स्तनी अथवा मैमेलिया वर्ग (class mammalia in hindi) , स्तनधारी , वर्ग मैमेलिया के मुख्य लक्षणों का वर्णन कीजिए
वर्ग मैमेलिया के मुख्य लक्षणों का वर्णन कीजिए ? स्तनी अथवा मैमेलिया वर्ग (class mammalia in hindi) , स्तनधारी क्या है ? लक्षण ?
वर्ग स्तनी अथवा मैमेलिया (class mammalia) :
सामान्य लक्षण :
- बाल परिधानी , अधिकतर स्थलीय , वायुश्वसनी , समतापी , जरायुज , चतुष्पाद कशेरुकी।
- शरीर स्पष्टतया सिर , ग्रीवा , धड तथा पुच्छ में विभक्त।
- पाद 2 जोड़ी , पंचान्गुली , प्रत्येक में 5 अथवा कम अंगुलियाँ। पाद चलने , दौड़ने , चढने , बिल खोदने , तैरने अथवा उड़ने के लिए नाना प्रकार से अनुकूलित। सीटे शियन्स तथा साइरेनियन्स में पश्चपादों का अभाव होता है।
- बही: कंकाल में निर्जीव , श्रृंगी और अधिचर्मीय बाल , शूक , शल्क , पंजे , नाख़ून , खुर सिंग , अस्थिल चर्मिय प्लेट्स आदि होते है।
- त्वचा प्रचुर रूप से ग्रंथिल , जिसमे स्वेद , वसामय अथवा तैलीय तथा कभी कभी दोनों लिंगो में गंध ग्रंथियां मिलती है। मादाओं में शिशुओं को दुग्धपान कराने के लिए चुचुको से युक्त दुग्धोत्पादक स्तन ग्रंथियां भी होती है।
- एक पेशीय पर्दा , तनुपट अथवा डायफ्राम , अग्र वक्षगुहा को पश्च उदरगुहा से पृथक करता है।
- अंत: कंकाल पूर्णतया अस्थिभूत। करोटि 2 ऑक्सीपीटल कोंड़ाइल्स सहित द्विकन्दीय। कपाल बृहत। एक मात्र गंड चाप उपस्थित। टेरिगोइड्स छोटी , शल्क जैसी। कर्ण अस्थियाँ संयुक्त होकर पेरीऑटिक बनाती है। जो टिम्पैनिक से मिलकर टिम्पैनिक बुला बनाती है। निचले जबड़े का प्रत्येक अर्धांश एक अकेली अस्थि , डेंटरी , से बनता है जो करोटि की स्क्वैमोसल से संधि करती है। कशेरुक सिरों पर एपिफाइसीज से युक्त तथा चपटे अथवा अगर्ती कशेरुकाओं सहित। ग्रीवा कशेरुक संख्या में सामान्यतया सात होती है। पसलियाँ द्विशिर्षी। कोराकोइड अवशेषी।
- आहारनाल गुदा द्वारा समाप्त होती है , अवस्कर नहीं होता। मुख गुहा नासामार्ग से एक कठोर तालु द्वारा पृथक होती है जो प्रीमैक्सीली , मैक्सिली तथा पैलेटाइन्स द्वारा निर्मित होता है। दांत अनेक प्रकार के अथवा विषमदन्ती , गर्तो में लगे अथवा गर्तदन्ती और दो समुच्चयो में प्रदर्शित अथवा द्विबारदन्ती होते है।
- श्वसन सदैव पल्मोनरी अर्थात फेफड़ो द्वारा होता है। घांटी की सुरक्षा के लिए एक मांसल , उपास्थिल घांटीढापन होता है। कंठ में स्वर रज्जू होते है।
- ह्रदय दोहरे परिसंचरण सहति 4 कक्षीय। केवल बायाँ महाधमनी चाप उपस्थित होता है। वृक्क निवाहिका तंत्र अनुपस्थित होता है। लाल रुधिर कणिकाएं छोटी , गोल तथा अपकेन्द्रित। देह ताप नियंत्रित अर्थात समतापी पाया जाता है।
- गुर्दे पश्च वृक्कीय। मूत्र वाहिनियाँ एक पेशीय मूत्राशय में खुलती है। उत्सर्जन यूरिया उत्सर्गी। उत्सर्जी द्रव मूत्र होता है।
- मस्तिष्क अत्यंत विकसित होता है। प्रमस्तिष्क तथा अनुमस्तिष्क , दोनों वृहद एवं संवलित होते है। दृक पालियां छोटी एवं संख्या में 4 होती है जिन्हें पिंड चतुष्टि कहते है। दोनों सेरिब्रल गोलार्द्धों को जोड़ने वाला बैंड , कार्पस कैलोसम उपस्थित। कपाल तंत्रिकाएं 12 जोड़ी पायी जाती है।
