द्रव सल्फर डाइऑक्साइड विलायक के रूप में liquid sulphur dioxide as solvent in hindi
liquid sulphur dioxide as solvent in hindi द्रव सल्फर डाइऑक्साइड विलायक के रूप में ?
द्रव सल्फर डाइऑक्साइड विलायक के रूप में
द्रव सल्फर डाइऑक्साइड अप्रोटोनिक लेकिन “जल जैसा” विलायक हैं। इसमें कोई हाइड्रोजन नहीं पाया जाता । अतः इस तन्त्र के लिए ब्रान्सटेद की अम्ल तथा क्षारक परिकल्पना यहां नहीं लगायी जा सकती । SO2 को आसानी से द्रवित किया जा सकता है तथा द्रव अवस्था में सामान्य डेवार फ्लास्क में आसानी के साथ रखा जा सकता है। कम कीमत तथा आसानी से उपलब्ध हो सकने के कारण तथा आसानी से काम में लिये जा सकने के कारण इसका बहुत सी रासायनिक अभिक्रियाओं में विलायक के रूप में विस्तृत अध्ययन किया जाता । अधिक मात्रा में पेट्रोलियम उत्पादकों के शुद्धिकरण हेतु भी इसे काम में लिया जाता है।
सल्फर डाइऑक्साइड के भौतिक गुण सल्फर डाइऑक्साइड की संरचना निम्न दो संरचनाओं (a) तथा (b) का अनुनाद है I SO2 अणु में दोनों S-O बंध दूरी समान होती हैं । अतः इसकी संरचना (C) द्वारा प्रदर्शित की जा सकती है जो संरचना (a) व (b) का अनुनादी संकर है। SO2 की (C) संरचना में प्रत्येक O परमाणु पर 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं। ऐसी अवस्था में s परमाणु पर एक खाली बन्धी कक्षक होगा है जिसके कारण यह किसी दाता अणु से एक इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण कर आण्विक संकुल बना देता है। अर्थात् SO2एक लूइस अम्ल की भांति व्यवहार करता है। यह आचरण लूइस क्षार NH से विपरीत है क्योंकि जहाँ NH, अणु अपना एकल युग्म देकर संकुल बनाता है, SO2 इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करता है।
सल्फर डाइऑक्साइड के मुख्य गुण सारणी 7.1 में दिये गये हैं । द्रव ताप क्षेत्र (-75 से 10°C) तथा अणु भार इस ओर संकेत करते हैं कि सल्फर डाइऑक्साइड के अणु परस्पर बहुत अधिक हद तक संगुणित नहीं होते हैं। यद्यपि इनका द्विध्रुव आघूर्ण 1.61D काफी अधिक होता है, इस विलायक के अणु में हाइड्रोजन न होने के कारण यहाँ हाइड्रोजन बन्धन सम्भव नहीं है क्योंकि अणुओं के संगुणन में अन्तराण्विक हाइड्रोजन बंधन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सल्फर डाइऑक्साइड के डाइइलेक्ट्रिक. स्थिरांक का मान कम (जल की तुलना में) होने के कारण यह आयनिक पदार्थों की अपेक्षा सहसंयोजक यौगिकों के लिए एक उत्तम विलायक है। कार्बनिक यौगिकों के लिए भी द्रव सल्फर डाइऑक्साइड. एक बहुत ही अच्छा विलायक है ।
द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में अभिक्रियाएँ- द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में होने वाली अभिक्रियाओं का अध्ययन आठ विभिन्न भागों में करना सुविधाजनक होगा – (1) विलायक संकर बनाना, (2) अम्ल-क्षारक अभिक्रियाएँ (3) विलायक अपघटनी अभिक्रियाएँ, (4) विनिमय अभिक्रियाएँ (5) संकुल निर्माण, (6) रिडॉक्स अभिक्रियाएँ, (7) उन धातुओं से अभिक्रियाएँ जिनके हाइड्रॉक्साइड उभयधर्मी होते हैं, तथा (8) कार्बनिक यौगिकों से अभिक्रियाएँ ।
