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नाइट्रोजन चक्र nitrogen cycle in hindi

(nitrogen cycle in hindi ) नाइट्रोजन चक्र  : पौधों द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन को नाइट्रोजन स्थिरीकरण द्वारा विभिन्न यौगिको में बदलकर ग्रहण किया जाता है , जिससे विभिन्न कार्बनिक यौगिकों का निर्माण किया जाता है | कुछ सूक्ष्म जीव वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते है | इस प्रकार स्थिरीकृत नाइट्रोजन विभिन्न प्रतिक्रियाओं द्वारा पुन: वातावरण में दूसरे जीवों के उपयोग के लिए मुक्त हो जाती है , यह सम्पूर्ण प्रक्रिया नाइट्रोजन चक्र कहलाती है |

नाइट्रोजन चक्र चार चरणों में पूर्ण होता है –

  1. नाइट्रोजन स्थिरीकरण
  2. अमोनीकरण
  3. नाइट्रीकरण
  4. विनाइट्रीकरण
  5. नाइट्रोजन स्थिरीकरण

नाइट्रोजन अणु में दो नाइट्रोजन परमाणु शक्तिशाली त्रिसंयोजी बंध से जुड़े रहते है , नाइट्रोजन का अमोनिया या अन्य अणुओं में बदलने की प्रक्रिया नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहलाती है |

  • अजैविक स्थिरीकरण : यह दो प्रकार से होता है –
  • वायुमंडलीय / तडित द्वार : वर्षा के समय वायुमंडलीय N2 ऑक्सीजन से संयोग कर नाइट्रेट व नाइटट्राइट में बदलती है –

N + O = NO

NO + O = NO2

NO2 + H2O = 2HNO3
(ii) औद्धोगिक नाइट्रोजन स्थिरीकरण : अत्यधिक दाब , ताप व उत्प्रेरक की उपस्थिति में वायुमंडलीय नाइट्रोजन व हाइड्रोजन संयोग कर अमोनिया का निर्माण करती है | अमोनियम का उपयोग रासायनिक उर्वरक के रूप में किया जाता है |

  • जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण : सूक्ष्म जीवों के द्वारा होने वाला स्थिरीकरण जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहलाता है |
  • असहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण : कुछ सूक्ष्म जीव स्वतंत्र रूप से मृदा में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते है , ये तीन प्रकार के होते है –
  • वायवीय जीवाणु (एजेटोबेक्टर)
  • अवायवीय जीवाणु (कलोस्ट्रीडियम)
  • नीलरहित शैवाल (नॉस्टॉक , एनाबिना)
  • सहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण : यह विशेष प्रकार के जीवाणुओं जैसे – राइजोबियम , ब्रेडीराइजोबियम , एजोराइजोबियम आदि प्रजातियों द्वारा कुछ पादपों की जडो व तनो में गुलिकाओं के द्वारा किया जाता है |

गुलिका (ग्रंथिका) का निर्माण

निर्माण : राइजोबियम बहुगुणित होकर जड़ो के चारों ओर एकत्रित हो जाते है तथा मूलरोम की उपत्वचा से जुड़ जाते है |

मूलरोम का अग्रसिरा मुड जाता है , जीवाणु मूलरोम पर आक्रमण कर मूलरोम में प्रवेश करते है |

एक संक्रमित सूत्र के माध्यम से जीवाणु जड़ो के वल्कुट तक पहुंचते है |

जीवाणु सूत्र से मुक्त होकर विशिष्ट नाइट्रोजन स्थिरीकरण कोशिकाओं के विभेदिकरण का कार्य करते है , इस प्रकार ग्राथिका का निर्माण हो जाता है |

ग्रंथिकाओ में नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्रियाविधि

ग्रंथिकाओ में दो जैव रासायनिक घटक होते है –

  • नाइट्रोजिनेम एंजाइम : यह एक mo-Fe प्रोटीन युक्त एन्जाइम है , जो वातावरणीय नाइट्रोजन को अपचयन द्वारा NH3 (अमोनिया) में बदलने की क्रिया को उत्प्रेरित करता है |
  • लेग्हमोग्लोबिन (Lb) : ग्रंथिकाओ का गुलाबी रंग लेग्हमोग्लोबिन के कारण होता है , यह एक वर्णन होता है जो नाइट्रोजन स्थिरीकरण के दौरान ऑक्सीजन को अवशोषित करने का कार्य करता है , क्योंकि स्वतंत्र ऑक्सीजन की उपस्थिति में नाइट्रोजिनेथ एंजाइम निष्क्रिय हो जाता है , लेग्हमोग्लोबिन की अनुपस्थिति में राइजोबीथम द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण नहीं होगा |

नाइट्रोजिनेज अपचयन द्वारा अमोनिया का संश्लेषण करता है जिसमें एक अमोनिया अणु संश्लेषण के लिए 8 ATP ऊर्जा की आवश्यकता होती है , जो मेजबान कोशिका के ऑक्सी श्वसन से प्राप्त होती है |

अमोनिया की नियति / अमोनीकरण (ammonification) : नाइट्रोजन स्थिरीकरण के फलस्वरूप बनी अमोनिया को सभी पादप स्वांगीकृत नहीं कर पाते , क्योंकि यह विषाक्त होती है अत: अमोनिया को अमोनियम आयन व अमोनियम आयन को एमीनो अम्लों में बदला जाता है , इस प्रक्रिया को अमोनीकरण कहते है |

इसके लिए दो क्रियाएँ है –

  1. अपचयित एमीनिकरण : इसमें अमोनियम किटोग्लूटेरीक अम्ल से क्रिया करके ग्लुटामेट अम्ल बनाते है |
  2. पार एमिनन या विपक्ष एमिनन : इसमें एमीनो अम्ल से एमीनो समूह का कीटो अम्ल के कीटो समूह में रूपांतरण होता है |

पौधों में एस्पेरजिन व ग्लुटेमिन दो मुख्य एमाइड पाए जाते है , इसमें एस्पारटिक अम्ल व ग्लुटेमिक अम्ल एमीनो अम्ल होते है , जो जाइलम वाहिकाओं द्वारा पौधों के अन्य भागो में स्थानांतरित कर दिए जाते है | कुछ पौधों में नाइट्रोजन को युरीड्रस के रूप में संचित किया जाता है |