- ज्ञानेंदियाँ सुविकसित होती है। नेत्र पलकों द्वारा सुरक्षित , उपरी पलक चल। बाह्य कर्ण छिद्र एक बड़े मांसल , उपास्थीय पल्ले अथवा कर्ण पल्लव द्वारा सुरक्षित मध्य कर्ण गुहा में 3 कर्ण अस्थिकाएं उपस्थित मैलियस , इंकस तथा स्टेपिज। आंतरिक कर्ण का कोक्लिया सर्पिल कुंडलित होता है।
- लिंग पृथक। लैंगिक द्विरूपता सामान्यतया सुस्पष्ट। नर में एक उत्थानशील मैथुन अंग अथवा शिश्न होता है। वृषण सामान्यतया उदर के बाहर लटके थैले अथवा वृषण कोष में स्थित अंडे छोटे , थोड़े पीतकयुक्त तथा कवचहीन होता है।
- निषेचन आंतरिक , मैथुन के पश्चात्।
- अंडे देने वाले मोनोट्रिम्स को छोड़कर सब स्तनी जरायूज , जो जीवित शिशुओं को जन्म देते है।
- परिवर्धन गर्भाशय में। परिवर्धित भ्रूण पोषण और श्वसन के लिए माता के गर्भाशय की भित्ति से एक अपर द्वारा संलग्न। भ्रूणीय कलाएं एम्नीअन , कोरीअन तथा एलेंटाईन – उपस्थित होते है।
- जन्म के बाद , शिशु का पोषण माता की स्तन ग्रंथियों से स्त्रावित दूध द्वारा होता है।
- पैतृक रक्षण सुविकसित , मानवों में चर्मोत्सकर्ष को प्राप्त।
- समस्त जन्तुओ में स्तनी सर्वश्रेष्ठ बुद्धि रखते है।
वर्गीकरण (classification)
स्तनियों का अच्छी प्रकार से वर्णन तथा समुचित वर्गीकरण किया गया है। उनमें लगभग 5000 जीवित जातियां (15 हजार उपजातियाँ) तथा अनेक जीवाश्म रूप सम्मिलित है। उनका वर्गीकरण विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा अलग अलग प्रकार से किया गया है।
मुख्य लक्षण जिनके आधार पर उनका गणों में वर्गीकरण होता है , निम्नलिखित है –
- अपने शिशुओं की देखभाल करने की विधि
- दंत विन्यास का प्रकार
- पादासन
- नख , पंजे तथा खुर
- तंत्रिका तंत्र की जटिलता
- वर्गीकरण पद्धति।
जी.जी. सिम्पसन ने वर्गीकरण के सिद्धान्त तथा स्तनियों का वर्गीकरण नामक शोध पत्र में जो 1945 में अमेरिका में प्रकाशित हुआ , इस समूह का सम्पूर्ण सिंहावलोकन किया है। उसने स्तनियों के 18 जीवित तथा 14 विलुप्त गणों को माना है। इस आर्टिकल में हम स्तनियों के मात्र 18 जीवित गणों का उल्लेख करेंगे। इन्हें पहले 2 य\उपवर्गों प्रोटोथिरिया और थिरिया में विभाजित किया जाता है।
उपवर्ग 1. प्रोटोथीरिया (subclass I. prototheria) :
(protos = first प्रथम + therios = beast पशु )
आद्य , सरीसृप समान , अंडज अथवा अंडे देने वाले स्तनी इसमें सम्मिलीत है।
गण 1. मोनोट्रिमैटा (order 1. monotremata) :
(monos = single एकल + trema = opening छिद्र)
अवस्कर द्वार होता है। ऑस्ट्रेलियन क्षेत्र में सिमित।
उदाहरण : मोनोट्रिम्स। प्लैटिपस अथवा डकबिल अथवा ओर्निथोरिंकस , शूली चींटीखोर अथवा टैकीग्लोसस अथवा एकिडना।
उपवर्ग II. थिरिया (subclass II. Theria) :
(ther = animal जन्तु)
जीवित शिशुओं को जन्म देने वाले आधुनिक , प्रारूपिक , जरायुज स्तनी .उपवर्ग थिरिया को दो जीवित अध:वर्गों अथवा अववर्गों , मेटाथीरिया तथा थीरिया में बांटा जाता है।
अववर्ग 1. मेटाथीरिया (Infraclass 1. metatheria) :
(meta = between or after बीच में अथवा बाद में)
पीतक कोष अपरा सहित अथवा रहित , धानीयुक्त अथवा थैली वाले तथा जरायुज स्तनी अधिकतर ऑस्ट्रेलियन क्षेत्र में सिमित।
