पैपेवरेसी कुल क्या है | papaveraceae family in hindi poppies flower in hindi लक्षण गुण प्रकार
papaveraceae family in hindi poppies flower in hindi पैपेवरेसी कुल क्या है लक्षण गुण प्रकार ?
कुल : पैपेवरेसी (Family : papaveraceae) :
पैपेवरेसी के विशिष्ट लक्षण (salient features of papaveraceae)
- प्राय: एकवर्षी शाक , कुछ सदस्य बहुवर्षी क्षुप।
- सफ़ेद , पीला अथवा नारंगी रंग का लेटेक्स उपस्थित।
- पर्ण एकान्तरित , अननुपर्णी , सम्पूर्ण अथवा पिच्छाकार विभाजित।
- पुष्पक्रम अधिकतर एकल अन्तस्थ।
- पुष्प द्विलिंगी , नियमित , शोभाकार , त्रिज्यासममित द्वि से त्रितयी , जायांगधर।
- बाह्यदल 2 अथवा 3 , शीघ्रपाती अथवा आशुपाती , कोरछादी।
- दलपुंज द्विचक्रिक , प्रत्येक चक्र में 2 अथवा 3 (द्वि अथवा त्रितयी चक्र) , कोरछादी।
- पुंकेसर असंख्य , स्वतंत्र बहिर्मुखी।
- जायांग द्वि से बहुअंडपी , युकांडपी , भित्तिय बीजाण्डन्यास , अंडाशय उधर्ववती
- फल केप्सूल , बीज भ्रूणपोषी , भ्रूणपोष तैलीय।
प्राप्तिस्थान और वितरण (occurrence and distribution)
कायिक लक्षणों का परास (range of vegetative characters)
पुष्पीय लक्षणों का परास (range of floral characters)
आर्थिक महत्व (economic importance)
- पैपेवर रोहिआस – गार्डन पॉपी।
- एस्कोल्जिया केलिफोर्निका : केलिफोर्नियन पॉपी।
- डाइसेन्ट्रा क्राइसेंथा स्वर्ण कली।
- पैपेवर सोम्नीफेरम : अफीम।
पैपेवरेसी कुल के प्रारूपिक पादप का वानस्पतिक विवरण (botanical description of representative plant of papaveraceae)
- स्थानीय नाम – गार्डन पॉपी।
- प्रकृति – वार्षिक शाक , सजावटी पादप।
- जड़ – मूसला मूल , शाखित।
- तना – उधर्व , शाकीय , बेलनाकार , यदाकदा शाखित , रोमिल , दुधिया लेटेक्स उपस्थित।
- पत्ती – सरल , स्तम्भिक और शाखीय , एकांतर , अवृंत , स्तम्भलिंगी , आधारी पत्तियाँ पालित , पालियाँ क्रकची और निशिताग्र , एकशिरीय जालिका रुपी शिरा विन्यास युक्त।
- पुष्प – एकल अन्तस्थ।
- पुष्प – असहपत्री , सवृंत , त्रिज्यासममित , पुष्पवृंत लम्बा और रोमिल , उभयलिंगी , जायांगधर , द्वितयी , पूर्ण , चक्रीय।
- बाह्यदलपुंज – बाह्यदल 2 , अग्र पश्च , पृथक बाह्यदली , आशुपाती , रोमिल कोरछादी।
- दलपुंज – दल 4 , 2-2 के दो चक्रों में व्यवस्थित , पृथकदली कलिका अवस्था में अतिवलित , आशुपाती।
- पुमंग – पुंकेसर असंख्य , स्वतंत्रत , दो अथवा तीन चक्रों में विन्यासित , आधारलग्न , द्विपालित , बहिर्मुखी।
- जायांग – बहुअंडपी , युक्तांडपी , अंडाशय उधर्ववर्ती , एककोष्ठकी , भित्तिय बीजाण्डन्यास , वर्तिका अनुपस्थित , वर्तिकाग्र छत्र तुल्य।
- फल – स्फुटनशील सम्पुट।
- पुष्पसूत्र –
प्रश्न और उत्तर
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