- विलायक संकर निर्माण ( Solvate formation ) – जैसा कि पहले बताया जा चुका है, एक सल्फर डाइऑक्साइड अणु, लूइस अम्ल (इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही) के रूप में अभिक्रिया में भाग लेता है। अधिकांश लवण, जो द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में विलेय होते हैं, लूइस क्षार (इलेक्ट्रॉन युग्म दाता) के जैसे आचरण करते हैं। इससे आण्विक संकुल बन जाते हैं। उदाहरण के लिए, पोटैशियम आयोडाइड द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में KI.4SO2 आण्विक योगात्मक यौगिक बनाते हुए घुल जाता है। इसी प्रकार की कुछ अन्य अभिक्रियाएँ नीचे दी गई हैं :
KI + 4SO2 = KI.4SO2 or K[I(SO2)4]
KBr + 4SO2 = KBr.4SO2 or K [Br(SO2)4]
[(CH3)4N] CI + 3SO2 = [(CH3)4N] [CI(SO2)3]
आण्विक विलायक संकरों के कुछ अन्य उदाहरण इस प्रकार हैं-
Cal2.4SO2, KBr.4SO2, SrI2 . 4SO2,LiI.2SO2 [(CH3)4NJCI.SO2 तथा KSCN.SO2
लूइस क्षारक गुणों में कमी आने पर द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में क्षार धातु हैलाइडों की विलेयता इस क्रम में घटती है-
I->Br– >Cl>F–
- अम्ल-क्षारक अभिक्रियाएँ- किसी विलायक में अम्ल-क्षारक अभिक्रियाएँ समझाने के लिए इसके आयनन को बतलाना अति आवश्यक है । द्रव सल्फर डाइऑक्साइड की बहुत कम विद्युत चालकता होती है जिसकी निम्न प्रकार स्वतः आयनन द्वारा व्याख्या की जा सकती है-
2SO2 == SO2+ + SO 3 2-
कैडी तथा ऐल्से द्वारा दी गई अम्ल तथा क्षारकों की सामान्य परिभाषा के अनुसार द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में जो पदार्थ SO2+ आयनों की सांन्द्रता बढ़ा देंगे वे अम्लीय होंगे तथा जो SO32 – आयनों की सान्द्रता बढ़ायेंगे वे क्षारीय होंगे। इस प्रकार सल्फर डाइऑक्साइड में क्षार धातु सल्फाइट एक विशेष प्रकार के क्षार हैं तथा थायोनिल यौगिक जैसे SOCI2 व SOBr2 अम्ल की तरह का व्यवहार करेंगे क्योंकि ये यौगिक SO2+ आयनं देते हैं। जैसा कि पूर्व में बताया गया है, स्वतः, आयनन की विपरीत अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाती है जिसमें विलायक से प्राप्त धनायन देने वाले पदार्थ अम्ल तथा ऋणायन देने वाले क्षार परस्पर अभिक्रिया करके विलायक अणु तथा लवण का निर्माण करते हैं । इस प्रकार की कुछ अभिक्रियाएँ नीचे दी गई हैं। तुलना की दृष्टि से ये अभिक्रियाएँ वैसी ही है जैसी अमोनिया में अम्ल क्षारक अभिक्रियाओं के विवेचन में दी गई हैं। फिर भी, ऐसी बहुत सी विशिष्ट अम्ल-क्षारक अभिक्रियाएँ हैं जो द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में सम्पन्न की गई हैं। इनमें से दो अभिक्रियाएँ नीचे दी गई हैं-
SO32- + SO2+ = 2SO2
Cs2SO3 + SOCI2 = 2CsCI + 2SO2
K2SO3 + SO(SCN)2 = 2KSCN + 2SO2
[N(CH3)4]2 SO3 + SOCI2 = 2[N(CH3)4CI + 2SO2
(क्षारक) (अम्ल) (लवण) (विलायक)