गण 2. मार्सूपिएलिया (order 2. marsupialia) :
(marsypion = pouch धानी अथवा थैली)
अत्यंत अपरिपक्व दशा में जन्म लेते है। शिशु माता की उदरीय थैली अथवा शिशुधानी में स्तनाग्रों अथवा चुचुकों से चिपके अपना परिवर्धन पूरा करते है। प्रत्येक जबड़े में प्रत्येक ओर सामान्यतया 3 प्रीमोलर तथा 4 मोलर दंत होते है। योनि द्विक अथवा दोहरी होती है।
उदाहरण : मार्सूपिएल्स। ओपोसम अथवा डाइडेल्फिस , कंगारू अथवा मैक्रोपस , कोऐला अथवा फैस्कोलार्कटॉस।
अववर्ग 2. यूथिरिया (Infraclass 2. Eutheria) :
(eu = true वास्तविक + therios = beast पशु)
उच्च जरायुज , अपरा स्तनी , शिशुधानी अथवा मार्सूपियम के बिना। शिशु अपेक्षाकृत अधिक परिवर्धित दशा में जन्म लेते है। दंतविन्यास कभी भी 3.1.4.3/3.1.4.3 = 44 से अधिक नहीं होता। यूथीरियंस में जीवित स्तनीयों का विशाल बहुमत सम्मिलित है जिन्हें 16 जीवित गणों में रखा गया है –
नोट : वर्ग मैमेलिया के सामान्य लक्षण ही वास्तव में अध:वर्ग युथीरिया के प्रारूपिक लक्षण होते है।
गण 3. कीटभक्षी अथवा इन्सेक्टिवोरा (order 3. Insectivora) :
(insectum = insect कीट + vorare = to eat खाना)
छोटे आकार के लम्बे नुकीले प्रोथ वाले स्तनी। पैर पादतलचारी , सामान्यतया 5 नखरयुक्त पादान्गुलियो से युक्त कीटों के आहार के लिए मोलर दांत नुकीले किलक जैसे दंताग्र सहित।
उदाहरण : छछूंदर अथवा टैल्पा , सामान्य श्रु अथवा सोरेक्स , सोलेनोडॉन वाहक अथवा काँटा चूहे जैसे ऐरिशियस तथा पैराइकाइनस।
गण 4. काइरोप्टेरा (order 4. chiroptera) :
(cheiros = hand हाथ + pteron = wing पंख)
उड़ने वाले स्तनी अथवा चमगादड़ , जिनमें अग्रपाद पंखो में रूपांतरित होते है। पश्चपाद छोटे तथा पंख झिल्ली अथवा चर्मप्रसार में सम्मिलित है। दांत छोटे , तेज , खूंटी समान। रात्रिचर , वास्तविक उड़ान में सक्षम। दो उपगण : मेगाकाइरोप्टेरा तथा माइक्रोकाइरोप्टेरा।
(तुलना और उदाहरणों के लिए देखिये सारणी निचे दी गयी है )
गण 5. डर्मोप्टेरा (order 5. Dermoptera) :
(derm = skin त्वचा + pteron = wing पंख)
बराबर लम्बाई के चारों पाद तथा पुच्छ एक पाशर्वीय समुरिय त्वचा वलय अथवा चर्मप्रसर में शामिल। रात्रिचर , वृक्षाश्रयी।
उदाहरण : उड्डयन गिलहरी जैसा उड्डयन लीमर नामक एक विसर्पी स्तनी। केवल एक जीवित वंश , साइनो सिफैलस अथवा गैलियोपिथीकस , जिसकी 2 जातियां दक्षिण पूर्वी एशिया में पाई जाती है।
गण 6. अदन्त अथवा इडेंटेटा (order 6. Edentata) :
(edentatus = toothless दंतहीन )
दांत अनुपस्थित अथवा केवल इनैमल रहित मोलर दंत उपस्थित। पादांगुष्ठ बड़े , मजबूत तथा वक्र पंजो सहित।
उदाहरण : दानव चींटीखोर अथवा मिर्मीकोफैगा , आर्मेडिलो अथवा डैजिपस , 3 पादांगुलीय स्लॉथ अथवा ब्रैडीपस।
गण 7. शल्की अथवा फोलिडोटा (order 7. Pholidota) :
(pholis = a horny scale एक श्रृंगी शल्क)
शरीर बड़े परस्परछादी शल्कों से आच्छादित जिनके बिच बिच में छितरे बाल होते है। दांत अनुपस्थित होते है। जीभ लम्बी और बहि:सारी , कीट पकड़ने के लिए प्रयुक्त।
उदाहरण : शल्की चिटोंखोरों अथवा पैंगोलियन्स का एकमात्र वंश मैनिस।
