बहुराष्ट्रीय निगम क्या है | बहुराष्ट्रीय निगम किसे कहते है की भूमिका अर्थ , प्रभाव व्याख्या , गुण Multinational corporation in hindi
Multinational corporation in hindi बहुराष्ट्रीय निगम क्या है | बहुराष्ट्रीय निगम किसे कहते है की भूमिका अर्थ , प्रभाव व्याख्या , गुण परिभाषा क्या होती है ? meaning definition examples names ?
बहुराष्ट्रीय कार्यकलाप
आर्थिक विकास में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की भूमिका तथा इनके प्रभावों को जानने से पूर्व यह जानना बेहतर होगा कि ये कम्पनियाँ किस तरह का कार्य करती हैं। इसके लिए आइए, पहले देखते हैं कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ हैं क्या?
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ/निगम क्या हैं?
एक कंपनी जिसके आर्थिक कार्यकलाप अपने देश की सीमाओं से बाहर फैले होते हैं को परम्परागत रूप से बहुराष्ट्रीय कंपनी निगम के रूप में जाना जाता है। दूसरे शब्दों में, जब एक कंपनी निगम अपने उत्पादन निर्णयों के लिए संपूर्ण भूमंडलीय बाजार पर विचार करता है तो इसे बहुराष्ट्रीय कंपनी निगम कहा जाता है। एम एन सी बहुराष्ट्रीय ‘‘कंपनी‘‘ अथवा ‘‘निगम‘‘ हो सकती है क्योंकि इनमें से अधिकांश कंपनियों के शेयर (ैजवबो) सार्वजनिक स्वामित्व में होते हैं। साहित्य में ‘‘कंपनी‘‘ और ‘‘उपक्रम‘‘ का उपयोग सामान्यतया समानार्थी के रूप में किया जाता है, इस प्रकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एम एन सी) और बहुराष्ट्रीय उपक्रमों (एम एन ई) का एक दूसरे के स्थान पर भी प्रयोग करने की प्रवृत्ति होती है। तथापि, इनमें सूक्ष्म अंतर है। कतिपय साझेदारी फर्म हैं, जिनका संगठन निगमों की भाँति नहीं है; इस प्रकार एम एन ई (बहुराष्ट्रीय उपक्रम) एक व्यापक परिभाषा है, जिसके अन्तर्गत एक से अधिक देशों में कार्यशील सभी फर्म आते हैं। एक अन्य शब्द, जिसका उपयोग ‘‘एम एन ई‘‘ अथवा एम एन सी के साथ-साथ किया जाता है वह है पारदेशीय कंपनियाँ (ज्तंदेदंजपवदंस ब्वउचंदपमे)। इस शब्द का उपयोग मूलरूप से उन कंपनियों के संदर्भ में किया गया था जिनका स्वामित्व तथा प्रबन्धन उन अस्तित्वों के नियंत्रण में था जो एक से अधिक देशों के थे, उदाहरण के लिए, रॉयल डच शेल, जिसका स्वामित्व और प्रबन्धन संयुक्त रूप से यू के और नीदरलैंड में स्थित आर्थिक सत्ता के हाथ में है। दूसरे शब्दों में, सत्ता दो या अधिक देशों में फैला हुआ है। कुल मिलाकर, एम एन सी और टी एन सी दोनों की परिभाषा एक उपक्रम के रूप में की जा सकती है जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में संलग्न हैं और इस प्रकार एक से अधिक देश में मूल्य संवर्द्धन कार्यकलापों की