- विलायक अपघटन या विलायक अपघटनी अभिक्रियाएँ – बहुत से प्रोटानिक विलायकों (जैसे NH3, H2O) की तुलना में द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में लवणों की विलायक अपघटनी अभिक्रियाएँ (solvolytic reactions) बहुत कम देखने को मिलती हैं। कुछ विलायक अपघटनी अभिक्रियाएँ नीचे दी गई हैं-
PCI5 + SO2 → POCI3 + SOCI2
NbCl5 + SO2 70°C, NbOCI3 + SOCI2
WCl6 + SO2 70°C, WOCI4 + SOCI2
Zn(C2H5)2 + 2SO2 → ZnSO3 + SO(C2H5)2
Zn(C2H5)2 + 2H2O = Zn(OH)2 + 2C2H6 (तुलनार्थ, जलीय विलयन में)
- विनिमय अमिक्रियाएँ (Metathetical reactions) – द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में उसी प्रकार की अवक्षेपण अभिक्रियाएँ होती हैं जैसी अन्य विलायकों में पाई जाती है। इस प्रकार की अभिक्रियाओं में दोनों लवणों के धनायन तथा ऋणायनों के मध्य विनिमय होता है क्योंकि विनिमय के पश्चात् निर्मित एक लवण विलायक में अविलेय रहता है जो अवक्षेप के रूप में प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए कुछ अभिक्रियाएँ नीचे दी गई हैं-
थायोनिल क्लोराइड के साथ जो विनिमय अभिक्रियाएँ ऊपर दिखाई गई हैं उनका महत्व यह कि इनसे अन्य थायोनिल यौगिक जैसे थायोनिल आइसोसायनेट तथा थायोनिल ऐसीटेट का निर्माण किया जा सकता है।
- संकुल निर्माण (Complex formation) :- द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में संकुल आयन बनाने वाली अभिक्रियाएँ वैसी ही होती है जैसी जलीय माध्यम में। उदाहरण के लिए जल की तरह से द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में आयोडीन की विलेयता पोटैशियम आयोडाइड डालकर अत्यधिक बढ़ाई जा सकती है 3 – संकुल आयन निर्माण के कारण होती है :
KI + I2 → KI3
इसी प्रकार, द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में कैडिमियम तथा पारे के आयोडाइडों की विलेयता KI या Rbl डालकर बढ़ाई जा सकती है। विलेयता में यह वृद्धि संकुल निर्माण के कारण है जैसा कि निम्न
समीकरणों से स्पष्ट है-
HgI2 + 2KI- → K2[Hgl4]
Cdl2 + 2RbI → Rb2 [CdI4]
SbCl3 + 3KCI → K3[SbCI6]
SbCl5 + NOCI → NO[SbCI6]
Co(SCN)2 + 2H2O → [Co(H2O)2(SCN)2]
CH3COF + BF3 → [CH3CO][BF4]
- रिडॉक्स अभिक्रियाएँ – जलीय माध्यम में SO2 अम्लीय तथा अपचायक होता है। लेकिन शुद्ध द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में कोई ऑक्सीकारक या अपचायक प्रवृत्ति नहीं पाई जाती है। अतः यह ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रियाओं के लिए मात्र एक अध्ययन माध्यम के रूप में प्रयुक्त होता है। इस प्रकार की केवल बहुत कम अभिक्रियाओं का अध्ययन किया जा सका है। उदाहरणार्थ, द्रव SO2 विलायक में SbCl5 तथा पोटैशियम आयोडाइड आपस में अभिक्रिया करके आयोडीन निकालते हैं।
6KI + · + 3SbCl5 → 2K3[SbCl6]↓ + SbCl3 + 3I2