मैगाकाइरॉप्टेरा तथा माइक्रोकाइरॉप्टेरा की तुलना :
लक्षण | उपगण 1. मैगाकाइरॉप्टेरा | उपगण 2 . माइक्रोकाइरॉप्टेरा |
1. वितरण | पुरानी दुनिया के उष्णकटिबंधों में। | दोनों गोलाद्धों में |
2. आवास | दिन के समय निर्जन स्थानों में , पंख वलित करके वृक्षों पर पिछले पंजो से उल्टे लटके हुए सोते है। | दिन में चट्टानों की विदरीकाओं , खोखले वृक्षों तथा परित्यक्त भवनों में सिर निचे लटका कर सोते है। |
3. स्वभाव | रात्रिचर , फलभोजी , सामान्यतया बड़े झुंडो में पाए जाते है। | रात्रिचर , मुख्यतया कीटभक्षी , यूथचारी अथवा एकल। |
4. आमाप | अपेक्षाकृत बड़े चमगादड़। | अपेक्षाकृत छोटे चमगादड़। |
5. सिर | सिर लोमड़ी समान। नेत्र बड़े। नासापत्र विहीन लम्बा प्रोथ। | नेत्र छोटे। प्रोथ नासापत्रों सहित छोटा तथा कुंद। |
6. कर्ण पल्लव | छोटा , साधारण , उपांगो से रहित। | बड़ा प्राय: पत्र समान कर्णतुंगक सहित। |
7. पंजेदार अंगुलियाँ | प्रथम तथा द्वितीय अंगुलियाँ पंजेदार। | केवल प्रथम अंगुली (अंगूठा) पंजेदार। |
8. पुच्छ | अनुपस्थित अथवा छोटी , इंटर फिरोमल कला से स्वतंत्र। | बड़ी , एक बड़ी इंटर फिमोरल कला में बंद। |
9. चर्वणक | तेज दंतार्ग्रो से रहित। अनुदैधर्य खांच उपस्थित। | शिखरों पर तेज दंताग्र उपस्थित। अनुप्रस्थ खांच उपस्थित। |
10. उदाहरण | गादुर फल जतुक अथवा उडन लोमड़िया जैसे टेरोपस और साइनोप्टेरस। | छोटे बभ्रु चमगादड़ अथवा मायोटिस , अश्वनाल जतुक राइनोलोफस , वेस्पर्टिलियो , रक्त चूषक चमगादड़ अथवा डेस्मोडस , भारतीय आभासी रक्त चूषक मेगाडर्मा। |
गण 8. ट्यूब्यूलीड़ेंटेटा (order 8. Tubulidentata) :
(tubulus = tube like नली समान + dens = tootth दांत)
जीभ पतली तथा बहि:साड़ी। कृन्तक और रदनक दंत अनुपस्थित होते है। प्रत्येक जबड़े में 4 अथवा 6 दांत , इनेमल रहित और अनेक सूक्ष्म मज्जा नलिकाओं द्वारा छिद्रित होते है।
उदाहरण : दक्षिण अफ्रीका के केप चींटीखोर अथवा सूअर जैसे आर्ड वर्क का एकमात्र वंश ऑरिक्टेरोपस।
गण 9. प्राइमेट्स (order 9. primates) :
(primus = of the first rank , प्रथम श्रेणी का)
अत्यधिक विकसित मस्तिष्क को छोड़कर सामान्यीकृत अथवा आद्य स्तनी। हस्तान्गुलियो तथा पादान्गुलियो पर चपटे नाख़ून। प्रथम अंगुली सम्मुखीय जो परिग्रहण के लिए अनुकूलन है। नेत्र सामान्यतया बड़े तथा आगे को घुमे हुए होते है। अधिकतर वृक्षाश्रयी।
गण प्राइमेट्स को 3 उपगणों में बांटा गया है : लीमरोइडिया , टोर्सीओइडिया तथा एन्थ्रोपोइडिया।
उपगण एन्थ्रोपॉइडिया को फिर 2 समूहों , अध: गणों अथवा अवगणों में विभाजित किया जाता है –
प्लैटीराइन तथा कैटाराइना।
3 उपगणों और 2 अवगणों के प्रमुख अंतर को क्रमशः आगे तालिका में बताया गया है।
लीमरॉइडिया , टार्सीऑइडिया तथा एंथ्रेपॉइडिया में तुलना :-
लक्षण | उपगण 1. लीमरॉइडिया | उपगण 2.टार्सीऑइडिया | उपगण 3. एंथ्रेपॉइडिया |
1. नाम की व्युत्पत्ति | (lemures = ghost भूत) | (tarsus = 1st foot प्रथम पाद) | (anthropos = man मनुष्य ) |
2. स्तर | आद्य अथवा निम्नतम | तनिक विकसित | सर्वाधिक विकसित |
3. वितरण | मैडागास्कर , अफ्रीका , दक्षिणी पूर्वी एशिया | फिलिपिन्स तथा समीपस्थ द्वीप | संसार पर्यन्त |
