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Maxwell’s Relation in hindi , मैक्सवेल संबंध क्या है , मैक्सवेल समीकरणों की व्युत्पत्ति लिखिए

बताइए Maxwell’s Relation in hindi , मैक्सवेल सम्बन्ध क्या है , मैक्सवेल समीकरणों की व्युत्पत्ति लिखिए ?

मैक्सवेल सम्बन्ध (Maxwell’s Relations)
सभी ऊष्मागतिकी तन्त्रों की अवस्थाओं को चार मुख्य ऊष्मागतिक चरों (variables) दाब p, आयतन V, T एवं एन्ट्रॉपी S द्वारा पूर्णरूपेण निर्धारित किया जा सकता है उनमें से कोई दो स्वतन्त्र ( independent) चर तथा बाकी दो परतन्त्र (dependent) चर माने जा सकते हैं।
ऊष्मागतिकी में प्रयुक्त फलनों आंतरिक ऊर्जा U हेल्महोल्टज् मुक्त ऊर्जा फलन F, गिब्स मुक्त ऊर्जा फलन G तथा एन्थैल्पी H को इन चारो चरों के पदों के रूप में व्यक्त कर सकते हैं। इन चारों फलनों को ऊष्मागतिक विभव (thermodynamic potential) भी कहते हैं क्योंकि ये यान्त्रिकी या विद्युत निकायों की भांति ऊष्मागतिकी निकायों में परिवर्तन की दिशा का निर्धारण करते हैं।
ये चारों फलन यथातथ अवकल (perfect differential) होते हैं अर्थात् इनका किन्हीं दो चरों के सापेक्ष द्वितीय आशिक अवकलन (second partial derivative) अवकलन के क्रम पर निर्भर नहीं करता है। ऊष्मागतिक विभवों के उपरोक्त गुण का उपयोग कर ऊष्मागतिक चरों p, V, T व S में चार संबंध प्राप्त किये जा सकते हैं। इन संबंधों या समीकरणों को मैक्सवेल समीकरण कहते हैं।
मैक्सवेल समीकरणों की व्युत्पत्ति
(i) ऊष्मागतिकी के प्रथम व द्वितीय नियम से किसी निकाय की आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन
dU = dQ – pdv

= Tds – pdv …………(1) इस प्रकार फलन U, चर S व V का फलन है। S व V को स्वतन्त्र चर मानते हुए U (S, V) का S TV के सापेक्ष आशिक अवकलन होंगे :

(iii) ऊष्मागतिकी निकाय की कुल ऊर्जा अर्थात् एन्थैल्पी निम्न सूत्र से परिभाषित की जाती है :

H = U + pV

अतः किसी अनन्त सूक्ष्म परिवर्तन के लिए H में परिवर्तन

dH = dU + pdV + Vdp

Tds = dU + pdv

dH = V dp + T dS

मैक्सवेल समीकरणों के अनुप्रयोग (Applications of Maxwell’s Equations)

(i) क्लॉसियस क्लैपीरॉन समीकरण (Clausius-Clapeyron’s Equation)
मैक्सवेल के द्वितीय सम्बन्ध से
निरूपित करता है। अत: यदि T ताप पर गुप्त ऊष्मा L अवशोषित कर आयतन V1 , से V2 हो जाता है तो
(ii) गैस के रूद्धोष्म व समतापी प्रत्यास्थता गुणांकों का अनुपात (Ratio of adiabatic and isothermal coefficients of elasticities)
रूद्धोष्म प्रक्रम में एन्ट्रॉपी s नियत रहती है तथा समतापी प्रक्रम में ताप T, अतः प्रत्यास्थता गुणांक की परिभाषानुसार
विशिष्ट ऊष्मा की परिभाषा से
(iii) जूल-टॉमसन प्रसरण (Joule-Thomson Expansion)
जूल – टॉमसन प्रसरण के विषय में अगले अध्याय में विचार किया जायेगा। यहाँ हम केवल मैक्सवेल समीकरणों के उपयोग द्वारा जूल-टॉमसन गुणांक की व्युत्पत्ति करेंगे। जूल- टॉमसन प्रसरण में गैस का उच्च दाब के प्रभाग से निम्न दाब के प्रभाग में एक संरन्ध्र डाट ( porous plug ) के द्वारा प्रसार होता है । इस प्रसार में गैस के ताप में परिवर्तन होता है। जूल टॉमसन प्रसरण में गैस की ऐन्थैल्पी नियत रहती है अर्थात्
H = U + pV = नियतांक …..(1)
जिससे
dH = dU + pdV + Vdp = 0
dU + pdV = dQ = Tds
Tas + Vdp = 0
यदि दाब p व ताप T को स्वतन्त्र चरों रूप में लिया जाय तो गैस की एन्ट्रॉपी में परिवर्तन
अतः आदर्श गैस में जूल टॉमसन प्रसरण से ताप में कोई परिवर्तन नहीं होगा । वान-डर-वाल्स (Van der waals) समीकरण का पालन करने वाली गैसों के लिये
उत्क्रमण ताप (temperature of inversion) कहलाता है।
हाइड्रोजन के लिये उत्क्रमण ताप -80°C है अतः कक्ष ताप पर जूल- टॉमसन प्रसरण से इसका तापन होता है। ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाई ऑक्साइड आदि गैसों के उत्क्रमण ताप सामान्य कक्ष ताप से अधिक होता है। अतः कक्ष ताप पर जूल टॉमसन प्रसरण में इनका शीतलन होता है।