स्वामी हैं अथवा उसका नियंत्रण करती हैं (डनिंग, 1996)। इस प्रकार उनका वर्गीकरण करने का अनेक तरीका है किंतु बहुधा प्रयोग की जाने वाली व्यावहारिक परिभाषा यह है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ स्टॉक एक्सचेंज (शेयर बाजार) में सूचीबद्ध वे कंपनियाँ हैं जिसमें अधिकांश शेयर विदेशी प्रवर्तक/संयुक्त उद्यमी का होता है। वे पूर्ण अथवा आंशिक स्वामित्व वाली अनुषंगियों के अन्तरराष्ट्रीय प्रचालन का भाग हो सकती हैं, सभी अपने आय को समेकित नहीं करती हैं, अपितु वे सामान्यतया बहुराष्ट्रीय कंपनी के रूप में समूह बनाती हैं।
इस परिभाषा के अलावा बहुराष्ट्रीय कार्यकलापों पर और भी कई दृष्टि से देखा जा सकता है। एक छोर पर कुछ फर्में हो सकती हैं जो विभिन्न देशों में कार्यरत रहती हैं। वे मूल फर्म की अनुषंगी के रूप में किंतु स्वतंत्र रूप से स्थानीय बाजारों की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। एक दूसरा प्रकार भी हो सकता है जिसमें बहुराष्ट्रीय फर्म भूमंडलीय स्तर पर कार्यरत होती है, विभिन्न देशों में इनकी शाखाएँ होती हैं तथापि भूमंडलीय समन्वित संजाल (नेटवर्क) के रूप में न्यूनाधिक समेकित ढंग से कार्य करती है। इस प्रकार, बहुराष्ट्रीय कार्यकलापों को उनकी व्यवस्था, अन्तर्सम्बन्ध तथा समन्वय के स्वरूप के आधार पर अलग-अलग ढंग से देखने की प्रवृत्ति रही है।
इसी प्रकार, विश्लेषणात्मक दृष्टि से, बहुराष्ट्रीय अथवा पारदेशीय (ज्तंदेदंजपवदंस) कार्यकलापों का अनुमान विभिन्न तरीकों से लगाया जाता है जैसे (क) विदेशी परिसम्पत्तियों का हिस्सा (ख) विदेशी अनुषंगियों की संख्या तथा उनका आकार, (ग) देशों की संख्या जिसमें इसका विस्तार मूल्य संवर्द्धन कार्यकलापों के लिए है, (घ) विदेशी बिक्री और (ड.) विदेशी नियोजन, इत्यादि। स्वामित्व और प्रबन्धन की स्थानबद्धता किस हद तक है, को भी बहुराष्ट्रीयता अथवा पारदेशीयता की सीमा का माप माना जाता है (डनिंग, 1996)। तथापि, इन सभी मानदंडों के बारे में कोई निर्दिष्ट नियम अथवा आधार नहीं है जो बहुराष्ट्रीयकरण की सीमा की व्याख्या कर सके।
यह अत्यन्त रुचिकर होगा कि बहुराष्ट्रीय कार्यकलाप अथवा संबंधित देशों की बायोन्मुखी सरकारें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का संवर्द्धन करती हैं। ऐसा इस उद्देश्य से किया जाता है कि दीर्घकाल में बहुराष्ट्रीय कार्यकलापों का व्यापक आर्थिक और राजनीतिक परिणाम होगा। इस विश्वास के साथ, कुछ मामलों में, यहाँ तक कि राष्ट्रीय सरकारों ने भी बहुराष्ट्रीय कार्यकलापों में हाथ बंटाया है।
बोध प्रश्न 2
1) बहुराष्ट्रीय से आप क्या समझते हैं?
2) ‘‘बहुराष्ट्रीय‘‘ और ‘‘पारदेशीय‘‘ निगम के बीच क्या अंतर है?