4. स्वभाव एवं आवास | वृक्षावासी , अधिकतम रात्रिचर , सर्वाहारी , एकल | वृक्षवासी , रात्रिचर , एकल , मुख्यतः कीटभक्षी | वृक्षवासी अथवा स्थलीय , दिनचर , मुख्यतया फलभक्षी , यूथचारी |
5. प्रोथ | सामान्यतया दीर्घित | सामान्यतया लघुकृत | लघुआननी |
6. नेत्र तथा दृष्टि | नेत्र सामान्यतया पाशर्वीय .दृष्टि दुर्बल | नेत्र बड़े , आगे को निकले , दृष्टि अच्छी होती है। | नेत्र आगे मुड़े। अपेक्षाकृत अधिक स्पष्ट त्रिविमदर्शी दृष्टि। |
7. पुच्छ | लम्बी , अपरिग्राही , कभी कभी अनुपस्थित। | लम्बी , गुच्छेदार , अपरिग्राही। | होने पर प्राय: परिग्राही |
8. अंगुलियाँ | द्वितीय पादांगुलि पंजेयुक्त , अन्य चपटे नाखूनों सहित। | 3 नाखूनों सहित , 2 पंजेयुक्त। सब अंगुलियों के सिरों पर गोल गद्दियाँ | सब अंगुलियाँ चपटे नाखूनों से युक्त। |
9. दंत सूत्र | 2.1.3.3/2.1.3.3 = 36 | 2.1.3.3/1.1.3.3 = 34 | 2.1.2.3/2.1.2.3 = 32 |
10. नेत्रकोटर | टेम्पोरल खात से संगामी। | टेम्पोरल खात से एक चौड़े विदर द्वारा सम्पर्क करता है। | टेम्पोरल खात से एक अस्थिल विभाजन द्वारा पृथक |
11. अनुमस्तिष्क | प्रमस्तिष्क द्वारा नहीं ढका होता। | ढका नहीं होता। | अत्यन्त विकसित। प्रमस्तिष्क द्वारा ढका होता है। |
12. गर्भाशय | द्विक अथवा दोहरा | द्विकश्रृंगी | सरल अथवा इकहरा |
13. भगशेफ | मूत्रमार्ग द्वारा आरपार | मूत्रमार्ग द्वारा आरपार | मूत्रमार्ग द्वारा आरपार नहीं होता। |
14. अपरा | विसरित तथा अपाती। | पश्चचक्रकाभ तथा पाती। | पश्चचक्रकाभ तथा रुधिरजरायु। |
15. उदाहरण | वृक्ष श्रु अथवा टूपैया , ए-ए अथवा काइरोमिस अथवा डॉबेन्टोनिया , लीमर , लोरिस। | 3 जातियों सहित केवल एक वंश। स्पेक्ट्रमी टार्सीयर अथवा टार्सीयस स्पेक्ट्रम | नयी तथा पुरानी दुनिया के सभी बंदर , कपि तथा सभी मानव |
प्लैटीराइन तथा कैटराइना में तुलना अथवा अंतर :-
लक्षण | अवगण 1. प्लैटीराइना (नयी दुनिया के बंदर) | अवगण 2. कैटाराइना (प्राचीन दुनिया के बंदर , कपि तथा मानव) |
1. वितरण | मध्य तथा दक्षिणी अमेरिका | अफ्रीका तथा एशिया |
2. आवास | मुख्यतया वृक्षीय | वृक्षीय अथवा स्थलीय |
3. आकार | अपेक्षाकृत छोटे होते है। | अपेक्षाकृत बड़े होते है। |
4. नासिका | नासिका चपटी , अंतरा नासापट चौड़ा , नासारंध्र पर्याप्त पृथक तथा विविध प्रकार से दिष्ट। | नासिका उठी हुई , अन्तरा नासापट संकीर्ण , नासारन्ध्र पास पास तथा निचे को दिष्ट। |
5. कपोल कोष्ठ | अनुपस्थित | कलियों का अलावा उपस्थित। |
6. पुच्छ | लम्बी , प्राय: परिग्राही | जब उपस्थित तब अपरिग्राही। |
7. श्रोणी किण | नितम्बों पर श्रोणी किण अनुपस्थित। | नितम्बों पर श्रोणी किण उपस्थित। |
8. अस्थिल कर्ण कुहर | कर्ण कुहर अल्प विकसित होते है। | भलीभांति विकसित होते है। |
9. कर्णपटही गोलक | भलीभांति विकसित | कर्णपटही गोलक अल्प विकसित होते है। |
10. दंत सूत्र | 2.1.3.3/2.1.3.3 = 36 , प्रीमोलर 3 | 2.1.2.3/2.1.2.3 = 32 , प्रीमोलर 2 |
11. सिग्मोइड आनमन | सिग्मोइड आनमन कम विकसित | भलीभांति विकसित |
12. अपरा | द्वितीयक बिम्बाभ नहीं | द्वितीयक बिम्बाभ |
