न्यूक्लियोसोम सोलेनोइड मॉडल क्या है | Nucleosome solenoid model in hindi किसे कहते है किसने दिया
Nucleosome solenoid model in hindi किसे कहते है किसने दिया न्यूक्लियोसोम सोलेनोइड मॉडल क्या है प्रतिपादित किसने किया था ?
क्रोमेटीन रेशों का संघठन (Organisation of Chromatin Fibres)
प्रत्येक क्रोमेटीन रेशा एक डीएनए डुप्लेक्स अथवा द्विकुण्डल (DNA duplex or double helix) द्वारा निर्मित होता है। इस डीएनए डुप्लेक्स अथवा द्विकुण्डल का व्यास 2 nm (20 Å) होता है। क्रोमेटीन रेशे ही गुणसूत्र के मूल घटक (basic components) कहलाते है। अन्तरावस्था (interphase) में क्रोमेटीन रेशे (अकुण्डलित (uncoiled) रहते है जिनकी मोटाई 2 nm (20 Å) होती है परन्तु मध्यावस्था (metaphase) में, यह सीधे क्रोमेटीन रेशे अत्यधिक कुण्डलित (coiled) तथा वलयित (tolded) अवस्था में मिलते है। गुणसूत्र के क्रोमेटीन रेशों में कुण्डलन (coiling) व वलन (folding) हो जाने से मध्यावस्था में इनका व्यास 30 nm (300 Å) हो जाता है। क्रोमेटीन रेशे न्यूक्लियोसोम इकाईयों से निर्मित होते हैं। पी. यूडेड (P- Ouded) ने न्यूक्लियोसोम सोलेनॉएड माडल द्वारा प्रदर्शित किया जो आगे वर्णित है।
न्यूक्लियोसोम-सोलेनॉएड मॉडल (Nucleosome & Solenoid Model)
इस मॉडल के अनुसार गुणसूत्र के क्रोमेटीन रेशे अनेक न्यूक्लियोसोम इकाईयों (nucleosome units) से बनते हैं। प्रत्येक न्यूक्लियोसोम इकाई में डीएनए ड्रप्लेक्स (द्विकुण्डलन), हिस्टोन प्रोटीन के आठ अणु व विशिष्ट हिस्टोन HI मौजूद रहते हैं। केन्द में आठ हिस्टोन प्रोटीन होते हैं जिसके चारो ओर डीएनए डुप्लेक्स एक पूरा चक्कर तथा दूसरा तीन चैथाई चक्कर ( 3/4 चक्कर) लगाता है। अष्टक हिस्टोन की गेंदनुमा संरचना पर 1,3/4 वलयित डीएनए पुनः हिस्टोन H1 द्वारा आपस में बंधे रहते हैं। गेंद नुमा हिस्टोन प्रोटीन के चारों ओर लिप डीएनए डुप्लेक्स व उससे संलग्न हिस्टोन H1 एक न्यूक्लियोसोम इकाई (nucleosome unit) निर्मित करते हैं। प्रत्येक न्युक्लियोसोम इकाई का व्यास 10 nm (100Å) होता है। डीएनए डुप्लेक्स (duplex) का एक सिरा आगे वाली तथा पिछला सिरा पीछे वाली न्यूक्लियोसोम इकाईयों (units) से जुड़ा होता है इनके बीच लगभग 8-14क्षार युग्म (इच) लम्बा डाएनए, लिंकर डीएनए (linker DNA) कहलाता है। लिंकर डीएनए तथा न्युक्लियोसोम इकाइयाँ मिल कर एक लम्बा 10 nm (100 Å) व्यास का न्यूक्लियोसोम रेशा निर्मित करती हैं । यह न्युक्लियोसोम रेशा पुनः वलयित (fold) होकर 30 mm (300 Å) मोटाई का क्रोमेटीन रेशा बनाता है जिसे सोलेनॉइड (Solenoid) भी कहते है। यह मॉडल फिंच व क्लग ने 1976 में प्रस्तुत किया यह क्रोमेटीन रेशा पुनः वलयित होकर 300 mm (300Å) व्यास का तथा अन्त में 700 mm (7000 Å) मोटाई के रेशे में परिवर्तित हो जाता है जिसे अर्द्धगुणसूत्र (chromatid) कहते हैं। दो अर्द्धगुणसूत्र 1400 nm (14000 Å) व्यास का गुणसूत्र निर्मित करते हैं।