- उभयधर्मी हाइड्रॉक्साइड बनाने वाली धातुओं के लवणों से अभिक्रियाएँ – इस प्रकार के धातु लवण जलीय माध्यम में तथा द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में समान आचरण प्रदर्शित करते हैं। उदाहरण के लिए, ऐलुमिनियम क्लोराइड की हाइड्रॉक्साइडों के साथ जलीय माध्यम में तथा सल्फाइटों के साथ द्रव सल्फर डाइऑक्साइड में एक सी अभिक्रियाएँ होती हैं जैसा कि निम्न समीकरणों से स्पष्ट है-
उपर्युक्त अवक्षेप अवक्षेपकारक की अधिकता में घुलकर संकुल बना देते हैं-
- कार्बनिक यौगिकों के साथ अभिक्रियाएँ – कार्बनिक संश्लेषणात्मक अभिक्रियाओं के लिये द्रव सल्फर डाइऑक्साइड एक बहुत अच्छा विलायक है क्योंकि – (i) यह कार्बनिक यौगिकों के प्रति अक्रिय है तथा (ii) यह अज्वलनशील है। कुछ विशिष्ट अभिक्रियाएँ, जिनमें द्रव सल्फर डाइऑक्साइड विलायक के रूप में काम में लिया जाता है, निम्न प्रकार हैं-
(a) ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन का सल्फोनीकरण
द्रव SO2 में विभिन्न सल्फोनीकारक अभिकर्मक ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बनों का सल्फोनीकरण कर देते है जैसा कि निम्न समीकरणों से स्पष्ट है :
(b) फ्रीडेल क्राफ्ट की तरह की अभिक्रियाएँ
हम जानते हैं कि फ्रीडेल क्राफ़्ट अभिक्रिया में AICI3 उत्प्रेरक के रूप में काम में लिया जाता है जो द्रव SO2में विलेय है। विभिन्न प्रकार की फ्रीडेल – क्राफ्ट अभिक्रियाएँ नीचे दिखाई गई हैं।
(c) योगात्मक अभिक्रियाएँ (Addition reactions) – असंतृप्त हाइड्रोकार्बन हेलोजेनों के साथ योगात्मक यौगिक बनाते हैं-
(d) प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ ( Substitution reactions) – उदाहरणार्थ निम्न अभिक्रियां प्रस्तुत है जिसमें फीनॉल के ब्रोमीन द्वारा प्रतिस्थापन से ब्रोमोफीनॉल बनता है ।
प्रश्नावली (Exercises)
(A) अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
- उभय प्रोटिक विलायक से आप क्या समझते हैं। उदाहरण दीजिए।
What do you mean by amphiprotic solvents. Give examples.
- अनआयनकारी विलायक किसे कहते हैं ?
What are non-ionising solvents ?
- SO2 की आण्विक संरचना लिखिए ।
Write molecular structure of SO2.
- द्रव अमोनिया में हेलाइड़ों की विलेयता का घटता हुआ क्रम लिखिए |
Write decreasing order of solubility of halides in liquid ammonia.
- आयनकारी विलायक क्या है ?
What is an ionising solvent ?
- रासायनिक क्रियाओं में विलायक का योगदान क्या होता है ?
What is the role of a solvent in chemical reactions.
- प्रोटॉनिक विलायकों को स्पष्ट कीजिए ।
Explain protonic solvents.
प्रोटोजेनिक तथा उभय प्रोटॉनी विलायक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
Give one example each of protogenic and amphiprotic solvents.
- द्रव अमोनिया विलायक प्रक्रम की दो सीमाएँ लिखिए ।
Write two limitations of liquid NH3 solvent system.
- द्रव NH, विलायक में यूरिया किस प्रकार व्यवहार करता है ?
What is the behaviour of urea in liquid NH, solvent?
- द्रव SO2 के स्वः वियोजन की रासायनिक समीकरण लिखिए।
te Write chemical equation for autodissociation of SO2.
