(logic gate in hindi) लॉजिक गेट , तार्किक गेट , लोजिक द्वार क्या है , परिभाषा , उदाहरण , प्रयोग , उपयोग , प्रकार : सबसे पहले हम अध्ययन करते है कि तार्किक गेट क्या होते है और इसके बाद इसके प्रकार का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
लॉजिक गेट (logic gate) : विभिन्न प्रकार की
अर्धचालक युक्तियों को इलेक्ट्रॉनिक परिपथ में स्विच के रूप में प्रयुक्त की जाती है इन अर्द्धचालक युक्तियों में रिले ,
डायोड ,
ट्रांजिस्टर ,
एकीकृत परिपथ (आईसी) आदि प्रमुख है , चूँकि ये सभी परिपथ तार्किक बीजगणित पर आधारित होती है इसलिए इन सभी परिपथों को लॉजिक गेट कहते है।
लॉजिक गेट वे परिपथ होते है जिनमें एक से अधिक इनपुट लिए जा सकते है लेकिन एक विशेष तार्किक गणित क्रिया के बाद इनसे एक आउटपुट बाहर निकलता है अर्थात इनका इनपुट तथा आउटपुट एक विशेष तर्क पर आधारित रहता है।
लॉजिक गेट का प्रत्येक सिरा बाइनरी अवस्था शून्य (0) अथवा एक (1) को प्रदर्शित करता है , यहाँ 1 उच्च विभव को दर्शाता है और 0 निम्न
विभव को दर्शाता है अर्थात यह भिन्न विभव अवस्था को प्रदर्शित करते है।
अत: बूलियन बीजगणितीय गणनाओं को परिपथ का रूप देने के लिए लॉजिक गेट्स का उपयोग किया जाता है , अर्थात किसी डिजिटल परिपथ में यदि कोई बूलियन गणितीय ऑपरेशन प्रदर्शन के के लिए लॉजिक गेट काम में लिए जाते है।
प्रत्येक लॉजिक गेट के लिए सभी संभव इनपुट के सन्दर्भ में उस लॉजिक गेट (
तार्किक द्वार) का आउटपुट क्या होगा इसके लिए सभी संभव इनपुट के साथ इसका आउटपुट के साथ एक टेबल बनायीं जाती है जिसे लॉजिक गेट की सत्यता सारणी कहते है।
लॉजिक गेट कई प्रकार के होते है –
AND, OR, XOR, NOT, NAND, NOR, and XNOR गेट आदि।
इनमें से OR गेट , AND गेट तथा NOT गेट को मूल लॉजिक गेट कहते है।
NAND तथा NOR गेट को सार्वत्रिक लॉजिक गेट कहते है।
अब हम इन सभी तार्किक द्वार (लॉजिक गेट) के बारे में विस्तार से पढ़ते है –
1. OR गेट
इस गेट में OR संक्रिया संपन्न होती है जिसके अनुसार जब दोनों इनपुट में से एक इनपुट उच्च होगा अर्थात दोनों में से एक भी 1 होगा तो आउटपुट में उच्च मान प्राप्त होता है अर्थात 1 प्राप्त होता है।
जब दोनों इनपुट शून्य (0) हो तो इस स्थिति में आउटपुट में शून्य प्राप्त होता है।
इसको गणितीय चिन्ह + द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
OR (और) गेट का चिन्ह निम्न है –
OR (और) गेट की सत्यता सारणी निम्न है –
2. AND गेट : एंड द्वार
इस गेट में AND संक्रिया होती है जिसके अनुसार जब दोनों इनपुट 1 या उच्च होते है तब आउटपुट 1 (उच्च) प्राप्त होता है अन्यथा 0 (निम्न) प्राप्त होता है।
AND संक्रिया के लिए गणितीय चिन्ह गुणा (X) का प्रयोग किया जाता है।
AND गेट को निम्न चिन्ह द्वारा प्रदर्शित किया जाता है –
AND गेट के लिए सत्यता सारणी निम्न होती है –
3. NOT गेट : नोट द्वार
इसमें NOT संक्रिया होती है , यह गेट इनपुट का उत्क्रमण आउटपुट में देता है अर्थात इनपुट का बिल्कुल उल्टा।
जब इनपुट में 1 (उच्च) दिया जाता है तो आउटपुट में 0 (निम्न) प्राप्त होता है और जब इनपुट में 0 दिया जाता है तो आउटपुट में 1 प्राप्त होता है।
इस गेट को इनवर्टर भी कहा जाता है क्यूंकि यह इनपुट को उल्टा या इन्वर्ट कर देता है।
चर के ऊपर बार (-) चिन्ह द्वारा NOT गेट को प्रदर्शित किया जाता है।
NOT गेट का चिन्ह निम्न है –
NOT गेट के लिए सत्यता सारणी निम्न होती है –
NAND गेट : नन्द द्वार
जब AND गेट के निर्गत अर्थात आउटपुट को NOT गेट के इनपुट में जोड़ दिया जाए तो इस प्रकार बने संयुक्त परिपथ को NAND कहते है , चूँकि यह AND और NOT गेट से मिलकर बना होता है इसलिए इसे NOT-AND गेट भी कहा जा सकता है। चूँकि यह गेट मूल गेट से मिलकर बना होता है इसलिए इसे सार्वत्रिक गेट कहा जाता है।
NAND गेट का चिन्ह निम्न है अर्थात इसे निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जाता है –
NAND गेट के लिए सत्यता सारणी निम्न होती है –
NOR गेट : नोर द्वार
जब OR गेट के आउटपुट को NOT गेट के इनपुट में दे दिया जाए तो इस प्रकार बने इस परिपथ या गेट को NOR गेट कहते है। इसे NOT-OR गेट भी कहते है। चूँकि यह मूल गेट NOT और OR गेट से मिलकर बना होता है इसलिए इसे भी सार्वत्रिक गेट कहते है।
NOR गेट को निम्न चिन्ह द्वारा प्रदर्शित किया जाता है –
NOR गेट के लिय सत्यता सारणी निम्न होती है –