13. संतति | प्राय: एक से अधिक | प्राय: एक |
14. उदाहरण | लूता बंदर अथवा ऐटेलीज , हाहूकरणी बन्दर अथवा ऐलौएटा , कैपुशिन अथवा सीबस , मारमोसेट अथवा कैलिथ्रिक्स। | रीसस बंदर अथवा मैकाका , लंगूर अथवा प्रेस्बाइटिस या सेम्नोपिथीकस , गिबन अथवा हाइलोबेटीज , बैबून , पौपिओ , ओरंग उटान अथवा पोंगो या सिमिआ , चिम्पैंजी , अथवा पैन या एन्थ्रोपिथीकस , गोरिला , मानव अथवा होमो सैमिएंस। |
गण 10. कृन्तकगण अथवा रोडेन्शिया (order 10. Rodentia) :
(rodo = gnaw कुतरना)
छोटे रदनक अथवा कुतरने वाले स्तनियों वाला सर्वाधिक बड़ा गण। प्रत्येक जबड़े में एक जोड़ी लम्बे , अमूल , छैनी समान , जीवनपर्यन्त वृद्धि करने वाले कृन्तक होते है। रदनक नहीं होते। स्क्रोटम शिश्न के पीछे स्थित होता है। शिश्न में अस्थि होती है। रोडेंटस अपनी विष्ठा को नही खाते है।
उदाहरण : चूहा अथवा रैटस , मूषक मस , गिलहरी अथवा फ्यूनैम्बूलस , रैटुफा , उडनशील गिलहरी अथवा पिटौरिस्टा , गिनीपिग अथवा केविया , बीवर अथवा कास्टर , सेही अथवा हेस्ट्रिक्स , प्रेयरी डॉग अथवा सायनोमिस।
गण 11. लैगोमॉर्फा (order 11. Lagomorpha) :
(logos = hare खरहा + morphe = form रूप)
प्रथम जोड़ी बड़े छैनी जैसे कृन्तकों के पीछे द्वितीय जोड़ी छोटे ऊपरी कृन्तकों की। रदनक अनुपस्थित होते है। कृन्तकों से भिन्न , वृषणकोष शिश्न के आगे स्थित होता है। शिश्न में अस्थि नहीं। शमलभोजी , अर्थात अपनी विष्ठा खा जाते है।
उदाहरण : शशक अथवा ऑरिक्टोलेगस , खरहा अथवा लीपस , पाइका अथवा ऑकोटोना।
गण 12. सिटेसिया (order 12. Cetacea) :
(ketos or cetus = whale हेल)
विशाल मछली समान स्तनी। जलीय जीवन के लिए भलीभांति अनुकूलित पेक्टोरल अंग चौड़े पतवार जैसे फ्लिपर्स में रूपांतरित। पूँछ एक खांच द्वारा दो चौड़े , क्षैतिज , माँसल फ्लूक्स में विभाजित , जो नोदन में प्रयुक्त होते है। नखर , पश्चपाद तथा बाह्यकर्ण अनुपस्थित। जीवित सिटेसिया 2 उपगणों में विभाजित –
- ऑडोन्टोसटी अर्थात दन्तुरहेल्स
- मिस्टीसेटी अथवा मिस्टैकोसेटी अर्थात कचकड़ अथवा तिमीश्रृंगास्थि हेल्स
दोनों उपगणों की तुलना सारणी में दी गयी है –
ऑडोन्टोसटी (odontoceti) एवं मिस्टीसेटी (mysticeti) में अंतर अथवा तुलना निम्नलिखित है –
लक्षण | उपगण 1. ऑडोन्टोसटी या दन्तुर व्हेल | उपगण 2. मिस्टीसेटी या कचकड़ व्हेल |
1. नाम की व्युत्पत्ति | odontos = tooth दांत + cetos = व्हेल | mustax = mustache मूंछ + cetos = व्हेल |
2. आकार | अपेक्षाकृत छोटी | अपेक्षाकृत बहुत बड़ी |
3. नासारंध्र | सिर के शिखर पर एकल वातछिद्र में संयुक्त | दो पृथक बाह्य नासारंध्र उपस्थित |
4. दांत तथा तिमीश्रृंगास्थि प्लेट्स | निचले अथवा दोनों जबड़ो में असंख्य शंक्वाकार अथवा नुकीले दांत उपस्थित होते है , तिमीश्रृंगास्थि अथवा कचकड़ प्लेट्स अनुपस्थित | दांत अनुपस्थित , उनके स्थान पर V आकार वाले ऊपरी जबड़े पर व्हेलास्थि अथवा तिमीश्रृंगास्थि की शृंगी प्लेटों की एक श्रेणी होती है |
5. निचला जबड़ा | संकीर्ण , दोनों अर्द्धांश बाहर को उभरे नहीं होते , चिबुकीय संधान उपस्थित | दोनों अर्द्धांश तिमीश्रृंगास्थियों अथवा बैलिन प्लेट्स को ढकने के लिए बाहर की ओर को चापाकार उभरे , वास्तविक चिबुकीय संधान नहीं होता है | |
