बहु आणविक कोलाइड , वृहद आणविक कोलाइड , सहचारी / संगुणित कोलाइड , जेल क्या है chemistry
multimolecular colloids and macromolecular colloids in hindi , बहु आणविक कोलाइड , वृहद आणविक कोलाइड , सहचारी / संगुणित कोलाइड , जेल क्या है chemistry :-
कोलाइड (colloid in hindi) : थॉमस ग्राहम के अनुसार वे पदार्थ जो जंतु झिल्ली में से विसरित हो जाते है उन्हें क्रिस्टलॉइड कहते है। जैसे नमक का विलयन।
वे पदार्थ जो जन्तु झिल्ली में से विसरित नहीं होते उन्हें कोलॉइड कहते है जैसे गोंद , स्टार्च , जिलेटिन
थोमस ग्राहम का यह वर्गीकरण उचित नहीं है क्योंकि NaCl का जलीय विलयन क्रिस्टलॉइड की तरह जबकि NaCl का एल्कोहालिक विलयन कोलॉइड की तरह काम करती है।
उपरोक्त अध्ययन से स्पष्ट है कि कोलॉइड कोई पदार्थ नहीं है परन्तु पदार्थ की एक अवस्था है जो कणों के आकार पर निर्भर करती है , कोलॉइडी कणों का आकार 1 नैनो मीटर से 1000 नैनोमीटर तक होता है।
कणों के आकार के आधार पर विलयन का वर्गीकरण
- वास्तविक विलयन: इनके कणों का आकार 1 नैनोमीटर से कम होता है , इन्हें आँखों या सूक्ष्मदर्शी यन्त्र से नहीं देख सकते। जैसे नमक का जलीय विलयन।
- कोलाइडी विलयन: इनके कणों का आकार एक नैनोमीटर से 1000 नैनोमीटर तक होता है। इन्हें आँखों से नहीं देख सकते परन्तु सूक्ष्मदर्शी यंत्र से देख सकते है।
- निलम्बन: इनके कणों का आकार 1000 नैनोमीटर से अधिक होता है इन्हें आँखों से देख सकते है।
कोलाइडी विलयन की प्रावस्था :
कोलाइडी विलयन में दो प्रावस्थायें होती है –
(i) परिक्षिप्त प्रावस्था : कोलाइडी कणों की प्रावस्था को परिक्षिप्त प्रावस्था कहते है , किसी विलयन के लिए इसे विलेय के समान माना जाता है।
(ii) परिक्षेपण माध्यम : कोलाइडी कण जिस माध्यम में वितरित रहते है। उसे परिक्षेपण माध्यम कहते है। किसी विलयन के लिए इसे विलायक के समान माना जाता है।
कोलाइडी का वर्गीकरण
(A) परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था के आधार पर :
परिक्षिप्त प्रावस्था (कम) | परिक्षेपण माध्यम अधिक | कोलाइडी विलयन का नाम | उदाहरण |
ठोस | गैस
द्रव |
ऐरोसोल
सोल ठोस सोल |
धुआं , आंधी
स्वर्ण , सोल , रजत सोल रत्न , मणि , रंगीन कांच |
द्रव | गैस
द्रव ठोस |
एरोसोल
पायस (इमल्सन) जैल |
बादल , धुंध , कोहरा
दूध कोलगेट , जेल , मक्खन |
गैस | गैस
द्रव ठोस |
x
झाग (फोम) |
x
साबुन के झाग प्युमिस पत्थर |
प्रश्न : जैल किसे कहते है ?
उत्तर : वे कोलाइडी विलयन जिनमे परिक्षिप्त प्रावस्था द्रव तथा परिक्षेपण माध्यम ठोस होता है उन्हें जेल कहते है।
प्रश्न : एरोसोल में परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था बताइए।
उत्तर : परिक्षिप्त प्रावस्था – ठोस अथवा द्रव
परिक्षेपण माध्यम – गैस
प्रश्न : द्रव में परिक्षिप्त ठोस कोलाइडी विलयन को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर : सोल
(B) परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम की अन्योन्य क्रिया के आधार पर :
ये दो प्रकार के होते है –
- द्रवरागी कोलाइड: वे पदार्थ जिन्हें परिक्षेपण माध्यम में डालने पर ही आसानी से कोलाइडी विलयन बना लेते है उन्हें द्रवरागी कोलाइड कहते है। उदाहरण – गोंद , स्टार्च , जिलेटिन।
यदि किसी विधि से कोलाइडी कणों को स्कंदित कर दिया जाए तो परिक्षेपण माध्यम डालने पर पुनः कोलाइडी विलयन बन जाता है अत: इन्हें उत्क्रमणीय कोलाइड भी कहते है।
- द्रव विरागी कोलाइड: वे पदार्थ जिन्हें परिक्षेपण माध्यम में डालने पर आसानी से कोलाइडी विलयन नहीं बनाते , उन्हें द्रव विरागी कोलाइड कहते है।
उदाहरण : धातु , धातुहाइड्रोक्साइड , धातु सल्फाइड
यदि किसी विधि से कोलाइडी कणों को स्कंदित कर दिया जाए तो परिक्षेपण माध्यम डालने पर पुनः कोलाइडी विलयन नहीं बनता है अत: इन्हें अनुत्क्रमणीय कोलाइड भी कहते है।
प्रश्न : द्रव रागी व द्रव विरागी कोलाइड में अंतर लिखो।
उत्तर :
द्रवरागी | द्रव विरागी |
1. इन्हें आसानी से बनाया जा सकता है | | इन्हें आसानी से नहीं बनाया जा सकता है | |
2. इन्हें उत्क्रमणीय कोलाइड कहते है | | इन्हें अनुत्क्रमणीय कोलाइड कहते है | |
3. इनका स्थायित्व अधिक होता है | | इनका स्थायित्व कम होता है | |
4. स्थायित्व अधिक होने के कारण स्कंदन आसानी से नहीं होता | | स्थायित्व कम होने के कारण स्कन्दन आसानी से हो जाता है | |
(C) परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों के प्रकार के आधार पर :
ये तीन प्रकार के होते है –
- बहु आणविक कोलाइड: ये कई परमाणु या अणुओं के झुण्ड के रूप में होते है।
इनका स्थायित्व कम होता है।
उदाहरण : Ag सोल आदि।
- वृहद आणविक कोलाइड: ये अणु बहुलक के रूप में होते है।
इनका स्थायित्व अधिक होता है।
स्टार्च , गोंद , जिलेटिन एंजाइम आदि प्राकृतिक वृहद आणविक कोलाइड है।
नायलोन , पोलीथिन , पोलीस्टाइरिन , संश्लेषित रबर आदि मानव निर्मित वृहद आण्विक कोलाइड कहते है।
- सहचारी / संगुणित कोलाइड: वे पदार्थ जो निम्न सांद्रता पर विद्युत अपघट्य का काम करते है परन्तु उच्च सांद्रता पर गोलीय पुंज (मिसेल) का निर्माण करते है उन्हें सहचारी कोलाइड कहते है।
उदाहरण :
सोडियम स्टियरेट
सोडियम लोरिल सल्फेट
नोट : मिसेल का बनना एक निश्चित सांद्रता से अधिक सांद्रता पर होता है , इस सान्द्रता को क्रांतिक मिसेल सांद्रता कहते है।
नोट : मिसेल का बनना एक निश्चित ताप से अधिक ताप पर होता है , इसे ताप क्राफ्ट ताप कहते है।
मिसेल निर्माण की क्रियाविधि : साबुन का रासायनिक नाम सोडियम स्टीयरेट है , इसका रासायनिक सूत्र C17H35-COONa है। यह जल से निम्न प्रकार से आयनित होता है –
C17H35-COONa ⇌ C17H35COO– + Na+
स्टियरेट आयन के दो सिरे होते है। इनमे से एक सिरे को अध्रुवीय सिरा कहते है। यह हाइड्रोकार्बन की लम्बी श्रृंखला है। यह जल विरागी है। इसे पुच्छ भी कहते है। जबकि दुसरे सिरे को head या शीर्ष कहते है। यह जलरागी होता है इसे ध्रुवीय सिरा भी कहते है।
CMC (क्रांतिक मिसेल सांद्रता) पर 100 या 100 से अधिक स्टीयरेट आयन मिलकर गोलीय पुंज का निर्माण कर लेते है जिसे मिसेल कहते है। मिसेल बनने पर अध्रुवीय सिरा केंद्र की ओर तथा ध्रुवीय सिरा गोली पुंज के सतह की ओर होता है।
साबुन द्वारा वस्त्र स्वच्छ करने की क्रियाविधि (पायसीकरण)
गंदे वस्त्रो पर तेल तथा धुल के कण लगे होते है। जब गंदे वस्त्र को साबुन के विलयन में डालते है तो साबुन का जलविरागी भाग तेल की बूंदों में धंस जाता है जबकि जलरागी भाग तेल की बूंद के चारो ओर कांटो की तरह बाहर निकला होता है। जब इसे गंदे वस्त्र को जल के साथ धोते है तो जल के अणु स्टियरेट आयन युक्त तेल की बूंद को वस्त्र में बाहर निकाल देते है जिससे वस्त्र स्वच्छ हो जाता है , इस क्रिया को पायसीकरण भी कहते है।
कोलाइडी विलयन बनाने की विधियाँ :
- रासायनिक विधियाँ –
(i) SO2 तथा 2H2S गैस को मिलाने पर गंधक का कोलाइडी मिश्रण बनता है।
SO2 + 2H2S → 3S + 2H2O
(ii) आर्सेनिक ऑक्साइड (As2O3) के विलयन में H2S गैस प्रवाहित करने पर आर्सेनिक सल्फाइड का कोलाइडी विलयन बनता है।
As2O3 + 3H2S → As2S3 + 3H2O
(iii) फेरिक कोलाइड (FeCl3) में गर्म जल मिलाने पर फेरिक हाइड्रोक्साइड (Fe(OH)3) का कोलाइडी मिश्रण बनता है।
FeCl3 + 3H2O → 3HCl + Fe(OH)3
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