मीमोसोइडी के पौधे नाम माइमोसोइडी क्या है – उपकुल (mimosoideae in hindi family and subfamily) :
(अकेशिया कुल : ग्रीक माइमोस = मिमिक = संवेदी पर्ण)
प्राप्ति स्थान और वितरण (occurrence and distribution) : इस उपकुल में लगभग 56 वंश और 2800 प्रजातियाँ सम्मिलित है जो मुख्यतः विश्व के उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण भागों में पायी जाती है। भारत में इस उपकुल की लगभग 90 प्रजातियाँ मिलती है।
कायिक लक्षणों का विस्तार (range of vegetative characters) :
प्रकृति और आवास : इस उपकुल के अधिकतर सदस्य वृक्ष जैसे अकेशिया अथवा क्षुप जैसे माइमोसा हेमेटा और डाइक्रोस्टैकिस अथवा काष्ठीय आरोही जैसे ऐन्टाडा होते है। केवल कुछ ही प्रजातियाँ जैसे नेप्चूनिया और माइमोसा पुडिका शाकीय होती है। कुछ सदस्य जैसे अंकेशिया नाइलोटिका मरुदभिदीय होते है , वही दूसरी तरफ नेप्यूनिया ओलिरेसिया एक जलीय पादप है।
मूल : शाखित मूसला जड़।
स्तम्भ : बेलनाकार , ठोस , उधर्व , शाखित , काष्ठीय लेकिन ल्युसिना और एडिनेन्थेरा आदि में लगभग अशाखित।
पर्ण : अनुपर्णी , अनुपर्ण काँटों अथवा शूल में रूपांतरित , सवृन्त , स्तम्भीय और शाखीय , पर्णाधार फूले हुए , एकांतर , द्विपिच्छकी , माइमोसा पुडिका और नेप्यूनिया ओलिरेसिया के पर्ण अत्यधिक संवेदनशील होते है। ऑस्ट्रेलियन अकेशिया में पर्ण फलक अल्पविकसित और पर्णवृंत चपटा और चौड़ा और हरे रंग का होकर पर्णाभवृन्त बन जाता है। शिराविन्यास जालिकावत।
पुष्पीय लक्षणों का विस्तार (range of floral characters)
पुष्पक्रम : गोलाकार मुंडक जैसे अकेशिया नाइलोटिका में असीमाक्षी कणिश जैसे डाइक्रोस्टैकिस सिनेरिया में , यहाँ कणिश का ऊपरी भाग पीले रंग का (उभयलिंगी पुष्प वाला) और निचे का आधा भाग गहरे गुलाबी रंग का (बंध्य पुष्पों वाला) होता है।
पुष्प : सहपत्री , अवृन्त , पूर्ण , उभयलिंगी त्रिज्यासममित , चतुष्तयी अथवा पंचतयी , कम अथवा अधिक परिजायांगी।
बाह्यदलपुंज : बाह्यदलीय 4 अथवा 5, संयुक्त बाह्यदली जैसे अकेशिया में अथवा स्वतंत्र जैसे नेप्चूनिया प्लेना में , विन्यास कोरस्पर्शी जैसे अकेशिया में अथवा कोरछादी जैसे पार्किया में। माइमोसा पुडिका में चार बाह्यदल तिरछे क्रम में व्यवस्थित होते है।
दलपुंज : दलपत्र 4 अथवा 5 , संयुक्तदलीय जैसे अकेशिया में अथवा पृथकदलीय जैसे लयूसीना में विन्यास कोरस्पर्शी।
पुमंग : पुंकेसर असंख्य और पृथक जैसे अकेशिया और अधिकतर सदस्यों में लेकिन एल्बीजीया और पिथेसेलोबियम में असंख्य पुंकेसर आधारीय भाग में एकसंघी होते है। प्रोसोपिस और डाइक्रोस्टैकिस में 10 पुंकेसर और एक्रोकार्पस में 5 पुंकेसर पाए जाते है। परागकोष द्विकोष्ठी , पृष्ठलग्न , अंतर्मुखी , बाह्यस्थित , लम्बवत स्फुटन।