6. भोजन | मुख्यतया मछली खाती है | बैलीन प्लेट्स प्लवक को छानने का कार्य करती है जिसे वे खाती है | |
7. घ्राण अंग | आद्यांगी अथवा अनुपस्थित | भली भांति विकसित |
8. अंधनाल | अनुपस्थित | छोटा |
9. करोटि | ऊपरी तल असममित , नासामार्ग ऊपर और पश्च ओर दिष्ट | मैक्सिला अधिकांशत: फ्रंटल के ऑर्बिटल प्रवर्ध को ढकती है | लैक्रीमल जुगल से संयुक्त | टिम्पैनिक टेरोटिक से समेकित नहीं होती | | उपरी तल सममित | नासारंध्र ऊपर की ओर को दिष्ट | मैक्सिला ऑर्बिटल प्रवर्ध को नहीं ढकती | लैक्रिमल अस्थि स्पष्ट लेकिन छोटी होती है | टिम्पैनिक टेरोटिक से समेकित | |
10. उरोस्थि तथा पर्शुकायें | अस्थिभूत उरोस्थि पर्शुकायें अनेक संधियों से युक्त उरोस्थि से संधित होती है | | अनअस्थिभूत पर्शुकाओं का एक जोड़ा एक खंड से बनी उरोस्थि से संधियुक्त होता है | |
11. अधिकांगुलता एवं अध्यंगुलास्थिता | अनुपस्थित | उपस्थित |
12. कायिक तेल | खाद्य नहीं है लेकिन प्रसाधनों मोमबत्तियों , स्नेहकों आदि में प्रयुक्त होता है | | खाद्य है तथा अनेक खाद्य उत्पादों में प्रयुक्त होता है | |
13. उदाहरण | स्पर्म व्हेल फाइसेटर कैटोडॉन , किलर व्हेल आर्सिनस , साधारण सूंस अथवा फ़ोसीना , गंगा डोल्फिन अथवा प्लेटेनिस्टा गैन्जेटिका , साधारण डोल्फिन अथवा डेलफाइनस डेल्फिस , नारव्हेल अथवा मोनोडॉन | ब्लू व्हेल बैलीनोप्टेरा मस्कुलस , साधारण रोरक्वल अथवा फिन व्हेल बैलीनोप्टेरा फाइसेलस राइट व्हेल बैलीना | |
गण 13. साइनेरिया (order 13. Sirenia) :
(siren = sea nymph समुद्री परी )
बड़े , बेडौल , शाकाहारी जलीय स्तनी। अग्रपाद पतवार जैसे। पश्चपाद अनुपस्थित होते है। पूंछ चपटी और खांच के साथ अथवा बगैर क्षैतिज पाशर्वीय मांसल फ्लूक्स सहित। बाह्य कर्णों का अभाव होता है। प्रोथ कुंद। बाल बहुत कम पाए जाते है। आमाशय जटिल होता है। नदी के मुहानों तथा सागर तटों के निवासी होते है।
उदाहरण : मैनेटी अथवा ट्रिकेकस , ड्यूगोंग अथवा हैलिकोर और हाल में विलुप्त स्टिलर की समुद्री गाय अथवा राइटीना।
गण 14. माँसाहारी गण अथवा कार्निवोरा (order 14. Carnivora) :
(caro = flesh मांस + vorare = to eat खाना)
छोटे से बड़े तक , परभक्षी , मांसाहारी स्तनी। पंजे भली प्रकार विकसित। कृन्तक छोटे , रदनक बड़े विषदन्त समान और मोलर काटने योग्य। जीवित कार्निवोरा को 2 उपगणों , फिसिपेडिया एवं पिनिपेडिया में बाँटा गया है।
उपगण 1. फिसिपेडिया (suborder 1. Fissipedia) :
आधुनिक स्थलीय कार्निवोर जिनके पैरों के अंगूठे अलग अलग होते है।
उदाहरण : कुत्ता अथवा कैनिस फैमिलिएरिस , भेड़िया अथवा कैनिस लूपस , गीदड़ अथवा कैनिस ओरियस , भारतीय लोमड़ी अथवा वलप्स बेंगालेंसिस , ऊदबिलाव अथवा लुतरा , बिज्जू अथवा मेलिस , चिता ऐसिनोनिक्स , शेर अथवा पैन्थेरा लियो , बाघ अथवा पैन्थेरा टाइग्रिस , घरेलु बिल्ली अथवा फिलीस डोमेस्टिकस लकड़बग्घा अथवा हाइना , नेवला , हर्पेस्टिज , भालू अथवा अर्सस अथवा प्रोसिओन , मिंक तथा विजल अथवा मस्टीला , स्कंक अथवा मेफाइटीस , भीम पंडा अथवा एल्युरोपोडा , लाल पंडा अथवा एल्युरस।
