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दण्ड चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण Magnetic moment of bar magnetic in hindi

Magnetic moment of bar magnetic in hindi दण्ड चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण : हमने चुम्बकीय द्विध्रुव के बारे में अध्ययन करते समय यह पढ़ा था की जब किसी दंड चुंबक को बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए तो यह एक द्विध्रुव की भांति व्यवहार करता है तथा इस पर एक बल आघूर्ण कार्य करता है।

अब हम यहाँ अध्ययन करते है की दण्ड चुम्बक के कारण कितना चुम्बकीय आघूर्ण उत्पन्न होता है इसके लिए सूत्र क्या होता है।
दण्ड चुम्बक का चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण उसी चुम्बक की ध्रुव प्रबलता (m) तथा इसकी प्रभावी लम्बाई के गुणनफल के बराबर होता है।
माना एक दंड चुंबक है जिसके ध्रुव की प्रबलता का मान m है तथा प्रभावी लम्बाई 2L है तो
चुम्बकीय द्विध्रुव (M) = m x 2L
अब हम बात करते है की जब चुम्बक को तोडा जाए तो इसकी चुंबकीय आघूर्ण पर क्या प्रभाव पड़ता है इसका अध्ययन करते है।
1. जब किसी दण्ड चुम्बक को इसकी लम्बाई के लंबवत दो भागो में काटा जाता है या तोडा जाता है तो दोनों टुकड़ो की ध्रुव प्रबलता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात पूर्व के समान ही रहती है , लेकिन प्रभावी लम्बाई का मान पहले के तुलना में आधी रह जाती है अतः चुम्बकीय आघूर्ण 
M1 = m x L
अतः
M1 = M /2
2. जब किसी दण्ड चुम्बक को इसकी अक्ष के अनुदिश दो समान पार्ट्स में काटा जाए या तोडा जाए तो , दोनों भागों के ध्रुव की प्रबलता पहले की आधी रह जाती है , इस स्थिति में प्रभावी लम्बाई पहले के समान बनी रहती है अतः चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण
M2 = ( m/2 ) x 2L
M2 = m  x L
अतः
M2 = M/2
3. जब एक 2L लम्बाई की दण्ड चुम्बक को मोड़कर r त्रिज्या की वृताकार रूप दे दिया जाए तो इसकी चुंबकीय आघूर्ण पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? आइये देखते है
M = m x 2r
हम जानते है की अर्द्ध वृत्त की परिधि का सूत्र πr होता है जो की इसकी लम्बाई के बराबर होगा अतः
πr = 2L
यहाँ से r = 2L / π
यह मान ऊपर M3 में  रखने पर
M3 = 2M/π
कक्षीय इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय आघूर्ण (Magnetic moment of orbital moment ) : हम जानते है किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते रहते है , चूँकि ये गतिशील है इसलिए चक्कर लगा रहे है और हम यह भी जानते है की गतिशील इलेक्ट्रॉन धारा प्रवाह का कारण होता है अतः इलेक्ट्रॉन का नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाना धारा प्रवाह के समान होता है इसलिए परमाणु की प्रत्येक कक्षा चुम्बकीय द्विध्रुव की तरह व्यवहार करती है

चुंबकीय आघूर्ण
M = NIA
चूँकि यहाँ N = 1 तथा A = Πr2
तथा
धारा I = e/T
मान M के सूत्र में रखने पर
M = Πr2e/T