधान को दिशा प्रदान करना।
ऽ वैज्ञानिक मानव शक्ति में विस्तार करना और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना को मजबूत करना तथा विज्ञान में भविष्य बनाने के लिए युवा लोगों को आकर्षित करना और उनका पलायन रोकना।
ऽ चुनिंदा राष्ट्रीय फ्लैगशिप कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करना जिनका देश की प्रौद्योगिकीय प्रतिस्पर्द्धात्मकता को मिशन मोड में लाने से प्रत्यक्ष संबंध है।
ऽ वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धा शोध सुविधाओं की और उत्कृष्ट केंद्रों की स्थापना करना।
ऽ उच्च शिक्षा में, विशेष रूप से विश्वविद्यालयों एवं उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए, नवीन गिजी.लोक भागीदारी (पीपीपी) प्रतिमान का विकास करना।
ऽ उद्योग-एकेडमी गठजोड़ के उत्प्रेरण के लिए नवीन अर्थोपायों को अपनाना।
ऽ उन्नत देशों के साथ मजबूत समझौतों एवं गठजोड़ को प्रोत्साहित करना जिसमें वृहद अंतरराष्ट्रीय विज्ञान में भागीदारी करना शामिल है।
योजनावधि के दौरान प्रमुखता के क्षेत्रों में कुछ उन्नति देखी गईं। इसके अतिरिक्त, गयारहवीं योजनान्तग्रत विज्ञान एवं अभियांत्रिकी शोध परिषद् (एसईआरसी) के स्थान पर उसकी भूमिका निभाने के लिए संसद के अधिनियम के माध्यम से एक स्वायत्त वित्तीयन निकाय, राष्ट्रीय विज्ञान एवं अभियांत्रिकी बोर्ड (एनएसईबी) स्थापित किया गया। राष्ट्रीय नवाचार फाउंडेशन (एनआईएफ), अहमदाबाद( द इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, गुवाहाटी( द नेशनल सेंटर ऑफ मॉलीक्यूलर मेटिरियल्स, तिरुवनंतपुरम, और इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मोहाली जैसी नवीन संस्थाएं स्थापित की गईं। विश्वविद्यालयों में अनुसंधान एवं विकास का समर्थन एवं सुधार करने के लिए प्रमोशन ऑफ यूनिवर्सिटी रिसर्च एंड साइंटिफिक एक्सलेंस (पीयूआरएसई) और कंसोलिडेशन ऑफ यूनिवर्सिटी रिसर्च, इनोवेशन एंड एक्सीलेंस (सीयूआरआईई) प्रारंभ किए गए। आईएनएसपीआईआरई के नाम से विज्ञान में प्रतिभा आकर्षित करने और विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों को विकसित करने के लिए भीएएक योजना प्रारंभ की गई।
गयारहवीं योजनावधि के विगत् कुछ वर्षों में भारतीय विज्ञान क्षेत्र में वृद्धि का संवेग देखा गया। भारत ने गयारहवीं योजनावधि के दौरान शोध एवं विकास में महत्वपूर्ण निवेश किया और देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अद्वितीय एवं बहुआयामी निर्माण के लिए सशक्त नींव की आधारशिला रखी। वैज्ञानिक जर्नल्स के प्रकाशन में गयारहवीं योजना के अंतिम तीन वर्षों में भारत की औसत प्रकाशन दर वृद्धि 14 प्रतिशत रही जबकि इसी समयावधि के दौरान यह वैश्विक औसत 4-1 प्रतिशत रही। वैज्ञानिक प्रकाशनों के संदर्भ में भारत की संबद्ध स्थिति, जो 2003 में 15वें स्थान से सुधारकर 2010 में 9वें स्थान पर पहुंच गई। भारतीय विज्ञान उत्पादन 2010 में विश्व के 3 प्रतिशत तक पहुंच गया। हालांकि, मूलभूत विज्ञान में प्रेरणाएं या अभिप्रेरणा, जैसाकि बौद्धिक संपदा का सृजन संकेत करता है, निम्न रहीं और राष्ट्रों के बीच भारत की नवाचारी पद्धति की रैंकिंग 50 और 60 के बीच रही।
बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-17)ः यह समझा गया कि शोध एवं विकास में निवेश जीडीपी के 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 या अधिक प्रतिशत किया जागा चाहिए, जो देश के लिए बेहद आवश्यक है। यह महसूस किया गया कि इसकी प्राप्ति अतिरिक्त सरकारी प्रयासों और साथ ही गिजी क्षेत्र के अधिकाधिक प्रयासों द्वारा की जा सकती है। 1985 से, हालांकि, अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं ने आर एंड डी में भारी निवेश किया, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता कुंद होती जा रही है जैसाकि योजना दस्तावेज संकेत करता है। भारत में स्थायी एफटीई आर एंड डी पेशेवर लम्बे समय तक गतिहीनता की स्थिति में रहे। एफटीई आर एंड डी पेशेवरों के संदर्भ में भारत की 9वीं रैंक है। गयाहरवीं योजनान्तग्रत लोक उपक्रम ब्यूरो ने आर एंड डी को सरकार के साथ पीएसयू के मेमोरेंडम ऑफ अडरस्टैडिंग (एमओयू) में शामिल करके सही दिशा में कदम उठाया। ये क्षेत्र अपनी बिक्री के टर्नओवर का 2-3 प्रतिशत विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों को आर एंड डी निविदा देने में खर्च करेंगे। आर एंड डी और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के बीच मौजूदा समन्वय स्तर बेहद कमजोर है। लोक-गिजी भागीदारी के सुसंगत उच्च प्राथमिकता दिए जागे की आवश्यकता है जो धन सृजन में अग्रणी औद्योगिक विनिर्माण में नवोन्मेष के प्रवाह को सुनिश्चित करेगी।
