osmotic pressure in hindi परासरण दाब : वह द्रव स्थैतिक दाब जो अर्द्धपारगम्य झिल्ली (S.P.M) द्वारा और पर्याप्त हो परासरण दाब कहलाता हैं।
या
विलयन के ऊपर लगाया गया अतिरिक्त दाब जो परासरण की क्रिया को रोक दे परासरण दाब कहलाता है।
इसे π से दर्शाते है।
π = hdg
यहाँ π = परासरण दाब
h = केश नली में चढ़े द्रव की ऊंचाई
d = घनत्व
g = गुरुत्वीय त्वरण
परासरण दाब का निर्धारण : परासरण दाब निर्धारण की बर्कले व हर्टले विधि : इस विधि में विलयन में विलायक के अणुओं के प्रवेश को रोकने के लिए विलयन की सतह पर दाब लगाया जाता है एवं इस दाब को मापा जाता है , जो परासरण दाब के बराबर होता है। इस विधि में प्रयुक्त विधि को चित्रानुसार दर्शाया जाता i इसमें क्युप्रिक साइनाइड की अर्द्धपारगम्य झिल्ली युक्त एक सरंध्र पात्र में रखा जाता हैं।
इसके चारो ओर जैकेट में वह द्रव भर दिया जाता है जिसका परासरण दाब ज्ञात करना होता हैं।
सरंध्र पात्र के एक ओर मुड़ी हुई शिसेल कीप V लगी होती है , जिसके द्वारा विलायक की इच्छित मात्रा प्रवेशित कराई जाती है।
या
विलयन के ऊपर लगाया गया अतिरिक्त दाब जो परासरण की क्रिया को रोक दे परासरण दाब कहलाता है।
इसे π से दर्शाते है।
π = hdg
यहाँ π = परासरण दाब
h = केश नली में चढ़े द्रव की ऊंचाई
d = घनत्व
g = गुरुत्वीय त्वरण
परासरण दाब का निर्धारण : परासरण दाब निर्धारण की बर्कले व हर्टले विधि : इस विधि में विलयन में विलायक के अणुओं के प्रवेश को रोकने के लिए विलयन की सतह पर दाब लगाया जाता है एवं इस दाब को मापा जाता है , जो परासरण दाब के बराबर होता है। इस विधि में प्रयुक्त विधि को चित्रानुसार दर्शाया जाता i इसमें क्युप्रिक साइनाइड की अर्द्धपारगम्य झिल्ली युक्त एक सरंध्र पात्र में रखा जाता हैं।
इसके चारो ओर जैकेट में वह द्रव भर दिया जाता है जिसका परासरण दाब ज्ञात करना होता हैं।
सरंध्र पात्र के एक ओर मुड़ी हुई शिसेल कीप V लगी होती है , जिसके द्वारा विलायक की इच्छित मात्रा प्रवेशित कराई जाती है।
इसकी दूसरी ओर मुड़ी हुई नलिका A लगी होती है जिसमे विलायक की सतह को निश्चित किया जाता हैं।
नली A में सतह गिर जाएगी यदि परासरण द्वारा विलायक के अणु जैकेट में प्रवेश कर जाये।
बाहरी जैकेट के एक ओर एक पिस्टन P लगा रहता है , परासरण क्रिया द्वारा सरंध्र पात्र से विलायक बाहरी जैकेट के विलयन में न जा सके और नली A में द्रव की स्थिति वैसी ही बनी रहे इसके लिए पिस्टन P पर बाह्य दाब लगाना पड़ता है।
यही दाब परासरण दाब है।
परासरण दाब के नियम
1. बॉयल वान्ट हॉफ का नियम : स्थिर ताप पर किसी विलयन का वह आयतन जिसमे विलेय का एक मोल घुला हो उसके परासरण दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
π ∝ 1/v
π = k/v
π v = k (स्थिरांक)
अर्थात तनु विलयनों के लिए परासरण दाब एवं एक मोल विलेय युक्त विलयन का आयतन का गुणनफल स्थिर रहता है।
2. वान्ट हॉफ चार्ल्स का नियम : विलयन का परासरण दाब उसके परम ताप T के समानुपाती होता है इसे तनु विलयनों का वान्ट हॉफ चार्ल्स का नियम कहते है।
अर्थात
π ∝ T
π = kT
π/T = k (स्थिरांक)
अत: परासरण दाब एवं परम ताप का अनुपात स्थिर होता है।
3. विलयनों का सामान्य समीकरण : उपरोक्त दोनों नियमों के आधार पर
वान्टहॉफ बॉयल नियमानुसार
π ∝ 1/v
वान्ट हॉफ चार्ल्स के अनुसार
π ∝ T
दोनों नियमों को मिलाने पर
π ∝ T/v
π = ST/v
π v = ST
यदि n मोलो की संख्या हो तो
π v = nST
यहाँ S एक स्थिरांक है जो विलयन स्थिरांक कहलाता है।
इस समीकरण को तनु विलयनों के लिए वान्ट हॉफ समीकरण या सामान्य समीकरण कहलाती है।
तनु विलयनों के लिए विलयन स्थिरांक S का मान गैस स्थिरांक R के लगभग समान होता है अत: तनु विलयनों के लिए वान्ट हॉफ समीकरण को निम्न प्रकार भी लिखा जा सकता है।
π v = nRT
4. वान्टहॉफ आवोगाद्रो का नियम : माना दो विलयन है प्रथम विलयन में विलेय के n1 मोल V1 लीटर आयतन में T1 , K ताप पर घुले हुए है जिसका परासरण दाब π1 है।
दूसरे विलयन में विलेय के n2 मोल V2 लीटर आयतन में T2 , K ताप पर घुले हुए है जिसका परासरण दाब π1 है।
अत: तनु विलयनों के लिए
π1V1 = n1S T1
π2V2 = n2S T2
यदि दोनों विलयन आइसो टॉनिक (समपरासरी) एवं इनके ताप का मान समान हो तो
π1 = π2 होगा
यदि समान आयतन V1 = V2 हो तो समीकरणों की तुलना से हम पाते है की
n1 = n2
अत: समान ताप व समान परासरण दाब पर विलयनों के समान आयतन में विलेय के मोलों की संख्या समान होती है (n1 = n2) इसे तनु विलयनों का वान्टहॉफ आवोगाद्रो का नियम कहते है।