मैग्नेटिक डिस्क की व्याख्या कीजिए , चुम्बकीय डिस्क किसे कहते हैं , उदाहरण परिभाषा Magnetic Disc in hindi
इसमें पढ़ लेंगे कि मैग्नेटिक डिस्क की व्याख्या कीजिए , चुम्बकीय डिस्क किसे कहते हैं , उदाहरण परिभाषा Magnetic Disc in hindi अथवा किसका उदाहरण है ?
चुम्बकीय डिस्क (Magnetic Disc) — यह संचित डाटा को सीधा पढ़ने का साधन (Direct access device) है। इसे बनाने के लिए धातु की पतली गोलाकार प्लेटों की एक अथवा दोनों सतहों पर चुम्बकीय पदार्थ की एक परत जड़ी जाती है। सभी प्लेटें एक धुरी पर लगी होती हैं जो इन्हें एकसमान गति से घुमाती हैं। सबसे ऊपर वाली प्लेट की ऊपरी सतह तथा सबसे नीचे वाली प्लेट की निचली सतह पर डाटा संचित नहीं किए जाते हैं अर्थात् 6 प्लेटों की एक डिस्क की 10 सतहे ही काम में आ सकती हैं। चुम्बकीय डिस्क में read/write हैड की सहायता से इनके डाटा को पढ़ा या लिखा जाता है। प्रत्येक सतह के लिए एक हैड होता है। डाटा पढ़ने या लिखने के लिए सभी हैड एक साथ आगे या पीछे चलते हैं।
चुम्बकीय सतह की सभी प्लेटों की प्रत्येक सतह पर 200 ट्रेक होते हैं और प्रत्येक ट्रेक में 8 सेक्टर होते हैं और प्रत्येक सेक्टर में 10 रिकॉर्ड संचित हो सकते है। अतः एक छ: प्लेट वाली चुम्बकीय डिस्क में संचित कुल रिकॉर्डो की संख्या = 10 x 200×8 x 10 = 1,60,000
चुम्बकीय डिस्क के लाभ (Advantages of Magnetic Disc) –
यह डाटा का सीधे पढने का माध्यम है।
(2) पुरानी डिस्क पर नए डाटा को बार-बार लिखा जा सकता है। चुम्बकीय डिस्क की हानियां (Disadvantages of Magnetic Disc)-D यह काफी महंगी होती है।
(2) आकार बड़ा होने के कारण असुविधाजनक होती हैं।
- फ्लॉपी या क्लॉपी डिस्क (Floppy or Floppy Disc) : इसे बनाने के लिए एक पतले प्लास्टिक के वृत्ताकार टुकड़े पर चुम्बकीय पदार्थ की परत चढ़ाई जाती है। फिर इसे एक वर्गाकार संरक्षी आवरण में रखा। जाता है। मूलतः यह 8″ व्यास की बनाई गई थी, लेकिन आजकल 5.25 व 3.50″ व्यास में भी मिलती है। फ्लॉपी की दोनों सतहों को सकेन्द्रित वृत्तों में विभाजित किया जाता है जिन्हें ट्रेक (Track) कहते हैं, प्रत्येक ट्रेक पुनः कई सेक्टरों में विभाजित होता है और प्रत्येक सेक्टर 256 अथवा 512 बाइट की सूचनाएं एकत्रित कर सकता है। जब फ्लॉपी डिस्क को कम्प्यूटर में डाला जाता है तो वह अपने संरक्षी आवरण में घूमती है जिससे इस पर डाटा संचित किए जा सकते हैं अथवा संचित डाटा को पढ़ा जा सकता है। फ्लॉपी पर संचित डाटा को पढ़ने के लिए कम्प्यूटरों में डिस्क ड्राइव होती है। फ्लॉपी के बीच का बड़ा छिद्र ड्राइव में मजबूती से पकड़ा रहता है तथा उसे 300 से 600 परिक्रमण प्रति मिनट की दर से घुमाता है। डाटा को पढ़ने या लिखने के लिए ड्राइव का read/write हैड घूमती हुई डिस्क की खुली सतह पर टिका होता है। फ्लॉपी single sided अथवा double sided हो सकती है जिससे इनकी भण्डारण क्षमता भिन्न-भिन्न हो जाती है। एक सामान्य 5.25″ की फ्लॉपी के प्रकार एवं भण्डारण क्षमता निम्न सारणी में दी जा रही है :
किसी फ्लॉपी की भण्डारण क्षमता किस प्रकार से परिकलित होती है इसके लिए दो प्रकार की फ्लॉपी की भण्डारण क्षमता की गणना करके बता रहे हैं :
(1) Double sided double density 5.25″ फ्लॉपी ।
(i) एक side में ट्रेक की संख्या = 40
(ii) प्रत्येक ट्रेक में सेक्टर की संख्या = 09
- प्रत्येक सेक्टर में बाइट की संख्या = 512