उपगण 2. पिनिपेडिया (suborder 2. Pinnipedia) :
समुद्री कार्निवोर। शरीर धारारेखित , टॉरपीडो रुपी। पुच्छ विकसित। पाद क्षेपणीयों अथवा फ्लिपर्स में रूपांतरित।
उदाहरण : वालरस अथवा ओडोबिनस , फर सील अथवा कैलोराइनस , सामान्य सील अथवा फोका।
गण 15. हाइरैकॉइडिया (order 15. Hyracoidea) :
(hyrax = shrew छछूंदर + eidos = form रूप)
छोटे , गिनीपिग सदृश छोटे स्तनी। हाथियों के दूर के सम्बन्धी। प्रोथ , कर्ण तथा टाँगे छोटी। प्रत्येक अग्रपाद में 4 और पश्चपाद में 3 अन्गुंठे , प्रत्येक चपटे खुर जैसे नाख़ून सहित। कृन्तक 1/2 तथा रदनक अनुपस्थित। कपोल दंत शिखरदन्ती।
उदाहरण : दक्षिण अफ्रीका , सीरिया तथा अरब के कोनीज अर्थात हाइरैक्स अथवा प्रोकैविया।
गण 16. हाथीगण अथवा प्रोबोसीडिया (order 16. Proboscidea) :
(pro = in front सामने की तरफ + boskein = eat खाना)
सर्वाधिक विशाल जीवित स्थलीय प्राणी। सिर और कान अत्यधिक बड़े होते है। लगभग बालों रहित त्वचा , दृढत्वचीय प्राणी। टाँगे भारी भरकम सीधी , प्रत्येक में नाख़ून जैसे खुरों सहित 3 से 5 अंगूठे। विशिष्ट लक्षण नासिका तथा उपरी ओष्ट का एक लम्बी लचीली शुण्ड अथवा सूंड में रूपांतरित होना है। 2 ऊपरी कृन्तक हाथीदांत के रदों अथवा गजदंतों में दिर्घित। कपोल दंत लोफोडांट।
उदाहरण : भारतीय अथवा एशियाई हाथी एलिफैस मैक्सिमस , अफ़्रीकी हाथी लॉक्सोडोंटा अफ़्रीकाना , बौना अफ़्रीकी हाथी एलिफैस साइक्लोटिस , विलुप्त मैमथ तथा मैस्टोडॉन।
गण 17. पेरिसोडैक्टाइला (order 17. Perissodactyle) :
(perissos = odd विषम + dactylos = toes अंगूठे )
विषम अथवा अयुग्मांगुल खुरवाले अथवा खुरदार स्तनी। पादान्गुलियो की संख्या विषम (1 अथवा 3) होती है। पैर का कार्यात्मक अक्ष मध्य की अथवा तीसरी पादांगुलि में होकर गुजरता है। कृन्तक दोनों जबड़ों में होते है। आमाशय सरल प्रकार का होता है।
उदाहरण : घोडा अथवा इक्वस कैबेलस , जेबरा अथवा इक्वस जेबरा , जंगली गधा अथवा इक्वस एसाइनस , टैपिर अथवा टैपिरस , गैंडा अथवा राइनोसिरस या डाइसिरोस।
गण 18. आर्टिओडैक्टाइला (order 18. Artiodactyla) :
(artios = even सम dactylos = digits अंगुलियाँ)
सम पादांगुलीय खुरवाले स्तनी। पादान्गुलियो की संख्या सम (2 अथवा 4) होती है। आधार का अक्ष तीसरी तथा चौथी पादान्गुलियो के मध्य से गुजरता है। सुअरों तथा पैकेरीज के अतिरिक्त सभी कड़ को चबाते है अर्थात जुगाली करते है। ऊपरी जबड़े में सामान्यतया कृन्तको तथा रदनकों का अभाव आमाशय 4 कक्षीय। अनेकों में श्रृंगाभ अथवा सींग होते है।
उदाहरण : सूअर अथवा सस , सामान्य दरियाई घोडा अथवा हिपोपोटेमस एम्फिबियस ऊँट अथवा कैमेलस , हिरन अथवा सर्वस , कस्तूरी मृग अथवा मोस्कस मोस्किफेरस , भेड़ अथवा ओविस , बकरी अथवा कैप्रा , जिराफ अथवा जिराफा , काला हरिण , बारहसिंगा अथवा एन्टीलोप , गाय बैल अथवा बॉस इंडिकस , भारतीय बिसन , गौर , मिथुन अथवा बॉस गौरस , याक अथवा बॉस ग्रनिएंस , अरना भैंसा , जंगली भैंसा , पालतू भैंसा अथवा बुबैलस बुबैलिस , अमेरिकी बिसन अथवा बिसन , कस्तू बैल अथवा ओविबॉस मोस्कैटस।
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