हिस्टोन प्रोटीन (Histone Protein)
हिस्टोन, आरजिनीन तथा लाइसीन (Arginine and Lysine), क्षारीय अमीनों अम्ल की अधिक मात्रा से बना क्षारीय प्रोटीन (basic proteins) है।
हिस्टोन प्रोटीन पाँच प्रकार की होती है। इनमें से चार H2,A, H2,B, H3, तथा H4 विभिन्न प्रजातियों में लगभग समान होती हैं तथा एक ही मात्रा में पाई जाती हैं। प्रत्येक क्षारीय युग्म (base pair) में, इनमें से प्रत्येक दो प्रकार की प्रोटीन पाई जाती है। हिस्टोन H1 ऊतकों में विशिष्ट प्रोटीन होती है और 200 क्षारीय युग्मों में एक बार पाई जाती है। यह डीएनए से शिथिलता (loosely) से जुड़ी रहती है। ..
माना जाता है कि हिस्टोन के अणुओं का व्यवस्थापन द्विकुण्डलित डीएनए की गहरी खाँच (deep groove) में नियमित होता है। हिस्टोन के धनात्मक सिरे डीएनए की फॉस्फेट के ऋणात्मक आवेशित (negatively charged) समूहों से विद्युत स्थैतिक सम्बंध (electrostatic associations) बनाते हैं और डीएनए की प्रत्यास्थता (flexibility) तथा स्थिरता (stability) प्रदान करते हैं। द्विकुण्डलित डीएनए (double helix DNA) तथा इससे सम्बद्ध हिस्टोन अत्यधिक कुण्डलित (super coiled) तथा कई बार आगे पीछे वयलित होकर न्यूक्लियोप्रोटीन (nucleoprotein) या क्रोमेटिन सूत्र (chromatin fibres) बनाती हैं।
यूकेरिओटिक गुणसूत्रों में डीएनए के साथ संबद्ध हिस्टोन संरचनात्मक अवयव (structural element) हैं । ये डीएनए के विशिष्ट खण्डों (specific segments) के ऊपर का आवरण है जिससे इन खण्डों की प्रतिकृति नहीं हो पाती है। कुछ आणविक संकेतों (molecular signals) से इस आवृत्त डीएनए के ऊपर से हिस्टोन को हटाकर ट्रांसक्रिप्शन (transcription) के लिये अनावृत (expose) किया जा सकता है। न्यूक्लियोप्रोटीन तन्तु मणिकाकार (beaded) दिखते हैं तथा लगभग 10 mm व्यास के कोड डीएनए के सूत्र (string) से जुड़े रहते हैं।
न्यूक्लियोसोम की संरचना (Structure of Nucleosome)
न्यूक्लियोसोम इकाइयों के पुनरावर्ती से क्रोमेटिन का निर्माण होता है। डीएनए के 200 युग्मों तथा प्रोटीन के चार जोड़ों या अष्टक से प्रत्येक न्यूक्लियोसोम का निर्माण होता है। युग्मों में मिलने वाली प्रोटीन के इस अष्टक (octamer) में H2A तथा H2B की दो प्रति तथा H3 और H4 प्रोटीन की दो प्रति डीएनए के प्रत्येक 200 युग्मों में पाई जाती हैं। हिस्टोन प्रोटीन एक दूसरे के अत्यन्त निकट पाई जाती हैं तथा इसके चारों ओर डीएनए लिपटा रहता है। प्रत्येक न्यूक्लियोसोम के साथ हिस्टोन H1 प्रोटीन की एक इकाई (one unit) भी संबद्ध रहती है। इस तरह अन्तरावस्था केन्द्रक में 10 nm व्यास का पतला क्रोमेटिन सूत्र (chromatin fibre) न्यूक्लियोसोम रैखिक व्यवस्थापन (linear array) से बनता है। पतले क्रोमेटिन के सर्पिल कुण्डलन (spiral coiling) से 20-30 mm व्यास का मोटा क्रोमेटिन सूत्र बनता है।
इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी से अध्ययन करने के उपरांत पी. यूडेट व साथियों (P.k~ Ouded et.al., 1975) ने गुणसूत्रों पर छोटे कणों अथवा दोनों के रूप में उपस्थित इन संरचनाओं को केन्द्रिकाभ (nucleosome) नाम दिया। एक पूर्ण न्यूक्लिोसोम में (प) न्यूक्लिोसोम क्रोड (core), (पप) लिंकर डीएनए, (पपप) भ्प् हिस्टोन प्रोटीन तथा अन्य सहयोगी गुणसूत्रीय प्रोटीन उपस्थित होते हैं। आर. डी. कोर्नबर्ग तथा जे. ओ. थॉमस (R.d~ Kornberg and J.O.k~ Thomas 1974) ने केन्द्रिकाभ का एक मॉडल प्रस्तुत किया जिसके अनुसार-
(प) डीएनए एक ट्रेटामर (Tetramer, H3-H4-) तथा एक ऑलिगोमर (oligomer, H2A-H2B) से इस प्रकार क्रिया करता है कि ट्रेटामर (H, 3 व H4) के दो-दो अणु सहित ऑलिगोमर में पाए जाने वाले हिस्टोन के दो-दो अणुओं व डीएनए के 200 क्षारक युग्मों (Base pair) से संयुक्त हो जाते हैं। व इस तरह यह एक पुनरावर्ती इकाई (repetiting unit) बनाते हैं।
(पप) प्रत्येक पुनरावर्ती इकाई के साथ H1 हिस्टोन का एक अणु डीएनए के दो सिरों को संयुक्त करता है अतः H1 हिस्टोन केन्द्रिकाभ का भीतरी समाकलितं (intergral) भाग नहीं होता है।
(पपप) टेट्रामर, इकाई के क्रोड का निर्माण करता है व ऑलिगोमर उसके प्रसार को निर्धारित करता है।
(पअ) केन्द्रिकाभ का विस्तृत अध्ययन करने पर पता चला कि इसका व्यास 12.5 mm तथा इसके 40 क्षार युग्म लम्बी डीएनए शंखला (कोर्नबर्ग व थॉमस ने 200 क्षारक युग्म बताए थे) उपस्थित रहती है। इस श्रंखला में H2A, H2B, H3 तथा H4 में से हर एक के दो-दो अणुओं से बने एक ऑक्टोमर के ऊपर 1, 3/4 या 1.75 वलय बनाकर कुंडलित रहते हैं अतः यह कहा जा सकता है कि केन्द्रिकाभ कणिकाओं पर सूत्र युक्त एक संरचना है। न्यूक्लियोसोम के बीच उपस्थित मोजक (mosaic) डीएनए लिंकर यो स्पेसर डीएनए कहलाता है। फिंच व क्लग (Finch and Clug, 1976) ने केन्द्रिकाभ के अतिरिक्त कुण्डलन के लिए सोलेनॉइड मॉडल प्रस्तुत किया था। सोलेनॉइड क्रोमेटिन की द्वितीयक संरचना का रूप होती है। इस मॉडल के अनुसार 6 केन्द्रिकाभ कुण्डल (coiling) के बाद एक विशिष्ट संरचना बनाते हैं से सोलेनॉइड कहलाता है। इनके वापस कुण्डलित होने पर तृतीयक (tertiary) व चतुष्क (quatermary) संरचनाएँ भी बन जाती हैं।
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