- (iv) कुल संग्रहण क्षमता = 2 x 40x9x512 = 368640 bytes या 360 KB
[नोट : एक अक्षर के संग्रहण के लिए 1 बाइट की आवश्यकता पड़ती है।
(2)3.5″ double sided high density फ्लॉपी
(i) एक side में ट्रेक की संख्या = 80 S AFTEEजाता ST
(ii) प्रत्येक ट्रेक में सेक्टर की संख्या = 18ERT I STE
(iii) प्रत्येक सेक्टर में बाइट की संख्या = 512
(iv) कुल संग्रहण क्षमता = 2x80x18x512 = 1474560 bytes या 1.4 MB
फ्लॉपी डिस्क के लाभ (Advantages of floppy disc)
(1) यह आकार में छोटी व सुविधाजनक होती है।
(2) आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाई जा सकती है।
(3) कीमत में सस्ती होती है।
(4) इस पर संचित डाटा सीधे पढ़े जा (Direct access) सकते हैं।
(5) पुराने डाटा पर नए डाटा संचित कर इनका पुन: उपयोग किया जा सकता है।
फ्लॉपी डिस्क की हानियां (Disadvantages of Floppy Disc)
(1) इस पर संचित डाटा केवल मशीन द्वारा ही पढ़े जा सकते है।
(2) बहुत अधिक सचनाओं वाली फाइलों का संग्रहण नहीं किया जा सकता है।
(3) अत्यन्त कोमल होने के कारण इनकी विशेष देख-रेख की आवश्यकता होती है।
- हार्ड डिस्क (Hard Disc) : इसकी बनावट तथा कार्यविधि चुम्बकीय डिस्क की तरह होती है, लेकिन इसकी सभी प्लेटें एक वायरुद्ध (airtight) सील बन्द डिब्बे में रखी होती हैं जिससे ये धूल से बची रहती हैं। इसकी सभी प्लेटों पर डाटा संचित किए जा सकते हैं। इसका read/write हैड डिस्क की सतह से दूर रहकर डाटा को रीड या राइट करता है जिससे डिस्क की सतह को क्षति नहीं पहुंचती है। इसकी भण्डारण क्षमता चुम्बकीय डिस्क से बहुत अधिक होती है 20 MB से लेकर 16 GB तक।
हार्ड डिस्क के लाभ (Advantages of Hard Disc)
(1) इसकी भण्डारण क्षमता बहुत अधिक होती है।
(2) आकार में छोटी होने से सुविधाजनक है।
(3) इसका access तीव्र होता है।
(4) सुरक्षित पैकिंग के कारण नष्ट होने का खतरा नहीं रहता।।
हार्ड डिस्क की हानियां (Disadvantages of Hard Disc)
(1) यह कम्प्यूटर के CPU में एक स्थान पर स्थाई रूप से फिट रहती है।
(2) सूचनाओं व डाटा के भरने पर यह अनपयोगी हो जाती है।
- सीडी रोम (CD-ROM) : इसका पूरा नाम है — Compact Disc Read Only Memory अर्थात् इसमें संगृहीत सूचनाओं को केवल पढ़ा जा सकता है। इसकी संग्रहण क्षमता बहुत अधिक होती है लगभग 650 MB तक। क्योंकि इनमें भण्डारण के लिए (optical laiser disk) ऑप्टीकल लेजर डिस्क होती है। इनमें रीड/राइट के स्थान पर दो लेजर का उपयोग होता है। एक लेजर डिस्क की सतह पर अतिसूक्ष्म गड्ढे बनाकर डाटा संचित करता है तथा दूसरा लेजर प्रकाश संवेदी सतह से डाटा पढ़ता है। इसे डिस्क ड्राइव में डालने पर उनके डाटा या सूचनाओं को प्रोसेस करने के लिए कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी में स्थानान्तरित किया जाता है। इनमें संचित डाटा व सूचनाएं स्थाई होती हैं और उनमें किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
सीडी-रोम के लाभ (Advantages of CD-ROM) –
(1) अत्यधिक संख्या में डाटा का संग्रहण हो सकता है।
(2) इनमें डाटा का आदान-प्रदान तीव्र गति से होता है।
(3) लाने-ले जाने में आसान है।
(4) इसका उपयोग आसानी से हो जाता है।
सीडी-रोम की हानियां (Disadvantages of CD-ROM)-
(1) बहुत नाजुक होती है अतः सम्भालना कठिन है।
(2) खरोंच आदि लगने पर बेकार हो जाती है।
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