जायांग : एकांडपी , अंडाशय उच्चवर्ती अथवा अर्धअधोवर्ती , एककोष्ठीय , सीमांत बीजांडविन्यास।
फल और बीज : शिम्ब , अधिकतर लोमेन्टस , बीज अभ्रूणपोषी और पीथेसेलोबियम में सुस्पष्ट एरिल पायी जाती है , जिसे खाया जाता है।
परागण : कीटों द्वारा परागण।
पुष्पसूत्र :
माइमोसोइडी के महत्वपूर्ण लक्षण (important characters of mimosoidae)
1. अधिकतर सदस्य वृक्ष अथवा क्षुप , यदा कदा शाक।
2. पर्ण , एकांतर , अनुपर्णी , संयुक्त , एक अथवा द्विपिच्छाकार।
3. पुष्प सहपत्री , त्रिज्यासममित , चतुष्तयी अथवा पंचतयी।
4. बाह्यदल पत्र 4 अथवा 5 अधिकतर संयुक्त बाह्यदली और कोरस्पर्शी।
5. दलपत्र 4 अथवा 5 अधिकतर संयुक्त दली और कोरस्पर्शी।
6. पुंकेसर असंख्य अनेक चक्रों में व्यवस्थित , पृथक पुंकेसरी।
7. फल – लोमेन्टम।
आर्थिक महत्व (economic importance)
I. इमारती काष्ठ और ईंधन :
1. अकेशिया की अनेक प्रजातियाँ जैसे अकेशिया सेनेगल और अकेशिया नाइलोटिका से ईंधन और इमारती लकड़ी प्राप्त होती है।
2. खेजड़ी की लकड़ी अत्यधिक मजबूत होती है और इसका उपयोग रेल्वे स्लीपर और नाव बनाने में किया जाता है।
3. एल्बीजिया – सिरस की अनेक जातियों से प्राप्त लकड़ी फर्नीचर और कृषि उपकरण बनाने के काम आती है।
4. एडीनेन्थरा पेवोनियाना की लकड़ी का उपयोग लाल चन्दन की लकड़ी के स्थान पर करते है।
5. जाइलिया डोलेबिनीफोर्मिस – रेलवे स्लीपर , पानी के जहाज और पुल निर्माण में प्रयुक्त किया गया है।
II. गोंद :
1. अकेशिया की विभिन्न प्रजातियों जैसे अकेशिया सेनेगल और अन्य जातियों से गोंद प्राप्त होता है। अकेशिया सेनेगल (कुमटा) से प्राप्त गोंद को गम अरेबिक कहते है। यह मिठाइयों , दवाइयों तथा वस्त्र उद्योग में काम आता है।
2. सिरस से सरेस नामक गोंद मिलता है।
III. कत्था :
1. खैर अथवा अकेशिया कटेयू के वृक्ष के तने की अंत: काष्ठ से पान में लगाया जाने वाला कत्था प्राप्त होता है। हाडौती पठार में यह वृक्ष बहुलता से पाया जाता है।
IV. खाद्य पदार्थ :
1. जंगल जलेबी अथवा पिथेसेलोबियम डल्से नामक वृक्ष के फल का बीजचोल , लाल रंग का और मीठा होता है। अत: खाने के काम आता है।
2. नेप्चूनिया ओलेरेसिया की पत्तियों को सलाद के रूप में खाया जाता है।
3. खेजड़ी और प्रोसोपिस सिनेरेरिया की फली सांगरी कहलाती है। इसकी फलियों की सब्जी बनाई जाती है और पत्तियाँ और फलियाँ ऊंट और बकरियों द्वारा खाई जाती है।
V. शिकाकाइ : अकेशिया कोनीसिन्ना नामक पादप की फलियाँ साबुन के रूप में बाल धोने के काम आती है।
VI. चर्मशोधन : अकेशिया की अनेक प्रजातियों जैसे अकेशिया नाइलोटिका , अकेशिया ल्यूकोफ्लोइया और अकेशिया डिकरेन्स आदि की छाल चमड़ा रंगने के काम आती है।
VII. सजावटी पौधे :
1. माइमोसा पुडिका छुई मुई अथवा लाजवंती , शाक।
2. एल्बीजिया लीबेक सिरस , छायादार वृक्ष।
3. पिथेसेलोबियम डल्से , जंगल जलेबी , वृक्ष।
4. केलीएन्ड्रा हीमेटोसिफेला मणिकुंतला , क्षुप।
5. समानिया सामान विलायती सिरस , वृक्ष।
VIII. इत्र :
गंध बबूल अथवा विलायती बबूल अथवा अकेशिया फार्नेसियाना के सुगन्धित पुष्पों से केसी नामक इत्र प्राप्त होता है।
माइमोसोइडी के प्रारूपिक पादप का वानस्पतिक वर्णन (botanical description of typical plant of mimosoideae)
अकेशिया नाइलोटिका :
स्थानीय नाम – बबूल
स्वभाव और आवास – मध्यम ऊँचाई का वृक्ष , प्राय: शुष्क स्थानों पर पाया जाता है।
मूल – शाखित मूसला जड़।
स्तम्भ – उधर्व , वायवीय , शाखित , काष्ठीय , ठोस , तरुण शाखाएँ हरी और रोमिल और प्रौढ़ शाखाएँ दरार युक्त छाल से घिरी।
पर्ण : शाखीय , एकांतर , अनुपर्णी , अनुपर्ण कंटकों में रूपान्तरित पर्ण द्विपिच्छकी , समपिच्छकी , सवृन्त , पर्णाधार , फूला हुआ वृंत के निचले सिरे पर ग्रंथि , पिच्छक युग्म में , पिच्छक दीर्घवृताकार , पीले हरे और तिरछे लगे हुए।
पुष्पक्रम : गोलाभ – छत्रकीय मुंडक , 2 से 4 समूह में , प्रत्येक मुंडक सवृन्त और अन्तस्थ।
पुष्प : सहपत्री , सहपत्र रेखीय और आशुपाती , अवृंत , पुष्प उभयलिंगी , नियमित , त्रिज्यसममित , पंचतयी , सुगन्धित पीले और अधोजायांगी।
बाह्यदलपुंज : बाह्यदल-5 , संयुक्त बाह्यदली , विषम बाह्यदल पश्च , विन्यास कोरस्पर्शी।
दलपुंज : दलपत्र-5 , संयुक्तदलीय , कीपाकार , विन्यास कोरस्पर्शी।
पुमंग : पुंकेसर असंख्य , पृथक पुंकेसरी अथवा आधार पर संलग्न पुंतन्तु लम्बे , परागकोष द्विकोष्ठी , पृष्ठलग्न , अंतर्मुखी , पुंकेसर रंगीन और सुगन्धित।
जायांग : एकांडपी , अंडाशय अर्ध उच्चवर्ती , एककोष्ठीय , आधार में फूला हुआ , सीमांत , बीजांडविन्यास , वर्तिका लम्बी , वर्तिकाग्र समुंड।
फल : शिम्ब लोमेन्टम प्रकार का।
पुष्पसूत्र :
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1 : पुमंग की द्विसंघी अवस्था में पायी जाती है –
(अ) पाइसम में
(ब) केसिया में
(स) डेलोनिक्स
(द) अकेशिया
उत्तर : (अ) पाइसम में
प्रश्न 2 : दलहनी पौधा है –
(अ) केसिया
(ब) फेसियोलस मुंगो
(स)साइमोप्सिस
(द) जाइलिया
उत्तर : (ब) फेसियोलस मुंगो
प्रश्न 3 : ससीमाक्षी मुंडक पाया जाता है –
(अ) केसिया में
(ब) पाइसम में
(स) अकेशिया में
(द) केजेनस
उत्तर : (स) अकेशिया में
प्रश्न 4 : खेजड़ी सदस्य है –
(अ) रेनन कुलेसी
(ब) मालवेसी
(स) सोलेनेसी
(द) माइमोसेसी का
उत्तर : (द) माइमोसेसी का