योजना दस्तावेज स्वीकार करता है कि एक प्रतिस्पर्द्धी ज्ञान अर्थव्यवस्था का निर्माण अग्रलिखित स्तंभों पर होना चाहिएः (i) एक ऐसा शैक्षिक तंत्र गठित करना जो इस प्रकार के मानव संसाधन का उत्पादन करे जो रोजगार पाने योग्य और वैश्विक रूप से दक्ष हो; (ii) लंबे समय तक उपयोगी ज्ञान को उत्पन्न करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का व्यापक पैमाने पर अनुसरण करना और (iii) राष्ट्रीय आवश्यकताओं एवं वैश्विक अवसरों से प्रेरित रणनीतिक पर-राष्ट्रीय अनुसंधान करना। इन उद्देश्यों के अनुसरण में बारहवीं योजना निम्न दिशाओं की तरफ निर्देशित होनी चाहिए
ऽ सामाजिक एवं रणनीतिक रूप से सम्बद्ध कार्यक्रमों और सतत् एवं वहनीय नवोन्मेषों पर ध्यान देने के साथ मुख्यधारा की नवोन्मेष संबंधी गतिविधियों के लिए आर एंड डी हेतु लोक एवं गिजी दोनों क्षेत्रों से अधिकाधिक संसाधनों को एकजुट करने के लिए एक नवीन विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष नीति बनाना;
ऽ विभिन्न स्तरों पर पदनामित विभागों/अभिकरणों के प्रयासों पर फिर से ध्यान देकर भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तंत्र का आमूलचूल किंतु सहभागितामूलक परिवर्तन करनाः (i) राष्ट्रीय फोकस देश के लिए वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीय एवं मानव संसाधन केंद्र बनाने के लिए राष्ट्रीय नवोन्मेष तंत्र के जागे-पहचाने अभिकर्ताओं के साथ भागीदारी तैयार करना; (ii) संगठनात्मक फोकस राष्ट्रीय फोकस में लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रत्येक विभाग/अभिकरण की आवश्यकताओं को पहचानना और वे कार्यक्रम जिन्होंने अपने अधिकतर लक्ष्यों को पूरा कर लिया हो, समाप्त करने के लिए कठोर समीक्षा करना; और (iii) नेतृत्व फोकस विज्ञान तकनीकी एवं मानव संसाधन विकास के चिन्हित क्षेत्रों में विभाग/अभिकरण के नेतृत्व को प्रेरित करना।
ऽ क्षमताओं एवं अनुसंधान संसाधनों को आपस में जोड़कर सुनिश्चित करना कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय विकासपरक प्रक्रियाओं का एक अभिन्न अंग बन गई है और आर एंड डी उत्पादन के साथ कमजोर तरीके से जुड़े स्टेकहोल्डर्स के साथ संपर्क सूत्र मजबूत करना;
ऽ 1-54 लाख मौजूदा पूर्णकालिक वैज्ञानिकों/शोधार्थियों की संख्या 2-50 लाख तक बढ़ाना; मूलभूत शोध में प्रकाशन की मौजूदा वैश्विक भागीदारी को 3 प्रतिशत से 5 प्रतिशत करना; बारहवीं योजना के अंत तक वैश्विक रैंकिंग को सुधारकर 9 से 6 करना।
ऽ आर एंड डी व्यय को जीडीपी का 2 प्रतिशत करना तथा निवेश आकर्षित करके और आर एंड डी क्षेत्र में नीति एवं सुधार प्रक्रिया के माध्यम से गिजी क्षेत्र को संलग्न कर कॉर्पोरेट क्षेत्र का आर एंड डी व्यय जीडीपी का कम-से-कम 1 प्रतिशत करना;
ऽ बड़े भारतीय औद्योगिक घरानों को वैश्विक रूप से उत्कृष्ट आर एंड डी केंद्रों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) द्वारा स्थापित आर एंड डी केंद्रों की तर्ज पर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना;
ऽ प्रौद्योगिकीय समाधानों, अभिकल्प, विकास एवं प्रदायन के नवीन प्रतिमानों के माध्यम से राज्यों के साथ प्रविधिक भागीदारी कायम करना;
ऽ अग्रणी स्थिति प्राप्त करने के लिए पर-अनुशासनात्मक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी में नवीन आर एंड डी संस्थानों का सृजन करना;
ऽ युवा वैज्ञानिकों को उनकी नवीन युक्तियों एवं विचारों पर काम करने की अधिक स्वतंत्रता प्रदान करना और आर एंड डी क्षेत्र में लिंग समानता को मजबूत करना जिसके लिए महिला पुनर्प्रवेश कार्यक्रम एवं गतिशीलता को बढ़ावा देना।
ऽ साझा हित के वैज्ञानिक पहलुओं, जो वैश्विक प्रकृति के हों, को पहचानने की दिशा में सुप्रसिद्ध विश्वविद्यालयों/अभिकरणों के साथ सहयोग एवं समन्वय बढ़ाना।
ऽ यह महसूस किया गया कि कृषि, जल, ऊर्जा, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय रूप से समन्वित मिशन मोड कार्यक्रमों को चला, जागे की आवश्यकता है।
ऽ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र के अंतग्रत हस्तांतरणीय परिवर्तनों को प्रोत्साहित करने के कार्य में और एस एंड टी निग्रत संकेतकों के संदर्भ में वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता हासिल करने के लिए रणनीतिक हस्तक्षेपों की आवश्यकता होगी।