3) सही अथवा गलत बताएँ।
क) विदेश की ग् कंपनी एक भारतीय कंपनी के शेयरों में बिना नियंत्रणकारी हितों के निवेश करती है। ग् कंपनी को बहुराष्ट्रीय कहा जा सकता है। (सही/गलत)
ख) न्यूयॉर्क की Y कंपनी का भारत में ग्रीनफील्ड उद्यम है। Y कंपनी को बहुराष्ट्रीय कहा जा सकता है। (सही/गलत)
उद्देश्य
इस इकाई को पढ़ने के बाद आप:
ऽ बहुराष्ट्रीय फर्मों और उनके कार्यकलापों के विभिन्न पहलुओं को समझ सकेंगे;
ऽ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यकरण से परिचित हो सकेंगे;
ऽ देश के आर्थिक विकास और कल्याण में उनकी भूमिका समझ सकेंगे; और
ऽ बहुराष्ट्रीय कार्यकलापों के सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रभावों की पहचान कर सकेंगे।
प्रस्तावना
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ/निगम, जिन्हें आमतौर पर एम एन सी के नाम से अधिक जाना जाता है, आज अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं, चाहे वे विकासशील हों अथवा विकसित की मुख्य विशेषताएँ हैं। यह आर्थिक संगठनों के प्रमुख स्वरूपों में से एक है जिसका प्रसार युद्ध पश्चात् अवधि में शुरू हुआ तथा इसका महत्त्व बढ़ने लगा था। कुछ महत्त्वपूर्ण शब्द जैसे ‘‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश‘‘ (एफ डी आई), ‘‘अन्तरराष्ट्रीय संयुक्त उद्यम‘‘ और ‘‘अन्तरराष्ट्रीय विलय और अधिग्रहण‘‘ बहुराष्ट्रीय कार्यकलापों के कुछ स्वरूपों को ही अभिहित करते हैं।
आमतौर पर (संदर्भित) और एक कामचलाऊ परिभाषा के रूप में बहुराष्ट्रीय फर्म वे हैं जो एक से अधिक देशों में उत्पादन प्रक्रिया के स्वामी हैं, इसे नियंत्रित करती हैं तथा उसका प्रबन्धन देखती हैं। युद्धोपरांत अवधि में बहुराष्ट्रीय कार्यकलापों के महत्त्व का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों/निगमों का कुल विश्व निर्गत में करीब 25 प्रतिशत का हिस्सा है। कुछ एम एन सी जैसे जनरल मोटर्स और एक्सॉन अपने भौगोलिक विस्तार की दृष्टि से इतने फैले हुए हैं और आकार में इतने बड़े हैं कि उनका कुल वार्षिक बिक्री कारोबार कुछ देशों के राष्ट्रीय आय से भी अधिक हो सकता है। युनाइटेड स्टेट्स, यूनाइटेड किंगडम, जापान, जर्मनी नीदरलैंड्स, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और इटली आदि कुछ ऐसे उल्लेखनीय स्रोत अथवा देश हैं जहाँ से बड़े पैमाने पर बहिर्मुखी निवेश हुआ है। विश्व के 100 सबसे बड़े एम एन सी यूनाइटेड स्टेट्स, जापान, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी के हैं। कम से कम 1970 तक यू एस ए और यू के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सबसे बड़े स्रोत थे, तथापि जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है भारी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह सिर्फ विकसित देशों की ओर से नहीं हुआ अपितु विकासशील देशों की ओर से भी हुआ। विश्व के कुछ सबसे बड़े एम एन सी में जेनरल मोटर्स (यू एस ए), फोर्ड मोटर्स (यू एस ए), रायल डच/शेल ग्रुप (नीदरलैंड/यूके), डैमलर बेंज (जर्मनी), नेस्ले (स्ट्जिरलैंड), फिएट (इटली) और रेनॉल्ट (फ्रांस) हैं। विकासशील विश्व की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में से अधिकांश हांगकांग, चीन और दक्षिण कोरिया गणराज्य की हैं। विकासशील विश्व की प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ देवू कारपारेशन (कोरिया गणराज्य), सैमसंग (कोरिया गणराज्य), एसर ग्रुप (चीन का ताइवान प्रांत), कैथे पैसिफिक एयरवेज (हांगकांग, चीन), एल जी इलैक्ट्रॉनिक्स (कोरिया गणराज्य), सिंगापुर एयरलाइन्स (सिंगापुर), इत्यादि हैं। भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, जिन्होंने विदेशों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है वे हैं रिलायंस उद्योग, टाटा इस्पात, टेल्को, गोदरेज, प्लैनेट एशिया और माइक्रोलैण्ड। विदेशों में परिसम्पत्तियों के आधार पर निर्धारित रैंक के अनुसार विकासशील देशों की 50 सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में रिलायंस उद्योग (39वाँ स्थान) की गणना की जाती है।
