Life cycle of Plasmodium pathogen in hindi प्लाजमोडियम रोगजनक का जीवन चक्रकृमि जनित , कवक जनित रोग
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रोकथाम के उपाय:-
1- अपने घरों के आसपास पानी एकत्रित नहीं होना चाहिए।
2- जहाँ पर पानी एकत्रित होता हो वहाँ कीटनाशी जैसे क्क्ज् का छिडकाव किया जाना चाहिए।
3- जलभराव वाले स्थानों पर गंबूसिया मछली छोडी जानी चाहिए।
4- खिडकियाँ पर जाली लगानी चाहिए।
5- सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग किया जाना चाहिए।
6- मच्छरनाशक क्रीम का प्रयोग किया जाना चाहिए।
7- कूलर का पानी समय≤ पर बदलते रहना चाहिए।
2- रोग का नाम – अमीबीय क्षतिसार/पेचिश/अमीबियसिस
रोगजनक – एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका
प्रसारण – दूषित भोजन एवं जल द्वारा
रोगवाहक – घरेलू मक्खी
लक्षण – 1 उदरीय पीडा एवं ऐंठन
2 श्लेष्मा एवं रक्त के धक्के युक्त मल
3 ज्वर
4 अरक्तता
5 कमजोरी
रोकथाम के उपाय -टायफाइड की तरह
कृमि जनित – एलकेरिेसिता
संचरण – बिना खुली सब्जियों एवं प्रयोग से । ये कृमि मृदा में अण्डे देता है। तथा फल सब्जियों के साथ इसके अण्डे शरीर में प्रवेश कर सकते है।
लक्षण -आँत्तीय अवरोध
2- रोग का नाम -फाइलेरिया, फाइलेरिएसिस/एलेफेशियासित,
हाथी पाँव/हस्तीपाद/वलीपाद
रोगजनक – वुचरैरिया बैंक क्टाई
कुचरैरिया मैलाई
संचरण – संदुषित भोजन एवं जल द्वारा
रोगवाहक – मच्छर एडीज और —-
लक्षण – 1- लसिका वाहिनियों में सूजन
2- पैर सूजकर हाथी के पंाव के समान हो जाते है।
3- रोग के अधिक बढने पर जनानाँग भी प्रभावित होते है तथा अनेक विरूपता आ जाती हैै
रोकथाम के उपाय -टाॅयफाइड व मलेरिया के समान
कृमि जनित
कवक जनित रोग:-
रोग का नाम-दाद, खाज, खुजली
रोगजनक – माइक्रोस्पोरम
एपिडमोफाइटोन
ट्राइकोफाइंटाॅन आदि कवक के वंश
संचरण – संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से तथा उसके तौलियाँ एवं रूमाल, कंघे का प्रयोग करने से
लक्षण – शिरोवल्क हाथ और पैर की अंगुलिया के बीच एवं त्वचा के वलनों के मध्य सूखी, शल्की विक्षतिया बनना तथा खुजली आना।
रोकथाम – 1- व्यक्तिगत स्वच्छता
2- दूसरे व्यक्ति का तौलिया, कंधे आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।