- HNO3 जल में प्रबल अम्ल है परन्तु H2SO4विलायक में एक क्षार की भांति व्यवहार करता है, समझाइये।
HNO3 is a strong acid in water but in H2SO4 solvent it behaves as a base, Explain
- जल में सल्फ्यूरिक अम्ल एक अम्ल के रूप में जबकि द्रव HF में एक क्षार के रूप में कार्य करता है, समझाइये |
H2SO4 is a strong acid in water but it act as a base in liquid HF, explain.
- द्रव SO2 में सल्फाइट लवण बेस के रूप में जबकि थायोनिल क्लोराइड एक अम्ल के रूप में कार्य करता है ।
In liquid SO2, sulphite salts behave as bases, whereas thionyl chloride acts as an acid.
(B) लघुत्तरात्मक प्रश्न ( Short Answer Type Questions)
- 1. क्या होता है जब सोडियम हाइड्राइड द्रव NH3 में घोला जाता है ?
What happens when sodium hydride is dissolved in liquid NH3?
- एक अभिक्रिया लिखिए जिसमें जल क्षार की तरह कार्य करता है।
Write a reaction in which water behaves as a base.
- 3. द्रव अमोनिया में अमोनियम लवणों का अम्लीय व्यवहार समझाइये ।
lain Explain acidic behaviour of ammonium salts in liquid ammonia.
- 4. द्रव अमोनिया में रेडाक्स अभिक्रिया को समझाइये |
lain Explain redox reactions in liquid ammonia.
- प्रोटॉन बन्धुता समझाइये |
lain Explain proton affinity.
6.धातु अमोनिया विलयन विद्युत के सुचालक होते हैं, समझाइये ।
Metal ammonia solutions are good conductors of electricity, explain
- द्रव अमोनिया में रेडाक्स अभिक्रिया को समझाइये ।
Discuss redox reactions in liquid ammonia.
- द्रव अमोनिया की विलायक के रूप में H2O से तुलना कीजिए ।
Compare liquid NH3 and H2O as solvents.
(C) दीर्घउत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)
- प्रोटॉनों के प्रति व्यवहार के आधार पर विलायक कितने प्रकार के होते हैं । [कोटा वि. वि. 2011] How many types of solvents are there on the basis of their behaviour towards protons. 2. द्रव SO2 में होने वाली निम्न अभिक्रियाएँ लिखिए:-
(i) अम्ल-क्षार अभिक्रियाएँ
(ii) अवक्षेपण अभिक्रियाएँ
(iii) रेडाक्स अभिक्रियाएँ
(iv) विलायक अपघटनी अभिक्रियाएँ
Discuss the reactions occuring in liquid SO2
(i) Acid-base reactions
(ii) Precipitation reactions
(iii) Redox reactions
(iv) Solvolysis reactions
- द्रव SO, में सम्पन्न करवायी जाने वाली मुख्य रासायनिक अभिक्रियाओं को बतलाइये ।
Discuss various types of reactions occuring in liquid SO2
- निम्नलिखित में से किन्ही दो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
(i) धातु-अमोनिया विलयन ।
(ii) सम एवं विषम आयनन विलायक |
(iii) विलायकों का वर्गीकरण ।
Write short notes on any two of the following-
(i) Metal – ammonia solutions.
(ii) Levelling and differentiating solvents.
(iii) Classification of solvents.
क्या होता है जब-
(i) लेड आयोडाइड की क्रिया पोटैशियम ऐमाइड से द्रव अमोनिया में होती है। (ii) जिंक ऐमाइड की क्रिया पोटैशियम ऐमाइड से द्रव अमोनिया में होती है ।
(iii) Mg2 Si की क्रिया द्रव अमोनिया में NH CI से होती है ।
(iv) धातु अमोनिया विलयन में अमोनियम आयन मिलाया जाता है ।
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