नवीनतम आँकड़ों के अनुसार अस्सी के दशक के उत्तरार्द्ध तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त करने वाले अधिकांश देश एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के हैं। नवीनतम विश्व निवेश रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की सबसे बड़ी 100 बहुराष्ट्रीय कंपनियों की 1808 बिलियन डॉलर की विदेशी परिसम्पत्तियाँ हैं, विदेशों में इनकी बिक्री 2149 बिलियन डॉलर मूल्य के बराबर है तथा इनमें 5 मिलियन से अधिक विदेशी कर्मचारी कार्यरत हैं। विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कार्यकलाप और उस प्रयोजन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मुख्य रूप से विनिर्माण और प्रसंस्करण उद्योगों से जुड़े हुए हैं। तथापि, बाद में सेवा क्षेत्र में भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की उपस्थिति तेजी से बढ़ी। उद्योग-वार ब्यौरे से पता चलता है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने इलैक्ट्रॉनिक/इलैक्ट्रिकल उद्योग, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, ओटोमोटिव, पेट्रोलियम और खनन, खाद्य और बीवरेज उद्योगों में मुख्य रूप से उद्यम स्थापित किया है।
भारत में, सत्तर के दशक के मध्य के बाद से बहुराष्ट्रीय कंपनियों की उपस्थिति नगण्य थी जब कुछ विद्यमान बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश से निकाल बाहर किया गया। तथापि, समय बीतने के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कार्यकलाप पुनः बढ़ने लगा है। जब से भारत ने उदारीकरण के साथ भूमंडलीकृत युग में प्रवेश किया है, विभिन्न क्षेत्र निजी निवेश के लिए खोल दिए गए तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विशेष रूप से स्वागत किया गया। भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश उसके केन्द्रीकरण का अनुमान पिछले कुछ वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अन्तर्वाह की राशि से लगाया जा सकता है। प्रेस सूचना ब्यूरो, भारत सरकार के अनुसार, विगत 4 वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सकारात्मक वृद्धि रही है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अन्तर्वाह जो 1998 में 13339 करोड़ रु. था वर्ष 2000 में बढ़कर 19000 करोड़ रु. से अधिक हो गया है। भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अन्तर्वाह (अप्रैल 2001 तक) 55144 करोड़ रु. रहा है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ-साथ बहुराष्ट्रीय कार्यकलाप के अन्य स्वरूपों की उपस्थिति भी उल्लेखनीय रही है। भारत में कुछ प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इस प्रकार हैं: एशिया ब्राउन बॉवेरी (एबीबी), सिटी बैंक, एच एस बी सी, एल जी, फिलिप्स, सैमसंग, सीमेन्स, शेल, इत्यादि। भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का हित किसी एक अथवा कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित नहीं है; अपितु यह कई परम्परागत तथा गैर परम्परागत क्षेत्रों में फैल गया है। अगस्त 1991 से सितम्बर 1999 के बीच स्वीकृत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और तकनीकी सहयोग से पता चलता है कि विद्युत क्षेत्र, दूर-संचार, विद्युत उपकरण, परिवहन, रसायन और खाद्य क्षेत्र आदि में बृहत् बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अधिक रुचि रही है। इनमें से विद्युत क्षेत्र और दूर-संचार दो प्रमुख क्षेत्र हैं जिसमें अधिकतम स्वीकृतियाँ दी गई हैं। यदि हम इन क्षेत्रों में स्वीकृतियों की प्रवृत्ति को देखें तो प्रतीत होता है कि निकट भविष्य में आधारभूत संरचना क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बहुराष्ट्रीय मूल्यवर्द्धन कार्यकलाप देखने को मिलेगा।
बोध प्रश्न 1
1) भारत में ओटोमोबाइल विनिर्माण में लगी कम से कम 3 बहुराष्ट्रीय कंपनियों (उनके स्वदेश के नाम के साथ) की पहचान कीजिए?
2) भारत में टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं जैसे फ्रिज, वाशिंग मशीन इत्यादि का विनिर्माण करने वाली कम से कम 3 बहुराष्ट्रीय कंपनियों (उनके स्वदेश के नाम के साथ) की पहचान कीजिए?
3) सबसे बड़े 5 स्रोत देशों (3 विकसित विश्व से और 2 विकासशील विश्व से) का नाम बताइये जहाँ से बृहत् बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ आती हैं।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics